Uttar Pradesh

Bareilly-I

CC/12/2017

Trimal Prasad - Complainant(s)

Versus

Baroda U.P. Gramin Bank - Opp.Party(s)

Jagdish Singh

12 Jul 2018

ORDER

DISTRICT CONSUMER FORUM-1
CIVIL LINES JAIL ROAD
BAREILLY (UTTAR PRADESH)
 
Complaint Case No. CC/12/2017
( Date of Filing : 06 Jan 2017 )
 
1. Trimal Prasad
Mabai Kajiyan Tahsil Baheri Bareilly
Bareilly
UTTAR PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. Baroda U.P. Gramin Bank
Panvadia Tahsil Baheri Bareilly
Bareilly
UTTAR PRADESH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ghanshyam Pathak PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mohd Qamar Ahmad MEMBER
 
For the Complainant:Jagdish Singh, Advocate
For the Opp. Party: Dinesh Kumar Katiyar, Advocate
Dated : 12 Jul 2018
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम बरेली।

          उपस्थितः- 1. घनश्याम पाठक          अध्यक्ष
                       2. मोहम्मद कमर अहमद     सदस्य

परिवाद संख्या 12/2017

त्रिमल प्रसाद पुत्र श्री हरीराम निवासी ग्राम मवई काजियान तहसील बहेडी जिला बरेली।
                                                 ................परिवादी

प्रति

मैनेजर बडौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बंैक द्वारा मैनेजर शाखा कार्यालय पनवडिया तहसील बहेडी जिला बरेली।

                                       ................ विपक्षी

निर्णय

    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध इस आशय का प्रस्तुत किया है कि उसके विरूद्ध बैंक ऋण की वाबत जारी वसूली नोटिस निरस्त कर दिया जाये।
2.    परिवादी का कहना है कि विपक्षी बैंक ने उसका बचत खाता सं0 2419 कई सालों से चल रहा है, उसने विपक्षी के बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण हेतु अगस्त 2013 में आवेदन किया। शाखा प्रबन्धक ने कई  कागजात पर हस्ताक्षर बनवाये और कहा कि जांच के पश्चात ऋण स्वीकृत हो जायेगा। किन्तु साढे तीन माह  तक जब ऋण स्वीकृत नहीं हुआ तो परिवादी ने अपना कागजात वापस मांगा तो उन्होंने बात टाल दी।फिर परिवादी अपनी बेटी की शादी में व्यस्त हो गया और भूल गया । परिवादी क पडोस के गांव के बब्लू पंडित नाम व्यक्ति ने बताया कि बैंक में  तुम्हारी ऋण की पत्रावली है जो स्वीकृृत हो गयी तो परिवादी ने पुलिस अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया। दिनांक 1.6.16 को वसूली नोटिस आयी , परिवादी गारंटर श्री श्याम लाल गंगवार व बुद्धसेन से जानकारी करने गया तो पता चला कि ़ऋण स्वीकृत हो गया और इन लोगों ने ऋण खुर्द पुर्द कर दिया। इन लोगों ने कहा कि हम बैंक में पैसा जमा कर देंगे, लेकिन पैसा जमा नहीं किया, थाने में शिकायत किया, कोई कार्यवाही नहीं हुई तब यह परिवाद योजित किया।
3.    परिवादी ने सूची कागज सं0 6 से मूल खतौनी, फर्जी खतौनी,परिवादी का बचत खाता, परिवादी ने जो आवेदन दिया, के्रडिट कार्ड जो परिवादी को जारी किया गया, चैक व फर्जी हस्ताक्षर का चैक,क्रेडिट कार्ड,आवेदन पत्र, एफ0आई0आर0 की नकल, तहसील दिवस पवर दिये गये प्रार्थना पत्र की नकल, प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया , नोटिस, समझौतानामा आदि दाखिल किया गया है।
4.      काफीसमय दिये जाने के बाद भी परिवादी ने कोई साक्ष्य या शपथ पत्र नहीं दिया तब फोरम द्वारा दिनांक19.2.18 को परिवादी की साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया गया।
5.      विपक्षी ने उत्तर  पत्र कागज सं.12 प्रस्तुत किया। विपक्षी ने बताया कि उसके बैंक ने परिवादी का बचत खाता सं0 2419 चल रहा है जिसका अब खाता सं0 55780100000962 हो गया है। परिवादी ने ऋण के लिए आवेदन पत्र दिया जो दिनांक 4.9.132 को 1,00,000/-रू0 का स्वीकृत हुआ। परिवादी ने अपनी खतौनी  व अन्य कागजात व नोटिस, शपथ पत्र दिया। परिवादी को 80,000/-रू0 का चैक दिनांक 12.9.13 को दिये गये व 50,000/-रू0 का चैक दिनांक 12.9.13 को दिये गये जो उसके द्वारा अपने बचत खाते में जमा कर उसमंे से पैसा निकाला गया। परिवादी ऋण से बचने के लिए झूठे प्रार्थना पत्र देता रहा।
6.       विपक्षी बैंक ने अपने समर्थन में पंकज कुमार मारवाह शाखा प्रबन्धक का शपथ पत्र व सूची कागज सं019 से मूल के्रडिट कार्ड, ऋण का आवेदन पत्र, खतौनी, परिवादी की आई.डी., जमीन्दारों की आई.डी., नोटिस,फार्म-एफ, राशन कार्ड,परिवादी के हस्ताक्षर का नमूना व मा0 उच्च न्यायालय के आदेश की नकल व रिट की नकल दाखिल किया है।
7.    परिवादी बाद में उपस्थित नहीं आया और साक्ष्य नहीं दिया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया।
8.     इस मामले में यह देखा जाना है कि क्या परिवादी ने ऋण बैंक सेलिया अथवा नहीं । इस संबंध में विपक्षी बैंक ने परिवादी के मूल किसान क्रेडिट कार्ड व आवेदन पत्र एवं गारंटर की आई.डी. व हस्ताक्षर , कागजात, खतौनी, परिवादी का नोटिस व शपथ पत्र व परिवादी को जारी किये गये 80,000/-रू0 व 50,000/-रू0 के चैक व निकासी से संबंधित कागजात वच नमूना हस्ताक्षर दाखिल किया है। इससे स्पष्ट होता है कि परिवादी को दिनांक 12.9.13 को 80,000/-रू0 जो मिले वह उसके खाते में जमा हुए और 50,000/-रू0 उसी दिन उसके द्वारा निकाला गया। दोनों पर पीछे परिवादी वही हस्ताक्षर है जो नमूने हस्ताक्षर कार्ड पर है। दिनांक 23.9.13 को 19700/-रू0 व दिनांक26.9.13 को 30000/-रू0 की निकासीसे संबंधित स्लिप दाखिल किया गया है । इस पर भी परिवादी के हस्ताक्षर हैं जो नमूना कार्ड से प्रथम दृष्टया मेल खाते हैं। इस संबंध में परिवादी ने पुलिस में रिपोर्ट लिखायी थी लेकिन उसका कोई प्रमाण परिवादी ने दाखिल नहीं किया । परिवादी ने मा0 उच्च न्यायालय में रिट याचिका संख्या 11171/2017 दाखिल किया था जो दिनांक 15.6.17 को खारिज हो गया। ऐसेमें परिवादी द्वारा मात्र शिकायत करने से यह नहीं कहा जा सकता कि उसने ऋण नहीं लिया।
9.    इसके विपरीत पत्रावली पर जो साक्ष्य मौजूद है, उसके अनुसार परिवादी ने स्वयं अपना फोटो लगाया, हस्ताक्षर किये, चैक पाया, जो खाते मे जमा किया, खाते से उसे निकाला जो उसके हस्ताक्षर से मेल खाता है। ऐसे में यह कहना कि परिवादी के विरूद्ध विपक्षी बैंक ने रू0 1,29,217/-का नोटिस भेजा जो गलत है, ऐसा साबित नहीं हो सकता है। परिवादी अपने परिवाद को साबित करने में प्रयत्नहीन रहा  है और साबित नहीं कर सका है, चूंकि मामला मैरिट पर बहस के परक्रम पर था ऐसे में अदम पैरवीमें खारिज न करके मैरिट पर निस्तारित किया जाना उचित था। फलस्वरूप मैरिट पर निस्तारण की कार्यवाही की गयी है।?
10.     फलस्वरूप हम इस निष्कर्ष  पर पहुंचते हैं कि परिवादी का परिवाद साबित नहीं सका और खारिज किये जाने योग्य है।

                              आदेश

      परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।

 

 
 
[HON'BLE MR. Ghanshyam Pathak]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mohd Qamar Ahmad]
MEMBER

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