राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या:-531/2017
Jitendra Dev Gangwar, aged about 48 years, S/o Sri Babu Ram Gangwar, R/o 15, Shiv Nagar, I.V.R.I. Road, Bareilly.
........... Complainant
Versus
1-Bareilly Development Authority, Priyadarshini Nagar District Bareilly through its Vice-Chairman.
2-Estate Officer, Bareilly Development Authority, Priyadarshini Nagar District Bareilly.
……..…. Opp. Parties
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
परिवादी के अधिवक्ता : श्री अवधेश शुक्ला
विपक्षीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :-21-12-2021
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी जितेन्द्र देव गंगवार ने यह परिवाद विपक्षीगण बरेली विकास प्राधिकरण, प्रियदर्शिनी नगर जिला-बरेली द्वारा उपाध्यक्ष और ईस्टेट ऑफिसर, बरेली विकास प्राधिकरण, प्रियदर्शिनी नगर जिला-बरेली के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
- To set aside the letter dated 07-7-2017 contained as Annexure No.7 to this complaint asking for payment of an additional amount of Rs. 1181/- per sq. mt. from the complainant.
- To direct the Opp. Party to hand over immediately the possession of the plot No. 61 measuring area 288 sq. mt. (Category HIG III) in Sector 3 of the Ramganga Nagar Scheme as per allotment letter No. 4283 dated 07-11-2006. (अंकन त्रुटि से वर्ष 2016 टंकित हो गया)
- To award a cost of Rs. 25.00 Lac for the loss that has been caused to the complainant by the Opp. Party by their unjustified, deceitful and unfair practices.
- To award a cost of Rs. 10.00 Lac for the continuous harassment and mental agony and trauma that has been caused to the complainant and his family.
- To award Rs. 35,000/- towards legal expenses.
- Such other order or direction as the Hon'ble commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
संक्षेप में वाद पत्र के तथ्य इस प्रकार है कि विपक्षी प्राधिकरण द्वारा एक प्रस्तावित योजना हेतु विज्ञापन रिहायशी भूखण्ड की बिक्री हेतु “रामगंगा नगर आवासी परियोजना” के नाम से माह फरवरी/मार्च 2006 में विज्ञापित किया। उपरोक्त विज्ञापन के उपरांत विपक्षी प्राधिकरण द्वारा एक ब्रोशर जारी किया गया, जिसमें उपरोक्त आवासीय भूखण्डों से सम्बन्धित समस्त विवरण एवं जानकारी उपलब्ध करायी गयी, जिसमें प्राधिकरण द्वारा आवंटन से सम्बन्धित नियम एवं शर्तों को विस्तृत रूप से आज्ञापित किया तथा प्रस्तावकों से उपरोक्त बाउचर में वर्णित तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अपेक्षा की।
प्रार्थना पत्र वास्ते आवासीय भूखण्ड पंजीकरण हेतु रू0 72,0000.00 की धनराशि उपरोक्त बाउचर/फार्म में अंकित थी। परिवादी द्वारा उपरोक्त प्रस्तावित योजना में पंजीकरण हेतु विपक्षी प्राधिकरण के सम्मुख कुल धनराशि रू0 72,000.00 दिनांक 26.3.2006 को जमा की गई, तदोपरांत विपक्षी प्राधिकरण द्वारा परिवादी को एच0आई0जी0 III श्रेणी आवासीय प्लॉट 288 वर्ग मीटर सेक्टर-3 रामगंगा नगर योजना में आवंटित किया गया। आवंटन पत्र में आवंटित भूखण्ड को प्रदान करने की अवधि 15 माह
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अंकित की गई जैसा कि पत्रावली पर उपलब्ध संलग्न-2 के प्रस्तर-9 में अंकित किया गया है।
परिवादी द्वारा उपरोक्त आवंटित भूखण्ड हेतु रू0 2500.00 वर्ग मीटर की गणना करते हुए कुल इंगित धनराशि रू0 7,20,000.00 के विरूद्ध रू0 1,08,000.00 दिनांक 30.11.2006 से पूर्व विपक्षी प्राधिकरण के सम्मुख जमा किया गया तथा बाकी की देय धनराशि रू0 5,40,000.00 कुल छ: अर्द्ध वार्षिक किस्त के रूप में इंगित तिथि दिनांक 30.4.2008 तक देना स्वीकार किया। परिवादी द्वारा दौरान उपरोक्त समयावधि कुल धनराशि रू0 6,00,000.00+ रू0 26,000.00+ रू0 22,000.00 अर्थात कुल धनराशि 6,48,000.00 रू0 जमा किया गया, जो दिनांक 23.12.2006 तक जमा किया गया। जबकि पूर्व में जमा पंजीकरण धनराशि रू0 72,000.00 को मिलाकर परिवादी द्वारा पूर्ण देय धनराशि रू0 7,20,000.00 दिसम्बर, 2006 तक जमा की गई।
विपक्षी द्वारा उपलब्ध बाउचर/प्रार्थना पत्र में यह स्पष्टत: इंगित किया गया कि यदि किसी भी नियम एवं शर्तों का उल्लंघन होगा, तब उस दशा में आवंटन निरस्त कर दिया जावेगा तथा ब्याज के रूप में वार्षिक ब्याज 16 प्रतिशत की गणना कर जमा कराया जायेगा। संलग्नक -2 के प्रस्तर-9 में निम्नवत अंकित है:-
"आपको आवंटित भूखण्ड का कब्जा हस्तानांतरण आपके द्वारा भूखण्ड के मूल्य की सम्पूर्ण धनराशि व फ्री-होल्ड आदि चार्जेंस जमा कर रजिस्ट्री कराने के उपरांत आवंटन तिथि से 15 माह में दे दिया जायेगा।"
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि परिवादी ने प्रस्तावित आवंटन ब्राउचर एवं फार्म इत्यादि में वर्णित तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए एच.डी.एफ.सी बैंक से विपक्षी प्राधिकरण के सम्मुख जमा की गई
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धनराशि ब्याज पर ऋण प्राप्त कर जमा की। उसके द्वारा कुल रू0 6,00,000.00 एच.डी.एफ.सी0 बैंक बरेली से ब्याज पर लिया गया, जिस ब्याज की देयता प्रतिमाह उसके द्वारा बैंक के सम्मुख जमा की जाती रही। बाकी की धनराशि भी परिवादी ने अपने परिवारीजन एवं मित्रों से लेकर प्राधिकरण के सम्मुख आवंटित भूखण्ड को प्राप्त करने हेतु जमा की। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि अनेकों तिथियों पर परिवादी द्वारा विपक्षी प्राधिकरण के सम्यक अधिकारीगण से सम्पर्क किया गया कि उसको आवंटित भूखण्ड प्राप्त कराया जाये, क्योंकि प्राप्त कराने की समय-सीमा दिनांक 06.02.2008 को समाप्त हो गई परन्तु उसकी प्रार्थना पर विपक्षी प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया अर्थात विपक्षी प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित समयावधि में आवंटित भूखण्ड परिवादी को प्राप्त नहीं कराया गया अत्एव परिवादी द्वारा क्षुब्ध होकर प्रस्तुत परिवाद 10 वर्ष से अधिक समय व्यतीत होने के उपरांत इस न्यायालय के सम्मुख योजित किया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिस समय प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत किया गया, उस समय आवंटित भूखण्ड का मूल्य/बाजारू कीमत लगभग 37-38 लाख रूपये हो गई थी अत्एव वह किसी अन्य भूखण्ड को भी क्रय करने की स्थिति में नहीं था।
परिवादी द्वारा एच0डी0एफ0सी0 बैंक को दौरान उपरोक्त इंगित अवधि लगभग 09 वर्ष में 2,00,000.00 से अधिक ब्याज दिया जा चुका था तथा बाकी ब्याज की देयता दिन प्रतिदिन उसके ऊपर निर्धारित हो रही थी जिस हेतु समय समय से उसके द्वारा विपक्षी प्राधिकरण से सम्पर्क किया
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जाता रहा, साथ ही उसे परिवाद दाखिल करने की अवधि तक किराये के मकान में रहने हेतु लाखों रूपये प्रतिवर्ष खर्च करना पडा तथा इन तथ्यों से उसने अनेकों बार विपक्षी प्राधिकरण को अवगत कराया अंततोगत्वा दिनांक 27.11.2015 को सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत विपक्षी प्राधिकरण से उपरोक्त आवंटित भूखण्ड के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर विपक्षी प्राधिकरण द्वारा दिनांक 03.01.2016 को निम्न सूचना प्राप्त करायी गई:-
संलग्नक-5
"कृपया सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत निम्नलिखित सूचना उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
क्र.सं. | वॉछित सूचना |
1. | यह कि रामगंगा नगर आवासीय योजना के अन्तर्गत (पंजीकरण संख्या........... आवंटित 288 वर्ग मीटर का प्लाट संख्या-61 (HIG-III) का कब्जा मुझे आवंटन के लगभग 9 वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी न दिये जाने का क्या कारण है? |
2. | यह कि योजना से सम्बन्धित brochure में प्लाट का कब्जा आवंटन के बाद न्यूनतम 18 माह में दिये जाने का उल्लेख था। कृपया यह बतायें कि कब्जा दिये जाने का अधिकतम समय प्राधिकरण द्वारा क्या निर्धारित किया गया है? |
3. | यह कि मुझे आवंटित प्लाट की रजिस्ट्री प्राधिकरण द्वारा मेरे पक्ष में कब करायी जायेगी? |
4. | यह कि जिन आवंटितियों द्वारा प्लाट हेतु निर्धारित पूरी धनराशि का भुगतान नियमानुसार किया जा चुका है, रजिस्ट्री के समय क्या उन्हें पुन: अन्य कोई अतिरिक्त भुगतान करने की आवश्यकता होगी? |
संलग्नक-6
"कृपया अपने पत्र दिनांक 27.11.2015 का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जो जनसूचना अधिकार 2005 के तहत (04 बिन्दुओं पर सूचना चाही गयी है, चाही गई सूचना निम्नवत है:-
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बिन्दु सं0 1, 02, 03 एवं 04 के संबंध में- रामगंगा नगर आवासीय योजना में पंजीकरण सं0 483 सेक्टर-3 आवासीय भूखण्ड सं0 61, क्षेत्रफल 288.00 वर्ग मी0 के संबंध में अवगत कराना है कि वर्तमान मे उक्त योजना के अंतर्गत अर्जित समस्त ग्रामों की भूमि (शासनादेश से प्रभावित भूमि को छोड़ते हुए) का अभीनिर्णय घोषित किया जा चुका है तथा संबंधित भूस्वामियों को प्रतिकर धनराशि का भुगतान किया जा रहा है। पूर्व में आवंटित भूखण्डों के स्थल पर अवशेष विकास कार्यों को पूर्ण कराते हुए आवंटियों का कब्जा दिये जाने की कार्यवाही प्राथमिकता पर की जा रही है। पूर्ण प्रयास है कि माह मार्च 2017 तक आपको आवंटित भूखण्ड का कब्जा दे दिया जाये, इस संबंध में दो विकल्प प्रस्तावित हैं:-
- वर्तमान में विकास कार्य प्रारंभ कर दिये जाने के दृष्टिगत आप द्वारा भूखण्ड का कब्जा लेने हेतु विकास कार्य पूर्ण होने तक प्रतिक्षा की जाये।
अथवा
- आप द्वारा अपनी जमा धनराशि 9.00 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज सहित वापस ले ली जाये।"
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि विपक्षी द्वारा एकाएक एक पत्र सं0-3127 दिनांकित 07.7.2017 जारी किया गया, जिसके द्वारा विपक्षी प्राधिकरण ने परिवादी से रू0 1811 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से देय धनराशि की गणना कर विपक्षी प्राधिकरण के सम्मुख दिनांक 20.7.2017 तक जमा करने हेतु आदेशित किया उपरोक्त पत्र दिनांकित 07.7.2017 संलग्नक-7 के रूप में परिवाद पत्र के साथ उपलब्ध है, जो कि विपक्षी प्राधिकरण के सम्पत्ति अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित एवं जारी किया गया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कथन किया गया कि उपरोक्त पत्र दिनांकित 07.7.2017 पूर्णत: अविधिक, अनैतिक एवं अवैधानिक है तथा यह कि विपक्षीगण को किसी भी स्थिति में जो पूर्व की नियम एवं शर्तें उसके विपरीत धनराशि मॉगने का कोई अधिकार नहीं है,
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वह तब जबकि परिवादी द्वारा सम्पूर्ण देय धनराशि उल्लिखित निश्चित सीमा अवधि के बहुत पूर्व ही प्राधिकरण के सम्मुख दिसम्बर, 2006 तक जमा कर दी गई तथा जो धनराशि कुल रू0 7,20,000.00 विपक्षी प्राधिकरण के पास विगत-11 वर्षों से अधिक समय से जमा है, उस पर ब्याज की गणना यदि विपक्षी प्राधिकरण द्वारा स्वयं मॉगे गये ब्याज के अनुपात में की जावे तब जो धनराशि पत्र दिनांकित 07.7.2017 में वॉछित है उससे अधिक ही धनराशि विपक्षी प्राधिकरण के सम्मुख परिवादी द्वारा जमा की जा चुकी है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि उपरोक्त मॉगी गई अतिरिक्त धनराशि रूपये 1811 प्रति वर्ग मीटर की गणना करने से परिवादी से विपक्षी द्वारा कुल धनराशि लगभग रू0 5,22,000.00 अपेक्षित थी, जबकि परिवादी द्वारा मकान किराये के रूप में उक्त अवधि में कम से कम 4,00,000.00 रू0 से अधिक खर्च किया गया था जो उक्त अवैधानिक रूप से मॉगी गई धनराशि का 73 प्रतिशत से अधिक है तथा यह कि जो धनराशि विपक्षी प्राधिकरण के पास परिवादी द्वारा जमा की गई है उस पर ब्याज की गणना की जावे, तो प्रस्तुत परिवाद दाखिल होने की तिथि तक उपरोक्त धनराशि मॉगी गई धनराशि से कई गुना अधिक विपक्षी के पास जमा है।
विपक्षी की ओर से अधिवक्ता अनुपस्थित हैं। पूर्व में भी विपक्षी की ओर से अधिवक्ता अनुपस्थित थे, अत्एव समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा विशेष रूप से इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए कि विपक्षी द्वारा पूर्णत: अवैधानिक एवं अनैतिक कृत्य किया गया है, मैं प्रस्तुत वाद को परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुनकर तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों को दृष्टिगत रखते हुए गुणदोष के आधार पर अंतिम रूप से निर्णीत करता हॅू।
ऊपर वर्णित विवादित तथ्यों से यह सुस्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित योजना में भूखण्ड के विरूद्ध कुल देय
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धनराशि रू0 7,20,000.00 विपक्षी प्राधिकरण द्वारा नियत अवधि/तिथि से बहुत पूर्व ही जमा की जा चुकी थी तथा यह कि विपक्षी द्वारा उपरोक्त प्रस्तावित/आवंटित भूखण्ड परिवादी को न प्रदान करना स्वत: विपक्षी प्राधिकरण की दूषित मंशा को उजागर करता है, जबकि निर्विवादित रूप से उपरोक्त आवंटित भूखण्ड विपक्षी प्राधिकरण द्वारा परिवादी को इंगित समयावधि अर्थात 15 माह की अवधि में हस्तानांतरित किया जाना था, जो समय सीमा माह फरवरी, 2008 में ही समाप्त हो गई।
प्रस्तुत परिवाद समय सीमा समाप्त होने एवं परिवादी द्वारा समस्त प्रक्रिया एवं रास्तों को अपनाने के पश्चात इस न्यायालय के सम्मुख योजित किया गया, वह तब जबकि विपक्षी प्राधिकरण द्वारा परिवादी द्वारा मॉगी गई सूचना के परिपेक्ष्य में पत्र दिनांकित 07.7.2017 जारी किया गया, जिसके माध्यम से विपक्षी प्राधिकरण द्वारा पूर्व जमा धनराशि के अलावा परिवादी से पुन: अतिरिक्त धनराशि के रूप में रू0 1181 प्रति वर्ग मीटर की धनराशि की मॉग और की गई।
परिवादी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख मॉगे गये अनुतोष को इस निर्णय में पूर्व में वर्णित किया गया है, अत्एव मेरे विचार से परिवादी को निम्न अनुतोष प्रदान किया जाना विधि अनुकूल एवं पूर्णत: सुसंगत प्रतीत होता है, जो परिवादी को निम्न प्रकार से प्रदान किया जाता है:-
1- विपक्षी प्राधिकरण द्वारा जारी पत्र दिनांक 07.7.2017 जिसके द्वारा अतिरिक्त मॉग परिवादी से की गई है, को अपास्त किया जाता है।
2- विपक्षी प्राधिकरण को आदेशित किया जाता है कि वह बिना किसी विलम्ब के भूखण्ड सं0-61 जिसका कुल क्षेत्रफल 288 वर्ग मीटर (श्रेणी HIG-III) सेक्टर-3 रामगंगा नगर आवासीय योजना जिसके सम्बन्ध में
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विपक्षी प्राधिकरण द्वारा आवंटन पत्र सं0-4283 दिनांकित 07.11.2006 संलग्नक-2 परिवादी के पक्ष में जारी किया गया, के अनुसार परिवादी को 30 दिन की समयावधि में प्राप्त कराया जाये।
3- व्यय के रूप में परिवादी द्वारा मॉगी गई धनराशि जो कि परिवादी को हानि विगत लगभग 15 वर्ष से अधिक समय से उठानी पडी, जो कि परिवादी द्वारा विपक्षी प्राधिकरण के द्वारा की गई अनैतिक कार्यवाही से साबित की गई, हेतु कुल रू0 10,00,000.00 की देयता निर्धारित की जाती है, जो विपक्षी प्राधिकरण द्वारा 30 दिवस में परिवादी को देय है। साथ ही वाद व्यय के रूप में रू0 25,000.00 की देयता निर्धारित की जाती है एवं मकान किराये के मद में रू0 2,00,000.00 की देयता निर्धारित की जाती है। मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न हेतु रू0 1,00,000.00 की देयता निर्धारित की जाती है।
उपरोक्त वर्णित देय धनराशि विपक्षी प्राधिकरण यदि निर्णय की तिथि से 30 दिवस में देने में असफल रहते हैं, तब उस दशा में उपरोक्त धनराशि पर विपक्षी प्राधिकरण द्वारा परिवादी को परिवाद दायर करने की तिथि अर्थात 26.12.2017 से धनराशि की देयता की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ देय होगा। उपरोक्त निष्कर्ष के अनुसार प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1