Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/1085

Unnao Shuklaganj Development Authority - Complainant(s)

Versus

Bandana Srivastav - Opp.Party(s)

Alok Ranjan

23 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/1085
( Date of Filing : 01 Jul 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Unnao Shuklaganj Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Bandana Srivastav
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Mar 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :- 1085/2005

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0-49/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17/05/2005 के विरूद्ध)

 Unnao Shuklaganj Development Authority, Unnao Through the Secretary

  •  
  •  

Vandana Srivastava, W/O Shri pradip kumar srivastava R/O H.No. 208/316, A.B. nagar Unnao City.

                                                                            ……………Respondent

समक्ष

  1. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री आलोक रंजन, एडवोकेट

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-कोई नहीं  

दिनांक:-23.03.2023   

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0 49/2004 वन्‍दना श्रीवास्‍तव बनाम उपाध्‍यक्ष/प्रभारी सचिव, उन्‍नाव शुक्‍लागंज विकास प्राधिकरण में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.05.2005 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  2.           संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादिनी ने दिनांक 20.05.2003 को भूखण्‍ड सं0 एल0/137/डी0 को विपक्षी द्वारा आवंटित किया गया था। परिवादिनी द्वारा भूखण्‍ड सं0 एल0/137/डी0 के स्‍थान पर कॉर्नर का भूखण्‍ड सं0 एल0/136/डी0 परिवर्तित किये जाने हेतु विपक्षी को प्रार्थना पत्र दिया गया,  जिस पर विपक्षी ने अवगत कराया कि भूखण्‍ड सं0 एल0/136/डी0 कार्नर का है इसलिए परिव‍र्तन शुल्‍क भूखण्‍ड का मूल्‍य का 15 प्रतिशत एवं भूखण्‍ड कार्नर का होने के कारण कार्नर शुल्‍क 10 प्रतिशत की दर से कार्नर शुल्‍क अलग से जमा करना होगा। परिवादिनी ने दिनांक 09.06.2003 को अतिरिक्‍त शुल्‍क जमा करना चाहा परंतु विपक्षी ने बाद में जमा करने हेतु मौखिक आश्‍वासन दिया परंतु न तो भूखण्‍ड का परिवर्तन ही किया गया और न ही परिवर्तन का अतिरिक्‍त शुल्‍क जमा कराया गया। परिवादिनी भूखण्‍ड सं0 एल0/137/डी0 के मूल्‍य का भुगतान की निर्धारित किश्‍तें जमा करती रही। दिनांक 29.08.2003 को बिना किसी उचित कारण के विपक्षी प्राधिकरण ने परिवादिनी के परिवर्तित भूखण्‍ड सं0 एल0/136/डी0 के दावे को खारिज कर दिया, जिस कारण यह परिवाद दाखिल किया गया।
  3.           अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया, जिसमें उन्‍होंने परिवाद ग्रस्‍त भूखण्‍ड प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को आवंटित किया गया था। यह भी स्‍वीकार किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने दिनांक 29.05.2003 को भूखण्‍ड परिवर्तन के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था, परंतु इस बात से इंकार किया गया कि भूखण्‍ड परिवर्तन के संबंध में परिवादिनी को स्‍वीकृति या सहमति कभी भी प्रदान नहीं की गयी थी। भूखण्‍ड परिवर्तन के संबंध मे परिवादिनी का प्रार्थना पत्र स्‍वीकार नहीं किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को आवंटित भूखण्‍ड हेतु विभिन्‍न तिथियों पर किश्‍तें जमा की गयी। परिवादिनी द्वारा परिवर्तित भूखण्‍ड के संबंध में शुल्‍क जमा करने की स्‍वीकृति परिवादिनी द्वारा कभी नहीं मांगी गयी न ही परिवादिनी को विपक्षी प्राधिकरण द्वारा ऐसी कोई स्‍वीकृति दी गयी। ऐसी परिस्थितियों मे भूखण्‍ड परिवर्तन संभव नहीं है। भूखण्‍ड परिवर्तिन की मांग आवंटन की शर्तों के विरूद्ध है। अत: परिवाद खारिज किये जाने योग्‍य है।
  4.           जिला उपभोक्‍ता मंच ने उभय पक्ष को सुनने के उपरान्‍त परिवाद को स्‍वीकार किया है।
  5.           अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिये गये हैं कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय तथ्‍य एवं साक्ष्‍य के विपरीत है, जिसे अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
  6.           अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख का अवलोकन किया गया। 
  7.           प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का इस मामले में दावेदारी यह है कि उन्‍होंने भूखण्‍ड सं0 एल0/137/डी0 के परिवर्तन कराये जाने हेतु आवेदन किया गया था तथा कॉर्नर का प्‍लॉट 136/डी0 शुल्‍क जमा करके आवंटन करने हेतु आवेदन किया, किन्‍तु उन्‍हें यह आवंटित नहीं किया गया। अपीलकर्ता के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा यह कथन किया गया कि आरंभ में उनका यह आवेदन अस्‍वीकार कर दिया गया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि एक बार एक प्‍लॉट आवंटित हो जाने के उपरान्‍त कार्नर का प्‍लॉट आवंटित किये जाने का उन्‍हें अधिकार किस प्रकार प्राप्‍त हुआ, यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। अपील के अभिलेख पर विकास प्राधिकरण द्वारा जारी पत्र दिनांकित 09.06.2003 की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की गयी है, जिसमें दिनांक 09.06.2003 को एक नया करार सचिव उन्‍नाव शुक्‍लागंज विकास प्राधिकारी की ओर से प्रस्‍तावित किया गया, जिसमें स्‍पष्‍ट रूप से कथन किया गया कि परिवर्तन शुल्‍क हेतु 15 प्रतिशत की दर एवं कॉर्नर होने के कारण 10 प्रतिशत कॉर्नर शुल्‍क जमा करना होगा। इस प्रकार एक नया करार का प्रस्‍ताव दिया। उस करार के नये करार के प्रस्‍ताव को मानने के‍ लिए नये करार के शर्तों को एवं उपबंधों का मानने के लिए करारकर्ता बाध्‍य है। इस संबंध में धारा 62 भारतीय संविदा अधिनियम 1872 यह प्रदान करती है कि किसी संविदाके पक्षकार यदि पुरानी संविदा के स्‍थान पर नयी शर्तों के अधीन एक नयी संविदा प्रतिस्‍थापित करते हैं तो पुरानी संविदा का अनुपालन आवश्‍यक नहीं है।
  8.       उपरोक्‍त प्रावधान के अनुसार परिवादी या तो पुराने करार पर बल दे सकता है अथवा धारा 137 (डी) को दिये जाने वाले नये करार पर परिवादी को यह अधिकार नहीं है कि वह नये करार पर पुरानी शर्तों को लागू करते हुए संविदा का अनुपालन पर बल दे एवं वह संविदा के करार के उन भागों को लेकर संविदा का अनुपालन करायें जो भिन्‍न-भिन्‍न संविदा में उसके हित के हैं। उसके पास यह विकल्‍प है कि पुराने करार अर्थात इस मामले में प्‍लॉट सं0 137 /डी0 को पूर्व की शर्तों के अनुसार लिए जाने हेतु विकास प्राधिकरण पर संविदा के अनुपालन हेतु दावेदारी कर सकता था, किन्‍तु एक नया करार का प्रस्‍ताव आ जाने के उपरान्‍त उसके पास पुराना करार अथवा नये करार मे से किसी एक को चुनने का विकल्‍प है। नये करार में पुरानी करार की शर्तों को अपने पक्ष की पुरानी शर्तों को मानते हुए करार को मानने के लिए दूसरे पक्ष को बाध्‍य नहीं कर सकता। अत: यह नहीं माना जा सकता है कि प्रत्‍यर्थी को प्‍लॉट सं0 137/डी0 पुरानी दर पर प्राप्‍त करने का अधिकार प्राप्‍त है। अत: प्रश्‍नगत निर्णय प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अनुतोष देते हुए अपास्‍त किया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी पुरानी दर एवं शर्तों के अनुसार 136/डी0 प्‍लॉट अथवा पत्र दिनांकित 09.06.2003 के अनुसार दर एवं समस्‍त शर्तों का पालन करते प्‍लॉट सं0 137 डी0 नये दर एवं नये शर्तों के अनुसार प्राप्‍त कर सकता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।
  9.       

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी पुरानी दर एवं शर्तों के अनुसार 136/डी0 प्‍लॉट अथवा पत्र दिनांकित 09.06.2003 के अनुसार दर एवं समस्‍त शर्तों को पालन करते हुए प्‍लॉट सं0 137/डी0 नये दर एवं नये शर्तों के अनुसार प्राप्‍त करेगा।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

(सुधा उपाध्‍याय)(विकास सक्‍सेना)सदस्‍य सदस्‍य

 

  • , आशु0 कोर्ट 3

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 

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