Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/825

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Banwari Singh - Opp.Party(s)

Avdhesh Shukla

26 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/825
( Date of Filing : 22 May 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Allahabad Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Banwari Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Sep 2024
Final Order / Judgement

 (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-825/2009

इलाहाबाद बैंक बनाम बनवारी सिंह पुत्र सुखदेव सिंह तथा दो अन्‍य

 

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक : 26.09.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.    परिवाद संख्‍या-22/2004, बनवारी सिंह बनाम इलाहाबाद बैंक तथा अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.3.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अवधेश शुक्‍ला तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एच.के. श्रीवास्‍तव तथा प्रत्‍यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.    विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0-2/अपीलार्थी को निर्देशित किया है कि वह परिवादी को अंकन 40,000/रू0 की क्षतिपूर्ति एवं अंकन 1,000/-रू0 वाद व्‍यय अदा करे।

3.    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी का कथन है कि परिवादी विपक्षी सं0-2 का किसान क्रेडिट कार्डधारक है। विपक्षी सं0-1 एवं 2 के माध्‍यम से विपक्षी सं0-3 द्वारा परिवादी की फसल का बीमा पिछले तीन वर्ष पूर्व किया गया था, जो अंकन 40,000/-रू0 प्रतिवर्ष के लिए था, जिसकी प्रीमियम राशि प्रतिवर्ष विपक्षी सं0-3 को अदा की जाती रही है। सूखे  के  कारण फसल लगातार तीन वर्ष से सूख रही है, जिसकी सूचना

 

-2-

विपक्षीगण को दी गई। विपक्षी सं0-3 द्वारा अंकन 40,000/-रू0 की राशि न देकर केवल 8,578/-रू0 की राशि दिनांक 3.5.2006 को दी गई। दिनांक 4.5.2006 को अंकन 3,467/-रू0 खाते में जमा किए गए, जबकि फसल पूर्ण रूप से नष्‍ट हुई है। परिवादी फसल की क्षतिपूर्ति के लिए अंकन 1,20,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए हकदार है।

4.    विपक्षी सं0-2, बैंक ने कथन किया कि अंकन 8,578/-रू0 परिवादी के खाते में जमा कर दिए गए, जबकि यथार्थ में अंकन 3,467/-रू0 जमा होने थे, इसलिए इस खाते को दुरूस्‍त कर दिया गया।

5.    विपक्षी सं0-3, बीमा कंपनी का कथन है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार ने खरीफ योजना वर्ष 2000 से लागू की है, जबकि भारत सरकार में वर्ष 1999-2000 से लागू है। क्षति की दशा में विपक्षी क्षेत्र के आधार पर क्षतिपूर्ति वित्‍तीय संस्‍थाओं को अदा करती है, जिसे किसानों के खाते में जमा किया जाता है, इसके लिए किसी किसान द्वारा व्‍यक्तिगत मांग नहीं की जाती।

6.    पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि फसल का बीमा अंकन 40,000/-रू0 प्रतिवर्ष के आधार पर किया गया था। तीन वर्षों में फसल नष्‍ट हुई है। तहसीलदार की रिपोर्ट से यह स्‍थापित है कि वर्ष 2003-2004 एवं वर्ष 2005 में परिवादी का गांव सूखाग्रस्‍त घोषित किया गया था एवं 50 प्रतिशत फसल सूखे के कारण खराब हो गई। अत: 50 प्रतिशत की दर से क्षतिपूर्ति के लिए अधिकृत मानते हुए अंकन 40,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया गया।

7.    अपीलार्थी बैंक का यह कथन है कि उत्‍पादन में कमी के संबंध में कृषि विभाग द्वारा विवरण तैयार किया जाता है और यदि सामान्‍य उत्‍पादन से कम फसल उत्‍पादित हुई है तब उसी अनुपात में बीमा की राशि

 

-3-

अदा की जाती है, जिसका भुगतान विपक्षी सं0-3 द्वारा किया जाता है। परिवादी को जिस अनुपात में क्षति कारित हुई है, उसका भुगतान अंकन 3,467/-रू0 करते हुए कर दिया गया है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

8.    अपीलार्थी की ओर से इस पीठ द्वारा एक अन्‍य अपील संख्‍या-824/2009, इलाहाबाद बैंक बनाम ऊषा देवी तथा अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.7.2024 की प्रति प्रस्‍तुत की गई है, परन्‍तु प्रश्‍नगत केस एवं उपरोक्‍त नजीर के तथ्‍य भिन्‍न-भिन्‍न हैं। उक्‍त केस के परिवादी द्वारा केवल एक वर्ष ही ऋण राशि प्राप्‍त की गई थी। दो वर्षों तक ऋण राशि प्राप्‍त नहीं की गई थी, जबकि प्रस्‍तुत केस में परिवादी द्वारा नियमित रूप से अंकन 40,000/-रू0 की निकासी की गई है एवं विद्वान जिला आयोग ने तहसीलदार की रिपोर्ट को विचार में लिया है, जिसमें 50 प्रतिशत उत्‍पादन की हानि दर्शाई गई है और चूंकि दो वर्षों में यह हानि दर्शाई गई है। प्रतिवर्ष का बीमा अंकन 40,000/-रू0 तक है, इसलिए दो वर्षों में प्रतिवर्ष अंकन 20,000/-रू0 की दर से अंकन 40,000/-रू0 का बीमा क्‍लेम बनता है। अत: यह राशि अदा करने का आदेश विधिसम्‍मत है, परन्‍तु इस राशि की प्रतिपूर्ति विपक्षी सं0-3, बीमा कंपनी से की जानी चाहिए। अत: निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित होने योग्‍य है कि परिवादी को देय 40,000/-रू0 की राशि की अदायगी विपक्षी सं0-3, बीमा कंपनी द्वारा की जाएगी। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी के संदर्भ में स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

9.    प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.03.2009 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को देय 40,000/-रू0 की राशि एवं वाद व्‍यय की अदायगी विपक्षी सं0-3, बीमा कंपनी द्वारा की जाएगी।

-4-

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

  लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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