(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :1493/2002
(जिला उपभोक्ता आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद संख्या-70/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-03-2002 के विरूद्ध)
U.P. State Electricity Board (New U.P. Power Corporation Limited), through its Executive Engineer, Electricity Distribution Division (Urban-II)] Saharanpur.
बनाम्
Balkunj Model School, Kanwan Nagar, Neer Utsav Palave, Saharanpur through its Manager, Shri Beni Ram Singhal.
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री इसार हुसैन।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 29-03-2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-70/1999 बालकुंज माडल स्कूल बनाम उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद में जिला उपभोक्ता आयोग, सहारनपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 07-03-2002 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है :-
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‘’ प्रार्थना पत्र आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि प्रार्थी द्वारा वाणिज्यिक दर पर मई, 1998 से जो राशि अधिक जमा की गयी है उस राशि को भविष्य में आने वाले बिलों में समायोजित किया जाये तथा इस निर्णय की तिथि के पश्चात परिवादी को केवल घरेलू दर पर विद्युत उपभोग के बिल भेजे जावे।
इस निर्णय की प्रति प्राप्ति के एक माह के अंदर विपक्षी वादी को 500/-रू0 की अदायगी करें। इस अवधि में अदायगी न होने पर इस राशि पर इस निर्णय की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्याज भी देय होगा।‘’
इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय अवैध, अनुचित एवं मनमाना है। विद्युत कनेक्शन श्री बवीना राम सिंघल के नाम है न कि किसी स्कूल के। इसलिए परिवादी छूट प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। शुल्क की राशि सुनिश्चित करने के लिए कोई विवाद उपभोक्ता न्यायालय द्वारा संघारणीय नहीं है। घरेलू दर के अनुसार विद्युत बिल जारी करने का आदेश विधि विरूद्ध है। परिवादी का स्कूल राज्य पोषित स्कूल नहीं है इसलिए एल0एम0वी0 4 बी टैरिफ के अन्तर्गत आता है और दिनांक 16-08-2001 से घरेलू विद्युत बिल नहीं वसूला जा सकता है।
केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी स्कूल को घरेलू दरों पर विद्युत आपूर्ति नहीं की जा सकती है उनके द्वारा अपने तर्क के समर्थन में (2000) 2 Supreme Court Cases 494, New Delhi Municipal Council Vs. Sohan Lal Sachdev (DEAD) प्रस्तुत की गयी जिसमें घरेलू तथा वाणिज्यिक विद्युत कनेक्शन को सुनिश्चित करने के लिए नियम बताये गये हैं। इस केस में गेस्ट हाऊस की विद्युत आपूर्ति को वाणिज्यिक आपूर्ति माना गया है इस निर्णय के आलोक में कहा जा सकता है कि विद्यालय में विद्युत आपूर्ति का शुल्क घरेलू शुल्क के रूप में नहीं वसूला जा सकता। अत: जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है और निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश निरस्त किया जाता है तथा परिवाद भी खारिज किया जाता है।
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अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
( राजेन्द्र सिंह ) ( सुशील कुमार )
सदस्य सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0
कोर्ट नं0-2