राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-40/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 554/2015 में पारित आदेश दिनांक 19.01.2016 के विरूद्ध)
1. Ansal Properties and Infrastructure Ltd., through its Asstt. Director,
YMCA Campus, 13 Rana Pratap Marg, Lucknow-226001.
2. Ansal Properties and Infrastructure Ltd., through its Director of
Mantainance, Shusant Golf City, Sultanpur Road, Shopping Square,
Sector-D, Lucknow-226030.
....................पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण
बनाम
1. Banarsi Singh S/o Late. Shri Fateh Bahadur Singh, E-706.
2. Nagendra Prasad Pandey S/o Late Shri Narayan Pandey, E-205.
3. Sunita Devi W/o Shri Baleshvar, E-705.
4. Dheeman Kuseri S/o M.N. Kuseri, E-204.
5. Shalu Shrivastava W/o Shri Himanshu Shrivastav, E-303.
6. Nirmala Singh W/o R.P. Singh, E-703.
7. Ram Niwas Singh S/o Shri Suresh Singh, E-803.
Both are resident of E-Block, Paradise Crystal, Shushant Golf City,
Lucknow-226030. ................प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उपस्थित : श्री अनुराग सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री ब्रज कुमार उपाध्याय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 24.08.2016
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान पुनरीक्षण याचिका धारा-17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-554/2015 बनारसी सिंह बनाम अन्सल प्रापर्टीज एंड इन्फ्रास्टक्चर लि0 व अन्य में पारित आदेश दिनांक 19.01.2016 के विरूद्ध
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उपरोक्त परिवाद के विपक्षीगण अन्सल प्रापर्टीज एंड इन्फ्रास्टक्चर लि0 व अन्य की ओर से प्रस्तुत की गयी है।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री अनुराग सिंह और प्रत्यर्थीगण की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री ब्रज कुमार उपाध्याय उपस्थित आए।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश का अवलोकन किया है।
पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा आक्षेपित आदेश दिनांक 19.01.2016 पुनरीक्षणकर्तागण को सुने बिना एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है और प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-13 (3-बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का अंतिम रूप से निस्तारण कर दिया गया है, जो विधि विरूद्ध है।
प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि पुनरीक्षणकर्तागण ने जिला फोरम के समक्ष आक्षेपित आदेश दिनांक 19.01.2016 के द्वारा पारित अंतरिम आदेश को निरस्त करने हेतु आपत्ति प्रस्तुत की है। अत: यह पुनरीक्षण याचिका ग्राह्य नहीं है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है। आक्षेपित आदेश दिनांक 19.01.2016 के द्वारा जिला फोरम ने प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-13 (3-बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए अन्तरिम आदेश पारित किया है। निर्विवाद रूप से इस प्रार्थना पत्र पर पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण को सुनवाई का अवसर जिला फोरम ने नहीं दिया है। जिला फोरम द्वारा प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-13 (3-बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 पर पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण को सुने बिना उक्त प्रार्थना पत्र का अंतिम निस्तारण किया जाना विधि विरूद्ध है। अत: वर्तमान पुनरीक्षण याचिका स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
वर्तमान पुनरीक्षण याचिका स्वीकार की जाती है और जिला फोरम को यह आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-13 (3-बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 पर आपत्ति एवं सुनवाई का अवसर पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण को देकर पुन: विधि के अनुसार प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-13 (3-बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 पर आदेश पारित करें। तब तक अन्तरिम आदेश दिनांक 19.01.2016 प्रभावी रहेगा।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष निश्चित तिथि 24.10.2016 को उपस्थित हों।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1