Uttar Pradesh

Faizabad

CC/192/01

DHARAM RAJ - Complainant(s)

Versus

BANKOF BARODA - Opp.Party(s)

11 Mar 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/192/01
 
1. DHARAM RAJ
RES- DELHI BAJAR TEH MASAFIRKHANA DIS FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. BANKOF BARODA
NAKA MUJAFARA ALLAHABAD ROAD FZD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
    


    
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-192/2001

धर्म राज पुत्र राम रूप, निवासी देलही बाजार, तहसील मुसाफिर खाना जिला सुल्तानपुर नियोजित अमृत बाटलर्स प्राइवेट लिमिटेड चाॅंदपुर हरबंस डाभासेमर फैजाबाद                                ................ परिवादी

                    बनाम

1-    बैंक आफ बड़ौदा ब्रान्च नाका मुजफरा इलाहाबाद रोड फैजाबाद द्वारा ब्रान्च मैनेजर।
2-    स्टेट बैंक आफ इण्डिया सर्विस ब्रान्च सिटी ब्रान्च जंगम बारी पाण्डेपुर वाराणसी द्वारा ब्रान्च मैनेजर।
3-    इलाहाबाद बैंक ब्रान्च मोहल्ला मोतीबाग सिटी एण्ड जिला फैजाबाद द्वारा ब्रान्च मैनेजर।
4-    रीजनल प्रावीडेन्ट फण्ड कमिश्नर उत्तर प्रदेश आफिस प्रावीडेन्ट फण्ड हाउस पहडि़या वाराणसी                                  .............. विपक्षीगण

निर्णय दि0 11.03.2016
                  

      निर्णय

उद्घोषित द्वारा-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

        

 

 

                        (  2  )

परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध मु0 13,000=00 पी.पी.एफ. के सम्बन्ध में दाखिल किया है।

संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी मेसर्स अमृत बाटलर के यहाॅं स्थायी कर्मचारी था। परिवादी का पी.पी.एफ. नं0-यू0पी0/12113/21 है। परिवादी ने अपनी लड़की की शादी के लिए विपक्षी सं0-4 से मु0 15,000=00 की धनराशि की माॅंग किया, जिसमें विपक्षी सं0-4 ने मु0 13,000=00 स्वीकृत किया। मु0 13,000=00 स्वीकृत करने के उपरान्त् विपक्षी सं0-4 ने चेक संख्या-876489 तारीख 24.02.2000 को धर्म राज के नाम जारी किया। धर्म राज परिवादी ने बैंक आफ बड़ौदा नाका मुजफरा इलाहाबाद रोड में खाता संख्या-2747 है। यह चेक विपक्षी सं0-2 के माध्यम से विपक्षी सं0-4 ने जमा किया जिसका डिस्पैच नं0-39604 दि0 27.02.2000 है। परिवादी के खाते में चेक की धनराशि मु0 13,000=00 कलेक्ट होने के उपरान्त् नहीं गयी। परिवादी पता लगाता रहा फिर भी पता नहीं चला।

        विपक्षी सं0-1 बैंक आफ बड़ौदा ने अपने जवाबदावे में कहा है कि उत्तरदाता बैंक में परिवादी के कथित खाते में क्लीयरेन्स हेतु विपक्षी सं0-4 से कथित चेक प्राप्त नहीं हुआ था जिसकी सूचना परिवादी द्वारा बैंक से पूछने पर बैंक द्वारा बता दिया गया था। इस कारण क्लीयरेन्स हेतु कहीं भेजने या क्लीयरेन्स की धनराशि प्राप्त होने में परिवादी के कथित खाते में जमा होने का कोई प्रश्न नहीं उठता है।

        विपक्षी सं0-2 भारतीय स्टेट बैंक ने अपने जवाब में कहा है कि चेक सं0-876489 दि0 24.02.2000 को ए.पी.एफ.सी. वाराणसी द्वारा मु0 13,000=00 का परिवादी के नाम एस.वी. एकाउन्ट संख्या-2747 जो बैंक आफ बड़ौदा नाका मुजफरा के यहाॅं जमा था। क्लीयरेन्स हेतु जमा किया इलाहाबाद बैंक चैक ब्रान्च वाराणसी द्वारा अदा होने के उपरान्त् दि0 25.03.2000 को क्लीयरेन्स हेतु शीघ्र ही भेज दिया गया। विपक्षी ने कोई विलम्ब नहीं किया। विपक्षी सं0-2 भारतीय स्टेट बैंक शाखा वाराणसी ने अपने जवाबदावे के साथ एनेक्जर चेक का लगाया है जो 16/4 है। इसमें इलाहाबाद बैंक चैक वाराणसी की सील लगी हुई है। यह मु0 13,000=00 का चेक है और उसके पुश्त पर लिखा हुआ है भुगतान प्राप्त होने पर अदाता के खाते में जमा किया जायेगा। कृते इलाहाबाद बैंक प्रबन्धक फैजाबाद हैं।

 

 

                        (  3  )

        विपक्षी सं0-3 ने अपने जवाबदावे में कहा है कि प्रश्नगत चेक के भुगतान का प्रकरण इलाहाबाद बैंक चैक ब्रान्च वाराणसी से सम्बन्धित है। उक्त चेक एवं पेमेन्ट का किसी प्रकार का कोई भी सम्बन्ध विपक्षी सं0-3 के ब्रान्च मोहल्ला मोतीबाग शहर व जिला फैजाबाद से नहीं है और न कभी परिवादी अदाता के शाखा पर आया।


        विपक्षी सं0-4 ने अपने जवाब में कहा है कि परिवादी ने विपक्षी सं0-4 के यहाॅं पी.पी.एफ. से लोन प्रेसक्राइब्ड फार्म नं0-31 में अपनी लड़की की शादी के लिए एकाउन्ट नं0-यू0पी0 12113/21 से लोन लेने के लिए भरा था जिसमें मु0 13,000=00 विपक्षी ने स्वीकृत किया। मु0 13,000=00 का एकाउण्ट पेयी चेक परिवादी के ही सेविंग बैंक एकाउन्ट नं0-2747 जो बैंक आफ बड़ौदा नाका मुजफरा इलाहाबाद बैंक फैजाबाद में चेक सं0-876489 दि0 24.02.2000 को डिस्पैच नं0-39604 दि0 29.02.2000 को भेजा था। विपक्षी को गलत पक्षकार बनाया है। 

        मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया तथा लिखित बहस का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-4 के यहाॅं परिवादी स्थायी कर्मचारी था। परिवादी का पी0पी0एफ0 नं0-यू0पी0/12113/21 है। परिवादी को विपक्षी सं0-4 ने मु0 13,000=00 लड़की की शादी के लिए स्वीकृत किया। विपक्षी सं0-4 के जवाब के अनुसार मु0 13,000=00 परिवादी के सेविंग एकाउन्ट नं0-2747 जो बैंक आफ बड़ौदा नाका मुजफरा फैजाबाद में है। उसको डिस्पैच नं0-39604 दि0 29.02.2000 को भेजा है। यह चेक भारतीय स्टेट बैंक शाखा वाराणसी का था जैसाकि विपक्षी सं0-2 भारतीय स्टेट बैंक ने अपने जवाबदावे के साथ एनेक्जर में चेक की फोटो कापी 16/4 दाखिल किया है। यह चेक इलाहाबाद बैंक चैक वाराणसी में दि0 25.03.2000 को समाशोधन हेतु प्रेषित हुई। इसके उपरान्त् यह समाशोधन के बाद फैजाबाद इलाहाबाद बैंक को भेज दी गयी। इस चेक के पुश्त में कृते इलाहाबाद बैंक प्रबन्धक फैजाबाद की सील लगी है, जिसमें भुगतान प्राप्त होने पर अदाता के खाते में जमा किया जायेगा लिखा हुआ है। इस प्रकार मु0 13,000=00 की चेक विपक्षी सं0-1 के यहाॅं नहीं पहुॅंची और विपक्षी सं0-2 ने यह चेक इलाहाबाद बैंक ब्रान्च चैक वाराणसी को भेजा। इलाहाबाद बैंक चैक वाराणसी ने इसे फैजाबाद इलाहाबाद बैंक को भेजा जिसमें सील लगी हुई है। इस प्रकार इस परिवाद में विपक्षी सं0-1, 2 व 4 की कोई 

 

 

                        (  4  )

जिम्मेदारी नहीं बनती। विपक्षी सं0-3 की जिम्मेदारी मु0 13,000=00 अदा करने की बनती है क्योंकि इलाहाबाद बैंक चैक शाखा वाराणसी की समाशोधन की सील लगी है और पुश्त पर कृते इलाहाबाद बैंक शाखा फैजाबाद की सील लगी हुई है। चेक की धनराशि इलाहाबाद बैंक ने कहाॅं भेजी या प्राप्त हुई कि नहीं हुई इसके विषय में कोई जवाब विपक्षी सं0-3 ने स्पष्ट नहीं किया है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है तथा विपक्षी सं0-1, 2 व 4 के विरूद्ध अस्वीकार किये जाने योग्य है।

 
   आदेश            
    परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-1, 2 व 4 के विरूद्ध निरस्त किया जाता है। विपक्षी सं0-3 को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को मु0 13,000=00 की धनराशि व परिवाद योजित करने की तिथि से 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज तारोज वसूली अदा करेगा। यह धनराशि निर्णय एवं आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर अदा कर देवें। इसके अतिरिक्त परिवादी विपक्षी सं0-3 से मु0 5,000=00 वाद व्यय एवं मु0 10,000=00 मानसिक क्षतिपूर्ति भी पाने का अधिकारी है। 
        

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष     

निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 11.03.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं   उद्घोषित किया  गया।
    
        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                   सदस्या                    अध्यक्ष    

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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