जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
सुवाराम पुत्र श्री मंगलाराम गुर्जर, जाति- गुर्जर, निवासी- ग्राम-जाजोता पनेर, तहसील- किषनगढ़़ जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. बैंक आफ बड़ोदा जरिए इसके षाखा प्रबन्धक,षाखा- रूपनगढ़/रूपनगर, जिला-अजमेर ।
2. नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए षाखा प्रबन्धक, ष्षाखा कार्यालय- ’’गोकुल’’, स्टेषन रोड, किषनगढ़, जिला-अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 201/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री कुलदीप माथुर,अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 12.08.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि उसने दो मुर्रा नस्ल की भैंसे अप्रार्थी संख्या 1 से ऋण प्राप्त कर क्रय की गई । भैंसों का बीमा अप्रार्थी संख्या 1 के जरिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी से परिवाद में वर्णित बीमा पाॅलिसी संख्या व अवधि अनुसार करवाया । दिनंाक 3.6.2013 की सांय 7.00 बजे उक्त भैंसों में एक भैंस जिसका टेग संख्या 12716 था, की मृत्यु हो गई जिसकी सूचना दिनांक 4.6.2013 को अप्रार्थी संख्या 1 को दी । तत्पष्चात् क्लेम अप्रार्थी संख्या 1 के माध्यम से अप्रार्थी संख्या 2 के समक्ष समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए पेष किया । किन्तु उसे क्लेम राषि काभुगतान नहीं कर अप्रार्थीगण ने सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थी ने परिवाद पेष करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब में प्रार्थी द्वारा उसके यहां से ऋण प्राप्त कर भैंसे क्रए किए जाने व उनका बीमा अप्रार्थी संख्या 2 से कराए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि मृत भैंस का क्लेम पेष किए जाने पर अप्रार्थी संख्या 2 को प्रेषित कर दिया गया था । इसमें उनकी ओर से कोई सेवा में कमी नहीं की गई अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए अप्रार्थी संख्या 1 के माध्यम से प्रार्थी की भैंसों का बीमा किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि क्लेम प्राप्त होने पर श्री विनोद कुमार से कराई गई जांच के समय प्रार्थी ने जांच कर्ता को मृत बताई गई भैंस का टेग संख्या 12716 उपलब्ध कराया गया जो एकदम नया था । यदि भैंस के टेग लगाया जाता तो वह पुराना व गन्दा होता । जांच कें दौरान प्रार्थी द्वारा दिए गए बयानों में यह स्वीकार किया गया कि उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 से दो भैंस क्रए किए जाने बाबत् ऋण प्राप्त किया गया था जिसमें से एक भैंस डेढ माह पूर्व मर गई व एक भैंस घर पर है । जिसके कान में कुडकी लगी हुई नहीं है, गुम गई है । इससे यह तथ्य सिद्व होता है कि उत्तरदाता द्वारा उपलब्ध कराए गए टेग प्रार्थी ने भैंसों के नहीं लगाए और बीमा पाॅलिसी की षर्त अनुसार बिना टैंग लगाई गई भैंस के संबंध में उसकी मृत्यु होने पर प्रार्थी कोई क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । उत्तरदाता ने सहीं रूप से प्रार्थी का क्लेम खारिज कर इसकी सूचना जरिए पत्र दिनंाक 6.8.2013, 16.1.14 तथा 23.9.2014 को अप्रार्थी संख्या 1 को प्रेषित कर दी गई । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है।
4. प्रार्थी का तर्क रहा है कि उसकी बीमित भैंस के क्लेम का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है । जबकि उसके द्वारा मृत्यु की सूचना बैंक को दिनंाक 4.6.2012 को लिखित में दे दी गई थी । मृत भैंस के कान पर बीमा पाॅ़़लिसी के अन्तर्गत जारी टेग उपलब्ध था । मात्र नया टेग होने के कारण खारिज किया गया क्लेम उचित नहीं है ।
5. अप्रार्थी ने इन तर्को का खण्डन करते हुए भैंस का बीमा होना स्वीकार किया किन्तु तर्क प्रस्तुत किया कि बीमा करवाने के बाद प्रार्थी को टेग उपलब्ध करवा दिया गया था । किन्तु बीमित भैंस की पहचान हेतु प्रार्थी द्वारा बीमित भैंस के टेग नहीं लगाया गया । यहीं नहीं तथाकथित लगाया गया टेग बिल्कुल नया है, जो सन्देह उत्पन्न करता है । प्रार्थी के पास अन्य खरीदी गई भैंस व
बीमित भैंस में से एक भैंस का घर पर ही होना भी जाहिर किया गया है एवं उसके कान में टेग नहीं होना बताते हुए क्लेम खारिज किए जाने को उचित बताया ।
6. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी अवलोकन कर लिया है ।
7. यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी द्वारा मृत भैंस का बीमा बैंक से लोन प्राप्त कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां करवाया था व इस हेतु बीमा कम्पनी द्वारा टेग संख्या 12716 दिया गया । प्रार्थी ने भैंस की मृत्यु दिनंाक 3.6.2013 को षाम 7.00 बजे होना बताया है और इस आषय की लिखित सूचना बैंक को दिनंाक 4.6.2013 को देना बताया है । अप्रार्थी बैंक ने इस तथ्य को स्वीकार करते हुए उक्त सूचना बीमा कम्पनी को अविलम्ब देना स्वीकार किया है । अतः मृत्यु की सूचना बाबत् कोई विवाद हमारे समक्ष नहीं है । विवाद मात्र टेग का है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उक्त टैग मंच के समक्ष प्रस्तुत करते हुए यह तर्क दिया है कि यह बिल्कुल नया है तथा सम्भव नहीं कि प्रार्थी द्वारा मृत भैंस के लगाया गया हो । हम इस तर्क से सहमत नहीं है । टेग लगाए जाने व उतारे जाने के दौरान यह कईयों के हाथ में आना सम्भव है । फलस्वरूप इसकी भौतिक स्थिति में परिवर्तन सम्भव है । पषु का बीमा करवाने की स्थिति में बीमा कम्पनी का यह दायित्व है कि वह उक्त पषु के लगाए जाने वाले टेग को स्वयं की देखरेख में लगवाए । हस्तगत प्रकरण में ऐसी स्थिति नहीं है कि बीमा कम्पनी ने उक्त टेग पाॅलिसी जारी करने के बाद पषु को लगाया हो । पषु की मृत्यु के बाद अगले ही दिन 4.6.2013 को बीमा कम्पनी को सूचना दिए जाने के पष्चात् भैंस का पोस्टमार्टम करवाया गया है जिसमें पषु चिकित्सक ने टेग संख्या 12716 की उपस्थिति होना पाते हुए इसे बतौर मार्क प्रमाणित किया है । स्पष्ट है कि यह टेग तत्समय मृत भैंस के मौजुद था । इससंबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी का जो तर्क रहा है कि उक्त पषु के टेग लगा हुआ नहीं था तथा बाद में किसी अन्य पषु के लगा दिया गया, कथन स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । मात्र नए टेग के आधार पर खारिज किया गया क्लेम उचित नहीं है एवं मंच की राय में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मृत भैंस जिसका टेग संख्या 12716 था, की क्लेम राषि रू. 40,000/- मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित क्लेम खारिज करने की दिनंाक से तदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 12.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष