मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1910 सन 2012
अजय कुमार पुत्र स्व0 राम नरायन निवासी ग्राम मुहपोंछा पोस्ट काकूपुर, कानपुर नगर । .............अपीलार्थी
बनाम
बैंक आफ बड़ौदा ब्रांच शिवराजपुर कानपुर नगर, द्वारा ब्रांच मैनेजर श्री अनिल कुमार एवं अन्य। .................प्रत्यर्थीगण
एवं
अपील संख्या 1911 सन 2012
आनन्द स्वरूप पुत्र स्व0 राम नरायन निवासी ग्राम मुहपोंछा पोस्ट काकूपुर, कानपुर नगर । .............अपीलार्थी
बनाम
बैंक आफ बड़ौदा ब्रांच शिवराजपुर कानपुर नगर , द्वारा ब्रांच मैनेजर श्री अनिल कुमार एवं अन्य । .................प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता –श्री आलोक सिन्हा।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता- कोई नहीं ।
दिनांक: 16.7.2015
श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
विवेच्य वस्तु की समानता के कारण उभय अपीलें एक साथ निर्णीत की जा रहीं हैं।
अपील संख्या 1910 सन 2012 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या 345/10 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.11.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है जिसके द्वारा परिवादी का परिवाद उसकी अनुपस्थिति के कारण निरस्त कर दिया गया है।
अपील संख्या 1911 सन 2012 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या 344/10 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.11.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है जिसके द्वारा परिवाद, परिवादी की अनुपस्थिति के कारण निरस्त कर दिया गया है।
हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुन ली है । नोटिस के बावजूद प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
अभिलेख का अनुशीलन किया गया ।
अभिलेख के अनुशीलन से स्पष्ट है कि उभय परिवाद, नियत तिथि पर परिवादीगण की अनुपस्थिति के कारण निरस्त किए गए हैं। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि जिला फोरम की नियत तिथि पर परिवादी अजय कुमार का संजय गांधी हास्पिटल में इलाज चल रहा था जिसके कारण वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हो पाया। परिवादी आनन्द स्वरूप, अजय कुमार का भाई है और वह भी अपने भाई के इलाज में व्यस्थ था, इसी कारण दोनों परिवादीगण जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हो पाए। विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने कथन के समर्थन में इलाज के पर्चे भी दाखिल किए हैं, अत: हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जिला फोरम में परिवादीगण की नियत तिथि पर उपस्थिति न होने का पर्याप्त आधार है और ऐसी स्थिति में उभय परिवादों में पारित प्रश्नगत आदेश को निरस्त करते हुए परिवादीगण को साक्ष्य एवं सुनवाई का एक और अवसर प्रदान किया जाना न्याय के उद्देश्यों में सहायक होगा ।
परिणामत:, उपर्युक्त दोनों अपील स्वीकार किए जाने योग्य हैं।
आदेश
उपर्युक्त दोनों अपीलें स्वीकार करते हुए उभय संदर्भित परिवादों में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 11.11.2010 खण्डित करते हुए संबंधित जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि उक्त दोनों परिवादों को अपने पूर्व नम्बर पर अंकित करते हुए उभय पक्षों को साक्ष्य एवं सुनवाई का सम्यक अवसर देते हुए दोनों परिवादों का गुण-दोष के आधार पर यथा-शीघ्र निस्तारण सुनिश्चित करें।
उभय पक्ष इन अपीलों का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की एक प्रति संबंधितअपील संख्या 1911 सन 2012 की पत्रावली पर रखी जाए ।
निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (संजय कुमार)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)