राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-597/2024
प्रियंका त्यागी पत्नी श्री कुनाल त्यागी, हाल निवासी फ्लैट सं0-बी-603, अजनारा, इन्टीग्रिटी, राजनगर, एक्सटेंशन तहसील व जिला गाजियाबाद।
..............अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम
बंसल बीकानेर स्वीट्स तहसील चौराहा, गढ रोड हापुर जिला हापुड द्वारा मालिक
.............प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री रवि कुमार रावत
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 01.8.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादिनी प्रियंका त्यागी की ओर से इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, हापुड़ द्वारा परिवाद सं0-38/2022 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.02.2024 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादिनी अपनी पुत्री अहाना उर्फ पीहू के साथ अपनी मॉ के घर जिला हापुड़ गई थी, जहॉ दिनांक 18.8.2022 को शाम करीब 8:30 बजे अपीलार्थी/परिवादनी अपनी पुत्री के साथ प्रत्यर्थी/विपक्षी के रेस्टोरेंट में गई और खाने के लिए स्ट्रॉबेरी और एक पाइनएप्पल पेस्ट्री अंकन 160.00 रू0 की खाकर अपने घर चली गई तथा घर आने के बाद उसकी पुत्री के फूड पॉइजनिंग होने से वह बीमार पड़ गई, जिसके कारण उसे बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 विजय कुमार शर्मा के पास उपचार
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हेतु लाया गया, जहॉ पर उसका इलाज हुआ तथा डॉक्टर द्वारा यह बताया कि अपीलार्थी/परिवादनी की पुत्री को प्रत्यर्थी/विपक्षी के यहॉ की बासी पेस्ट्री खाने के कारण उसे फूड पाइजनिंग हुआ है।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादिनी का कथन है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी के द्वारा अपीलार्थी/परिवादनी को खराब वह बासी पेस्टी बेची गई है जिसके खाने से उसकी पुत्री का स्वास्थ्य खराब हो गया जिससे अपीलार्थी/परिवादनी की पुत्री को शारीरिक व मानसिक पीड़ा हुई है तथा उसकी पढ़ाई का नुकसान भी हुआ है जिसके लिए प्रत्यर्थी/विपक्षी व उसके कर्मचारीगण जिम्मेदार है और क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदाई है जिसके संबंध में अपीलार्थी/परिवादनी द्वारा दिनांक 20.8.2022 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से रजिस्ट्री नोटिस भी भेजा गया परन्तु प्रत्यर्थी/विपक्षी ने न तो कोई संतोषजनक जवाब दिया है न ही अपीलार्थी/परिवादनी के प्रकरण का निस्तारण किया है प्रत्यर्थी/विपक्षी का यह हैं कृत्य निश्चित रूप से व्यापारिक व्यवहार व घोर लापरवाही व सेवा में कमी के अंतर्गत आता है अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादनी द्वारा दिनांक 18.8.2022 को कोई पेस्टी उसकी दुकान से नहीं खरीदी है जो रसीद संख्या 12878 दाखिल की गई है उस पर अपीलार्थी/परिवादनी का नाम या कोई फोन नंबर अंकित नहीं है। यह रसीद केवल एक आर्डर सप्लाई टोकन है एवं अक्सर आर्डर प्राप्त करने के बाद ग्राहक ऑर्डर सप्लाई टोकन को मेज पर ही छोड़ देते हैं या फेक देते हैं इससे यह सिद्ध नहीं होता कि अपीलार्थी/परिवादनी द्वारा पेस्टी प्रत्यर्थी/विपक्षी
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की दुकान से ही खरीदी गई है यदि कोई ग्राहक खरीदी गयी वस्तु का बिल मॉगता है तो उसमें ग्राहक का नाम मोबाइल नंबर अंकित कर काउंटर मैनेजर के हस्ताक्षर करके दिया जाता है। प्रत्यर्थी/विपक्षी की दुकान पर कोई बासी पेस्ट्री विक्रय नहीं की जाती है, न ही किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की रिपोर्ट अपीलार्थी/परिवादनी के द्वारा दाखिल की गई जिससे यह स्पष्ट हो सके की बच्ची पीहू को फूड प्वाइजनिंग प्रत्यर्थी/विपक्षी की पेस्टी खाने से हुई है।
यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादनी के अधिवक्ता के द्वारा भेजा गया कोई नोटिस भी प्रत्यर्थी/विपक्षी को नहीं मिला। प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा अपीलार्थी/परिवादनी के साथ न तो कोई गलत व्यापारिक व्यवहार किया है न ही सेवा में कोई कमी या कोई लापरवाही की गई है, इसलिए अपीलार्थी/परिवादनी प्रत्यर्थी/विपक्षी से किसी प्रकार की कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है।
यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादनी के द्वारा दिनांक 18.8.2022 को स्ट्रॉबेरी व पाइनएप्पल पेस्ट्री खरीदने का कथन किया गया है जबकि बच्ची पीहू का चिकित्सा पर्चा दिनांक 20.8.2022 का है जिससे स्पष्ट होता है की बच्ची पीहू दिनांक 18.8.2022 को बीमार नहीं हुई थी। यह भी कथन किया गया कि ऐसी कोई चिकित्सा रिपोर्ट या साक्ष्य पत्रावली पर अपीलार्थी/परिवादनी द्वारा दाखिल नहीं की गई है जिससे यह सिद्ध होता है कि बच्ची पीहू पेस्ट्री खाने से ही बीमार हुई है अत्एव परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत प्रत्यर्थी/विपक्षी को सेवा में कमी का दोषी न पाते हुए परिवाद को निरस्त कर दिया
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है, जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रस्तुत मामले में अपीलार्थी/परिवादिनी यह तथ्य सिद्ध करने में असफल रही है कि दिनांक 18.8.2022 को प्रत्यर्थी/विपक्षी के रेस्टोरेंट में खाई गई पेस्ट्री के फलस्वरूप उसकी पुत्री बीमार पड गई, जिसके कारण उसे फूड पॉइजनिंग हो गया।
उपरोक्त तथ्य को साबित करने के लिए अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये डॉ0 विजय कुमार शर्मा के पर्चे पर भी इस तथ्य का उल्लेख नहीं है कि फूड पॉइजनिंग के कारण ही अपीलार्थी/परिवादिनी की पुत्री बीमार पडी गई हो। अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से उक्त तथ्य को साबित करने के लिए प्रत्यर्थी/विपक्षी के रेस्टोरेंट में खाई गई पेस्ट्री दिनांक 18.8.2022 के नमूने की जॉच रिपोर्ट को भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि उपरोक्त पेस्ट्री संक्रमित/दूषित थी। अत्एव अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से परिवाद पत्र के अभिकथनों एवं शपथपत्र प्रस्तुत किये जाने मात्र से प्रत्यर्थी/विपक्षी रेस्टोरेंट में गई गई पेस्ट्री के लिए क्षतिपूर्ति का उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। उपरोक्त सम्बन्ध में विस्तृत व्याख्या विद्वान जिला
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उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय में की गई है, जो कि मेरे विचार से पूर्णत: विधि सम्मत है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1