Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/119/2017

VASHISHTH RAM - Complainant(s)

Versus

BANK OF BARODA - Opp.Party(s)

UDAYBHAN PANDEY

29 Dec 2020

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/119/2017
( Date of Filing : 11 Aug 2017 )
 
1. VASHISHTH RAM
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. BANK OF BARODA
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. GAGAN KUMAR GUPTA MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Dec 2020
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 119 सन् 2017

प्रस्तुति दिनांक 11.08.2017

                                                                              निर्णय दिनांक 29.12.2020      

वशिष्ठ राम पुत्र स्वo सीताराम मुo कालीनगंज, पोस्ट- सदर, जनपद- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, चौक शहर आजमगढ़।
  2. क्षेत्रीय प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ैदा क्षेत्रीय कार्यालय-177/1 लंका वाराणसी (उoप्रo)
  3. बैंकिंग लोकपाल द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया एमoजीo रोड पोस्टबाक्स नं. 82 कानपुर।  
  4.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि वह तथा उसकी पत्नी ने बनारस स्टेट बैंक ऑफ आजमगढ़ में अपना खाता खुलवाया था। इस बैंक का विलय बैंक ऑफ बड़ौदा में हो गया। परिवादी उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन का सेवानिवृत्त पेंशनर है। सेवानिवृत्त के पश्चात् विभाग से प्राप्त धनराशि को बैंक में सुरक्षा की दृष्टि से जमा किया। बचत खाता संख्या 09550100011030 में से 40334/- रुपया तथा खाता संख्या 09550100009255 से 19275/- की धनराशि को बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोक लिया। जिसका भुगतान प्रयास करने के बावजूद भी नहीं किया गया। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विधिक नोटिस 19.04.2017 को दिया तो विपक्षी द्वारा जरिए अधिवक्ता नोटिस का जवाब दिनांक 03.05.2017 को प्राप्त हुआ जिसमें कटौती किया जाना स्वीकार किया गया है। नोटिस के जवाब में विपक्षी द्वारा बताया गया कि बैंक द्वारा विवादग्रस्त धनराशि कटौती किया गया है जो ‘डिपाजिट इन्श्योरेन्स क्रेडिट गारन्टी कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया से प्राप्त होने पर प्रो-रेट आधार पर कालान्तर में बिना किसी जाँच के ग्राहक को वापस किया जाना था’ बैंक एवं इन्श्योरेन्स कम्पनी के बीच यदि कोई शर्तनामा है उससे खाता धारक से कोई मतलब नहीं है और न तो खाताधारक से उपरोक्त के सम्बन्ध में कोई एग्रीमेन्ट है और न तो खाताधारक उन शर्तों से अबाद्ध है इसलिए विवादग्रस्त धनराशि के अंश भाग के भुगतान

P.T.O.

2

की बात समय-समय पर डिपाजिट इन्श्योरेन्स क्रेडिट गारन्टी कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया से प्राप्त होने पर भुगतान की बात कही गयी है न कि लाभ अंश पर इस प्रकार अनन्त काल तक उपरोक्त धनराशि रोककर विपक्षीगण उसका लाभ प्राप्त कर रहे हैं। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जावे कि वे परिवादी की सर्विस बैंक एकाउन्ट खाता नं. 09550100009255 बैंक ऑफ बड़ौदा चौक शहर आजमगढ़ रोकी गयी धनराशि नगद धनराशि 59607/- पर 09% वार्षिक ब्याज की दर से 85834.08 रुपये तथा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न हेतु 100000/- रुपया अदा करें।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

परिवादी द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 8/3 बैंकिंग मैनेजर को लिखे गए पत्र, कागज संख्या 8/4 बैंक ऑफ बड़ौदा से सम्बन्धित कागजात प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 14 बैंकिंग लोकपाल कार्यालय उत्तर प्रदेश द्वारा ऑथराइजेशन पत्र, कागज संख्या 16/1 ता 16/7 बैंकिंग लोकपाल द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि परिवाद बैंकिंग लोकपाल के विरुद्ध पोषणीय नहीं है। अतः खारिज किया जाए। इसमें यह भी कहा गया है कि बैंकिंग लोकपाल ने परिवादी को कोई सर्विस प्रदान नहीं किया है। विपक्षी ने यह भी कहा है कि उसके व परिवादी के मध्य कोई भी संविदा नहीं हुई थी। अतः परिवाद खारिज किया जाए। शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा जवाबदावा कागज संख्या 19/1 ता 19/5 प्रस्तुत किया गया है। जिसमें उसने परिवाद पत्र में किए गए कथनों से इन्कार किया है। विशेष कथन में यह कहा गया है कि परिवाद पत्र में कोई मेरिट नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

बहस के समय परिवादी अनुपस्थित। विपक्षी संख्या 01 को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। आर.बी.आई. जितने भी कॉमर्शियल बैंक हैं और कार्पोरेट बैंक हैं उसकी देख-रेख करता है। आर.बी.आई. “धारा-35ए. बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट 1949 स्कीम 1995” जिसको कि बैंकिंग लोकपाल स्कीम 1995 कहा जाता है और जिसे समय-समय पर परिवर्तित किया जाता रहा है। 2006 की स्कीम की कॉपी संलग्न की जाती है। विपक्षी बैंकिंग लोकपाल स्कीम 2006 के द्वारा गठित किया गया है, जो कि शिकायतकर्ताओं की शिकायत पर विचार करता है। विपक्षी परिवादी द्वारा किए गए ट्रांजेक्शन के विषय में कोई जानकारी नहीं रखता है। इसलिए कोई परिवाद उसके समक्ष

P.T.O.

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प्रस्तुत किया जाता, ऐसा उसके समक्ष परिवादी व विपक्षीगण के विरूद्ध कोई परिवाद प्रस्तुत किया जाता तथा उसके लिए परिवादी व आर.बी.आई. के मध्य कोई एग्रीमेन्ट नहीं हुआ है। यहां इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि परिवादी कन्ज्यूमर की श्रेणी में नहीं आता है। जो “धारा-2(1)(डी.) कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986” के तहत परिभाषित है, न तो हम विपक्षी ने परिवादी को कोई सेवा प्रदान किया है। विपक्षी संख्या 03 स्टेचटॉरी बॉडी है जो कि बी.ओ.एस. के तहत संचालित होती है। चूंकि विपक्षी संख्या 03 आवश्यक पक्षकार नहीं है। अतः प्रार्थना पत्र निरस्त होने योग्य है। परिवाद के परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवाद बिना आधार के प्रस्तुत किया गया है। “धारा-58 आर.बी.आई. एक्ट ऑफ इण्डिया 1934” में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी सूट या लीगल प्रोसीडिंग रिजर्व बैंक या उसके किसी व्यक्ति के विरूद्ध प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। सेक्सन 34 बैंकिंग लोकपाल 1949 के अनुसार कोई भी कार्यवाही केन्द्रीय सरकार अथवा रिजर्व बैंक या उसमें किसी अधिकारी के खिलाफ दाखिल नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार यह परिवाद धारा-58ए आर.बी.आई. ऑफ इण्डिया एक्ट 1934 तथा धारा- 54 बैंकिंग लोकपाल एक्ट 1949 से बाधित है। अतः परिवाद खारिज किए जाने योग्य है तथा इस परिवाद पत्र के सन्दर्भ में न्याय निर्णय “वीरेन्द्र प्रसाद बनाम रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया 1 (1991) सी.पी.आर. 661” में यह अभिधारित किया गया है कि रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया एक स्टेचटॉरी बॉडी है जो कि एक्ट के अनुसार काम करती है और रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया परिवादी को कोई भी सर्विस प्रदान नहीं करता है। परिवादी तथा विपक्षी संख्या 03 के मध्य कोई भी संविदा नहीं हुई है। इस प्रकार उपरोक्त प्रावधानों एवं न्याय निर्णयों के आधार पर यह परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।  

आदेश

    परिवाद-पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

         गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह

  (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

 

दिनांक 29.12.2020

 

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

   (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. GAGAN KUMAR GUPTA]
MEMBER
 

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