Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

cc/582/2013

Hemant Kumar Dogariya - Complainant(s)

Versus

Bank of Baroda - Opp.Party(s)

28 May 2016

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. cc/582/2013
 
1. Hemant
56/35 satranji mohal kanpur
...........Complainant(s)
Versus
1. BOB
vardana market kanpur nagar
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 28 May 2016
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह.......................................वरि0सदस्य
    सुधा यादव.....................................................सदस्या
    

उपभोक्ता वाद संख्या-582/2013
हेमन्त कुमार डारोलिया पुत्र भगवती प्रसाद निवासी मकान नं0-56/35 षतरंजी मोहाल, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1.    बैंक ऑफ बड़ौदा षाखा जनरलगंज वारदाना मार्केट कानपुर नगर द्वारा षाखा प्रबन्धक।
2.    नेषनल इन्योरेन्स कंपनी भाटिया काम्पलेक्स 124/1 सी-ब्लाक गोविन्द नगर, कानपुर नगर द्वारा षाखा प्रबन्धक।
                             ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 13.11.2013
निर्णय की तिथिः 09.08.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से मेडीक्लेम पॉलिसी की धनराषि रू0 77,588.00 मय ब्याज दिलायी जाये, रू0 50,000.00 षारीरिक, आर्थिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए दिलायी जाये तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के रूप में दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी का विपक्षी सं0-1 के यहां खाता सं0-27280100000982 है। विपक्षी सं0-1, विपक्षी सं0-2 के बीमा एजेंट के रूप में कार्य करता है और विपक्षी सं0-1 व 2 का आपस में इस सम्बन्ध में टाईअप है। टाईअप के सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 मेडीक्लेम कराने वालों का प्रीमियम एकत्रित करके विपक्षी सं0-2 के यहां भुगतान कर बीमा पॉलिसी प्रदान करते हैं। अतः विपक्षी सं0-1 की सलाह पर परिवादी ने विपक्षी सं0-1 के यहां दिनांक 03.10.12 को मेडिक्लेम पॉलिसी की औपचारिकतायें पूर्ण करके दिनांक 03.10.12 को ही मेडिक्लेम के सम्बन्ध में चेक सं0-000017  दिनांक 03.10.12 
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को रू0 3393.00 प्रदान किया। विपक्षी ने परिवादी को विष्वास दिलाया कि वह 1-2 दिन में मेडीक्लेम पॉलिसी परिवादी को प्रदान कर देगा। विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी को पॉलिसी सं0-450402/48/12/ 850000087 प्रदान की गयी। दुर्भाग्यवष अभिशेक डारोलिया जो कि नौकरी के सिलसिले में दिल्ली में था, दिनांक 16.10.12 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। तत्संबंधी प्राथमिकी दिनांक 16.10.12 को थाना बसंतकुंज दक्षिणी दिल्ली में करायी गयी। विपक्षी सं0-2 ने पत्रांक-450402/मेडीक्लेम/ 2013 दिनांक 22.07.13 के द्वारा सूचना दिया कि परिवादी के हक में जारी पॉलिसी दिनांक 16.10.12 को प्रभावी नहीं थी, वरन दिनांक 17.10.12 से 16.10.13 तक प्रभावी थी। विपक्षी सं0-2 ने उक्त पत्र में कथन किया कि विपक्षी सं0-1 ने पॉलिसी की प्रीमियम धनराषि दिनांक 17.10.12 को प्राप्त कराया गया है। इसलिए पॉलिसी दिनांक 17.10.12 से प्रभावी है। जबकि परिवादी द्वारा दिनांक 03.10.12 को ही मेडीक्लेम पॉलिसी के लिए समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके विपक्षी सं0-1 को तत्ससंबंधी प्रीमियम का भुगतान भी कर दिया गया था। इस प्रकार विपक्षी सं0-1 व 2 की लापरवाही व सेवा में कमी से परिवादी का मेडीक्लेम निरस्त किया गया है। जबकि परिवादी को अपने पुत्र के इलाज में रू0 77,588.00 से भी अधिक खर्च करना पड़ा है। परिवादी को विपक्षीगण के पत्र दिनांकित 22.07.13 के द्वारा उसके हक में जारी मेडिक्लेम पॉलिसी क्लेम के निरस्त होने की जानकारी मिली। परिवादी द्वारा विपक्षीगण को विधिक नोटिस भेजने के बावजूद विपक्षीगण के द्वारा परिवादी की कोई सुनवाई नहीं की गयी। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का कतिपय प्रस्तरों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि वास्तव में परिवादी द्वारा चेक सं0-000017 विपक्षी को एक पत्र दिनांक 15.10.12 के साथ दी गयी। विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 15.10.12 को ही एक बैंकर्स चेक सं0-250329 बावत रू0 3393.00 विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी  को भेज दी गयी,  जो कि 
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विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी को दिनांक 17.10.12 को प्राप्त हुई। परिवादी द्वारा यह तथ्य असत्य प्रस्तुत किया गया है कि उसके द्वारा विपक्षी सं0-1 को दिनांक 03.10.12 को प्रष्नगत मेडीक्लेम पॉलिसी से सम्बन्धित प्रीमियम धनराषि दिनांक 03.01.12 को दी गयी। अतः इसी आधार पर परिवाद खारिज किया जाना चाहिए। परिवादी द्वारा वास्तविक तथ्यों को छिपाकर झूठे एवं मनगढंत तथ्यों पर आधारित परिवाद योजित किया गया है। चूॅकि विपक्षी सं0-1, विपक्षी सं0-2 का एजेंट है। इसलिए विपक्षी सं0-1 बैंक का प्रस्तुत मामले में कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता है। परिवादी द्वारा अपने पुत्र अभिशेक डारोलिया को दिनांक 16.10.12 को चोटहिल होना बताया गया है। किन्तु अभिशेक डारोलिया को पक्षकार नहीं बनाया गया है। जबकि उक्त चोटहिल व्यक्ति प्रस्तुत परिवाद में आवष्यक पक्षकार है। इसलिए परिवाद पक्षकारों के असंयोजन के कारण खारिज किये जाने योग्य है। मेडीक्लेम पॉलिसी के प्रस्ताव फार्म के अनुसार 21 वर्श के नीचे के बच्चे कवर होते हैं। घटना के दिन अभिकथित अभिशेक डारोलिया की आयु 25 वर्श होती है। इस आधार पर भी परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
4.    विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-1 बैंक ऑफ बड़ौदा जनरलगंज कानपुर नगर में विपक्षी सं0-1 नेषलन इंष्योरेन्स कंपनी लि0 षाखा गोविन्द नगर कानपुर के कार्यालय में दिनांक 17.10.12 को परिवादी की मेडीक्लेम पॉलिसी के प्रीमियम का ड्राफ्ट प्राप्त कराया गया था। प्रीमियम प्राप्त होने पर दिनांक 17.10.12 से 16.10.13 तक का जोखिम आवृत्त करते हुए परिवादी को मेडीक्लेम पॉलिसी जारी की गयी थी। ड्राफ्ट प्राप्ति के प्रमाण में डाक रजिस्टर के 17-10-12 के पृश्ठ की छायाप्रति संलग्न है। दिनांक 16.10.12 को परिवादी व उसके पारिवारिक सदस्यों का जोखिम मेडीक्लेम पॉलिसी से आवृत्त नहीं था। परिवादी के पुत्र को अभिकथित रूप से दिनांक 16.10.12 को इलाज हेतु भर्ती कराया गया था। 
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दिनांक 16.10.12 को उक्त पॉलिसी प्रभावी नहीं थी। अतः उत्तरदाता विपक्षी बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं बनती है। इसी आधार पर परिवादी का क्लेम डी.पी.ए. द्वारा निरस्त किया गया और इसकी सूचना परिवादी को पत्र दिनांक 22.07.13 के द्वारा दी गयी। विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा आधारहीन, असत्य एवं बनावटी तथ्यों पर आधारित परिवाद प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी सं0-2 को गलत पक्षकार बनाया गया है। परिवादी कोई उपषम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
5.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी ने मेडीक्लेम पॉलिसी के लिए चेक सं0-000017 दिनांक 03.10.12 को परिवादी बैंक में जमा कर दिया तथा विपक्षी सं0-1 के मुताबिक भी विपक्षी ने परिवादी के खातें से उक्त चेक की राषि परिवादी के खाते से निकाल कर दिनांक 15.10.12 को बैंकर्स चेक सं0-250239 दिनांक 15.10.12 विपक्षी सं0-2 को जारी कर दी थी। परन्तु विपक्षी सं0-1 ने सेवा में कमी करते हुए व घोर लापरवाही बरतते हुए कथित बैंकर्स चेक दिनांक 15.10.12 विपक्षी सं0-2 को प्राप्त नहीं करायी और कथित चेक विपक्षी सं0-2 को दिनांक 17.10.12 को प्राप्त करायी गयी, जिसकी वजह से विपक्षी सं0-2 ने परिवादी को मेडिक्लेम इसी बिना पर खारिज कर दिया कि परिवादी के पुत्र की घटना दिनांक 16.10.12 की है। विपक्षी सं0-1 ने परिवादी के खाते से किष्त की धनराषि दिनांक 15.10.12 को ही निकाल ली। इसलिए परिवादी मेडीक्लेम पॉलिसी की धनराषि प्राप्त करने का हकदार है। विपक्षी सं0-1 का यह कथन सर्वथा असत्य व अस्वीकार है कि उसने दिनांक 15.10.12 को बैकर्स चेक के सम्बन्ध में किष्त की धनराषि भेज दी। जबकि विपक्षी सं0-2 कथित चेक की धनराषि दिनांक 17.10.12 को प्राप्त करना कहता है। यदि परिवादी का पुत्र अभिशेक  हेल्थ पॉलिसी  के अंतर्गत नहीं था तो  विपक्षी 
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सं0-2 ने पालिसी किस आधार पर जारी की। जब परिवादी ने हेल्थ पॉलिसी ली थी, उस समय तक 21 वर्श तक के बच्चे प्रस्ताव फार्म में आते थे। अभिशेक उसका पुत्र पॉलिसी लेने का अधिकारी था और वह पॉलिसी के तहत सुविधा लेने का हकदार था। इसलिए विपक्षीगण ने उक्त हेल्थ पॉलिसी परिवादी के हक में जारी की थी। विपक्षी सं0-1 ने सेवा में कमी करते हुए व लापरवाही बरतते हुए दिनांक 15.10.12 को पॉलिसी की किष्त विपक्षी सं0-2 को नहीं प्राप्त करायी गयी। जिसके कारण परिवादी हेल्थ पॉलिसी की धनराषि प्राप्त करने से वंचित हो गया। उपरोक्त कारणों से परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 12.11.13 एवं 15.12.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् 1/12 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7.    विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में आर0एल0 वर्मा वरिश्ठ प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 30.08.14 व 12.02.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-3 के साथ संलग्न कागज सं0-3/1 लगायत् 3/11 तथा लिखित बहस दाखिल किया है। 
विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
8.    विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन में सर्वेष कुमार पाण्डेय, वरिश्ठ षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 08.01.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज सं0-2/1 लगायत् 2/6 व लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
9.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया। 
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    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विवाद का विशय यह है कि क्या परिवादी विपक्षीगण या विपक्षीगण में से किसी एक विपक्षी से याचित अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी है?
    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में परिवादी की ओर से षपथपत्र तथा निर्णय के प्रस्तर-6 में उल्लिखित अभिलेखीय साक्ष्यों एवं लिखित बहस दाखिल करके यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत मेडीक्लेम पॉलिसी के लिए चेक सं0-000017 दिनांक 03.10.12 को विपक्षी सं0-1 बैंक ऑफ बड़ौदा में जमा कर दिया गया था, जो कि विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी के खाते से दिनांक 15.10.12 को बैंकर्स चेक सं0- 250329 दिनांक 15.10.12 विपक्षी सं0-2 को जारी कर दी गयी थी। परन्तु विपक्षी सं0-1 ने सेवा में कमी करते हुए घोर लापरवाही करते हुए कथित चेक दिनांक 15.10.12 को विपक्षी सं0-2 को प्राप्त नहीं करायी गयी। उक्त चेक विपक्षी सं0-2 को दिनांक 17.10.12 को प्राप्त करायी गयी। परिवादी के पुत्र की दुर्घटना दिनांक 16.10.12 को हुई थी। इसलिए परिवादी मेडीक्लेम धनराषि प्राप्त करने का हकदार है। इस विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 द्वारा यह कहा गया है कि वास्तव में परिवादी द्वारा चेक सं0-000017 विपक्षी सं0-1 को दिनांक 15.10.12 को दी गयी। विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 15.10.12 को ही उक्त बैंकर्स चेक सं0-250329 विपक्षी बीमा कंपनी को भेज दी गयी, जो कि विपक्षी बीमा कंपनी को दिनांक 17.10.12 को प्राप्त हुई। परिवादी द्वारा वास्तविक तथ्यों को छिपाकर झूठे व मनगढंत तथ्यों पर आधारित परिवाद योजित किया गया है। क्योंकि विपक्षी सं0-1 द्वारा यह असत्य कथन किया गया है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 03.10.12 को प्रष्नगत मेडीक्लेम पॉलिसी से सम्बन्धित प्रीमियम की धनराषि दिनांक 03.10.12 को विपक्षी सं0-2 को दी गयी। वास्तविकता यह है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 को दिनांक  15.10.12 को उक्त चेक दी गयी है। अतः इसी आधार पर परिवाद खारिज
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किया जाना चाहिए। एक अन्य तर्क विपक्षी सं0-1 की ओर से यह किया गया है कि चोटहिल अभिशेक डारोलिया को पक्षकार नहीं बनाया गया है। तीसरा तर्क विपक्षी सं0-1 के द्वारा यह किया गया है कि मेडीक्लेम पॉलिसी के प्रस्ताव फार्म के द्वारा 21 वर्श की आयु के नीचे के बच्चे कवर होते हैं। जबकि अभिकथित घटना वाले दिन अभिशेक डारोलिया की आयु 25 वर्श होती है। इसी आधार पर परिवाद खारिज किया जाना चाहिए। उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षी सं0-2 की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षी सं0-2 के बीमा कंपनी के कार्यालय में परिवादी द्वारा बीमा पॉलिसी जारी करने के सम्बन्ध में प्रष्नगत चेक दिनांक 17.10.12 को प्राप्त कराया गया था। प्रीमियम प्राप्त होने पर दिनांक 17.10.12 से 16.10.13 तक जोखिम आवृत्त करते हुए परिवादी को मेडीक्लेम पॉलिसी जारी की गयी थी। अभिकथित घटना वाले दिन दिनांक 16.10.12 को परिवादी व उसके परिवार वालों का मेडीक्लेम पॉलिसी जोखिम आवृत्त नहीं था। स्पश्ट होता है कि दिनांक 16.10.12 को बीमा पॉलिसी प्रभावी नहीं थी, इसलिए उत्तरदाता विपक्षी बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं बनती है। इसी आधार पर परिवादी का क्लेम डी0पी0ए0 द्वारा निरस्त किया गया है। विपक्षी सं-2 बीमा कंपनी के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है।
    उपरोक्तानुसार उपरोक्त बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि बीमा पॉलिसी एवं घटना की प्राथमिकी व घटना के सम्बन्ध में कोई परिवाद किसी विपक्षी के द्वारा नहीं किया गया है। अतः तत्संबंधी पक्षकारों की ओर से दाखिल किये गये साक्ष्यों पर कोई निश्कर्श नहीं दिया जा रहा है। परिवादी की ओर से ही दाखिल अभिलेखीय साक्ष्यों से स्पश्ट होता है कि परिवादी के खाते से विपक्षी सं0-1 बैंक द्वारा प्रीमियम की धनराषि दिनांक 15.10.12 को आहरित की गयी है। इस तथ्य का उल्लेख परिवादी, विपक्षी सं0-1 दोनों के द्वारा अपने-अपने कथन में उल्लिखित किया गया है। परिवादी के  द्वारा जवाबुल जवाब दावा में यह कथन किया गया है कि विपक्षी सं0 1 के 
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द्वारा परिवादी के खाते से प्रष्नगत बीमा से सम्बन्धित जो धनराषि दिनांक 15.10.12 को आहरित की गयी, उसकी बैंकर्स चेक बनाकर विपक्षी सं0-2 को दिनांक 17.10.12 को प्राप्त करायी गयी। विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी की ओर से किये गये उपरोक्त कथन का खण्डन नहीं किया गया है। बल्कि विपक्षी सं0-1 के द्वारा भी परिवादी की ओर से किये उपरेक्त कथन का अपने जवाब दावा में स्वीकार किया गया है। जिससे स्पश्ट होता है कि स्वयं विपक्षी सं0-1 बैंक के द्वारा जो विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी का इष्ंयोर्ड बैंक है, के द्वारा समय से अर्थात 15.10.12 को ही उक्त बैंकर्स चेक विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी को उपलब्ध नहीं करायी गयी। इसलिए विपक्षी सं0-1 की सेवा में कमी प्रथम दृश्टया स्पश्ट होती है।
    जहां तक विपक्षी सं0-1 की ओर से एक आपत्ति यह की गयी है कि चोटहिल अभिशेक डारोलिया को पक्षकार नहीं बनाया गया है। इस सम्बन्ध में फोरम का यह मत है कि परिवादी हेमन्त कुमार डारोलिया के द्वारा अपना और अपने परिवार अर्थात उसके पुत्र चोटहिल अभिशेक डारोलिया की एक ही बीमा पॉलिसी ली गयी थी। अलग-अलग बीमा पॉलिसी नहीं करायी गयी थी। प्रष्नगत बीमा पॉलिसी के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी हेमंत कुमार डारोलिया के द्वारा अपनी पत्नी आषा डारोलिया एवं पुत्रगण निखिल डारोलिया व अभिशेक डारोलिया की पॉलिसी एक साथ ली गयी है। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा अभिकथित कोई प्रतिवाद नहीं किया गया है। ऐसी दषा में विपक्षी सं0-1 बैंक का उपरोक्त कथन न्यायसंगत व विधिसंगत प्रतीत नहीं होता है।
    विपक्षी सं0-2 की ओर से ही एक तर्क यह किया गया है कि मेडीक्लेम पॉलिसी के प्रस्ताव फार्म के अनुसार 21 वर्श की आयु के बच्चे बीमित होते हैं। प्रष्नगत घटना के दिन परिवादी के पुत्र अभिशेक की उम्र 25 वर्श होती है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से यह कहा गया है कि यदि परिवादी का पुत्र हेल्थ पॉलिसी के अंतर्गत नहीं था, तो विपक्षी सं0- 2 ने पॉलिसी क्यों जारी की। परिवादी का यह कथन स्वीकार किये  जाने 
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योग्य है क्योंकि उपरोक्त प्रष्न का सम्बन्ध विपक्षी बीमा कंपनी से है। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा उपरोक्त तथ्य के सम्बन्ध में कोई परिवाद अपने जवाब दावा में नहीं किया गया है। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा यह जानते हुए कि प्रस्ताव फार्म के अनुसार पॉलिसी जारी करने की तिथि पर चोटहिल अभिशेक की आयु 25 वर्श थी। इसके बावजूद विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा मेडीक्लेम बीमा पॉलिसी जारी की गयी। अतः इस आधार पर परिवाद खारिज किया जाना न्यायसंगत नहीं है।
    विपक्षी सं0-2 के द्वारा मात्र यह प्रतिवाद किया गया है कि विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी को प्रष्नगत बीमा से सम्बन्धित चेक विपक्षी सं0-1 बैंक जो कि विपक्षी सं0-2 का इंष्योर्ड बैक है, के द्वारा दिनांक 17.10.12 को उक्त चेक उपलब्ध करायी गयी है और उसी दिन बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी व (प्रस्ताव फार्म में उल्लिखित) उसके परिवार के लोगों के लिए बीमा पॉलिसी जारी की गयी है। जबकि सभी पक्षों के द्वारा स्वीकार्य रूप से परिवादी के पुत्र अभिशेक डारोलिया की दुर्घटना दिनांक 16.10.12 को होना बतायी गयी है। विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी का क्लेम निरस्त करके दिनांक 22.07.13 को परिवादी को मेडीक्लेम पॉलिसी निरस्त करने का आधार बताते हुए जानकारी दी गयी है। उक्त तथ्य के अवलेकन से स्पश्ट होता है कि विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है।
    विपक्षी सं0-1 की ओर से सूची के साथ परिवादी के खाते से आहरण की सूची प्रस्तुत की गयी है, जिसके अवलोकन से स्पश्ट होता है कि दिनांक 15.10.12 को परिवादी के खाते से रू0 3393.00 चेक सं0-17 के माध्यम से आहरित किया गया है। विपक्षी सं0-1 के द्वारा सूची के साथ प्रस्तुत प्राप्ति रसीद कागज सं0-3/2 से यह स्पश्ट होता है कि विपक्षी बीमा कंपनी के हक में दिनांक 15.10.12 को बैंक ऑफ बड़ौदा षाखा कर्नलगंज कानपुर नगर के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के द्वारा परिवादी से रू0 3393.00 प्राप्त किये गये है। किन्तु विपक्षी सं0-1 के द्वारा इस आषय का
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कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि उक्त धनराषि उसके द्वारा दिनांक 15.10.12 को ही विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी को भेजी गयी है। इस सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 यदि पंजीकृत डाक द्वारा उक्त धनराषि भेजी गयी है, तो उसकी रसीद प्रस्तुत कर सकता था। जबकि विपक्षी सं0-2 द्वारा सूची के साथ कागज सं0-2/5 बीमा षर्तों की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसके अनुसार यदि इंष्योर्ड बैंक जिस तारीख को बीमा पॉलिसी के प्रस्ताव व नवीनीकरण के लिए प्रस्तावक से धनराषि प्राप्त करके बीमा कंपनी को डिस्पैच कर देता है, तो उस तारीख से बीमा पॉलिसी जारी की जा सकती है अथवा प्रस्ताव/ नवीनीकरण डाक के डिस्पैच करने की वास्तविक तिथि से अथवा कंपनी में उपरोक्त से सम्बन्धित धनराषि जमा करने की वास्तविक तिथि से बीमा अधिनियम की धारा-64 वी0बी0 के अनुसार पॉलिसी जारी की जाती है।
    अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों के विष्लेशणोपरान्त दिये गये निष्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि विपक्षी सं0-1 बैंक आफ बड़ौदा द्वारा परिवादी से बीमा पॉलिसी से सम्बन्धित दिनांक 15.10.12 को प्राप्त की गयी धनराषि को उसी दिन या दूसरे दिन तक विपक्षी बीमा कंपनी को न पहुॅचाकर सेवा में कमी कारित की गयी है। अतः प्रस्तुत मामले में परिवादी को क्लेम अदा करने का उत्तरदायित्व विपक्षी सं0-1 पर बनता है। जहां तक विपक्षी सं0-1 का यह कथन है कि परिवादी द्वारा दिनांक 03.10.12 को नहीं बल्कि 15.10.12 को अभिकथित धनराषि प्राप्त करायी गयी है। इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा यह कहा गया है कि उसके द्वारा कोई तथ्य छिपाया नहीं गया है। टंकण त्रुटि के कारण उपरोक्त भ्रम हो सकता है। इसके अतिरिक्त अभिकथित चेक दिनांक 03.10.12 को जारी की गयी है और दिनांक 15.10.12 को विपक्षी सं0-1 बैंक को प्राप्त करायी दी गयी है, तो भी विपक्षी सं0-1 के पास दो दिन का पर्याप्त समय था कि वह परिवादी की उपरोक्त धनराषि विपक्षी सं0-2 बीमा कपंनी को उपलब्ध करा देता। विपक्षी सं0-1 बैंक  द्वारा  अपने उपरोक्त कथन के  सम्बन्ध में
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फोरम का ध्यान विधि निर्णय दलीप सिंह बनाम स्टेट आफ यू0पी0 एवं अन्य सिविल अपील नं0-5239/2002, विधि निर्णय वेलकम होटल एवं अन्य बनाम स्टेट ऑफ आन्ध्र प्रदेष एवं अन्य ।प्त् 1983 ैब् 1015ए प्रेस्टीज लाईटस लि0 बनाम स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया ;2007द्ध 8 ैब्ब् 449ए  के0डी0 षर्मा बनाम स्टील अथार्टी आफ इण्डिया लि0 एवं अन्य ;2008द्ध 12 ैब्ब् 481 आंध्रा बैंक क्रेडिट कार्ड डिवीजन हेड आफिस बनाम श्रीमती दिनाज वरवाटवाला एवं अन्य केस नं0-एफ.ए. 86/2008 विरूद्ध सी0सी0 नं0- 152/2007 निर्णीत दिनांक 30.07.10 में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर से आकृश्ट किया गया है। मा0 उच्चतम न्यायालय का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि तथ्यों की भिन्नता के कारण उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत का लाभ विपक्षी सं0-1 को प्राप्त नहीं होता है।
    उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध, अपने पुत्र अभिशेक डारोलिया की चिकित्सा में किये गये व्यय से सम्बन्धित धनराषि तथा परिवाद व्यय हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। किन्तु पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने पुत्र अभिशेक डारोलिया की चिकित्सा में हुए व्यय से सम्बन्धित कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। किन्तु परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्य तथा प्राथमिकी इत्यादि से उसके पुत्र की दुर्घटना होना प्रथम दृश्टया साबित होती है। परिवादी द्वारा अपने पुत्र के इलाज में व्यय हुई धनराषि रू0 77,588.00 व उससे अधिक बतायी गयी है। परिवादी की ओर से तत्संबंधी साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-1 से एकमुष्त धनराषि रू0 50,000.00 तथा क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 25000.00 दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है-उक्त याचित  उपषम के लिए परिवादी  द्वारा कोई  सारवान तथ्य  अथवा सारवान साक्ष्य
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प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।    विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध कोई देनदारी नहीं बनती है।
ःःःआदेषःःः
10.     उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1    के विरूद्ध आंषिक रूप से इस अषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी सं0-1 बैंक ऑफ बड़ौदा, परिवादी को एकमुष्त धनराषि रू0 50,000.00 तथा क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 25000.00 अदा करे।
    विपक्षी सं0-2 बीमा कंपनी की सेवा में कोई कमी न कारित किये जाने के कारण विपक्षी सं0-2 को प्रस्तुत परिवाद से अवमुक्त किया जाता है।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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