Uttar Pradesh

Mau

cc/12/2014

Brijesh Kumar Singh - Complainant(s)

Versus

Bank Of India - Opp.Party(s)

Amit Kumar Singh

07 May 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum Mau
Collectreat Compound MAU
 
Complaint Case No. cc/12/2014
 
1. Brijesh Kumar Singh
Bhiti Mau
...........Complainant(s)
Versus
1. Bank Of India
Sahadatpura Mau
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE JANARDAN SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 HON'BLE MRS. LAL MUNNI YADAV MEMBER
 
For the Complainant:Amit Kumar Singh, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, मऊ।
                परिवाद संख्या - 12/2014
                                प्रस्तुति दिनांकः- 
                                निर्णय दिनांकः-  
बृजेश कुमार सिंह प्रो0 कन्हैया जनरल एण्ड किराना मर्चेण्ट नि0मु0 भीटी पोस्ट मऊनाथ भंजन, तहसील सदर, जनपद मऊ।
                                        .......................... परिवादी
                       बनाम
1-    बैंक आफ इण्डिया शाखा सहादतपुरा मऊनाथ भंजन, जनपद मऊ द्वारा शाखा प्रबन्धक
.............................विपक्षी

उपस्थितिः- जनार्दन सिंह            लाल मुन्नी यादव        राम चन्द्र यादव
          अध्यक्ष                     सदस्य                सदस्य
आदेशः-   जनार्दन सिंह
निर्णय 
प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत इस आशय की प्रार्थना के साथ योजित किया गया है कि विपक्षी से बतौर क्षतिपूर्ति 50000.00 रू0 तथा वाद व्यय के रूप् में 10000.00 रू0 एवं मु0 60450.00 रू0 की एन.एस.सी. जिसकी परिपक्वता धनराशि 120900.00 रू0 हो गया है मय व्याज दिलाया जाय।
परिवाद पत्र में संक्षिप्त कथन इस प्रकार है कि परिवादी कन्हैया जनरल एण्ड किराना मर्चेन्ट निवासी भीटी, पोस्ट मऊनाथ भंजन, तहसील सदर, जनपद मऊ का प्रोपराईटर है। परिवादी ने विपक्षी बैंक से अपने उपरोक्त किराने की दुकान खोलने हेतु वर्ष 2004 में 2 लाख रू0 का सी0सी0 लोन प्राप्त किया तथा इसके लिए खाता सं0 102 खोला गया कर्ज की गारंटी के रूप् मे परिवादी के द्वारा मु0 60450.00 रू0 का राष्टिय बचत पत्र परमहंस सिंह निवासी ग्राम बारीगाव पो0 सेर पुर आजमगढ़ का विपक्षी के यहा दाखिल किया उसी दौरान विपक्षी के द्वारा उपरोक्त एन.एस.सी. धारक श्री परमहंस सिंह से अपने पक्ष में भुगतान कराये जाने हेतु हस्ताक्षर भी बनवा लिया गया। उपरोक्त एन.एस.सी. की परिपक्वता तिथि 17.10.2007 थी विपक्षी से परिवादी द्वारा बंधक रखी गयी एन.एस.सी. के नवीनीकरण की मांग की गयी। तब प्रबन्धक महोदय ने बताया कि विपक्षी द्वारा उपरोक्त एन.एस.सी. स्वंम नवीनीकृत कराकर उसकी पत्रावली मे लगा दी जायेगी और जब परिवादी अपना सी0सी0 खाता बन्द करेगा तब उसे सम्पूर्ण पैसा अदा कर दिया जायेगा। दिनांक 13.05.2013 को परिवादी द्वारा अपना सी.सी. खाता सम्पूर्ण पैसा जमा कर बन्द कर दिया गया। और परिवादी ने बन्धक रखी गयी अपनी उपरोक्त परमहंस सिंह की एन.एस.सी. मूल रूप् मे मांगी अथवा उसकी कुल परिपक्वता धनराशि वापस करने को कहा इस पर विपक्षी बैंक द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी। इस प्रकार परिवादी विपक्षी से उपरोक्त एन.एस.सी. नवीनीकृत अथवा इसके परिपक्वता की धनराशि 120900.00 रू0 प्राप्त करने का अधिकारी है विपक्षी द्वारा परमहंस सिंह से एक शपथ पत्र मांगा गया कि उनकी मूल एन.एस.सी. देने के लिए वे शपथ पत्र बैंक को दे परमहंस सिंह द्वारा अपना शपथ पत्र पंजीकृत डाक से 17.10.2013 को बैंक को प्रेषित किया गया इस पर भी बैंक द्वारा न तो परमहंस की एन.एस.सी. दी गयी और न तो भुगतान किया गया तब परिवादी द्वारा 31.08.2013 को अपने अधिवकता के जरिये विधिक नोटिस देकर यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी जो एक माह व्यतित होने के बाद वापस प्राप्त न होने पर तामिला पर्याप्त माना गया विपक्षी की तरफ से अपना कोई जवाबदावा न प्रस्तुत करने पर विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही की गयी।
परिवादी की तरफ से अपने कथन के समर्थन मे स्वंम का शपथ पत्र 4ग परिवाद पत्र के साथ प्रस्तुत किया गया है जिसमे परिवाद पत्र सभी अभिकथनो को सत्य व सही बताया गया है। और साक्ष्य मे पढने के लिए अनुरोध किया गया है। इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा विधिक नोटिस 5ग/1 , बैंक की अनापत्ति प्रमाण पत्र 5ग/2 दिनांक 31.08.2013 प्रस्तुत की गयी। विपक्षी द्वारा डाक विभाग को परमहंस सिंह की एन.एस.सी परिपक्व होने पर 16.01.2008 को विपक्षी को भूगतान करने के लिए पत्र लिखा गया जिसकी छायाप्रति 5ग/3 विपक्षी बैंक द्वारा डाक विभाग को परमहंस सिंह की मूल एन.एस.सी. भेज कर इसका भुगतान प्राप्त करने के सम्बंध मे रिमाइण्टर भेजा गया इसकी डाक रसीद की छायाप्रति 5ग/5 है तथा विपक्षी द्वारा मांगे जाने पर बैंक के समक्ष प्रस्तुत शपथ पत्र द्वारा परमहंस सिंह की छायाप्रति 5ग/6 है इसमे परमहंस सिंह ने अपने एन.एस.सी. का भुगतान बैंक से मांगा है विपक्षी बैंक द्वारा एक पत्र परिवादी को कागज सं0 5ग/7 जिसकी प्रति भेजी गयी है जिसमे इस बात का उल्लेख किया गया है कि बैंक द्वारा एन.एस.सी. भुगतान के लिए डाक विभाग को पंजीकृत डाक से भेजा गया था जो कही खो गया है। परमहंस सिंह का शपथ पत्र भुगतान के लिए प्राप्त करने के लिए लिखा गया है। उपरोक्त एन.एस.सी. का छायाप्रति 5ग/8 ता 5ग/10 प्रस्तुत किया गया है। मैने परिवादी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा पत्रावली का परिशिलन किया। 
परिवादी के द्वारा प्रस्तुत अभिकथन एवं शपथ पत्र तथा अभिलेखो से यह प्रमाणित होता है कि परिवादी द्वारा अपने किराने के व्यवसाय हेतु विपक्षी बैंक से 2 लाख रू0 का सी.सी. लोन लिया गया जिसके भुगतान उसके द्वारा बैंक को करने पर बैंक ने परिवादी को 31.08.2013 को अदेयता प्रमाण पत्र दे दिया अतः 31.08.2013 तक परमहंस सिंह का उपरोक्त एन.एस.सी. जिसकी छायाप्रति पत्रावली मे कागज सं0 5ग/8 ता 5ग/10 है इसकी परिपक्वता धनराशि 17.10.2007 को 60450.00 रू0 थी। परिवादी का सी.सी. लोन खाता 31.08.2013 तक जारी था अर्थात विपक्षी बैंक को परमहंस सिंह की उपरोक्त एन.एस.सी. 17.10.2007 के बाद रिन्यू करा लेनी चाहिए थी ऐसा न करके बैंक ने सेवा मे कमी की जिससे परिवादी तथा परमहंस सिंह को क्षति पहुची है विपक्षी के द्वारा डाक विभाग को भी एन.एस.सी. का भुगतान परिपक्वता के बाद 16.01.2008 को पत्र लिखा गया है। ऐसा प्रतित होता है कि परमहंस सिंह की एन.एस.सी. विपक्षी बैंक और डाक विभाग के बीच कही खो गयी चूकि एन.एस.सी. मूल रूप् से विपक्षी बैंक के यहा बंधक रखी गयी थी और जैसा की बैंक के पत्रो से भी प्रमाणित है बैंक के अदेयता प्रमाण पत्र 31.08.2013 के बाद परिवादी इस एन.एस.सी. को नवीनीकृत के रूप मे अथवा इसकी परिपक्वता धनराशि मु. 120900.00 रू0 विपक्षी बैंक से प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी द्वारा यह भी प्रमाणित किया गया है कि प्रथम बार एन.एस.सी. 17.10.2007 को परिपक्व हो गयी थी परिवादी ने बैंक को एन.एस.सी. को रिन्यू कराने हेतु मांग किया उस समय यह एन.एस.सी. बैंक के पास बंधक थी अतः बैंक द्वारा एन.एस.सी. को रिन्यू न कराकर सेवा मे कमी की गयी इस पैसे का भुगतान यदि बैंक को पहले मिल गया होता तो भी बैंक इस पर व्याज प्राप्त करके अपना व्यवसाय करता अतः परिवादी उपरोक्त परिपक्वता धनराशि 120900 रू0 विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी है इसके अतिरिक्त परिवादी अपने आर्थिक व मानसिक क्षति के लिए 5000.00 रू0 तथा वाद व्यय के रूप मे 2000.00 रू0 अतिरिक्त पाने का मुस्तहक है।

आदेश
अतः परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। तदनुसार विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को उपरोक्त एन0एस0सी0 की परिवपक्तवा धनराशि 120900.00 तथा मानसिक व अर्थिक क्षति के रूप मे 5000.00 तथा वाद व्यय के रूप् मे 2000.00 रू0 30 दिन के अन्दर अदा करे। ऐसा न करने पर निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण व्याज भी विपक्षी द्वारा देय होगा।


उपस्थितिः- जनार्दन सिंह            लाल मुन्नी यादव        राम चन्द्र यादव
          अध्यक्ष                     सदस्य                सदस्य
दिनांकः-

आज खुले न्यायालय में दिनांकित एवं हस्ताक्षरित करके निर्णय सुनाया गया। 


उपस्थितिः- जनार्दन सिंह            लाल मुन्नी यादव        राम चन्द्र यादव
          अध्यक्ष                     सदस्य                सदस्य
दिनांकः-

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE JANARDAN SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. LAL MUNNI YADAV]
MEMBER

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