View 3976 Cases Against Bank Of Baroda
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Gyanendra Kumar filed a consumer case on 14 Mar 2023 against Bank of Baroda in the Kanpur Dehat Consumer Court. The case no is CC/83/2013 and the judgment uploaded on 20 Mar 2023.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर देहात ।
अध्यासीन:- श्री मुशीर अहमद अब्बासी..........................अध्यक्ष
श्री हरिश चन्द्र गौतम ...............................सदस्य
सुश्री कुमकुम सिंह .........................महिला सदस्य
उपभोक्ता परिवाद संख्या :- 83/2013
परिवाद दाखिला तिथि :- 12.12.2013
निर्णय दिनांक:- 14.03.2023
(निर्णय श्री मुशीर अहमद अब्बासी, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
ज्ञानेन्द्र कुमार पुत्र सीताराम उम्र 51 वर्ष निवासी ग्राम मुडेरा पोस्ट अरहरियामऊ तहसील भोगनीपुर जिला कानपुर देहात ।
.........................परिवादी
बनाम
1. शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा डीघ, जनपद कानपुर देहात ।
2. क्षेत्रीय प्रबन्धक महोदय बैंक ऑफ बड़ौदा, गुमटी नं0-3 कौशलपुरी, कानपुर नगर ।
3. महाप्रबन्धक जिला उद्योग केन्द्र, रनियाँ, कानपुर देहात ।
4. श्रीमान जिलाधिकारी महोदय, कानपुर देहात । ........................प्रतिवादीगण
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद परिवादी ज्ञानेन्द्र कुमार की ओर से सशपथ पत्र, प्रतिवादी संख्या-1 द्वारा जारी आर0सी0 मु0 7,66,223/- रुपया व अन्य को दौरान मुकदमा स्थगित किये जाने का आदेश पारित किये जाने, प्राप्त छूट की धनराशि 4,16,000/- रूपये पर प्राप्ति की दिनांक से परिवादी के ऋण खाते में जमा की दिनांक तक 18 प्रतिशत ब्याज परिवादी को दिलाये जाने का आदेश प्रतिवादी संख्या-1 को दिये जाने, न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांकित 10.10.2013 के अनुसार रुपया मु0 4,25,000/- पर ब्याज की देयता न होने, मशीनरी एवं फिटिंग का प्रमाण पत्र एवं परिवादी के स्वीकृत ऋण में प्रतिवादी को छूट की धनराशि 4,16,000/- रुपया में 18 प्रतिशत ब्याज सहित व परिवादी के विरुद्ध जारी गलत आर0सी0 से हुयी मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में 25,000/- रुपया मय वाद व्यय मु0 5,000/- रुपये प्रतिवादी संख्या-1 व 2 से दिलाये जाने के आशय से दिनांक 12.12.2013 को योजित किया गया ।
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी ग्राम मुडेरा तहसील भोगनीपुर जिला कानपुर देहात का मूल निवासी है । परिवादी अपना व अपने परिवार का भरण पोषण कृषि कार्य करके कर रहा है । परिवादी ने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत अपने परिवार के जीविकोपार्जन हेतु आटा चक्की लगाये जाने हेतु ऋण आवेदन प्रस्तुत किया । परिवादी द्वारा प्रस्तुत ऋण आवेदन पर विचार कर प्रतिवादी संख्या-3 द्वारा नियमानुसार औपचारिकताएँ पूर्ण कराकर प्रतिवादी संख्या-1 के यहाँ पत्रावली ऋण स्वीकृत किये जाने हेतु प्रेषित कर दी गयी, प्रतिवादी संख्या-1 द्वारा परिवादी से 1,40,000/- (एक लाख चालीस हज़ार) रुपया मार्जिन मनी जमा कराकर 15,00,000/- (पंद्रह लाख) रुपये का ऋण जिसमें 8,00,000/- (आठ लाख) रुपये मशीनरी भूमि आदि के लिए एवं 7,00,000/- (सात लाख) रुपये निर्माण एवं कच्चे माल हेतु स्वीकृत किया गया । स्वीकृत ऋण में प्रतिवादी संख्या-1 के निर्देशानुसार महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा प्रबन्धक स्थित 195-बी दादानगर कानपुर नगर ऑफिस 122/313 शास्त्री नगर कानपुर नगर के यहाँ से कोटेशन लाकर प्रस्तुत किया । परिवादी द्वारा दिये गए कोटेशन के अनुसार प्रतिवादी संख्या-1 द्वारा गलत भुगतान महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स को किये जाने एवं कोटेशन के अनुसार मशीनरी पूरी न प्रदान कर उनकी फिटिंग भी ना कराये जाने के कारण परिवादी द्वारा अपना परिवाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, वाद संख्या 48/2011 ज्ञानेन्द्र कुमार बनाम महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स आदि है । प्रतिवादी नंबर-1 द्वारा स्वीकृत ऋण 15,00,000/- रुपये में से 5,32,375/- रुपये का डाफ्ट महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स को, 10,75,000/- रुपया बिजली मीटर आदि क्रय किये जाने एवं दो लाख रुपया वर्किंग कैपिटल के रूप में प्रदान किया गया । परिवादी द्वारा स्वीकृत 15,00,000/- रुपया ऋण व मार्जिन मनी एक लाख चालीस हज़ार रुपया पर प्रतिवादी नंबर-3 द्वारा 4,16,000/- रुपया छूट प्रदान की गयी, यह छूट सीधे प्रतिवादी नंबर-1 के पास भेजी गयी । परिवादी का स्वीकृत ऋण 15,00,000/- रुपये में से दस लाख रुपया के लगभग प्रतिवादी नंबर-1 द्वारा महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स व परिवादी को प्रदान किया गया जिसमें से प्रतिवादी नंबर-3 द्वारा प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 4,16,000/- रुपया की छूट प्रतिवादी नंबर-1 को ऋण स्वीकृत के एक माह बाद प्राप्त हो गयी जिसे यदि प्रतिवादी नंबर-1 ने अपने खाते में जमा किया तो नियमानुसार उसका ब्याज भी देय होता है, यदि परिवादी के ऋण खाते में तुरंत छूट की राशि जमा कर दी तो ब्याज देय नहीं है । परिवादी द्वारा प्रतिवादी नंबर-1 से लिए गए 10,00,000/- रुपया के लगभग छूट की राशि 4,16,000/- रुपया प्रतिवादी नंबर-1 को प्राप्त होने के उपरान्त 6,00,000/- (छै लाख) रुपया ऋण शेष बचता है, परिवादी ने न्यायालय के समक्ष 5,32,375/- रुपया का ड्राफ्ट महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स को प्रतिवादी नंबर-1 द्वारा प्रदान किये जाने और उसकी पूरी मशीनरी महेन्द्रा इंजीनियरिंग द्वारा परिवादी को ना प्रदान किये जाने माननीय न्यायालय के समक्ष परिवाद 48/2011 प्रस्तुत किया गया तथा दिनांक 10.10.2013 को आदेश पारित कर दिया गया । न्यायालय द्वारा पारित आदेश का परिपालन न करते हुये प्रतिवादी नम्बर-1 द्वारा वाद संख्या-48/2011 के निस्तारण के पूर्व ही परिवादी के विरुद्ध 7,66,223/- रुपया व अन्य की आर0सी0 जारी कर दी गयी । परिवादी को हैरान व परेशान करने की दृष्टि से आर0सी0 जारी की गयी है, परिवादी न्यायालय के समक्ष परिवादी के विरुद्ध जारी आर0सी0 मु0 7,66,223/- रुपया रोके जाने हेतु अपना वाद प्रस्तुत कर रहा है । प्रतिवादी नम्बर-1 द्वारा माननीय न्यायालय के आदेश के उपरान्त भी किस आधार पर आर0सी0 जारी कर दी गयी, यह सेवा में भारी कमी है । परिवादी का परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाये ।
परिवादी के परिवाद पत्र के उत्तर में विपक्षी संख्या-1 शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा डीघ, जनपद कानपुर देहात व विपक्षी संख्या-2 क्षेत्रीय प्रबन्धक महोदय बैंक ऑफ बड़ौदा, गुमटी नं0-3 कौशलपुरी, कानपुर नगर द्वारा संयुक्त रूप से आपत्ति/ जवाबदेही दाखिल की गयी । विपक्षीगण द्वारा दाखिल जवाबदेही की धारा-1 के अनुसार परिवाद पत्र की धारा-1 के कथन मनगढ़ंत, औपचारिक व असत्य कहानी पर आधारित होने के कारण उत्तरदाता बैंक को स्वीकार नहीं है तथा धारा-2 के कथन को सिद्ध करने का भार स्वयं परिवादी पर है व परिवाद पत्र की धारा-3 के कथन अभिलेख से संबन्धित होने के कारण इसके उत्तर की आवश्यकता नहीं है । जवाबदेही की धारा-4 के अनुसार परिवादी को सत्यम फ्लोर मिल के नाम से व्यवसाय करने हेतु उत्तरदाता बैंक की डीघ शाखा द्वारा रूपये 8 लाख टर्म लोन तथा रूपये 7 लाख का कैश क्रेडिट लोन कुल 15 लाख का ऋण स्वीकृत किया गया । मार्जिन मनी के रूप में 10% की राशि परिवादी को लगानी थी, इसके विपरीत किये गये समस्त कथन असत्य व गलत हैं । जवाबदेही की धारा-5 के अनुसार परिवाद पत्र की धारा-5 के कथन जिस प्रकार अभिकथित किये गये हैं स्वीकार नहीं हैं, परिवादी द्वारा अपनी इच्छानुसार महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स से कोटेशन दिनांक 30.03.2009 को प्राप्त किया गया था जो कि ऋण स्वीकृत होने के पूर्व परिवादी ने लाकर उत्तरदाता बैंक में प्रस्तुत किया, इससे उत्तरदाता बैंक का कोई लेना देना नहीं था क्योंकि मशीनरी लगाने का समस्त कार्य परिवादी स्वयं के विवेक व इच्छा पर निर्भर था, परिवादी द्वारा यह अभिकथित करना कि वह उत्तरदाता बैंक के निर्देशानुसार परिवादी उपरोक्त फर्म से कोटेशन लेने गया, पूर्णतया गलत एवं असत्य है । परिवाद पत्र की धारा-6 के कथन जिस प्रकार अभिकथित किये गये हैं सरासर गलत व असत्य है, स्वीकार नहीं है, मशीनरी का कोटेशन लाना, मशीनरी व उसके पार्ट्स का लाना व मशीन का लगवाना व उसके द्वारा उत्पादन कार्य करना इस सम्बन्ध में समस्त दायित्व परिवादी स्वयं का है यदि किसी प्रकार की मशीनरी में कमी पायी जाती है तो उसकी समस्त देनदारी मशीन आपूर्ति करने वाली फर्म का है, न कि उत्तरदाता बैंक का । परिवाद संख्या 48/2011 ज्ञानेन्द्र कुमार बनाम महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स में माननीय फोरम द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 10.10.2013 से यदि परिवादी असंतुष्ट था तो वह राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ में अपील प्रस्तुत कर सकता था । परिवाद पत्र की धारा-7 के कथन जिस प्रकार अभिकथित किये गये हैं, अभिलेख का प्रश्न हैं । विपक्षी संख्या-3 द्वारा उत्तरदाता बैंक द्वारा प्रदत्त ऋण के सम्बन्ध में सब्सिडी रुपये 4,16,675/- रुपये की उत्तरदाता बैंक को भेजी गयी थी । सरकार द्वारा प्रधानमन्त्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत नये यूनिट लगाने हेतु सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान है, इस शर्त के साथ कि उक्त योजना के अन्तर्गत वित्त पोषित इकाइयों के 03 वर्ष सफलता पूर्वक इकाई का उत्पादन कार्य चलने के उपरान्त सब्सिडी समायोजन के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही की जायेगी तदनुसार सब्सिडी पर कोई भी ब्याज देय नहीं होता है । परिवाद संख्या 48/2011 ज्ञानेन्द्र कुमार बनाम महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स में जब माननीय फोरम द्वारा दिनांक 10.10.2013 को निर्णय पारित कर दिया गया है तो परिवादी द्वारा उपरोक्त परिवाद के तथ्यों के सम्बन्ध में पुनः परिवाद प्रस्तुत करने का कतई विधिक अधिकार प्राप्त नहीं है । उत्तरदाता बैंक द्वारा माननीय फोरम के निर्णय की कोई अवहेलना नहीं की है बल्कि फोरम के निर्णय दिनांक 10.10.2013 से द्रवित होकर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ में अपील संख्या 2745/ 2013 शाखा प्रबन्धक बैंक ओड़ बड़ौदा व अन्य बनाम ज्ञानेन्द्र कुमार आदि प्रस्तुत कर दी है, इस प्रकार मान0 फोरम द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 10.10.2013 Subjudice है । परिवाद पत्र की धारा-13 व 14 के कथन गलत व असत्य है, परिवादी उत्तरदाता बैंक द्वारा प्रदान किये गये ऋण की वसूली हेतु आर0सी0 दिनांक 25.07.2013 को जारी की जा चुकी है, निर्णय दिनांक 10.10.2013 में उत्तरदाता बैंक द्वारा प्रदान किये गये ऋण के भुगतान करने से परिवादी को कदापि नहीं रोका गया है । उत्तरदाता बैंक द्वारा जारी आर0सी0 उत्तर प्रदेश कृषि अधिनियम की धारा-11 के अन्तर्गत जारी की गयी है माननीय फोरम को बैंक द्वारा जारी आर0सी0 रोकने का अधिकार प्राप्त नहीं है । परिवादी, उत्तरदाता बैंक द्वारा प्रदान किये गये ऋण का भुगतान करने का कतई इच्छुक नहीं है वरन लोक धन का दुरुपयोग करने में आमादा है । परिवादी अपने परिवाद को स्वयं में सिद्ध करने में सफल नहीं हो सका बल्कि परिवादी द्वारा स्वयं फोरम के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया । परिवादी मांगे गये किसी भी उपशम को पाने का अधिकारी नहीं है, परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है । जवाबदेही के अतिरिक्त कथन में मुख्यता यह कथन किया गया है कि परिवादी की उत्तरदाता बैंक द्वारा प्रदत्त ऋण के भुगतान करने की कदापि मंशा नहीं है उसका मात्र उद्देश्य उत्तरदाता बैंक को परेशान कर लोक धन की वसूली करने में अवरोध उत्पन्न करने का है । परिवादी ने स्वच्छ हाथों से फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है, परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है ।
परिवादी के परिवाद पत्र के उत्तर में विपक्षी संख्या-3 महाप्रबन्धक जिला उद्योग केन्द्र, रनियाँ, कानपुर देहात व विपक्षी संख्या-4 श्रीमान जिलाधिकारी महोदय, कानपुर देहात द्वारा संयुक्त रूप से जवाबदेही सशपथ पत्र दाखिल की गयी । विपक्षीगण द्वारा दाखिल जवाबदेही की धारा-1 के अनुसार परिवाद पत्र की धारा-1 का कथन उत्तरदाता से संबन्धित नहीं है, परिवाद पत्र की धारा-2 के कथन में निवास सम्बन्धी तथ्य स्वीकार किया है, शेष कथन स्वीकार नहीं है । विपक्षीगण संख्या-3 व 4 की जवाबदेही के पैरा-3 में परिवाद पत्र की धारा-3 व 4 के कथन में परिवादी द्वारा ऋण हेतु आवेदन किया जाना स्वीकार है, परिवादी द्वारा प्रधानमन्त्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2008-09 में फ्लोर मिल के लिए ऋण हेतु आवेदन पत्र कार्यालय जिला उद्योग केन्द्र, रनियाँ में प्रस्तुत किया था जिस पर शासन द्वारा निर्धारित टास्कफोर्स कमेटी द्वारा चयनोपरांत परिवादी के आवेदन पत्र को जिला उद्योग केन्द्र कानपुर देहात ने 25,00,000/- (पच्चीस लाख) के ऋण स्वीकृति हेतु परिवादी के आवेदन को बैंक ऑफ बड़ौदा डीघ को संस्तुति सहित अगसरित किया था । । विपक्षीगण संख्या-3 व 4 द्वारा दाखिल जवाबदेही की धारा-4 के अनुसार परिवाद पत्र की धारा-5 का कथन विपक्षी संख्या-1 से संबन्धित नहीं है, धारा-6 व 7 का कथन विपक्षी संख्या-1 से संबन्धित है । जवाबदेही की धारा-7 में यह कथन किया है कि परिवाद पत्र कि धारा-9 का कथन जिस तरह तहरीर है, स्वीकार नहीं है, उल्लेखनीय है कि परिवादी को नियमानुसार मार्जिन मनी/ सब्सिडी प्राप्त करने हेतु अपने क्लेम प्रतिवादी नम्बर-1 के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिये था, जिसे प्रतिवादी नम्बर-1 को अपने नोडल बैंक को प्रेषित करना चाहिये था तथा प्रतिवादी के कथित क्लेम पर कथित मार्जिन मनी/ सब्सिडी की धनराशि प्राप्त करनी चाहिये थी । जवाबदेही की धारा-8 में यह उल्लिखित किया गया है कि, परिवाद पत्र की धारा-9 के कथन में प्रतिवादी का यह कथन सही नहीं है कि उत्तरदाता/ विपक्षी संख्या-3 ने विपक्षी संख्या-1 को प्रधानमन्त्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत 4,16,000/- रुपये की छूट स्वीकृत की, शेष कथन विपक्षी संख्या-1 से संबन्धित है । प्रतिवादी के क्लेम पर विपक्षी संख्या-1 नोडल बैंक ने बैंक ऑफ बड़ौदा डीघ को सब्सिडी दे दी है परन्तु परिवादी द्वारा बैंक की शर्तों का पालन न करने के कारण बैंक ऑफ बड़ौदा डीघ ने परिवादी की सब्सिडी नहीं दी है, इस विवाद से उत्तरदाता के विभाग का सम्बन्ध नहीं है बल्कि परिवादी एवं बैंक ऑफ बड़ौदा, डीघ के बीच का विवाद है । विपक्षीगण संख्या-3 व 4 द्वारा दाखिल जवाबदेही की धारा-9 लगायत 13 के अनुसार परिवाद पत्र की धारा-10 लगायत 18 का कथन प्रतिवादी संख्या-1 से संबन्धित है तथा परिवाद पत्र की धारा-19 का कथन विपक्षी संख्या-1 व 2 से संबन्धित है । परिवादी का परिवाद, प्रतिवादी संख्या-3 व 4 के विरुद्ध निरस्त किये जाने योग्य है ।
परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा दाखिल की गयी जवाबदेही के विरुद्ध जवाबुल जवाब कागज संख्या-58/1 लगायत 58/5 मय शपथपत्र कागज संख्या-59/1 व 59/2 दाखिल किया है ।
परिवादी ने वाद-पत्र के समर्थन में दस्तावेजों की सूंची कागज संख्या-6/1 द्वारा आर0सी0 मु0 7,66,223/- रुपये की छायाप्रति कागज संख्या-6/2 व महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा जारी टैक्स इनवॉइस कागज संख्या-6/3 साक्ष्य में दाखिल किया है ।
विपक्षी संख्या-1 शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा डीघ ने जवाबदेही के समर्थन में दस्तावेजों की सूंची कागज संख्या-17 से महाप्रबन्धक जिला उद्योग केन्द्र कानपुर देहात द्वारा शाखा प्रबन्धक, बैंक ऑफ बड़ौदा को प्रेषित पत्र दिनांकित 18.05.2013, 09.10.2013 व 17.12.2013 की छायाप्रतियां कागज संख्या-18, 19 व 20 साक्ष्य में दाखिल की है । इसके साथ ही विपक्षी बैंक ऑफ बड़ौदा ने दस्तावेजों की सूंची कागज संख्या-79 से परिवादी ज्ञानेन्द्र कुमार द्वारा भरे गये आवेदन पत्र की छायाप्रति कागज संख्या-80/1 व 80/2, नोटरी प्रपत्र की छायाप्रति कागज संख्या-80/3 व 80/4, बैंक ऑफ बड़ौदा कृषि ऋण फार्म की छायाप्रति कागज संख्या-80/5, प्रपत्र महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स की छायाप्रति कागज संख्या-80/6 व 80/7, टैक्स इनवायस नेशनल मशीनरी स्टोर की छायाप्रति कागज संख्या-80/8 व 80/9, परिवादी ज्ञानेन्द्र कुमार द्वारा बॅक ऑफ बड़ौदा को प्रेषित पत्र दिनांक 09.11.2009 की छायाप्रति कागज संख्या-80/10, माननीय राज्य आयोग में दायर अपील सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति कागज संख्या-80/11, FORM-F की छायाप्रति कागज संख्या-80/12, Statement of Account की छायाप्रति कागज संख्या-80/13 लगायत 80/25 साक्ष्य में दाखिल की है ।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र में वर्णित कथनों के समर्थन में स्वयं परिवादी ज्ञानेन्द्र कुमार का साक्ष्य शपथपत्र कागज संख्या-66/1 लगायत 66/4 दाखिल किया गया है ।
विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से श्री गौरव सिंह पुत्र राजेंद्र कुमार, शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा डीग, कानपुर देहात का साक्ष्य प्रतिशपथपत्र कागज संख्या-78/1 लगायत 78/6 दाखिल किया गया है ।
परिवादी एवं विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से लिखित बहस पत्रावली पर दाखिल की गयी ।
उभयपक्षों की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध उभयपक्षों के अभिवचनों एवं साक्ष्य तथा उनकी लिखित बहस का परिशीलन किया ।
पत्रावली के परिशीलन से विदित है कि परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद प्रतिवादी संख्या-1 शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा डीघ, जनपद कानपुर देहात को प्राप्त छूट की धनराशि 4,16,000/- रूपये पर प्राप्ति की दिनांक से परिवादी के ऋण खाते में जमा की दिनांक तक 18 प्रतिशत ब्याज परिवादी को दिलाये जाने एवं विपक्षी संख्या-1 द्वारा जारी आर0सी0 मु0 7,66,223/- रुपया को दौरान मुकदमा स्थगित किये जाने तथा इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांकित 10.10.2013 के अनुसार मशीनरी उपकरण लगाने की तिथि के उपरान्त भी मु0 4,25,000/- रुपया पर ब्याज परिवादी को देय होगा जबकि प्रतिवादी संख्या-1 द्वारा अभी तक पूरी मशीनरी प्रदान नहीं की गयी है इस कारण 4,25,000/- रुपया देय नहीं है व परिवादी के विरुद्ध जारी गलत आर0सी0 से हुयी मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति मय वाद व्यय प्रतिवादी संख्या-1 व 2 से दिलाये जाने के आशय से योजित किया गया ।
इस सम्बन्ध में परिवाद संख्या 48/2011 ज्ञानेन्द्र कुमार बनाम महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स व शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा डीघ, जनपद कानपुर देहात के विरुद्ध वाद पूर्व में परिवादी ज्ञानेन्द्र कुमार द्वारा ही संस्थित किया गया था जिसमें परिवादी ने प्रतिवादी संख्या-1 महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा दिये गये कोटेशन दिनांक 30.03.2019 में मशीनरी उपकरण आदि का मूल्य मु0 4,25,000/- रुपया व सारे उपकरण परिवादी को प्रदान किये जाने एवं प्रतिवादी संख्या-2 शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा डीघ, जनपद कानपुर देहात द्वारा 5,32,375/- रुपये का भुगतान जो महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स के कोटेशन के विपरीत दिया गया है, अधिक भुगतान की धनराशि प्रतिवादी संख्या-1 महेन्द्रा इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा प्रतिवादी संख्या-2 बैंक ऑफ बड़ौदा, शाखा डीघ, जनपद कानपुर देहात को वापस दिये जाने का आदेश दिये जाने की याचना की है ।
प्रस्तुत मामले में विपक्षी संख्या-1 व 2 बैंक ऑफ बड़ौदा का तर्क है कि परिवादी द्वारा परिवाद संख्या 48/2011 में पारित निर्णय दिनांकित 10.10.2013 को इस न्यायालय द्वारा निर्गत किये जाने के उपरान्त, परिवादी द्वारा उक्त परिवाद के तथ्यों के सम्बन्ध में पुनः परिवाद इसी न्यायालय में प्रस्तुत किये जाने का कोई विधिक आधार नहीं है । इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या-1 व 2 बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा परिवादी की रकम मु0 4,16,000/- रुपया दिनांक 30.03.2013 को ऋण खाते में समायोजित की जा चुकी है तथा विपक्षी बैंक द्वारा ऋण की वसूली हेतु आर0सी0 दिनांक 25.07.2013 को ही जारी की जा चुकी है । इन तथ्यों की पूर्ण जानकारी परिवादी को परिवाद संख्या-48/2011 में पारित निर्णय दिनांक 10.10.2013 के पूर्व ही हो चुकी थी ।
इसके अतिरिक्त विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क भी महत्वपूर्ण है कि परिवादी ने व्यवसाय हेतु विपक्षी बैंक से वित्तीय सहायता Cash Credit Limit व Term Loan 15,00,000/- रुपया प्रस्तावित स्थल पर उद्योग स्थापित करने हेतु प्राप्त किया था । इस प्रकार परिवादी ने व्यावसायिक उद्देश्य हेतु विपक्षी बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त की थी, इस कारण परिवादी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा-2(7) से बाधित होने के कारण व विपक्षी बैंक द्वारा ऋण की वसूली हेतु जारी आर0सी0 Uttar Pradesh Agricultural Credit Act की धारा-11 के अन्तर्गत दिनांक 25.07.2013 को जारी आर0सी0 को रोकने का कोई अधिकार नहीं रह जाता है । परिवादी द्वारा परिवाद संख्या- 48/2011 में पारित निर्णय दिनांक 10.10.2013 से क्षुब्ध होने की स्थिति में परिवादी को निर्णय दिनांक 10.10.2013 के विरुद्ध माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के समक्ष अपील प्रस्तुत करनी चाहिये थी, पुनः इसी प्रकरण में परिवाद प्रस्तुत करने का कोई औचित्य नहीं है ।
अतः इन परिस्थितियों में विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी का कोई मामला न पाते हुये परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है । परिवाद निरस्त होने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है । पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें ।
( सुश्री कुमकुम सिंह ) ( हरिश चन्द्र गौतम ) ( मुशीर अहमद अब्बासी )
म0 सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग
कानपुर देहात कानपुर देहात कानपुर देहात
प्रस्तुत निर्णय / आदेश हस्ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले कक्ष में उद्घोषित किया गया ।
( सुश्री कुमकुम सिंह ) ( हरिश चन्द्र गौतम ) ( मुशीर अहमद अब्बासी )
म0 सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग
कानपुर देहात कानपुर देहात कानपुर देहात
दिनांक:- 14.03.2023
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
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