Uttar Pradesh

StateCommission

A/817/2018

Daya Ram - Complainant(s)

Versus

Bank Of India - Opp.Party(s)

Veer Raghav Chaubey

25 Oct 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/817/2018
( Date of Filing : 07 May 2018 )
(Arisen out of Order Dated 16/02/2018 in Case No. C/07/2012 of District Lucknow-I)
 
1. Daya Ram
S/O Late Sri GAjju R/O 16/1332 Indira Nagar Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Bank Of India
Aliganj Branch Lucknow Through its Branch Manager
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 25 Oct 2019
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0-  817/2018 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 07/2012 में पारित निर्णय और आदेश दि0 16.02.2018 के विरूद्ध)

Daya ram son of late Sri Gajju, resident of 16/1332, Indira Nagar Lucknow.

                                                                         ……..Appellant

 

                                                     Versus

Bank of India, Aliganj Branch, Lucknow through its Branch Manager.

                                                                   ……Respondent

समक्ष:-   

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :   श्री वीर राघव चौबे,

विद्वान अधिवक्‍ता।                                     

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

                               

दिनांक:- 25.10.2019

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                

निर्णय

          परिवाद सं0- 07/2012 दया राम बनाम बैंक ऑफ इंडिया अलीगंज, ब्रांच लखनऊ में जिला फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 16.02.2018 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद निरस्‍त कर दिया है जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।  

          अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वीर राघव चौबे उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थी को रजिस्‍टर्ड डाक से नोटिस भेजी गई है जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: 30 दिन का समय बीतने पर नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना गया है, फिर भी प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अपीलार्थी की ओर से अपील प्रस्‍तुत करने में विलम्‍ब की माफी हेतु विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया है।

          मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र पर सुना है।

          आक्षेपित निर्णय व आदेश दि0 16.02.2018 का है और उसकी नि:शुल्‍क प्रमाणित प्रतिलिपि दि0 27.04.2018 को अपीलार्थी को प्रदान की गई है। तदोपरांत अपील दि0 07.05.2018 को प्रस्‍तुत की गई है। अत: निर्णय व आदेश की नि:शुल्‍क प्रति दिये जाने की तिथि से अपील समय-सीमा के अन्‍दर है और कार्यालय द्वारा भी अपील को समय-सीमा के अन्‍दर बताया गया है। अत: विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र स्‍वीकार किया जाता है और अपील अंगीकृत व पंजीकृत की जाती है।         

          मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है। 

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरुद्ध जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसका बचत खाता सं0- 681010100004135 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक की अलीगंज ब्रांच, लखनऊ में है और उसे ए0टी0एम0 नं0- 4052386810004178 जारी हुआ है। उसने अपने इस खाते से दि0 01.06.2009 को 1,000/-रु0 ए0टी0एम0 के माध्‍यम से निकालने का प्रयास किया तब उसके खाते में 1,000/-रु0 की निकासी दर्ज हो गई, परन्‍तु उसे पैसा नहीं मिला। उसने उसी दिन दि0 01.06.2009 को लिखित शिकायत प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से की। उसके बाद यह धनराशि 1,000/-रु0 दि0 30.06.2010 को और उसका ब्‍याज 44/-रु0 दि0 09.09.2011 को अपीलार्थी/परिवादी के खाते में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा जमा कर दिया गया।

          परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि दि0 17.07.2009 को भारतीय रिर्जव बैंक ने निर्देश जारी किया है कि 12 दिन के अन्‍दर भुगतान न होने पर 100/-रु0 प्रतिदिन की दर से बैंक को क्षतिपूर्ति भुगतान करना होगा और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक ने अपीलार्थी/परिवादी की उपरोक्‍त धनराशि 12 दिन के अन्‍दर उसके खाते में जमा नहीं की है। अत: अपीलार्थी/परिवादी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक से 100/-रु0 प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है जो उसे प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक ने अदा नहीं किया है और अपनी सेवा में कमी की है।

          प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने जिला फोरम के समक्ष अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत कर स्‍वीकार किया है कि भारतीय रिर्जव बैंक ने 17 जुलाई, 2009 को यह निर्देश दिया है कि शिकायत प्राप्‍त होने के 12 कार्य दिवस में गलत तरीके से निकासी दर्ज होने पर यदि उपभोक्‍ता के खाते में पैसा जमा नहीं होता है तब 100/-रु0 प्रतिदिन की दर से उपभोक्‍ता क्षतिपूर्ति पायेगा, परन्‍तु वर्तमान प्रकरण में दि0 01.06.2009 को निकासी हुई है। अत: अपीलार्थी/परिवादी के वर्तमान प्रकरण पर भारतीय रिर्जव बैंक का नोटिफिकेशन दि0 17.07.2009 लागू नहीं होगा।

          लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक ने कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी ने कोई साक्ष्‍य ऐसा प्रस्‍तुत नहीं किया है कि 1,000/-रु0 ए0टी0एम0 मशीन से नहीं निकला है, फिर भी 1,000/-रु0 और उस पर अर्जित ब्‍याज 44/-रु0 का भुगतान क्रमश: दि0 30.06.2010 एवं दि0 09.09.2011 को कर दिया गया है। इसके साथ ही लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक ने कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी का प्रश्‍नगत संव्‍यवहार दि0 01.06.2009 का है, जब कि परिवाद दि0 07.01.2013 को प्रस्‍तुत किया गया है। अत: परिवाद काल बाधित है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

          जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि भारतीय रिजर्व बैंक का उपरोक्‍त नोटिफिकेशन दि0 17.07.2009 अपीलार्थी/परिवादी के वर्तमान प्रकरण पर लागू नहीं होगा और परिवाद काल बाधित है तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक ने 1,000/-रु0 और उसका ब्‍याज 44/-रु0 अपीलार्थी/परिवादी के खाते में जमा भी कर दिया है।

          उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर ही जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्‍य एवं विधि के विरुद्ध है। परिवाद कालबाधित नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक का उपरोक्‍त नोटिफिकेशन अपीलार्थी/परिवादी के प्रकरण पर लागू नहीं होता है। जिला फोरम का यह निष्‍कर्ष गलत है।  

          मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

          उभय पक्ष के अभिकथन के आधार पर यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा कथित 1,000/-रु0 की गलत निकासी दि0 01.06.2009 को ए0टी0एम0 के माध्‍यम से निकासी करने पर हुई है और इस 1,000/-रु0 की धनराशि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने दि0 30.06.2010 को और उस पर देय ब्‍याज 44/-रु0 की धनराशि दि0 09.09.2011 को अपीलार्थी/परिवादी के खाते में जमा किया है। अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के उपरोक्‍त नोटिफिकेशन दि0 17 जुलाई 2009 के अनुसार शिकायत प्राप्‍त होने के 12 कार्य दिवस के अन्‍दर धनराशि की वापसी न होने पर 100/-रु0 प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। भारतीय रिजर्व बैंक का यह नोटिफिकेशन प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक को स्‍वीकार है, परन्‍तु उसका कथन यह है कि यह नोटिफिकेशन अपीलार्थी/परिवादी के प्रकरण पर लागू नहीं होता है, क्‍योंकि अपीलार्थी/परिवादी के खाते से प्रश्‍नगत धनराशि की निकासी दि0 01.06.2009 को हुई है।

          मैंने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कथन पर विचार किया है।

          भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटिफिकेशन दि0 17 जुलाई 2009 के द्वारा यह निर्देश दिया है कि शिकायत प्राप्‍त होने के 12 कार्य दिवस में गलत तरीके से निकासी दर्ज होने पर उपभोक्‍ता के खाते में पैसा जमा नहीं होता है तब उपभोक्‍ता 100/-रु0 प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। निर्विवाद रूप से अपीलार्थी/परिवादी के खाते से प्रश्‍नगत गलत निकासी दि0 01.06.2009 की है, परन्‍तु यह नोटिफिकेशन जारी होने के बाद दि0 30.06.2010 को अपीलार्थी के खाते में पैसा वापस किया गया है और उसका 44/-रु0 ब्‍याज दि0 09.09.2011 को उसके खाते में जमा किया गया है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि अपीलार्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत प्रकरण में भारतीय रिजर्व बैंक का यह नोटिफिकेशन लागू नहीं होगा। भारतीय रिजर्व बैंक का यह नोटिफिकेशन लागू होगा, परन्‍तु इस नोटिफिकेशन में अंकित 12 दिन की गणना इस नोटिसफिकेशन की तिथि से की जायेगी। अत: इस नोटिफिकेशन के अनुसार 100/-रु0 प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/परिवादी दि0 30 जुलाई 2009 से 1,000/-रु0 उसके खाते में बैंक द्वारा जमा किये जाने की तिथि दि0 30.06.2010 तक पाने का अधिकारी होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार देय क्षतिपूर्ति की धनराशि से अपीलार्थी/परिवादी को इस आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने गलत निकासी की धनराशि व ब्‍याज अपीलार्थी/परिवादी के खाते में जमा कर चुका है।

          प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने दि0 09.09.2011 को ब्‍याज की धनराशि अपीलार्थी/परिवादी के खाते में जमा किया है। अत: परिवाद हेतु मीयाद इस तिथि से गिनी जायेगी। अत: परिवाद काल बाधित नहीं है। 

          उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश दोषपूर्ण है और तथ्‍य एवं विधि के विरुद्ध है। अत: अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश अपास्‍त करते हुए प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक को निर्देश दिया जाता है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के नोटिफिकेशन दि0 17 जुलाई 2009 के अनुसार दि0 30.07.2009 से 30.06.2010 तक 100/-रु0 प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/परिवादी को अदा करे।

          अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।                            

            ‍  

                (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                                       

                                    अध्‍यक्ष                                                 

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.