(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1454/2006
दि सेक्रेटरी, बरेली डेवलपमेंट अथारिटी, बरेली तथा चार अन्य
बनाम
कुमारी (डा0) अलका तोमर पुत्री स्व0 डा0 एस.पी.एस. तोमर, निवासिनी 18, आइनेट हाऊस आईवीआरआई कैम्पस, इज्जत नगर, बरेली
एवं
अपील संख्या-1363/2006
डा0 अलका तोमर पुत्री स्व0 डा0 एस.पी.एस. तोमर, निवासिनी 18, माइनेट हाऊस आईवीआरआई कैम्पस, इज्जत नगर, बरेली
बनाम
सेक्रेटरी, बरेली डेवलपमेंट अथारिटी, बरेली तथा चार अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री वी.पी. श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 11.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-86/2003, कु0 डा0 अलका तोमर बनाम सचिव, बरेली विकास प्राधिकरण तथा चार अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 6.5.2006 के विरूद्ध अपील संख्या-1454/2006, विपक्षीगण की ओर से इस निर्णय/आदेश को अपास्त करने के लिए प्रस्तुत की गई है, जबकि अपील संख्या-1363/2006, परिवादिनी की ओर से क्षतिपूर्ति की राशि में वृद्धि हेतु प्रस्तुत की गयी है।
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2. उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित होकर प्रस्तुत की गयी हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्या-1454/2006 अग्रणी अपील होगी।
3. अपीलार्थीगण, विकास प्राधिकरण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी.पी. श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावलियों का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी को पंजीकृत डाक के माध्यम से कार्यालय द्वारा सूचना प्रेषित की गई, जो इस टिप्पणी के साथ वापस प्राप्त हुई है कि प्राप्तकर्ता यहां नहीं रहते। चूंकि परिवाद पत्र में दिये गए पते पर ही सूचना प्रेषित की गई थी, इसलिए तामील की उपधारणा की जाती है।
4. परिवादिनी के पक्ष में एक भवन आवंटित किया गया था, इस भवन में निर्माण संबंधी त्रुटि होने के कारण परिवाद प्रस्तुत किया गया, जिसे स्वीकार करते हुए विद्वान जिला आयोग ने अंकन 15,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश इस आधार पर पारित किया कि कितने दरवाजे दीमक व छेद हो जाने के कारण बेकार हो गए, कितने नल व फिटिंग में क्या कमी थी और वाटर टैंक में क्या कमी थी, यह स्पष्ट नहीं किया। फिर भी हम इस मत के हैं कि मकान में इन बिन्दुओं पर अवश्य कमी रही होगी, अन्यथा परिवादिनी जो पेशे डाक्टर हैं, प्रकरण को बेवजह नहीं उठाती। तदनुसार क्षतिपूर्ति का आदेश पारित कर दिया। यह आदेश पूर्णतया संभावनाओं एवं कल्पना पर आधारित है। क्षतिपूर्ति का कोई आंकलन विद्वान जिला आयोग द्वारा नहीं किया गया। चूंकि परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र में हानि के संबंध में स्पष्ट कथन अंकित नहीं किया गया है,
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इसलिए इस संबंध में कोई आदेश पारित करने के लिए कोई सामाग्री मौजूद नहीं है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है और अपील संख्या-1454/2006 स्वीकार होने योग्य है।
5. अब बिन्दु पर विचार करना है कि क्षतिपूर्ति की राशि की बढ़ोत्तरी के लिए प्रस्तुत की गयी अपील संख्या-1363/2006 में अपीलार्थी/परिवादिनी कितनी राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
6. चूंकि निर्णय/आदेश अपील संख्या-1454/2006 के माध्यम से अपास्त किया जा रहा है, इसलिए परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत अपील संख्या-1363/2006 निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. अपील संख्या-1454/2006 स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 6.5.2006 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
अपील संख्या-1363/2006 निरस्त की जाती है।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-1454/2006 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2