View 3945 Cases Against Bank Of Baroda
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Krishna Madho filed a consumer case on 24 Jun 2016 against Bank of baroda in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is cc/320/2010 and the judgment uploaded on 01 Apr 2017.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
सुधा यादव.....................................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-320/2010
कृश्ण माधव अग्निहोत्री उम्र 65 वर्श पुत्र स्व0 मेवालाल निवासी ग्राम बहरमापुर पो0 षिवराजपुर परगना व तहसील बिल्हौर, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. षाखा प्रबन्धक, बैंक आफ बड़ौदा षाखा षिवराजपुर पो0 षिवराजपुर परगना व तहसील बिल्हौर जिला कानपुर नगर।
2. श्रीजनल मैनेजर बैंक ऑफ बड़ौदा कौसलपुरी न्यू बसन्त टाकीज के पास कानपुर नगर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 07.06.2010
निर्णय तिथिः 06.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी का किसान क्रेडिट कार्ड सं0-919 खाता सं0-10187 में दिनांक 29.09.09 तक मय ब्याज अवषेश कर्ज की राषि रू0 13,521.00 को माफ कराकर, अदेय प्रमाण पत्र दिलाया जाये, मानसिक आघात हेतु रू0 10,000.00 तथा रू0 1500.00 यात्रा भत्ता व अन्य खर्च वाद दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा दिनांक 27.09.04 को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत अपनी फसल की उपज हेतु किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया गया था। किसान क्रेडिट कार्ड का नं0-919 तथा खाता सं0-10187 है, जिसकी लिमिट रू0 15000.00 है, जो दिनांक 26.09.07 तक वैध तथा प्रभावी है। परिवादी द्वारा उक्त किसान क्रेडिट कार्ड से विभिन्न तिथियों पर विपक्षीगण से कृशि हेतु ऋण लिया गया है। दिनांक 03.04.10 को परिवादी, विपक्षी
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सं0-1 के यहां गया तथा अपने किसान क्रेडिट कार्ड की जानकारी चाही तो विपक्षीगण द्वारा जानकारी नहीं दी गयी। वर्श 2008 में केन्द्रीय सरकार द्वारा किसानों के सभी कृशि सम्बन्धी ऋण माफ कर दिये गये हैं। परिवादी उक्त योजना का लाभ प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षीगण द्वारा उक्त योजना का लाभ अन्य किसानों को दिया जा चुका है। परिवादी को दिनांक 21.12.09 से विपक्षी द्वारा आष्वासन दिया जाता रहा है। किन्तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी को उक्त योजना का लाभ न देकर विपक्षी सं0-2 द्वारा अपने पत्र दिनांकित 15.02.10 द्वारा परिवादी के पक्ष में रू0 13521.00 का ऋण अवषेश बताकर अदा करने की बात कही गयी है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा परिवाद लोक धन का भुगतान न करने के आषय से प्रस्तुत किया गया है। परिवादी केन्द्र सरकार द्वारा ऋण राहत योजना के अंतर्गत पात्रता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादी द्वारा लिये गये ऋण का भुगतान दिनांक 12.01.08 से 08.06.10 तक न करने के कारण डिमाण्ड नोटिस भेजी गयी है। परिवादी द्वारा दिनांक 08.06.10 को स्वयं व्यक्तिगत रूप से, विपक्षी बैंक में उपस्थित होकर बकाया धनराषि रू0 14829.00 का नगद भुगतान करके, उक्त ऋण खाता बन्द कर दिया गया था तथा बैंक से चुकता रसीद भी प्राप्त कर ली गयी थी। वर्तमान में विपक्षी का कोई भी अवषेश लम्बित नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 03.06.10, 12.11.12, 03.03.14 एवं 04.02.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1 लगायत् 3 व कागज सं0-2/1 लगायत् 2/13 व भारतीय रिर्जव बैंक का पत्र दिनांकित 22.07.13 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
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विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में किषोर कुमार, षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 24.04.13 व मनोज कुमार, षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 29.06.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में बैंक खाते का विवरण तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादी केन्द्र सरकार द्वारा जारी ऋण राहत योजना का पात्र है, यदि हां तो प्रभाव?
उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बध में परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि परिवादी का किसान क्रेडिट कार्ड वैध व प्रभावी था। उक्त तिथि के बाद परिवादी द्वारा कुछ भी व्यवहार उक्त खाते से नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा ऋण बकाया स्वीकार किया गया है, किन्तु केन्द्र सरकार की ऋण राहत योजना के अंतर्गत ऋण माफी का लाभ विपक्षी द्वारा न दिया जाना बताया गया है। परिवादी द्वारा स्वयं को केन्द्र सरकार द्वारा जारी ऋण राहत योजना का लाभ पाने का पात्र बताया गया है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के माध्यम से यह याचना की गयी है कि परिवादी का 29.09.09 को मय ब्याज लम्बित धनराषि रू0 13521.00 का ऋण माफ कर दिया जाये और अदेयता प्रमाण पत्र विपक्षीगण से दिलाया जाये। विपक्षीगण द्वारा अपने जवाब दावा में यह कहा गया है कि परिवादी केन्द्र सरकार द्वारा ऋण राहत योजना के अंतर्गत पात्रता के अंतर्गत नहीं आता है। परिवादी द्वारा दिनांक 08.06.10 को स्वयं विपक्षी बैंक में उपस्थित आकर बकाया धनराषि रू0 14829.00
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का नगद भुगतान कर उक्त ऋण खाता बन्द कर दिया गया था तथा बैंक से चुकता रसीद भी प्राप्त कर ली गयी थी। वर्तमान में विपक्षी का कोई भी अवषेश लम्बित नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से उन साक्ष्यों का ही संज्ञान लिया जायेगा, जो साक्ष्य विचारणीय बिन्दु को साबित करने के लिए सम्बन्धित ;त्मसमअमदजद्ध हैं। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षाखा प्रबन्धक द्वारा जारी पत्र वहक परिवादी कागज सं0-3 प्रस्तुत किया गया है, जिससे सिद्ध होता है कि प्रष्नगत ऋण दिनांक 27.09.04 को परिवादी को विपक्षी बैंक द्वारा स्वीकृत किया गया है, जिसकी अवषेश धनराषि रू0 13521.00 दिनांक 29.09.09 को दर्षायी गयी है। उक्त पत्र के माध्यम से विपक्षी द्वारा उपरोक्त अवषेश ऋण की मांग परिवादी से की गयी है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद दिनांक 07.08.10 को योजित किया गया है। परिवादी की ओर से रिज्वाइंडर षपथपत्र के साथ कागज सं0-1 लगायत् 2 सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त सूचना की सत्यापित प्रति प्रस्तुत की गयी है, जिसके उत्तर के प्रस्तर-क ;पद्ध के अवलोकन से विदित होता है कि किसानों को दिनांक 31.12.07 तक अतिदेय और दिनांक 29.02.08 तक संवितरित, जिस ऋण की चुकौती नहीं की गयी है, ऋण राहत के लिए पात्र व्यक्ति माना गया है। परिवादी द्वारा दाखिल कागज संलग्नक-3 के अनुसार प्रष्नगत ऋण दिनांक 27.09.04 का है। अतः परिवादी केन्द्र सरकार द्वारा जारी ऋण राहत योजना के अंतर्गत पात्र व्यक्ति है। विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र प्रस्तुत करते हुए यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत ऋण की अदायगी दिनांक 08.06.10 को कर दी गयी है तथा बैंक से चुकता रसीद भी ले ली गयी थी। किन्तु चुकता रसीद प्राप्त कराने से सम्बन्धित साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया है। मात्र षपथपत्रीय साक्ष्य पर विपक्षी का उक्त कथन स्वीकार किये जाने योग्रू नहीं है। क्योंकि मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा विभिन्न विधि निर्णयों में यह विधिक सिद्धांत दिया गया है कि जिन तथ्यों को अन्य प्रलेखीय साक्ष्यों से
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साबित किया जाना संभव हो, उन तथ्यों को मात्र षपथपत्र के आधार पर प्रमाणित नहीं मूना जायेगा। यहां पर विपक्षी अभिकथित चुकता रसीद की प्राप्ति रसीद प्रस्तुत कर सकता था। अवषेश ऋण राषि जमा करने का कथन स्वयं विपक्षी द्वारा स्वीकार किया गया है। विपक्षी के उपरोक्त कथन को खण्डित करने के लिए परिवादी द्वारा कोई कथन नहीं किया गया है। बल्कि उभयपक्षों द्वारा अपनी लिखित बहस में, परिवाद पत्र व जवाब दावा से हटकर अन्यान्य कथन किये गये हैं। चूॅकि उक्त तथ्यों का वर्णन परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में तथा विपक्षी द्वारा अपने जवाब दावा में नहीं किया गया है। अतः परिवाद पत्र और जवाब दावा से हटकर पक्षकारों द्वारा अपने मौखिक अथवा लिखित बहस में प्रस्तुत किये गये नये तथ्यों पर विचारण किया जाना न्यायसंगत नहीं है। उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं साक्ष्यों के उपरोक्तानुसार, विष्लेशणोपरान्त फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा अपना यह कथन साबित किया जा चुका है कि परिवादी केन्द्र सरकार द्वारा जारी ऋण राहत योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने का अधिकारी था। विपक्षीगण द्वारा यह साबित किया जा चुका है कि परिवादी द्वारा बकाया की ऋण धनराषि जमा की जा चुकी है। किन्तु परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में/अनुतोश में यह याचना की गयी है कि उसका प्रष्नगत ऋण माफ कर दिया जाये। चूॅकि परिवादी द्वारा अब प्रष्नगत अवषेश ऋण बकाया राषि जमा की जा चुकी है। अतः फोरम इस मत का है कि अब ऋ़ण माफी के सम्बन्ध में परिवाद औचित्यहीन हो गया है। जहां तक अदेयता प्रमाण पत्र व परिवाद व्यय का सम्बन्ध है-इस सम्बन्ध में परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के
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30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी को प्रष्नगत ऋण से सम्बन्धित अदेयता प्रमाण पत्र तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करें।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
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