जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
सुधा यादव.....................................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-413/2011
श्रमती मंजू सिंह चौहान पत्नी विजय बहादुर सिंह निवासी ग्राम धमना पोस्ट महाराज पुर जनपद कानपुर नगर।
................परिवादिनी
बनाम
1. बैंक ऑफ इण्डिया मार्फत षाखा प्रबन्धक, षाखा महराजपुर जनपद कानपुर नगर।
2. बैंक ऑफ इण्डिया मार्फत सक्षम प्राधिकारी आंचलिक कार्यालय स्थित 78ए राजभवन कैनालरोड जनपद कानपुर नगर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 20.06.2011
निर्णय तिथिः 08.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण परिवादिनी के हक में ढाबा उद्योग हेतु स्वीकृत रू0 10,00,000.00 अविलम्ब अवमुक्त करे, सेवा में कारित कती व षिथिलिता के लिए रू0 50,000.00 अदा करे, मानसिक व षारीरिक कश्ट हेतु रू0 15000. तथा परिवाद व्यय रू0 5000.00 अदा करें।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादिनी का कथन यह है कि परिवादिनी के द्वारा जुलाई 2009 में जिला उद्योग कानपुर नगर में संध्या ढाबा के कारोबार के नाम से रू0 25,00,000.00 लोन हेतु आवेदन किया गया था। जिला उद्योग केन्द्र द्वारा उपरोक्त ऋण राषि स्वीकृत करने हेतु परिवादिनी के परीक्षण सहित समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करने के उपरान्त परिवादिनी का प्रस्तावित लोन रू0 25,00,000.00 स्वीकृत करके, स्वीकृति विपक्षी सं0-1 को प्रेशित की गयी थी। विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादिनी
..............2
...2...
को यह बताया गया कि उनके बैंक के फील्ड आफीसर के द्वारा स्थल के निरीक्षणोपरान्त परिवादिनी को ऋण स्वीकृति पत्र विपक्षी सं0-1 के द्वारा जारी कर दिया जायेगा। विपक्षी सं0-1 के फील्ड आफीसर दिनांक 29.07.09 को प्रोजेक्ट का स्थल निरीक्षण किया गया और उनके द्वारा षीघ्र ही लोन स्वीकृति प्रदान करने की बात बतायी गयी। इसके पष्चात विपक्षी सं0-1 के षाखा प्रबन्धक द्वारा परिवादिनी से कहा गया कि परिवादिनी रू0 1,25,000.00 बतौर मार्जिन मनी विपक्षी सं0-1 की षाखा में जमा कर दे तथा ऋण स्वीकृति पत्र जारी किया जायेगा। परिवादिनी द्वारा अपनी रू0 5,00,000.00 की एफ0डी0 तुड़वाकर रू0 1,25,000.00 की मार्जिन मनी विपक्षी बैंक में जमा कर दी, जो आज भी जमा है। तदोपरान्त विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 11.08.09 को परिवादिनी के समस्त अभिलेख का सत्यापन करवाकर वरिश्ठ षाखा प्रबन्धक ने परिवादिनी के नाम से रू0 25,00,000.00 लोन स्वीकृत हेतु अपना अधिपत्र जारी कर दिया। परिवादिनी ने ग्राम अकबरपुर बरूई कानपुर नगर में स्थित 23 बीघे भूमि का इंतखाब, सर्च रिपोर्ट, सात बैंक स्टाम्प बैंक के नाम से विपक्षी सं0-1 के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। जिनसे स्पश्ट होता है कि परिवादिनी की समस्त गारंटी षुदा सम्पत्ति भी विवाद रहित है। ऋण स्वीकृति पत्र जारी कर दिये जाने के बाद परिवादिनी लगातार विपक्षी सं0-1 की षाखा के चक्कर लगाती रही, किन्तु विपक्षी सं0-1 के द्वारा लगातार यह कहा जा रहा है कि विपक्षी सं0-2 के द्वारा समुचित निर्देष जारी करने के उपरान्त ही परिवादिनी के हक में ऋण धनराषि अवमुक्त की जा सकेगी। इसके उपरांत विपक्षी सं0-1 ने संपर्क स्थापित कया, तो विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी को स्पश्ट कर दिया कि विपक्षी सं0-2 ने सभी यथा वांछित कार्यवाही संपन्न कर दिया है। अतः अब विपक्षी सं0-1 को परिवादिनी के हक में ऋण जारी करने का कोई अवरोध उत्पन्न न होने का कोई कारण षेश नहीं रह गया है। विपक्षी सं0-1 लगातार परिवादिनी को टरकाता रहा है। विपक्षी सं0-1 पर दबाव बनाने पर विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी को बताया कि ढाबा उद्योग हेतु लोन की सीमा रू0 10,00,000.00 तक है। परिवादिनी चाहे तो
..............3
...3...
रू0 10,00,000.00 तक ऋण प्राप्त कर सकती है। परिवादिनी ने रू0 10,00,000.00 का ऋण प्राप्त करने की अपनी सहमति विपक्षी सं0-1 को दे दी और तत्संबंधी समस्त औपचारिकतायें पूर्ण कर दी। इसके बावजूद परिवादिनी पुनः विपक्षी सं0-1 के चक्कल लगा रही है। विपक्षी सं0-1 के अधिकारी परिवादिनी से कहते हैं कि जब उनकी मर्जी होगी, तभी परिवादिनी के हक में ऋण राषि अवमुक्त हो सकेगी। दिनांक 27.03.10 को विपक्षी सं0-1 ने परिवादिनी को एक पत्र जारी कर दिया, जिसमें विपक्षी सं0-1 के द्वारा बताया गया कि परिवादिनी की सम्पत्ति विवादग्रस्त है। ऐसा दूसरे पक्ष ने बताया है तथा परिवादिनी की सम्पत्ति के बावत न्यायालय में वाद विचाराधीन है। परन्तु विपक्षी सं0-1 के द्वारा नहीं बताया गया कि दूसरा पक्ष कौन है और किस न्यायालय में वाद परिवादिनी की सम्पत्ति को लेकर विचाराधीन है। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी का लोन स्वीकृति राषि अदा न करके सेवा में कमी कारित की गयी है। अतः विवष होकर परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादिनी का संध्या ढाबा कारोबार का प्रोजेक्ट उतनी लागत का नहीं है और जिला उद्योग केन्द्र द्वारा इतनी बड़ी राषि के प्रोजेक्ट का ऋण स्वीकृत नहीं किया जा सकता है। दिनांक 17.02.10 को सुनील पाण्डेय निवासी ग्राम हाथीपुर पोस्ट महाराजपुर कानपुर नगर ने विपक्षी सं0-2 के आफिस में एक लिखित पत्र दिया कि जिस जमीन पर ढाबा हेतु ऋण स्वीकृत किया जा रहा है, उस जमीन पर न्यायालय में विवाद लम्बित है। परिवादिनी ने बैंकिंग लोकपाल में षिकायत दर्ज करायी थी, जो परिवादिनी द्वारा षर्त का पालन न करने के कारण निरस्त कर दिया गया। परिवादिनी ने बैंक के विरूद्ध, ऋण स्वीकृत न कर पाने के कारण मा0 उच्चन्यायालय में रिट दाखिल किया था, जो बैंक के पक्ष में मा0 उच्चन्यायालय द्वारा निर्णीत की गयी। उपरोक्त कारणों से परिवाद खारिज किया जाये।
..............4
...4...
परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 15.06.11, 20.05.14 एवं 04.02.15 व राजेन्द्र सिंह तथा विजय बहादुर सिंह का षपथपत्र दिनांकित 20.05.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् 1/14 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में राजेन्द्र कुमार पाण्डेय वरिश्ठ षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 13.08.15 अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में बैंकिंग लोकपाल का पत्र की प्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में दो प्रमुख विचारणीय बिन्दु हैंः-
1. क्या जिला उद्योग केन्द्र को रू0 10,00,000.00 से अधिक का ऋण ढाबा कारोबार के लिए स्वीकृत करने का अधिकार नहीं है, यदि हां तो प्रभाव?
2. क्या प्रष्नगत ऋण के लिए जो जमीन परिवादिनी द्वारा बतायी गयी थी, वह भूमि विवादित है, यदि हां तो प्रभाव?
उपरोक्त विचारणीय बिन्दुओं का निस्तारण निम्नवत् किया जा रहा हैः-
विचारणीय बिन्दु संख्या-01
उपरोक्त विचारणीय बिन्दु सं0-1 को सिद्ध करने का भार विपक्षीगण पर है। विपक्षीगण की ओर से यह तर्क किया गया है कि जिला
..............5
...5...
उद्योग केन्द्र का इतनी बड़ी धनराषि का लोन स्वीकृत करने का अधिकार नहीं है और परिवादिनी का ढाबा कारोबार प्रोजेक्ट भी इतनी लागत का नहीं है।
विपक्षीगण की ओर से अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में कोई सारवान साक्ष्य अथवा सारवान तथ्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। मात्र षपथपत्रीय साक्ष्य के आधार पर विपक्षीगण का उपरोक्त तर्क स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। अतः उपरोक्त विचारणीय बिन्दु परिवादिनी के पक्ष में तथा विपक्षीगण के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय बिन्दु संख्या-02
उपरोक्त विचारणीय बिन्दु सं0-2 को सिद्ध करने का भार विपक्षीगण पर है। क्योंकि विपक्षीगण की ओर से यह तर्क किये गये हैं कि दिनांक 17.02.10 को सुनील कुमार पाण्डेय ग्राम हाथीपुर विपक्षी सं0-2 के आफिस में लिखित पत्र देकर प्रष्नगत जमीन जिस पर परिवादिनी ढाबा चलाना चाहती है और जिस पर परिवादिनी का ऋण स्वीकृत किया जा रहा है, उस जमीन पर हमारा विवाद न्यायालय में लम्बित है। परिवादिनी, विपक्षीगण के द्वारा ऋण जारी न करने से क्षुब्ध होकर बैंकिंग लोकपाल में षिकायत की गयी थी। मा0 उच्चन्यायालय में भी षिकायत की गयी। परिवादिनी को बैंकिंग लोकपाल से अथवा मा0 उच्चन्यायालय से कोई अनुतोश नहीं दिया गया। इस सम्बन्ध में परिवादिनी की ओर से यह तर्क किये गये हैं कि बैंकिंग लोकपाल अथवा मा0 उच्चन्यायालय द्वारा परिवादिनी के मामले में गुण-दोश के आधार पर कोई निर्णय पारित नहीं किया गया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये कागज संलग्नक-अ बैंकिंग लोकपाल के द्वारा परिवादिनी के षिकायती प्रार्थनापत्र को निरस्त करने से सम्बन्धित आदेष की प्रति दिनांक 07.09.10 के अवलेकन से विदित होता है कि परिवादिनी का षिकायती प्रार्थनापत्र इस आधार पर खारिज किया गया है कि परिवादिनी को पहले सम्बन्धित बैंक में लिखित अभ्यावेदन देना
..............6
...6...
चाहिए था। उक्त कार्यवाही न करने के कारण परिवादिनी का षिकायती प्रार्थनापत्र बैंकिग लोकपाल के द्वारा खारिज किया गया। विपक्षी द्वारा मा0 उच्चन्यायालय द्वारा पारित किसी निर्णय/आदेष की प्रति प्रस्तुत नहीं की गयी है। बैकिंग लोकपाल द्वारा पारित उपरोक्त आदेष के सम्बन्ध में फोरम परिवादिनी के कथन से सहमत है कि उसके षिकायती प्रार्थनापत्र पर गुण-दोश के आधार पर कोई अंतिम निर्णय बैंकिंग लोकपाल के द्वारा पारित नहीं किया गया है। मा0 उच्चन्यायालय द्वारा पारित अभिकथित किसी आदेष की प्रति विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत नहीं की गयी है।
विपक्षीगण के द्वारा अपने जवाब दावा में परिवादिनी के इस कथन को स्वीकार किया गया है कि विपक्षीगण के फील्ड आफीसर के द्वारा प्रस्तावित ढाबे का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षणोपरान्त फील्ड आफीसर के द्वारा प्रष्नगत जमीन को विवादित होने के सम्बन्ध में कोई रिपोर्ट नहीं दी गयी है। ऐसी दषा में विपक्षीगण द्वारा मात्र किसी तृतीय पक्ष के द्वारा लिखित पत्र प्रस्तुत करके, प्रष्नगत भूमि को विवादित होना बताये जाने के आधार पर परिवादिनी का ऋण न किया जाना न्यायसंगत नहीं है। विपक्षीगण की ओर से अन्य कोई कारण परिवादिनी को ऋण न देने का नहीं बताया गया है। उभयपक्षों द्वारा अपने-अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र प्रस्तुत किये गये हैं। विपक्षीगण के कथन के सापेक्ष उनका साक्ष्य षपथपत्र न होने के कारण विपक्षीगण को उनकी ओर से प्रस्तुत षपथपत्रीय साक्ष्य का कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में तथा विषेशतः विचारणीय बिन्दु सं0-2 के निस्तारण के दौरान दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी का ऋण धनराषि अदा न करके, सेवा में कमी कारित की गयी है। परिवादिनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में कागज सं0-1/1 लगायत् 1/14 प्रस्तुत किये गये हैं। अभिकथित ढाबे की जमीन की खतौनी पर खातेदार के नाम पर परिवादिनी के पति विजय बहादुर सिंह का नाम अंकित है। प्रबन्धक महाराजपुर षाखा बैंक आफ इण्डिया के द्वारा जिला उद्योग अधिकारी
..............7
...7...
कानपुर नगर को प्रेशित पत्र दिनांकित 04.02.10 के अवलोकन से विदित होता है कि उक्त पत्र में प्रबन्धक द्वारा रू0 10,00,000.00 का ऋण स्वीकृत करने की संस्तुति दी गयी है और कागज सं0-2 वरिश्ठ षाखा प्रबन्धक द्वारा जारी पत्र दिनांकित 11.08.09 वहक परिवादिनी मंजू पत्नी विजय बहादुर सिंह/परिवादिनी को यह सूचित किया गया है कि रू0 2500000. स्वीकृत किया जाना बताया गया है। किन्तु वरिश्ठ सहायक प्रबन्धक के पत्र में रू0 25,00,000.00 स्वीकृत किये जाने का कोई कारण नहीं बताया गया है कि किस नियम के अंतर्गत रू0 25,00,000.00 परिवादिनी को स्वीकृत किया गया है। जबकि षाखा प्रबन्धक बैंक आफ इण्डिया द्वारा जारी अपने पत्र दिनांकित 04.02.10 में परिवादिनी को रू0 10,00,000.00 तक का ऋण ही स्वीकृत करने का कारण बताते हुए यह लिखा गया है कि, ’’केन्द्रीय सरकार द्वारा संचालित पी.एम.ई.जी.पी. के अंतर्गत ढाबा एक सेवा केन्द्र है, जिसमें प्रोजेक्ट धनराषि अधिकतम रू0 10,00,000.00 है। अतः हम उपरोक्त संदर्भ की फाइल आपको वापस कर रहे हैं।’’
अतः उपरोक्त कारणों से फोरम इस मत का है कि परिवादिनी का परिवाद आंषिक रूप से रू0 10,00,000.00 की ऋण धनराषि जारी कराने हेतु तथा परिवाद व्यय रू0 5000.00 हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादिनी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादिनी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादिनी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादिनी के हक में रू0 10,00,000.00 का ऋण स्वीकृत करें तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करें।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
...8...
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।