जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
षिवराज पुत्र कालू, जाति- जाट, निवासी- ग्राम भटियानी, तहसील-नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
1. षाखा प्रबन्धक, बडौदा राजस्थान ग्रामीण बैंक, षाखा लोहरवाडा, जिला-अजमेर ।
2. ष्षाखा प्रबन्धक, नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, षाखा कार्यालय, सदर कोतवाली के पास, पृथ्वीराज मार्ग, अजमेर ।
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 110/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सौरभ सेठी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री एस.के.सेठी,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3. श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी सां.2
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 17.04.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस तरह से है कि प्रार्थी ने एक भैंस जोे अप्रार्थी संख्या 1 बैंक से ऋण लेकर क्रय की एवं इस भैंस का बीमा अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी से अवधि दिनांक 12.1.2012 से
13.1.2013 हेतु करवाया एवं बीमा किष्त की राषि प्रार्थी के ऋण खाते में लिखी गई । बीमा करते वक्त प्रार्थी की इस भैंस के कान पर टेगिंग की गई तथा भैंस का भौतिक सत्यापन भी किया गया व पोस्ट इंस्पेक्षन रिर्पोट भी तैयार की गई । इस प्रकार इस भैंस की मृत्यु हो जाने की दषा में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा राषि का भुगतान किया जाना था । प्रार्थी की यह भैंस जिसका टेग नं. एन.आई.सी 10- 5179 था, दिनांक 17.3.2012 को मर गई जिसकी सूचना प्रार्थी ने उसी दिन अप्रार्थी बैंक को दी तथा अप्रार्थी संख्या 1 बैंक के अधिकारियों ने उसी दिन मृत भैंस का मौके पर पहुंच कर भौतिक सत्यापन किया तथा मृत भैंस का टेग नं. 10-5179 पाया गया तथा इस संबंध में उक्त अधिकारियों द्वारा रिर्पोट भी तैयार की गई तथा भैंस का पोस्टमार्टम भी किया गया । इसके बाद समस्त कार्यवाही पूर्ण करते हुए प्रार्थी ने क्लेम अप्रार्थी संख्या 1 को प्रस्तुत किया जो अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 को भेज दिया । अप्रार्थी संख्या 2 ने प्रार्थी के क्लेम को पत्र दिनांक 5.6.2012 में वर्णित कारणों से गलत रूप से अस्वीकार कर दिया । अतः यह परिवाद पेष करते हुए बीमा राषि की मांग की है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 व 2 द्वारा जवाब पेष किया गया । अप्रार्थी संख्या 1 ने परिवाद की चरण संख्या 4 के तथ्यों को अस्वीकार किया किन्तु प्राथी का भैंस के मरने पर अप्रार्थी संख्या 1 बैंक को सूचित करना व अप्रार्थी सं.1 बैंक द्वारा मौके पर पहुंच कर भौतिक सत्यापन आदि करना दर्षाया है । इस अप्रार्थी ने प्रार्थी द्वारा जो क्लेम प्रस्तुत किया उसे मिथ्या होना भी दर्षाया है तथा स्वयं के पक्ष में किसी तरह की सेवा में कमी के बिन्दु को अस्वीकार किया है ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 ने परिवाद का चरणवार जवाब पेष किया जिसमें बीमा पाॅलिसी जारी करने के तथ्य को स्वीकार किया लेकिन भैंस के मरने व भैंस जो मरी उसी का ही बीमा प्रार्थी ने करवाया, तथ्यों को सिद्व करने का भार प्रार्थी पर बतलाया । जवाब में यह भी दर्षाया कि इस आषय की सूचना मिलने पर मामले की जांच करवाई गई जिससे जो भैंस मरी व भैंस जिसका बीमा करवाया गया था,सिद्व नहीं पाया गया है । जांच में टैंग नया होना पाया गया तथा भैंस की आयु में भी अन्तर था । अप्रार्थी ने अपने जवाब में यह भी दर्षाया कि बीमा पाॅलिसी की षर्तो अनुसार पषु की मृत्यु बीमारी अथवा दुर्घटना से होने पर बीमा राषि देय थी जबकि प्रार्थी की यह भैंस स्वयं प्रार्थी के अनुसार अचानक मर गई थी अर्थात बीमार होकर नहीं मरी थी जिससे भी प्रार्थी का यह क्लेम स्वीकार होने योग्य नहीं है । अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी का जो क्लेम निरस्त किया है वह सही रूप से निरस्त किया है ।
3. पक्षकारान ने परिवाद के समर्थन में षपथपत्र एवं दस्तावेजात पेष किया ।
4. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
5. परिवाद के निर्णय हेतु हमारे समक्ष निर्णय हेतु यही बिन्दु है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेम को सही रूप् से अस्वीकार किया है? । 6. इस निर्णय बिन्दु को सिद्व करने का भार अप्रार्थी बीमा कम्पनी पर है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पत्र दिनंाक 29.5.2012 में उल्लेखित कारणों यथा भैंस की मृत्यु की सूचना 3 दिन देरी से देना, भैंस जो वर्ष 2010 में क्रय की गई एवं उसका पोस्टमार्टम वर्ष 2012 में हुआ दोनों में आयु 7 वर्ष की अंकित होना , प्रार्थी के अन्य पषु बीमित थे उनके कोई टेग नहीं होना, बीमित द्वारा जो फोटोग्राफ पेष किए गए उनमें टेग चमकीला व नया होना जबकि क्लेम के साथ पुराना टेग प्रस्तुत किया गया था एवं भैंस की मृत्यु बिना बीमारी के अचानक होने से भी बीमा राषि देय नहीं होना दर्षाया है ।
7. उपर वर्णित कारणों के संबंध में बहस सुनी गई जो पक्षकारान के अभिवचनों के अनुरूप ही रहीं ।
8. अब हम क्लेम निस्तीकरण जो आधार उपर दर्षाए है, के संबंध में क्रमष विवेचना करते है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पहला आधार बीमित पषंु की मृत्यु की सूचना 3 दिन देरी से देने का लिया गया है इस संबंध में हमारी विवेचना है कि बीमित पषु की मृत्यु दिनंाक 17.3.2012 को होना दर्षाया है एवं पषु का पोस्टमार्टम भी दिनंाक 17.3.2012 को हुआ है । यह तथ्य पोस्टमार्टम रिर्पोट में वर्णित है । इसके अतिरिक्त बैंक के पत्र दिनांक 20.3.2012 से प्रार्थी के क्लेम को अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भेजा, में भी उल्लेख है कि पषु की मृत्यु दिनांक 17.3.2012 को हुई तथा षाखा प्रबन्धक द्वारा मौके पर जांच भी की गई । अतः इन तथ्यों को देखते हुए हम पाते है कि 3 दिन देरी का कोई प्रतिकुल प्रभाव वाद पर नहीं पडता है एवं अप्रार्थी बीमा कम्पनी के इस आधार पर प्रार्थी का परिवाद खारिज नहीं किया जा सकता ।
9. दूसरा आधार पोस्टमार्टम रिर्पोट में बीमित पषु की आयु 7 वर्ष अंकित की गई है जबकि पषु खरीदा तब जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र में आयु 7 वर्ष दषाई है । इस संबंध में हमारी विवेचना है कि ऐसी आयु अनुमान से लिखी जाती है । अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह आधार भी स्वीकार होने योग्य नहीं है ।
10 तीसरा आधार यह लिया है कि बीमित के वहां दूसरे पषु बीमित थे किन्तु उनके कान में टेग नहीं थे एवं उनके टेग गुम होना प्रार्थी ने दर्षाया है । जिसकी कोई रिर्पोट नहीं की गई है । हमारे विनम्र मत में इस तथ्य से भी प्रार्थी के क्लेम पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड सकता क्योंकि इस परिवाद में बीमा जिस पषु का किया गया था और जो मर गया उसका टेग था या नहीं वहीं तथ्य महत्वपूर्ण है ।
11. चैथा आधार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने यह लिया है कि प्रार्थी द्वारा मृत भैस का फोटाग्राफ प्रस्तुत किया है उसमें टेग नया व चमकीला लगा प्रतीत हो रहा था जबकि बीमादावा प्रपत्र में संलग्न किया गया टेग बिल्कुल पुराना था । इस संबंध मंें हमारी विेवचना है कि परिवाद की इस पत्रावली में जो फोटोग्राफ की फोटो प्रतियाॅ पेष की गई है उनमें मृत भैस के कान में टेग नया व चमकीमा लग रहा था, पत्रावली पर पेष नहीं हुआ है । जो टेग दावा प्रपत्र के साथ पेष किया उसे मंच के समक्ष पेष नहीं किया गया है । अतः यह तथ्य भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से सिद्व नहीं हुआ है ।
12. अंतिम आधार बीमा कम्पनी की ओर से यह लिया गया है कि भैंस की मृत्य अचानक हुई थी अर्थात भैंस की मृत्यु बीमारी से नहीं हुई । अतः पाॅलिसी षर्तो के अनुसार अचानक मृत्यु इस पाॅलिसी के अन्तर्गत आवरित नहीं थी । इस संबंध में पाते है कि पोस्टमार्टम रिर्पोट में बीमित पषु की मृत्यु का कारण लिखा हुआ है ।
13. उपरोक्त विवेचना से हमारा निष्कर्ष है कि अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को जिन कारणों से अस्वीकार किया है वे कारण अप्रार्थी बीमा कम्पनी सिद्व नहीं कर पाई है । परिणामस्वरूप प्रार्थी का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य है तथा प्रार्थी अपने इस बीमित भैंस के बीमाधन की राषि प्राप्त करने का अधिकारी है तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में भी समुचित राषि प्राप्त करने का अधिकारी है । अप्रार्थी बैंक के खिलाफ कोई सेवा में कमी सिद्व नहीं हुई है । अतः उसके विरूद्व परिवाद खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
ःः- आदेष:ः-
14. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपने बीमित पषु भैंस की बीमा प्रष्नगत पाॅलिसी के अन्तर्गत देय बीमित धन राषि प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 2000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा उक्त आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें या मंच में जमा करावें ।
(4) दो माह की अवधि में उपरोक्त राषि की अदायगी नहीं करने की स्थिति में प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से निर्णय की दिनांक से तादायगी 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(5) अप्रार्थी बैंक के विरूद्व परिवाद खारिज किया जाता है ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा )
सदस्या अध्यक्ष
15. आदेष दिनांक 17.04.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष