राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-1205/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या 117/2012 में पारित आदेश दिनांक 30.03.2019 के विरूद्ध)
बांगड़ सीमेन्ट, (ए यूनिट आफ श्री सीमेन्ट्स लि0), 6बी, हन्साले बिल्डिंग, बाराखम्भा रोड, कनाट प्लेस, नई दिल्ली-110001, द्वारा मैनेजर ........................अपीलार्थी/विपक्षी सं01
बनाम
1. विद्या कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी, द्वारा मैनेजर मनोज कुमार पाण्डेय, सभा मिलक, जिला रामपुर, यू0पी0
2. स्नेहिल सीमेन्ट एजेन्सी, द्वारा प्रोपराइटर शैली गुप्ता, मिलक, जिला रामपुर, यू0पी0
..................प्रत्यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं02
एवं
अपील संख्या-570/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या 117/2012 में पारित आदेश दिनांक 30.03.2019 के विरूद्ध)
विद्या कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी सभा द्वारा मैनेजर मनोज कुमार पाण्डेय, पुत्र गंगा शंकर पाण्डेय विधा कुंवर चिल्ड्रन एकेडमी सभा मिलक, जिला रामपुर, यू0पी0
........................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. बांगड़ सीमेन्ट द्वारा जनरल मैनेजर बांगड़ सीमेन्ट 6- बी, छठा तल, हन्साले बिल्डिंग, 15, बारा खम्भा रोड, कनाट प्लेस, नई दिल्ली
2. मै0 स्नेहिल सीमेन्ट एजेन्सी द्वारा प्रोपराइटर शैली गुप्ता, पुत्र सुभाष गुप्ता, मै0 स्नेहिल सीमेन्ट एजेन्सी, मिलक रामपुर, यू0पी0 ..................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
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विपक्षी सं0 1 की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0 2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 27.02.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-117/2012 विधा कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी बनाम बागंड सीमेन्ट एवं मैसर्स स्नेहिल सीमेन्ट एजेन्सी में जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.03.2019 के विरूद्ध उपरोक्त अपील संख्या-1205/2019 बांगड़ सीमेन्ट बनाम विद्या कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी व एक अन्य परिवाद के विपक्षी संख्या-1 की ओर से एवं उपरोक्त अपील संख्या-570/2019 विद्या कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी बनाम बांगड़ सीमेन्ट व एक अन्य परिवाद के परिवादी की ओर से राज्य आयोग के समक्ष योजित की गयी है।
प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह पृथक व संयुक्त रूप से एक लाख रू0 व वाद व्यय व अधिवक्ता फीस के लिये 7 हजार कुल एक लाख सात हजार रू0 आज से 60 दिन के अन्दर बजरिये चैक परिवादी को अदा करें।
निर्धारित अवधि में निर्धारित धनराशि अदा न करने पर उक्त धनराशि पर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करना होगा।''
जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध विपक्षी संख्या-1 बांगड़ सीमेन्ट ने उपरोक्त अपील प्रस्तुत कर जिला
उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किये जाने
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का अनुरोध किया है, जबकि परिवादी ने उपरोक्त अपील प्रस्तुत कर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश संशोधित कर अनुतोष में बढ़ोत्तरी का अनुरोध किया है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा दिनांक 03.03.2011 को स्कूल के लेंटर हेतु विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्मित सीमेन्ट विपक्षी संख्या-2 से विभिन्न तिथियों में कुल 820 कट्टे सीमेन्ट नकद धनराशि 2,20,521/-रू0 अदा करके क्रय किया था। उक्त सीमेन्ट से कुशल कारीगर व राज-मिस्त्री की देखरेख में 11000 वर्गफिट लेंटर डलवाया गया, जिसमें सरिया, बजरी, बजरपुर की मात्रा भी मिलायी गयी। परिवादी का उक्त लेंटर में सीमेन्ट व अन्य सामग्री व लेबर खर्च मिलाकर 11,68,300/-रू0 खर्च हुआ।
परिवादी का कथन है कि कुछ दिन पश्चात् उपरोक्त सीमेन्ट से डाले गये लेंटर में 15-20 दरारें आ गयी तथा बरसात में उक्त लेंटर से पानी आफिस, क्लासरूम व टॉयलेट में आने लगा, जिसकी शिकायत परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 के अधिकारियों से की गयी, जिस पर विपक्षी संख्या-1 के टैक्नीकल एक्सपर्ट व विभोर गुप्ता सेल्स आफिसर द्वारा मौके पर आकर निरीक्षण किया गया तथा सीमेन्ट में कमी होना स्वीकार किया गया।
परिवादी का कथन है कि परिवादी के आरकीटेक्ट राजीव सक्सैना द्वारा लेंटर की जांच की गयी तो उन्होंने अवगत कराया कि प्रश्नगत सीमेन्ट निम्न क्वालिटी की थी। परिवादी द्वारा दिनांक 11.07.2012 को विपक्षीगण को नोटिस प्रेषित किया गया, परन्तु उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी संख्या-1 द्वारा जवाब दावा प्रस्तुत किया गया तथा मुख्य रूप से कथन किया गया कि बांगड़ सीमेन्ट का उत्पादन कुशल कारीगर व इंजीनियर
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की देखरेख में किया जाता है। परिवादी द्वारा झूठे व गलत तथ्यों के आधार पर परिवाद योजित किया गया, जो निरस्त होने योग्य है।
विपक्षी का कथन है कि परिवादी के आरकीटेक्ट राजीव सक्सैना द्वारा कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया कि लेंटर डलवाते समय सीमेन्ट, बजरी, बजरपुर व सरिये का सही मात्रा में प्रयोग किया गया था। यदि सही मात्रा में सीमेन्ट के साथ उपरोक्त सामग्री का प्रयोग किया गया होता तो लेंटर में दरार नहीं आती। यदि लेंटर डालने वाली इमारत का झूला सही प्रकार का नहीं होता तो भी दरारें आने की सम्भावना रहती है। यदि लेंटर डालने के बाद पानी नहीं भरा गया तब भी दरार आ सकती है। सीमेन्ट की मात्रा बहुत ज्यादा व अधिक गर्मी होने पर भी दरार आ सकती है।
विपक्षी का कथन है कि विपक्षी संख्या-2 द्वारा टैक्नीकल अधिकारी को फोन किये जाने पर श्री विभोर गुप्ता व अन्य अधिकारियों द्वारा स्थल पर पहुँच कर निरीक्षण किया गया तथा उन्होंने पाया कि प्रश्नगत सीमेन्ट में कोई कमी नहीं है। घटिया किस्म की बजरी व रेत जिसमें मिट्टी की मात्रा अधिक होने से सीमेन्ट कमजोर हो गया, जिससे लेंटर में दरारें आ गयी। यदि स्वयं परिवादी की लापरवाही से गलत क्वालिटी का रेत इस्तेमाल करने से छत में दरारें आयी हैं तो इसके लिए परिवादी स्वयं जिम्मेदार है। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
उपरोक्त दोनों अपीलों में परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा एवं विपक्षी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित हैं। विपक्षी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को दोनों अपीलों में सुना और प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादी का परिवाद इस आधार पर आंशिक रूप से आज्ञप्त किया है कि प्रश्नगत
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सीमेन्ट की क्वालिटी एवं गुणवत्ता उच्च स्तर की नहीं थी, जिसका आधार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह लिया गया है कि परिवादी की ओर से शपथ पत्र द्वारा इंजीनियर श्री राजीव सक्सैना का प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने इस तथ्य को प्रमाणित किया है कि उनकी देखरेख में निर्धारित मात्रा में सीमेन्ट, बजरी, सरिया, बजरफुट मिलाकर निर्माण किया गया तथा छत की ठीक प्रकार से ढलाई व तराई की गयी। इस कार्य के लिए कुशल मिस्त्री वशीर अहमद को नियुक्त किया गया था तथा डाली गयी छत में कोई त्रुटि नहीं हुई थी। इंजीनियर एवं मिस्त्री आदि के शपथ पत्र के आधार पर विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने सीमेन्ट की गुणवत्ता की कमी मानी। निष्कर्ष में यह भी उल्लेख आया है कि परिवादी के अनुसार विपक्षी के अधिकारी विभोर गुप्ता, सेल्स मैनेजर तथा अतुल, टैक्नीकल अधिकारी ने सीमेन्ट में कमी होना स्वीकार किया था। इन विपक्षी के अधिकारियों का कोई शपथ पत्र विपक्षी की ओर से नहीं दिया गया है, जबकि इंजीनियर राजीव सक्सैना ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि सीमेन्ट की गुणवत्ता उचित प्रकार की नहीं थी।
प्रश्नगत सीमेन्ट की गुणवत्ता के संबंध में जो निष्कर्ष दिया गया है वह मात्र ऐेसे इंजीनियर के शपथ पत्र पर दिया गया है, जिनके द्वारा स्वयं निर्माण कराया गया है। ऐसी दशा में सीमेन्ट की गुणवत्ता में कमी न होने पर उनके द्वारा किये गये निर्माण में ही प्रश्नचिन्ह लगेगा, इसलिए उनके द्वारा दिया गया शपथ पत्र विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उनका निष्कर्ष पक्षपातपूर्ण एवं अपने पक्ष को बचाते हुए सम्भव है। सीमेन्ट की गुणवत्ता के संबंध में विशेषज्ञ आख्या आवश्यक है। साधारण रूप से सीमेन्ट मोर्टार कम्प्रेसिव स्ट्रेन्थ टेस्ट से सीमेन्ट का परीक्षण किया जाता है, जो एक हाइड्रोलिक मशीन के माध्यम से होता है। बिना विशेषज्ञ आख्या के सीमेन्ट की गुणवत्ता का तकनीकी परीक्षण किये हुए मात्र देखकर इंजीनियर महोदय का यह कह देना
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विश्वसनीय नहीं है कि सीमेन्ट उचित गुणवत्ता की नहीं थी क्योंकि यदि निर्माण करते समय इंजीनियर महोदय द्वारा गुणवत्ता उचित नहीं पायी गयी तो उनको परिवादी को सूचना देनी थी की सीमेन्ट उचित गुणवत्ता की नहीं है। निश्चय ही निर्माण करते समय सीमेन्ट उचित गुणवत्ता की पाते हुए इंजीनियर महोदय द्वारा निर्माण को जारी रखा गया। अत: बिना समुचित विशेषज्ञ आख्या के यह मानना उचित नहीं है कि सीमेन्ट उचित गुणवत्ता की नहीं थी। इन परिस्थितियों में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिया गया निष्कर्ष उचित नहीं है। पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में प्रश्नगत सीमेन्ट को गुणवत्ता रहित मानना उचित नहीं है। ऐसी दशा में सीमेन्ट की गुणवत्ता के आधार पर विपक्षी से परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलवाया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इन तथ्यों को परीक्षित किये बिना मात्र इंजीनियर के शपथ पत्र के आधार पर निष्कर्ष दिया है, जिनका स्वयं का निष्कर्ष अपनी कुशलता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, इसलिए निष्कर्ष स्वतन्त्र नहीं माना जा सकता है। तदनुसार जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किये जाने योग्य है।
तदनुसार अपील संख्या-1205/2019 बांगड़ सीमेन्ट बनाम विद्या कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी व एक अन्य स्वीकार किये जाने योग्य है एवं प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किये जाने योग्य है और अपील संख्या-570/2019 विद्या कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी बनाम बांगड़ सीमेन्ट व एक अन्य, जो परिवादी द्वारा अनुतोष में बढ़ोत्तरी हेतु प्रस्तुत की गयी है, वह निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
उपरोक्त अपील संख्या-1205/2019 बांगड़ सीमेन्ट बनाम विद्या कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी व एक अन्य स्वीकार की जाती
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है तथा जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या-117/2012 विधा कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी बनाम बागंड सीमेन्ट एवं मैसर्स स्नेहिल सीमेन्ट एजेन्सी में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.03.2019 अपास्त किया जाता है।
उपरोक्त अपील संख्या-570/2019 विद्या कुंवर हैरीटेज चिल्ड्रन एकेडमी बनाम बांगड़ सीमेन्ट व एक अन्य निरस्त की जाती है।
अपील संख्या-1205/2019 में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को 01 माह में विधि के अनुसार वापस की जाए।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील संख्या-1205/2019 में एवं छायाप्रति अपील संख्या-570/2019 में रखी जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1