Rajasthan

Ajmer

CC/327/2014

WORLD RENIUEL SPEERICHUAL TRUST - Complainant(s)

Versus

BANK OF BARODA - Opp.Party(s)

ADV.VIBHAUR GAUR

16 Mar 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/327/2014
 
1. WORLD RENIUEL SPEERICHUAL TRUST
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. BANK OF BARODA
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

वल्र्ड रिन्यूअल स्पीरिच्यूअल ट्रस्ट जरिए ब्रह्माकुमारी षान्ता बहन, 5 ष्याम काॅलोनी, ब्यावर रोड, अजमेर ।                   


                                                          प्रार्थी

                            बनाम

1.   श्री मोहम्म्द मीनहाजुद्दीन, सहायक महाप्रबन्धक, बैंक आफ बडौदा, पृथ्वीराज 
    मार्ग, अजमेर । 
2.  उपमहाप्रबन्धक, बैंक आफ बडौदा, वैषाली नगर, अजमेर ।
3.  चैयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, बैंक आफ बडौदा, बडौदा कारपोरेट सेन्टर,
    बी.के.सी., बान्द्रा(पूर्व), मुम्बई ।

                                                        अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 327/2014

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य


                           उपस्थिति
                  1.श्री विभोर गौड, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री राजीव मंत्री,अधिवक्ता अप्रार्थीगण

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 16.03.2016

1.    प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 3 (जो  इस परिवाद में आगे चलकर  अप्रार्थी बैंक कहलाएगे) के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि  उसने अप्रार्थी बैंक के यहां एक खाता संख्या 01230100004818 खुलवा रखा है ।  दिनंाक 10.9.2014 को उसने चैक संख्या 000032 तादादी राषि रू. 7,80,000/- भुगतान के लिए जारी किया जिसे अप्रार्थी बैंक  ने यह कहते हुए डिस्आनर कर दिया कि उक्त चैक का दिनांक 
5.9.2014 को ही  भुगतान कर दिया गया है  इस पर उसने दूसरे ही दिन दिनांक 11.9.2014 को अप्रार्थी बैंक में  प्रार्थना पत्र देते हुए सूचित किया है कि अप्रार्थी बैंक द्वारा  दिनांक 5.9.2014 के जरिए जिस चैक से भुगतान किया गया है, वह उसके द्वारा जारी नहीं किया गया है । इसलिए  उसके खाते में रू. 7,80,000/- तुरन्त जमा करावें । किन्तु अप्रार्थी बैंक ने बाजूवद  अनेकों पत्राचार जिनका हवाला उपभोक्ता ने अपने परिवाद की चरण संख्या 5,,6 व 7 में देते हुए यह दर्षाया है कि जब अप्रार्थी बैंक ने उसके खाते में उक्त राषि जमा नहीं की तो उसने अधिवक्ता के जरिए दिनांक 20.9.2014 को नोटिस भी दिया  जिसका अप्रार्थी बैंक ने  जवाब देते हुए कुछ दिन इन्तजार करने को कहा किन्तु  अप्रार्थी बैंक ने   अन्य को भुगतान की गई उसकी राषि  उसके खाते में जमा नहीं कर सेवा में कमी की है । उपभोक्ता ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए  परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।  
 
2.    अप्रार्थी बैंक की ओर से  परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए उपभोक्ता का परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित खाता अपने यहां संघारित होने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि  उपभोक्ता ने  दिनंाक 10.9.2014 को चैक संख्या 000032 तादादी राषि रू. 750/- का जारी किया  चूंकि अप्रार्थी बैंक द्वारा दिनांक 5.9.2014 को इसी नम्बर के चैक पर राषि रू. 7,80,000/- का भुगतान कर दिया गया था, इसलिए  उपभोक्ता द्वारा जारी किए गए चैक को अनादरित कर इस संबंध में उपभोक्ता को सूचित किया गया । जिस पर  उपभोक्ता द्वारा  दिनंाक 11.9.2014 को  प्रार्थना पत्र पेष कर निवेदन किया गया कि प्रष्नगत चैक उसके द्वारा जारी नहीं किया गया है,  अतः उक्त राषि उसके खाते में जमा की जावे । इस  संबंध में  नियमानुसार जांच की गई  और निर्धारित प्रक्रिया अपनाते हुए दिनंाक 29.4.2015 को उसके खाते में उक्त राषि जमा कर दी गई ।  अन्त में उपभोक्ता द्वारा मानसिक क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय की राषि अत्यधिक होना दर्षाते हुए परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । 
    
3..    उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि हालांकि अप्रार्थी बैंक ने मूल राषि उसके खाते में दिनंाक 29.4.2015 को जमा करवा दी थी किन्तु न तो उक्त राषि पर उक्त अवधि का ब्याज अदा किया गया है और ना ही समय पर उक्त राषि को जमा किया गया है । अतः उपभोक्ता अप्रार्थी बैंक से मूल राषि पर ब्याज व रू. 2,00,000/- षारीरिक व मानसिक हर्जाने के साथ साथ परिवाद का खर्चा रू. 11,000/- प्राप्त करने का अधिकारी है । 
4.    अप्रार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्ता ने स्वीकार किया है कि वह उक्त अवधि का ब्याज  जमा करवाने का  तैयार है किन्तु  हर्जाने की राषि अत्यधिक होने के कारण  एवं परिवाद खर्चा उपभोक्ता को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं मानते हुए परिवाद के तथ्योंनुसार निस्तारित किए जाने की प्रार्थना की है । 
5.    हमने उभय पक्षकारान के  परस्पर तर्क सुने है व समस्त तथ्य एवं परिस्थितियों का अवलोकन कर लिया है । स्वीकृत रूप से प्रार्थी पक्ष उपभोक्ता की श्रेणी में आता है  तथा उसका खाता अप्रार्थी बैंक में रहा है व चैक संख्या 000032 तादादी राषि रू. 7,80,000/-फर्जी चैक के जरिए किसी अन्य के द्वारा निकाल लिए गए हैं। स्वीकृत रूप से यह राषि  उपभोक्ता द्वारा नहीं निकाली गई  है  व कालान्तर में  अप्रार्थी बैंक द्वारा उक्त राषि उपभोक्ता के खाते में दिनंाक 29.4.2015 को जमा करवा दी  गई थी । यह भी स्वीकृत तथ्य है कि दिनंाक 5.9.2014 से 29.4.2015 तक  उक्त राषि रू. 7,80,000/- पर ब्याज की राषि  का आज तक अप्रार्थी बैंक द्वारा उपभोक्ता को भुगतान नहीं किया गया है । निष्चित रूप से उपभोक्ता के स्थान पर अन्य किसी को उपभोक्ता के बैंक खाते में जमा राषि रू. 7,80,000/- का भुगतान कर अप्रार्थी बैंक ने अदूरदर्षिता व सेवा में कमी  के दोष का परिचय दिया है ।  इतनी राषि निकालवाए जाने से पूर्व बैंक द्वारा उपभोक्ता को सूचित भी नहीं किया गया जबकि आज के कम्प्यूटर के इस युग में किसी भी प्रकार की राषि के लेनदेन का ब्यौरा  तत्काल मोबाईल अथवा  कम्प्यूटर के जरिए संबंधित उपभोगकर्ता को अविलम्ब दिया जाता है । दिनांक 5.9.2014 से 29.4.2015 की अवधि के दौरान उपभोक्ता अपनी जमा राषि के भविष्य के बारे में चिन्तित अथवा व्यथित रहा होगा व उसे जिस मानसिक संताप व यंन्त्रणा  के दौर से गुजरना पडा होगा इसका सहज ही अन्दाजा लगाया जा सकता है । फलतः इस मानसिक संताप के बदले में उपभोक्ता न्यायोचित क्षतिपूर्ति की राषि प्राप्त करने का अधिकारी है। परिणामस्वरूप उपभोक्ता का परिवाद अप्रार्थी बैंक के विरूद्व स्वीकार किया जाता है एवं  आदेष है कि 
                         :ः- आदेष:ः-
7.    (1)  उपभोक्ता अप्रार्थी बैंक से उसके खाते से निकाली गई राषि रू. 7,80,000/- पर दिनंाक 5.9.2014 से 29.4.2015 तक  तत्समय प्रचलित बचत खाते के ब्याज की राषि प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)   उपभोक्ता  अप्रार्थी बैंक से  क्र.सं. 1 में वर्णित  ब्याज की राषि पर दिनंाक 29.4.2015 से तादायगी तक तत्समय प्रचलित बचत खाते के ब्याज की राषि भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (3)    उपभोक्ता अप्रार्थी बैंक से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
      (4)    क्रम संख्या 1 लगायत 3 में वर्णित राषि अप्रार्थी बैंक उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
         
          आदेष दिनांक 16.03.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           
     

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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