Uttar Pradesh

Bareilly-I

CC/100/2014

CHANDRA DEV MISHRA - Complainant(s)

Versus

BAREILLY DEVELOPEMENT AUTHRITY - Opp.Party(s)

M.K. BAJPAI

22 Jul 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER FORUM-1
BAREILLY (UTTAR PRADESH)
 
Complaint Case No. CC/100/2014
 
1. CHANDRA DEV MISHRA
62-A NEAR KHADI BHAVAN K.. HOSPITAL ROAD INDRA NAGAR P.S. IZZAT NAGAR , BAREILLY
...........Complainant(s)
Versus
1. BAREILLY DEVELOPEMENT AUTHRITY
PILHIBHIT ROAD , BAREILLY
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Brijesh Chandra Saxena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mohd Qamar Ahmad MEMBER
 
For the Complainant:M.K. BAJPAI , Advocate
For the Opp. Party: MANISH GOYAL , Advocate
Dated : 22 Jul 2016
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, बरेली ।
परिवाद सं0 100/2014

            उपस्थित:- 1- बृजेश चन्द्र सक्सेना      अध्यक्ष
                           2- मोहम्मद कमर अहमद    सदस्य

चन्द्र देव मिश्रा पुत्र श्री मेवाराम मिश्रा, निवासी 62-ए, निकट खादी भवन, के0के0 अस्पताल रोड, इन्द्रानगर, थाना इज्जतनगर, बरेली (मृतक) ।
1/1 श्रीमती माया मिश्रा, पत्नी स्व0 चन्द्र देव मिश्रा।
1/2 भूपेन्द्र मिश्रा, व्यस्क पुत्र स्व0 श्री चन्द्र देव मिश्रा ।
1/3 सतेन्द्र मिश्रा व्यस्क पुत्र स्व0 श्री चन्द्र देव मिश्रा ।
     समस्त निवासीगण  62ए, निकट खादी भवन, के0के0 अस्पताल रोड,
     इन्द्रा नगर, थाना इज्जतनगर, बरेली ।
1/4 श्रीमती विजय लक्ष्मी व्यस्क पुत्री स्व0 श्री चन्द्र देव मिश्रा पत्नी
     श्री विपिन मिश्रा, निवासी गाॅंधी नगर, बरेली ।
                                                ........... परिवादीगण
                        बनाम
1.    बरेली विकास प्राधिकरण, प्रियदर्शिनी नगर, पीलीभीत रोड, बरेली द्वारा उपाध्यक्ष ।
2.    बरेली विकास प्राधिकरण, प्रियदर्शिनी नगर, पीलीभीत रोड, बरेली द्वारा सचिव ।
                                              .............विपक्षीगण


निर्णय

    परिवादी चन्द्र देवी मिश्रा (मृतक) व उनके वारिसान की ओर से यह परिवाद विपक्षीगण बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा उपाध्यक्ष व अन्य के विरूद्व इस आशय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा आवासीय भू-खण्ड के आवंटन के नाम पर की जा रही अवैध वसूली को रोका जाये और परिवादी द्वारा जमा धनराशि मय 18 प्रतिशत चक्रवृद्वि ब्याज के वापस दिलायी जाये एवं वाद व्यय के रूप में अंकन 24,000/-रूपये का भुगतान कराया जाये । इसके अतिरिक्त जमा धनराशि अंकन 2,24,000/-रूपये तथा ब्याज की धनराशि अंकन 7,69,536/-रूपये मकान आवंटित होने के बावजूद हस्तगत न किये जाने से किराये पर रहने की धनराशि 4,32,000/-रूपये एवं मानसिक उत्पीडन हेतु अंकन 50,000/-रूपये अर्थात् कुल अंकन 12,64,000/-रूपये का भुगतान कराया जाये ।
    संक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी ने विपक्षीगण की आवासीय योजना में एक 90 वर्गमीटर का आवासीय भूखण्ड आवंटित कराया था, जिसके संदर्भ में पंजीकरण धनराशि अंकन 15,000/-रूपये का भुगतान दिनांक 10.02.01 को किया था । विपक्षीगण द्वारा परिवादी से 100/-रूपये का शपथपत्र भी लिया गया । उक्त आवंटित भूखण्ड के संदर्भ में परिवादी द्वारा किश्तों का भुगतान किया जाता रहा । विपक्षी द्वारा परिवादी को यह बताया गया कि बरेली विकास प्राधिकरण के पास भूखण्ड उपलब्ध नहीं है और अपने रूपये ले लो । यह बताना नितान्त आवश्यक है कि विपक्षीगण द्वारा इस घटना के एक दिन बाद रामपुर रोड आवासीय योजना का विज्ञापन दैनिक अखबार के माध्यम से पंजीकरण हेतु प्रकाशित कराया गया, जिसके पंजीयन शुल्क को केनरा बैंक, रतनदीप काॅम्पलेक्स, चैकी चैराहा, बरेली में जमा करना था । विपक्षीगण को उक्त विज्ञापन के बारे में बताये जाने पर परिवादी को यह बताया गया कि भूखण्ड के रेट बढ गये हैं, यदि आपको भूखण्ड चाहिये तो और पैसा जमा करना पडेगा । परिवादी इससे सहमत हो गया और बढी हुई अतिरिक्त धनराशि अंकन 14,000/-रूपये और जमा कर दिये तथा परिवादी को पुनः डी.पी. प्रथम, रामपुर रोड, योजना के अंतर्गत भूखण्ड आवंटित कर दिया गया । परिवादी को विपक्षीगण द्वारा उक्त योजना के अंतर्गत भूखण्ड आवंटित कराने के पश्चात् कुल धनराशि अंकन 2,24,000/-रूपये का भुगतान प्राप्त किया गया, परिवादी को भूखण्ड आवंटन से वंचित रखा गया और योजना का कोई लाभ नहीं दिया गया । परिवादी द्वारा विपक्षीगण से भूखण्ड के आवंटन हेतु काफी अनुरोध किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी । परिवादी ने विपक्षी बरेली विकास प्राधिकरण को जमा धनराशि मय ब्याज के वापस किये जाने हेतु अनुरोध किया तथा रजिस्ट्री डाक के माध्यम से पत्र भेजे गये, परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई जबाव नहीं दिया गया । दौरान वाद परिवादी चन्द्र देव मिश्रा की मृत्यु दिनांक 02.02.15 को हो गयी । परिवादी ने अपनी मृत्यु उपरांत अपनी पत्नी श्रीमती माया मिश्रा, दो पुत्र व एक पुत्री को वैधानिक वारिसान व उत्तराधिकारी के रूप में छोडा था, जिसके कारण इन उत्तराधिकारियों को इस वाद में सम्मिलित किया जाना नितान्त आवश्यक है, तद्नुसार विपक्षीगण की त्रुटिपूर्ण सेवाओं के कारण यह परिवाद योजित किया गया है ।
    विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए यह कथन प्रस्तुत किये गये हैं कि परिवादी द्वारा दिनांक 10.06.09 को पत्र द्वारा सूचित किया गया था कि वह लाॅटरी में शामिल होना नहीं चाहता है, जबकि पूर्व पत्र दिनांक 06.06.09 में यह सूचित किया गया था कि लाॅटरी दिनांक 10.06.09 को निकाली जायेगी । परिवादी को 93 वर्गमीटर प्लाॅट का आवंटन किया गया था, परन्तु दिनांक 08.10.04 को डी.पी. फस्र्ट में 110 वर्गगज प्लाट के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था और मूल्य का अंतर अंकन 14,000/-रूपये दिनांक 08.10.04 को जमा किये गये तथा बाद में परिवादी द्वारा पाकेट बी में भूखण्ड लेने की इच्छा व्यक्त की गयी । आवंटन पत्र के अनुसार शेष धनराशि चार किश्तों में जमा होनी थी, परन्तु परिवादी द्वारा शेष धनराशि के लिए ऋण लिया गया और यह धनराशि वर्ष 2005 में जमा की गयी । न्यायालयों द्वारा यथा स्थिति बनाये रखने के आदेश के अनुसार किसी भी आवंटी को कब्जा, दखल व रजिस्ट्री नहीं की जा सकी । विपक्षी प्राधिकरण को शासन के द्वारा सीलिंग की भूमि आवंटित की गयी, जिस पर रामपुर रोड आवासीय योजना तैयार की गयी और भूखण्डों का आवंटन भी किया गया था, परन्तु समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशन और जल भराव के कारण पूर्व भूमि स्वामियों द्वारा वाद प्रस्तुत कर दिये गये तथा अंतरिम आदेश पारित किये गये व वाद लम्बित चल रहे हैं । परिवादी को प्लाट आवंटित हो चुका है और दिनांक 11.11.06 को विपक्षी द्वारा यह विज्ञप्ति निकाली गयी कि जिन आवंटियों को पैसा वापस चाहिये, तो वह पंजीकरण पत्रिका के अनुसार 25 प्रतिशत धनराशि घटाकर शेष धनराशि वापस प्राप्त कर सकते हैं । परिवादी को वाद प्रस्तुत करने का कोई कारण नहीं रहा है । न्यायालयों के यथा स्थिति के आदेश के कारण दखल व रजिस्ट्री नहीं करायी जा सकती है । परिवादी की ओर से योजित परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है ।
    परिवादी की ओर से अपने कथनों के समर्थन में साक्ष्य शपथपत्र 28/1 लगायत 28/7 प्रस्तुत किया गया है तथा रामपुर रोड आवासीय योजना से सम्बन्धित् योजना पत्र 29/1 लगायत 29/4 प्रस्तुत किया गया है तथा साथ ही साथ पंजीकरण धनराशि से सम्बन्धित् रसीद की छाया प्रति 29/5, जमा धनराशि की छाया प्रति 29/6, आवंटित प्लाट से सम्बन्धित् चालान फार्म की छाया प्रति 29/7, परिवादी द्वारा भेजे गये पत्र की छाया प्रति 29/8, आवंटन प्रमाण पत्र की छाया प्रति 29/9, परिवादी द्वारा विपक्षीगण को भेजे गये पत्र की छाया प्रति 29/10, अनापत्ति प्रमाण पत्र की छाया प्रति 29/11, घोषणा पत्र की छाया प्रति 29/12, शपथपत्र की छाया प्रति 29/13 व 29/14, परिवादी द्वारा भेजे गये पत्र की छाया प्रति 29/16, विपक्षीगण द्वारा परिवादी को भेजे गये पत्र की छाया प्रति 29/17 तथा विभिन्न पत्राचारों की छाया प्रतियां 29/18 लगायत 29/23, प्रति उत्तर शपथपत्र 40/1 लगायत 40/2 प्रस्तुत किये गये हैं ।
    विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य शपथपत्र 34/1 लगायत 34/2 प्रस्तुत किया गया है ।
    परिवादी के अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया । विपक्षीगण की ओर से अपने तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुए ।

निष्कर्ष

    पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा रामपुर रोड आवासीय योजना के अंतर्गत प्लाट आवंटन हेतु आवेदन किया गया और अंकन 15,000/-रूपये पंजीकरण धनराशि जमा की गयी तथा शेष किश्तों का भुगतान भी बराबर किया जाता रहा । इसी दौरान विपक्षीगण की ओर से विभिन्न न्यायालयों की यथा स्थिति आदेश के कारण आवंटियों को पैसा वापस किये जाने का प्रस्ताव भेजा गया, परन्तु परिवादी द्वारा दिनांक 08.10.04 को डी.पी. फस्र्ट योजना के अंतर्गत 110 वर्गगज का प्लाट प्राप्त किये जाने हेतु अंकन 14,000/-रूपये जमा किये गये । आवंटन पत्र के अनुसार परिवादी को चार किश्तों का भी भुगतान करना था, जिनका परिवादी द्वारा ऋण प्राप्त करने के बाद वर्ष 2005 में भुगतान कर दिया   गया । परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण की ओर से परिवादी को कोई भी प्लाॅट आवंटित नहीं किया गया । परिवादी द्वारा अनेकों चक्कर लगाये गये, परन्तु विपक्षीगण की ओर से न तो प्लाट आवंटित किया गया और न ही दखल व पंजीकरण किया गया । इस संदर्भ में विपक्षीगण की ओर से स्पष्ट किया गया है कि परिवादी व समस्त आवेदनकर्ताओं को भूखण्ड आवंटित किये गये, परन्तु विभिन्न न्यायालयों के द्वारा यथा स्थिति आदेश के कारण आवंटियों को कब्जा, दखल व रजिस्ट्री नहीं करायी जा सकी । विपक्षीगण का कथन है कि इस संदर्भ में भूखण्ड के आवंटन के लिए विपक्षीगण की ओर से दिनाक 11.11.06 को विज्ञप्ति निकाली गयी कि जिन आवंटियों को पैसा वापस चाहिये वह प्राधिकरण की पंजिका पुस्तिका के अनुसार 25 प्रतिशत आवंटित धनराशि काटकर शेष धनराशि वापस ले सकते हैं, जिसके बाद कई आवंटियों द्वारा पैसा वापस लिया जा चुका है, परन्तु परिवादी  समस्त धनराशि मय के वापस चाहता था, जिसके कारण उसे भुगतान नहीं किया जा सका ।
    उपरोक्त संदर्भ में पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर यह स्पष्ट है कि विपक्षीगण की ओर से आवंटियों को कब्जा, दखल व रजिस्ट्री नहीं करायी जा सकी, क्योंकि पूर्व भूमि स्वामियों द्वारा वाद प्रस्तुत किये जाने के कारण विभिन्न न्यायालयों द्वारा अंतरिम आदेश जारी कर दिये गये और विभिन्न न्यायालयों द्वारा यथा स्थिति का आदेश होने के कारण प्राधिकरण के द्वारा किसी भी आवंटियों को कब्जा, दखल व रजिस्ट्री नहीं करायी जा   सकी । यद्यपि विपक्षीगण की ओर से यह कथन प्रस्तुत किया गया है कि आवंटन के बाद उनके द्वारा दिनांक 11.11.06 को विज्ञप्ति निकाली गयी थी कि जिन आवंटियों को पैसा वापस चाहिये वह प्राधिकरण की पंजीकरण पुस्तिका के अनुसार 25 प्रतिशत आवंटन राशि काटकर अपना पैसा वापस ले सकते हैं, परन्तु विपक्षीगण का यह कथन किसी भी आधार पर न तो स्वीकार किये जाने योग्य है और न ही इसके लिए परिवादी को बाध्य किया जा सकता है। वर्तमान मामले में परिवादी द्वारा स्वयॅं अपनी इच्छा के अनुसार न तो पैसा वापस माॅंगा जा रहा है और न ही आवंटित प्लाट को किसी आधार पर निरस्त करने की प्रार्थना की गयी है, बल्कि विपक्षीगण द्वारा ही पैसा वापस लेने का प्रस्ताव भेजा गया है । परिवादी तो सदैव भूखण्ड का आवंटन चाहता रहा है और आवंटित भूखण्ड का दखल व रजिस्ट्री की कार्यवाही चाहता रहा है । एैसी परिस्थिति में जबकि परिवादी की ओर से भूखण्ड निरस्त करने की प्रार्थना नहीं की गयी है और विपक्षीगण द्वारा स्वयॅं अपनी समस्याओं के कारण भूखण्ड का आवंटन अथवा दखल नहीं किया जा रहा है, उस परिस्थिति में आवंटित धनराशि में से 25 प्रतिशत कटौती किये जाने का कोई भी औचित्य प्रतीत नहीं होता है । विपक्षीगण की ओर से स्वयॅं ही यह कथन प्रस्तुत किया गया है कि विभिन्न न्यायालयों द्वारा पारित किये गये यथा स्थिति के आदेश के कारण उनके द्वारा आवंटियों को प्लाट का दखल नहीं दिया जा सकता और न ही भूखण्ड की रजिस्ट्री करायी जा सकती है और इस प्रकार यह विपक्षीगण की अपनी समस्या है और इस समस्या के रहते हुए यदि कोई आवंटी पैसा वापस लेना चाहे तो उसकी आवंटन धनराशि में से 25 प्रतिशत की कटौती किये जाने का कोई कारण नहीं है और न ही यह किसी आधार पर स्वीकार किये जाने योग्य है ।
    उपरोक्त आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुॅंचते हैं कि विपक्षीगण आवंटित धनराशि भूखण्ड आवंटन के संदर्भ में समस्त धनराशि वापस करने को तैयार हैं और परिवादी द्वारा भी जमा की गयी धनराशि को वापस प्राप्त करने का अनुतोष चाहा गया है । एैसी परिस्थिति में न्यायिक दृष्टि से हम इस निष्कर्ष पर पहुॅंचते हैं कि विपक्षीगण को समस्त धनराशि का भुगतान बगैर किसी कटौती के किये जाने हेतु आदेशित करना ही उचित होगा । इस प्रकार परिवादी समस्त जमा धनराशि मय अंतिम किश्त जमा किये जाने की तिथि से भुगतान किये जाने तक 06 प्रतिशत ब्याज ब्याज सहित समस्त धनराशि का भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है । पत्रावली पर उपलब्ध समस्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुॅंचते हैं कि परिवादी जमा धनराशि पर न तो चक्रवृद्वि ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है और न ही 18 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी है, जबकि जमा धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज ही प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है । इसके अतिरिक्त भूखण्ड हस्तगत न किये जाने के आधार पर किराये पर रहने सम्बन्धी धनराशि भी विपक्षीगण से प्राप्त करने का अधिकारी नहीं पाया जाता है । इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा आर्थिक एवं मानसिक उत्पीडन और वाद के रूप में अंकन 74,000/-रूपये का भी भुगतान चाहा गया है, जो हमारे विचार से काफी अधिक है । परिवादी क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय के रूप में अंकन 15,000/-रूपये का भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है, तद्नुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है ।

आदेश

    परिवादी की ओर से विपक्षीगण के विरूद्व योजित किया गया परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है । विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा भूखण्ड आवंटन के संदर्भ में जमा की गयी सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान मय 06 प्रतिशत ब्याज के आखिरी किश्त भुगतान किये जाने की तिथि से लेकर सम्पूर्ण भुगतान किये जाने तक समस्त धनराशि का भुगतान तथा क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के रूप में अंकन 15,000/-रूपये (पन्द्रह हजार रूपये मात्र) का भुगतान परिवादी को एक माह के अंदर करेेंगे, अन्यथा परिवादी को यह अधिकार होगा कि वह उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि की वसूलयाबी विपक्षी बरेली विकास प्राधिकरण से 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ फोरम के माध्यम से करेगा ।


( मोहम्मद कमर अहमद )                  (  बृजेश चन्द्र सक्सेना )
        सदस्य                                    अध्यक्ष    
यह निर्णय आज दिनांक 22.07.2016 को हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले फोरम में उद्घोषित किया गया ।


   ( मोहम्मद कमर अहमद )                  (  बृजेश चन्द्र सक्सेना )
          सदस्य                                अध्यक्ष    

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Brijesh Chandra Saxena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mohd Qamar Ahmad]
MEMBER

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