जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:- श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
परिवाद सं0:-236/2013 परिवाद प्रस्तुति दिनांकः- 4.04.2013
बनवारी पुत्र गेन्दया मीणा, उम्र- 45 वर्ष, निवासी- जस्टाना, तहसील - बौंली, जिला- सवाई माधोपुर।
परिवादी
विरुद्ध
1. बैंक आफ बडौदा, शाखा पीपलदा, तहसील- बौंली, जिला- सवाई माधोपुर जरिये शाखा प्रबन्धक,
2. नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, मण्डलीय कार्यालय नं. 94 बी, हरि कृपा, जवाहर नगर, सवाई माधोपुर जरिये शाखा प्रबन्धक
विपक्षीगण
उपस्थिति:-
1. श्री हरि प्रसाद योगी प्रतिनिधि परिवादी
2. श्री राधामोहन शर्मा अधिवक्ता विपक्षी सं.1
3. श्री गोविन्द दीक्षित अधिवक्ता विपक्षी सं.2
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष) दिनांक:- 13 फरवरी, 2015
नि र्ण य
परिवादी ने यह परिवाद संक्षेप में इन कथनों के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने लघुकृषक द्वारा वर्ष 2006़ में विपक्षी संख्या 1 से कृषि प्रयोजनार्थ वास्ते ट््रेक्टर हेतु ब्याज पर ऋण लेकर एक ट््रेक्टर क्रय किया था। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या1 बैंक से लिये गये ऋण के अन्तर्गत निर्धारित शर्तो के अनुसार ट््रेक्टर का रजिस्ट््रेशन परिवादी एवं बैंक क संयुक्त नाम किया गया एवं बीमा की प्रिमीयम राशि एवं बीमा करवाने की जिम्मेदारी विपक्षी बैंक की थी। इसी के अन्तर्गत विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी ऋण लिये गये ट््रेक्टर का बीमा करवाया गया था। परिवादी द्वारा दिनांक 3.11.2006 को प्रातः 7 बजे सर्विस करवाने अपने वाहन का लेकर गंगापुर सिटी पहुंचा तो सर्विस सेन्टर खुला नहीं होने के कारण परिवादी उदेई मोड स्थित चाय की दुकान पर चाय पीने लगा। वहंा पर तीन अज्ञात व्यक्तियों ने ट््रेक्टर की ट््रोली सस्ती खरीदने का लालच देकर पास ही के गांव वजीरपुर परिवादी को ले गये। और वहंा ले जाकर परिवादी का ट््रेक्टर उससे छीन लिया। जिसकी रिपोर्ट दर्ज कराने परिवादी वजीरपुर थाना गया ता पुलिस वालों ने क्षे़त्राधिकार नहीं होना बताकर रिपोर्ट दर्ज करने से इन्कार कर दिया। उसके बाद परिवादी गंगापुर सिटी आया तो वहंा भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की। परिवादी के वाहन की चोरी की रिपोर्ट सम्बन्धित थाने द्वारा दर्ज नहीं करने पर दिनांक 6.11.2006 को जरिये इस्तगासा न्यायालय से इस्तगासा भिजवा कर दिनांक 5.12.06 को थाना गंगापुर सिटी में परिवादी की रिपोर्ट दर्ज की गई है। जिसकी सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी एवं बैंक के कार्यालय में उसी दिन दे दी गई थी। इसके उपरान्त विपक्षी संख्या 1 द्वारानियमानुसार विपक्षी संख्या 2 बीमाकम्पनी के यहंा क्लेम प्रस्तुत किया गया जिसको बीमाकम्पनी ने दिनंाक 7.3.2008 को मात्र यह कहते हुये खारिज कर दिया कि चोरी की घटना की रिपोर्ट एक माह उपरान्त दर्ज हुई है। जबकि बीमाकम्पनी को स्पष्ट बता दिया गयाथा कि चोरी की रिपोर्ट जरिये इस्तगासा थाने पर दर्ज करवाइ गई। चोरी गया वाहन आज तक नहीं मिला और बीमा कम्पनी ने उसका बीमा क्लेम खारिज कर दिया जो बीमा कम्पनी का अनुचित व्यापार व्यवहारहै और बैंक द्वारा परिवादी से अवैध तरीके से राशि वसूलने पर आमाद हैै। जबकि परिवादी लघु किसान है। इस प्रकार बीमा कम्पनी ने सेवा दोष कारित किया है तथा परिवादी का परिवाद स्वीकार फरमाये जाने एवं अनुतोष दिलाये जाने का निवेदन किया है।
विपक्षी संक्ष्या 1 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर निवेदन किया है कि विपक्षी संख्या 1 वित्त पोषक बैंक द्वारा परिवादी को ट््रेक्टर क्रयकरने हेतु 3,50,000 रूपये का ऋण दियागया है। ऋण अन्तर्गत परिवादी द्वारा बैंक के पक्ष में दस्तावेज तहरीर व तकमीन किय गये। बैंक से ऋण अनुबन्ध अनुसार ट््रंैैैक्टर विपक्षी संख्या 1 के यहंा हाइथोपोकेट है। बैंक को परिवादी से दिनांक 23.7.13 तक बकाया ऋण राशि 4,25,206 रूपये लेना बकाया है उक्त दिनांक के बाद का ब्याज भी बकाया है। बैंक द्वारा बकाया ऋण राशि लेने के लिए रोड एक्ट के अन्तर्गत वसूली कार्यवाही न्यायालय उप जिला कलेक्टर बौंली के यहंा प्रस्तुत की गयी जो बैंक के पक्ष में डिग्री की गयी व बेंक माननीय उक्त न्यायालय के आदेशानुसार राशि प्राप्त करने काअधिकारी है। इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 ने कोई सेवा दोष कारित नहीं किया और उक्त परिवाद विपक्षी संख्या 1 के विरूद्व खारिज किये जाने का निवेदन किया।
विपक्षी संख्या 2 ने जवाब का परिवाद प्रस्तुत कर निवेदन किया है कि प्रस्तुत परिवाद पत्र में अंकित कथनों के आधार पर वाहन की चोरी की घटनादिनांक 3.11.2006 की तथा दिनांक 5.12.2006 की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाना अंकित किया गया है तथा परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 को फोन पर सूचना एवं उसी दिन बैंक द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचख्ना देना अंकित किया गया है। बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 7.3.08 का परिवादी का बीमा क्लेम दावा खारिज करना अंकित किया है जो माननीय मंच के समक्ष उक्त परिवाद पत्र दिनांक 4.3.2013 को प्रस्तुत किया गया है। जो कि टाईम बार्ड यानि की मियाद के बाहर पेश किया गया है। प्रकरण काफी पुराना हो चुका है । परिवादी से बीमा कम्पनी को बीमा पाॅलिसी की प्रति विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा भेजा गया पत्र दिनांक 7.3.2008 जिसके द्वारा परिवादी का क्लेम दावा खारिज किया गया है। इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लेम खारिज कर कोई सेवा दोष कारित नहीं किया है। अतः उक्त परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्व खारिज किये जाने का निवेदन किया।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में बैंक आॅफ बडौदा द्वारा मण्डल प्रबन्धक नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी को लिखे पत्र दिनांकित 12.8.12, बैंक आॅफ बडौदा द्वारा जारी पत्र दिनांकित 1.2.13, दिनांक 8.12.2010 का नोटिस, एफ.आई.आर. दिनांकित 3.11.06 की प्रति व एफ0आर0 दिनांकित 30.3.2007 व बिल टैक्टर की फोटो प्रति पेश की है।
विपक्षी संख्या 2 के अधिवक्ता की ओर से दिनांक 12.7.2013 को एक प्रारम्भिक आपत्ति का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है। जिसमें परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 ए के तहत मियाद बाहर बताया गया है। प्रतिनिधि परिवादी एवं विपक्षी संख्या 2 के अधिवक्ता को प्रार्थना पत्र पर सुना गया एवं पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। परिवादी ने अपने परिवाद के पैरा संख्या 6 में यह अभिवचन किया है कि उसने विपक्षी संख्या 1 बैंक द्वारा नियमानुसार विपक्षी संख्या 2 बीमा कम्पनी के पास क्लेम प्रस्तुत किया जिसको बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 7.3.08 को मात्र यह कहते हुये खारिज कर दिया कि चोरी की घटना की रिपोर्ट एक माह उपरान्त दर्ज हुई है।इस प्रकार यह पाया जाता है कि जब परिवादी स्वयं अपने परिवाद में यह कहकर आया है कि दिनांक 7.3.08 को उसका बीमा क्लेम कम्पनी द्वारा खारिज कर दिया गया था तो यह स्वयं सिद्व है कि परिवादी को वादकारण प्रथमतः दिनांक 7.3.08 को उत्पन्न हो गया था। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 ए में यह स्पष्ट है कि वादकारण उत्पन्न होने की दिनांक से दो वर्ष की अवधि में परिवाद दायर किया जावे। विद्वान अधिवक्ता विपक्षी संख्या 2 द्वारा हमारे समक्ष न्यायिक दृष्टान्त सिविल अपील संख्या 2067/2002 स्टेट बेंक आॅफ इंडिया बनाम मैसर्स बी एस एग्रीकल्चरल इण्डस्ट््रीज आदेश दिनांक 20.3.2009 की फोटो प्रति पेश की है। जिसका हमारे द्वारा ससम्मान अवलोकन किया गया। विद्वान अधिवक्ता विपक्षी संख्या 2 के तर्को को उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त से बल मिलता है। अतः परिवादी का परिवाद मियाद बाहर होने के कारण खारिज किया जाता है।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद मियाद बाहर होने के कारण खारिज किया जाता है। पक्षकारान परिवाद व्यय स्वयं अपना अपना वहन करेगे।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 13.02.2015 को खुले मंच में सुनाया गया।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा सदस्य अध्यक्ष