Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/256

Sahara India Financial Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Balgovind Sahu - Opp.Party(s)

P N Srivastava

20 Feb 2009

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/256
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Sahara India Financial Co. Ltd.
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

अपील संख्‍या-256/2006

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-33/2004 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28-12-2005 के विरूद्ध)

 

  1. Sahara India Financial Corporation Ltd. (SIFCL)1, Kapoorthala Complex, Aliganj, Lucknow.
  2. Raj Kumar Pathak, Branch Manager, Sahara India Financial Corporation Ltd., Gola Bazar, Distt. Gorakhpur.
  3. Sonu Singh(Agent)S/o Jai Prakash Singh R/o Vill-Deokali, Post Gopalpur, P.S.Gola, Distt. Gorakhpur.

                                                               अपीलार्थी/विपक्षीगण

                                                  बनाम्

Bal Govind Sahu, S/o Ram Sewak Sahu, R/o Hatwa Dubey Ka Purwa, P.S.Gola, Distt. Gorakhpur.                                    प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

1-   मा0 श्री चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव, पीठासीन सदस्‍य।

2-   मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

1-  अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – श्री ए0के0 श्रीवास्‍तव।

2-  प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित-   कोई नहीं।

दिनांक : 29-01-2015

मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

अपीलाथी ने प्रस्‍तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-33/2004 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28-12-2005 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें निम्‍न आदेश पारित किया गया –

'' वादी का वाद स्‍वीकार कर विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह वादी को रू0 5372/-,1000/-रू0 वाद व्‍यय के साथ दो माह के अंदर भुगतान करें, से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

 

संक्षेप में इस केस के तथ्‍य इस प्रकार है कि विपक्षी संख्‍या-1 राजकुमार पाठक विपक्षी संख्‍या-3 सहारा इण्डिया फाइनेंसियल कार्पोरेशन गोला बाजार शाखा के प्रबन्‍धक है। तथा विपक्षी संख्‍या-2 सोनू सिंह गोला

 

2

बाजार केएजेन्‍ट हैं। विपक्षी संख्‍या-1 व 2 ने विपक्षी संख्‍या-3के यहॉं खाता खोलने के लिए प्रेरित किया और यह बताया  कि 24 माह तक रू0 20/-प्रतिदिन जमा करने पर परिपक्‍वता तिथि पर रू0 12,633/-रू0  मिलेगा। उन लोगों के प्रेरित करने पर खाता संख्‍या-10479802716 खोला गया  जिसे बाद को 10479804716 किया गया।वादी बराबर रू0 20/- जमा करता रहा और उनका इन्‍दराज विपक्षी संख्‍या-2 सोनू सिंह पासबुक में बराबर करता रहा। विपक्षी संख्‍या-2 सोनू सिंह ने बाद में यह सूचित किया कि खाते में जमा करने के अवधि 30 माह कर दी गयी है। इसलिए 24 माह बीतने के बाद भी रू0 20/- प्रतिदिन वादी जमा करता रहा। विपक्षी संख्‍या-2 ने बदनियती से पासबुक में दिनांक 31-03-2003 तक का रू0 15,100/- का इन्‍दराज किया है जबकि इसके बाद भी रू0 20/- प्रतिदिन जमा किया गया था इसे पासबुक में नहीं दर्ज किया गया। वादी अपने जमा रूपये वापस पानेके लिए जब शाखा गोला में प्रार्थना पत्र दिया तो उसके बाद विपक्षी संख्‍या-1 राजकुमार पाठक ने यह बताया कि लखनऊ कार्यालय से यह रिपोर्ट आयी है कि उसके खाते से रूपला निकाला जा चुका है। वादी को उसका जमा रूपया प्राप्‍त नहीं हुआ है बाद में विपक्षी संख्‍या-1 राजकुमार पाठक ने यह कहा कि सानू का कमीशन बनने पर उसमें से काटकर भुगतान कर दिया जायेगा। वादी को काफी मानसिक कष्‍ट हुआ। आर्थिक क्षति हुई। इस आधार पर उसने 24 माह का परिपक्‍वता धनराशि रू0 12,633/- बाद में जमा किया गया 6 माह का रू0 3600/- उस पर 12 प्रतिशत ब्‍याज भाग दौड़ में किये गये व्‍यय रू0 1,000/- का खर्च, मानसिक पीड़ा के लिए रू0 5,000/- व वाद व्‍यय के लिए रू0 2,000/- कुल रू0 24,233/- विपक्षी से दिलाये जाने के लिए वाद प्रस्‍तुत किया है ।

विपक्षी संख्‍या-1 व 3 ने आपत्ति दाखिल करके  वादी द्वारा खाता खोला जाना स्‍वीकार किया। शिकायत प्रार्थना पत्र के अन्‍य कथन को स्‍वीकार नहीं किया। अतिरिक्‍त कथन यह किया कि वाद गलत एवं बेबुनियाद है। वादीद्वारा जो खाता जनवरी, 2000 में खोला उसकी योजना 24 माह की थी उसकी प्री मिच्‍योरिटी 15 माह थी। वादी अपने खाते का प्री मैच्‍योरिटी भुगतान ब्‍याज के साथ रू0 9,728/- पूर्ण संतुष्टि में दिनांक 09-05-2001 को प्राप्‍त कर लिया है। यह गणना तीस माह की नहींथी ऐसा कोई सूचना वादी का नहीं दी गयी थी। खाता संख्‍या-10479804716 अन्‍य व्‍यक्ति श्री गुलाब चन्‍द्र का खाता है इसका भुगतान दिनांक 22-05-2001 को किया जा चुका है। विपक्षी संख्‍या-2 सोनू अभिकर्ता थे। दिनांक 01-04-2003 से वह कार्य करना बंद कर दिया था उनके बहकावे में आकर कालबाधित वाद प्रस्‍तुत किया गया है। इसे खारित किया जाए।

 

3

 

विद्धान जिला मंच ने दोनों पक्षों को सुनकर उक्‍त निर्णय पारित किया है।

पीठ के समक्ष अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता उपस्थित आए। प्रतयर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।

हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों एवं विद्धान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी ने 24 माह की योजना के अन्‍तर्गत एक खाता दिनांक 07-01-2000 खोला था जिसका खाता संख्‍या-10479802716 था, जिसमें रू0 20/- प्रतिदिन जमा किया जाता था। परिवादी प्री मैच्‍योरिटी धनराशि रू0 9,585/- दिनांक 30-03-2001 तक पूर्ण संतुष्टि पर प्राप्‍त कर चुका है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी का यह कथन गलत है कि वह तीस माह तक पैसा जमा करता रहा। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने गलत तथ्‍यों के आधार पर विद्धान जिला मंच, गोरखपुर में वाद दायर किया। विद्धान जिला मंच ने भी तथ्‍यों और साक्ष्‍यों की अनदेखी करते हुए न्‍याय के सिद्धान्‍तों के विरूद्ध आदेश पारित किया था जिसे निरस्‍त कर अपील स्‍वीकार की जाए।

पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने अपने परिवाद पत्र में कहे गये कथनों को साबित करने के लिए ऐसा कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं किया है जिससे यह साबित हो सके कि उसे कोई धनराशि प्राप्‍त नहीं हुई है। विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा यह कहा गया कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने दिनांक 30-03-2001 को पूर्ण संतुष्टि में अपनी पूरी धनराशि मु0 9,728/-रू0 नियम के अनुसार अपने हस्‍ताक्षर से प्राप्‍त कर ली है। अपने तर्क के समर्थन में विपक्षी द्वारा कागज सं0-9 दाखिल किया गया है उस पर रसीदी टिकट पर बाल गोविन्‍द के हस्‍ताक्षर है। इस पर विश्‍वास न करने का कोई औचित्‍य भी नहीं है। परिवादी द्वारा यह कहना कि उसे कोई धनराशि प्राप्‍त नहीं हुई है इस तथ्‍य को स्‍वीकार नहीं किया जा सकता,

अत: अपीलार्थी के कथनों में बल पाया जाता है और यह स्‍पष्‍ट है कि 

परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने अपने द्वारा जमा सम्‍पूर्ण धनराशि प्री-मैच्‍योरिटी के नियमानुसार पूर्ण संतुष्टि के आधार पर अपने हस्‍ताक्षर से ही समस्‍त धनराशि प्राप्‍त कर ली थी। अत: अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य पायी जाती है।

                       

 

 

 

आदेश

अपील स्‍वीकार करते हुए विद्धान जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-33/2004 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28-12-2005 अपास्‍त किया जाता है।

उभयपक्ष अपना अपना अपीलीय व्‍ययभार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

 

 

( चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव )                   ( बाल कुमारी )

   पीठासीन सदस्‍य                              सदस्‍य

कोर्ट नं0-2

प्रदीप मिश्रा

 

 
 
[HON'ABLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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