Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/120

Haidrabad Seeds Form - Complainant(s)

Versus

Bank Of Baroda - Opp.Party(s)

Alok Saxena And Prakesh Chand

29 Sep 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/120
( Date of Filing : 24 Sep 2012 )
 
1. Haidrabad Seeds Form
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Bank Of Baroda
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Sep 2021
Final Order / Judgement

                                                          (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-120/2012

हैदराबाद सीड्स फर्म नं0-1, स्थित मधावा लालपुर, पाण्‍डेयपुर, वाराणसी द्वारा पार्टनर श्री दीपक कुमार सिंह, निवासी SA.4/36Ka-6-A, कमला नगर, दौलतपुर रोड, पाण्‍डेयपुर, वाराणसी।

                   परिवादी

बनाम

1.    बैंक आफ बड़ौदा, द्वारा सीनियर ब्रांच मैनेजर, ब्रांच अर्दली बाजार, वाराणसी 221002 ।

2.    नेशनल इन्‍श्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लिमिटेड, द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच आफिस II, काशी अनाथालय भवन, मलदहिया, वाराणसी 221002 ।

3.    यू.पी. राज्‍य बीज प्रमाणीकरण संस्‍था, भारत नर्सरी कम्‍पाउण्‍ड, मंदुवादीह, वाराणसी।

          विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित         : श्री प्रकाश चन्‍द्रा, विद्वान

                                                     अधिवक्‍ता।                            

विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से उपस्थित  : श्री एच0पी0 श्रीवास्‍तव, विद्वान

                                                        अधिवक्‍ता।

विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से उपस्थित  : श्री नीरज पालीवाल, विद्वान

                                                        अधिवक्‍ता।

विपक्षी संख्‍या-3 की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

  

दिनांक:  02.11.2021

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          यह परिवाद, परिवादी फर्म द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन 44,80,500/- रूपये प्राप्‍त करने के लिए तथा इस राशि पर दिनांक 25.07.2012 से भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए, वाद खर्च के रूप में अंकन 50,000/- रूपये प्राप्‍त करने के लिए, मानसिक तथा शारीरिक प्रताड़ना की मद में अंकन 25,00,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी फर्म द्वारा अंकन 75,00,000/- रूपये का टर्म लोन तथा अंकन 20,00,000/- रूपये कैश क्रेडिट लिमिट विपक्षी संख्‍या-1 से नियत कराई गई थी। बैंक की वित्‍तीय सहायता से परिवादी ने किसानों से बीज क्रय किए, जिसका बीमा विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा विपक्षी संख्‍या-2 के माध्‍यम से कराया गया। प्रिमियम की राशि की कटौती परिवादी के ऋण खाते से की गई।

3.         वर्ष 2011-12 के लिए अंकन 44,80,500/- रूपये के सीड्स स्‍टॉक का बीमा दिनांक 22.06.2011 से दिनांक 21.06.2012 की अवधि तक के लिए विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा किया गया। प्रिमियम अंकन 9,266/- रूपये का भुगतान परिवादी द्वारा किया गया। चूंकि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा सीधे विपक्षी संख्‍या-2 से बीमा कराया जा रहा था, इसलिए विपक्षी संख्‍या-1, बैंक का दायित्‍व था कि वह Comprehensive Insurance Policy प्राप्‍त की जाती, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-1 बैंक द्वारा केवल Standard Fire and Special Perils Policy प्राप्‍त की गई।

4.         विपक्षी संख्‍या-3 के संयुक्‍त निदेशक द्वारा जिला प्रशासन के दबाव में परिवादी साझेदार के पिता ने Seed Processing Plant के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया। इस मुकदमें के आधार पर परिवादी की यूनिट भी सीज कर दी गई। परिवादी की यूनिट को दिनांक 07.06.2012 को एडीएम सप्‍लाई के आदेश से खोला गया। खोलने पर पाया कि समस्‍त बीज नष्‍ट हो चुके थे। परिवादी ने बीमा क्‍लेम विपक्षी संख्‍या-2 के समक्ष प्रस्‍तुत किया, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 ने मनमाने तरीके से बीमा क्‍लेम दिनांक 25.07.2012 के पत्र द्वारा इस आधार पर नकार दिया कि जिस कारण क्षति हुई है, वह बीमा कवर में शामिल नहीं है। इसके पश्‍चात परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 से बीमा क्‍लेम प्राप्‍त कराने का अनुरोध किया।

5.         परिवाद पत्र में यह भी उल्‍लेख है कि परिवादी के विरूद्ध प्रारम्‍भ की गई कार्यवाही जिला प्रशासन के दबाव/दुर्भावना के तहत की गई थी। बीज का परीक्षण कराने के पश्‍चात विपक्षी संख्‍या-3 के संयुक्‍त निदेशक द्वारा जिला प्रशासन वाराणसी को दिनांक 29.11.2011 को पत्र लिखा गया और जब्‍ती समाप्‍त करने का अनुरोध किया गया। संबंधित मजिस्‍ट्रेट के समक्ष भी जब्‍ती समाप्‍त करने का अनुरोध किया गया, परन्‍तु यह अनुरोध स्‍वीकार नहीं किया गया।

6.         उपरोक्‍त समस्‍त कार्यवाही से परिवादी बीमित राशि के अलावा मानसिक प्रताड़ना की मद में भी अंकन 25,00,000/- रूपये की राशि दिलाने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

7.         परिवाद पत्र के साथ अनेग्‍जर संख्‍या-1 लगायत 10 प्रस्‍तुत किए गए तथा परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों के समर्थन में शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया।

8.         विपक्षी संख्‍या-1, बैंक का यह कथन है कि परिवादी को अंकन 75,00,000/- रूपये का टर्म लोन तथा अंकन 20,00,000/- रूपये के कैश क्रेडिट लिमिट का लाभ प्रदान किया गया था। वर्तमान में परिवादी पर अंकन 22,37,986/- रूपये दिनांक 15.04.2012 तक के ब्‍याज सहित तथा भविष्‍य के ब्‍याज के बकाया हैं तथा कैश क्रेडिट खाते के लिए अंकन 74,32,828/- रूपये दिनांक 15.04.2012 तक बकाया हैं और इसके बाद का ब्‍याज भी बकाया है। गिरवी रखे हुए सामान का बीमा कराने का दायित्‍व परिवादी पर था न कि विपक्षी संख्‍या-1, बैंक पर। विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा वृहद पालिसी प्राप्‍त की गई थी और कुल 40,80,500/- रूपये का बीमा कराया गया था। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित अनुबंध के अनुसार बीमा कराने का दायित्‍व परिवादी पर था, इसलिए उत्‍तरदायी प्रतिवादी के विरूद्ध किसी प्रकार का वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 के विरूद्ध अनावश्‍यक रूप से परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो खारिज होने योग्‍य है।

9.         विपक्षी संख्‍या-2, बीमा कम्‍पनी का यह कथन है कि जिस  आधार पर बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया, वह आधार बीमा कवर के अन्‍तर्गत नहीं आता, इसलिए परिवादी बीमा क्‍लेम प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है।

10.        विपक्षी संख्‍या-3 का कथन है कि उनका बीमा पालिसी से कोई संबंध नहीं है। बीज का परीक्षण किया गया था। परीक्षण करने के पश्‍चात रिपोर्ट के आधार पर जिला मजिस्‍ट्रेट को बीज रिलीज करने का पत्र लिखा गया था। परिवादी उत्‍तरदायी प्रतिवादी का उपभोक्‍ता नहीं है। उनके विरूद्ध अवैध रूप से परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो खारिज होने योग्‍य है।

11.        सभी विपक्षीगण की ओर से अपने-अपने लिखित कथन के समर्थन में शपथपत्र प्रस्‍तुत किए गए हैं।

12.        परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रकाश चन्‍द्रा तथा विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एच0पी0 श्रीवास्‍तव तथा विपक्षी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍त श्री नीरज पालीवाल उपस्थित आए। विपक्षी संख्‍या-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: उपस्थित वि‍द्वान अधिवक्‍तागण की बहस सुनी गई तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।

13.        इस परिवाद पत्र के निस्‍तारण के लिए सर्वप्रथम यह विनश्‍चायक बिन्‍दु उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या विपक्षीगण परिवाद पत्र में वर्णित धनराशि की पूर्ति के लिए उत्‍तरदायी हैं ? सर्वप्रथम विपक्षी संख्‍या-3 के संबंध में विचार किया जाता है कि विपक्षी संख्‍या-3 राजकीय प्राधिकारी हैं। किसी लोकसेवक द्वारा सद्भावना के तहत किए गए कार्य के लिए किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति प्रदान करने का आधार नहीं बनता है। परिवादी विपक्षी संख्‍या-3 का उपभोक्‍ता नहीं है, इसलिए विपक्षी संख्‍या-3 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई अवसर नहीं था। यदि विपक्षी संख्‍या-3 या जिला मजिस्‍ट्रेट के विरूद्ध किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति का कोई अधिकार परिवादी का बनता है तब सिविल न्‍यायालय में वाद प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था। चूंकि इस आयोग के समक्ष केवल सेवाप्रदाता एवं उपभोक्‍ता के संबंधों के आधार पर सेवाप्रदाता की सेवा में त्रुटि के कारण क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किए जा सकते हैं। अत: विपक्षी संख्‍या-3 को अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया गया है और उनके विरूद्ध किसी प्रकार की देनदारी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत नहीं बनती है।  

14.        अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या विपक्षी       संख्‍या-2 बीमा क्‍लेम अदा करने के लिए उत्‍तरदायी हैं। इस प्रश्‍न का उत्‍तर भी नकारात्‍मक है, क्‍योंकि परिवादी द्वारा जो बीमा पालिसी प्राप्‍त की गई है, उस बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत प्रशासनिक आधार पर परिवादी की यूनिट सीज करने के आधार पर कारित क्षति शामिल नहीं है। परिवादी ने स्‍वंय स्‍पष्‍ट किया है कि जो बीमा पालिसी जारी की गई है, उसमें केवल Standard Fire और Special Perils से सुरक्षा प्रदत्‍त की गई थी। अत: स्‍पष्‍ट है कि बीमा कम्‍पनी भी किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं है।

15.        अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या विपक्षी       संख्‍या-1 द्वारा अपने कर्तव्‍यों में उदासीनता/लापरवाही बरती गई और परिवादी की ओर से दायित्‍वाधीन होते हुए भी Comprehensive Insurance Policy प्राप्‍त नहीं की गई। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि विपक्षी संख्‍या-1 का यह दायित्‍व था कि वह Comprehensive Insurance Policy प्राप्‍त करते, जबकि विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा वह पालिसी प्राप्‍त की गई, जिस पालिसी के लिए परिवादी द्वारा सहमति प्रदान की गई। यह भी बहस की गई कि अपने सामान का बीमा कराने का प्रारम्भिक दायित्‍व परिवादी पर है न कि विपक्षी संख्‍या-1, बैंक पर।

16.        परिवादी को यह तथ्‍य स्‍वीकार्य है कि बैंक द्वारा प्रिमियम की कटौती के पश्‍चात बीमा पालिसी प्राप्‍त की गई। किसी भी बीमा पालिसी में प्रशासनिक कार्य के कारण यूनिट सीज करने का बीमा कवर शामिल नहीं हो सकता। यदि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दुर्भावना के तहत परिवादी की यूनिट को सीज किया गया है तब विपक्षी संख्‍या-3 तथा प्रशासन के विरूद्ध क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अ‍ाधार बनता है, जो केवल सिविल न्‍यायालय द्वारा प्रदान किया जा सकता है। चूंकि बैंक द्वारा परिवादी की आवश्‍यकता के अनुसार बीमा प‍ालिसी के प्रिमियम का भुगतान कर दिया गया, इसलिए इस घटना की अपेक्षा परिवादी विपक्षी संख्‍या-1 से नहीं कर सकते। अत: इस अनिश्चित घटना के संबंध में बैंक का कोई दायित्‍व नहीं हो सकता। 

17.        अनेग्‍जर संख्‍या-1 दोनों पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित अनुबंध है। इसकी शर्त संख्‍या-12 में उल्‍लेख है कि बैंक के पक्ष में जो सामान गिरवी रखा गया है, उसका पर्याप्‍त बीमा अग्नि से तथा अन्‍य खतरों से कराया जाएगा जैसे कि बैंक द्वारा समय-समय पर अपेक्षा की जाए कि पालिसी का नवीनीकरण समाप्‍त होन से पहले कराया जाएगा तथा पालिसी बैंक को भी प्राप्‍त कराई जाएगी। अग्नि, जल आदि के कारण कारित नुकसान की पालिसी किसी भी यूनिट द्वारा प्राप्‍त की जा सकती है, परन्‍तु प्रशासनिक कार्य के विरूद्ध बीमा पालिसी जारी करने की कोई वैधानिक व्‍यवस्‍था नहीं है। प्रशासनिक आदेशों के खिलाफ केवल न्‍यायिक पुनर्विलोकन हो सकता है। प्रशासनिक आदेशों के खिलाफ अनुतोष संवैधानिक हो सकता है, कानूनी हो सकता है तथा साम्यिक हो सकता है। अत: प्रशासनिक कार्यवाही के खिलाफ बीमा पालिसी प्राप्‍त करने का निर्देश न बैंक द्वारा दिया गया और न ही परिवादी द्वारा किसी प्रशासनिक हस्‍तक्षेप के विरूद्ध बीमा पालिसी प्राप्‍त करने का और प्रिमियम अदा करने का अनुरोध बैंक से किया गया, इसलिए प्रशासनिक आदेश के कारण परिवादी को जो क्षति हुई है, उसकी पूर्ति इस आयोग के माध्‍यम से विधि के अन्‍तर्गत अनुज्ञेय नहीं है। अत: परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

 

18.        प्रस्‍तुत परिवाद खारिज किया जाता है।

           उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

                     

(राजेन्‍द्र सिंह)                         (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

                   

 

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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