Rajasthan

Churu

610/2011

madan singh - Complainant(s)

Versus

bank of india - Opp.Party(s)

D.R.S.

13 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 610/2011
 
1. madan singh
s/o magan singh rajput vill. satada teh. dist. churu
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थीगण की ओर से श्री धन्नाराम सैनी अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी की ओर से श्री सुरेश शर्मा अधिवक्ता उपस्थित। प्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थीगण अप्रार्थी से एक किसान क्रेडिट कार्ड खाता संख्या 6627321 00000101 खुलवा रखा है जिस पर प्रार्थीगण लगातार लेनदेन करते आ रहे है। प्रार्थीगण ने दिनांक 13.10.2008 को पीछे की बकाया सहित 1,41,100 रूपये अदा कर दिनांक 15.10.2008 को ऋण लिया था व पुनः दिनांक 16.05.2011 को पीछे की राशि 1,91,150 रूपये अदा कर ऋण देने की मांग की। परन्तु अप्रार्थी ने प्रार्थीगण के उक्त खाते को बन्द कर दिया। प्रार्थीगण बार-बार अप्रार्थी से खरीफ की फसल हेतु ऋण देने की मांग की। परन्तु अप्रार्थी ने कोई सुनवाई नहीं की। अप्रार्थी का उक्त कृत्य सेवादोष व अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि का है। उक्त आधारों पर परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने प्रार्थीगण अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यह दिया कि प्रार्थीगण अपने ऋण खाता में लोन की अदायगी में डिफाल्टर रहा है। दिनांक 13.10.2008 की बकाया राशि 2 साल बाद व 15.10.2008 की बकाया को 2 साल 6 माह बाद बामुश्किल अन्य व्यक्तियों के सहयोग से जमा करवायी। दिनांक 15.10.2008 की राशि जमा करवाने के बाद प्रार्थीगण ने अपना खाता दिनांक 16.03.2011 को स्वंय बन्द करवा लिया। इसलिए प्रार्थीगण अप्रार्थी बैंक के उपभोक्ता नहीं है। यह भी तर्क दिया कि प्रार्थीगण ने जो जमीन अप्रार्थी के यहां रहन रखी थी वह जमीन प्रार्थीगण किसी अन्य व्यक्ति को बेचान कर चुका है। प्रार्थीगण क्लीन हैण्ड से मंच में नहीं आये। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
प्रार्थीगण की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, प्रदर्स सी 1 से सी 4 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये। अप्रार्थी की ओर से नो-ड्यूज सर्टिफिकेट पत्र दिनांक 16.03.2011, जमाबन्दी की प्रतियां दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की है।
पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यान पूर्वक
अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।
हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया।
वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में
मुख्य तर्क यह दिया कि प्रार्थीगण नें दिनांक 16.03.2011
को अपन ऋण खाता बन्द करवा लिया और प्रश्नगत भूमि
अन्य को बेचान कर दी। इसलिए प्रार्थीगण अप्रार्थी के
उपभोक्ता नहीं है। बहस के समर्थन में अप्रार्थी अधिवक्ता
ने पत्र दिनांक 16.03.2011, नो ड्यूज दिनांक 16.03.2011,
जमाबन्दी की ओर ध्यान दिलाया जिनका ध्यान पूर्वक
अवलोकन किया गया। उक्त दस्तावेजों के अवलोकन से
स्पष्ट है कि प्रार्थीगण स्वंय ने अपना किसान क्रेडिट खाता
अप्रार्थी बैंक से स्वंय बन्द करवाया है व अपनी भूमि रहन
मुक्त करवा ली और प्रश्नगत भूमि किसी पृथ्वीसिंह पुत्र
छतुसिंह जाति राजपूत निवासी हनुमानपुरा को दिनांक 05.
09.2011 को बेचान कर दी। प्रार्थीगण स्वंय के
प्रार्थना-पत्र व नो-ड्यूज से स्पष्ट है कि प्रार्थीगण ने
अपना खात दिनांक 16.03.2011 को बन्द करवा लिया था
व परिवाद इस मंच में दिनांक 08.06.2011 को प्रस्तुत
किया है। इससे स्पष्ट है कि प्रार्थीगण उक्त दिनांक के
बाद अप्रार्थी के उपभोक्ता नहीं है। इसलिए प्रार्थीगण
अप्रार्थी के उपभोक्ता नहीं होने के कारण प्रार्थीगण का
परिवाद मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। प्रार्थीगण का
परिवाद विधि अनुसार उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं
आने के कारण खारिज किये जाने योग्य है।
अतः प्रार्थीगण का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध
खारिज किया जाता है। पत्रावली फैसला शुमार होकर
दाखिल दफ्तर हो।

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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