Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/327/2021

Anil Singh - Complainant(s)

Versus

BAJAJ finsarv - Opp.Party(s)

S.K.Pandey

07 Jun 2023

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/327/2021
( Date of Filing : 03 Nov 2021 )
 
1. Anil Singh
lucknow
lucknow
utter Prdesh
...........Complainant(s)
Versus
1. BAJAJ finsarv
lucknow
lucknow
utter predesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Jun 2023
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:- 327/2021                                              उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

          श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।             

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-03.11.2021

परिवाद के निर्णय की तारीख:-07.06.2023

अनिल कुमार यादव वयस्‍क, निवासी-554/319 जे, छोटा बरहा कैलाशपुरी, आलमबाग लखनऊ-226005 ।                             ...........परिवादी।

                            बनाम

Bajaj Finserv/RBL Bank 3rd Floor, Princeton Business Park, 16 Ashok Marg Near Jawahar Bhawan, Lucknow, Uttar Pradesh -226001.                                              ...........विपक्षी।                                                                      

परिवादी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री सन्‍दीप कुमार पाण्‍डेय।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री टी0एन0 मिश्रा।

आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                               निर्णय

1.      परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा 35 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत विपक्षी से मुबलिग 37539.00 रूपये खाते से निकाले गये तिथि से भुगतान की तिथि तक मय 24 प्रतिशत व्‍याज के साथ, दोषपूर्ण सेवाओं के कारण परिवादी को हुए आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के लिये मुबलिग 1,50,000.00 रूपये एवे वाद व्‍यय के रूप में मुबलिग 51,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.      संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने वर्ष 2017 में फिनिक्‍स मॉल आलमबाग लखनऊ से कुछ फर्नीचर आदि क्रय करने हेतु विपक्षी से 55000.00 रूपये का फाइनेन्‍स कराया और विपक्षी द्वारा 5533.00 रूपये की 10 किस्‍तें माह मार्च 2017 से दिसम्‍बर, 2017 तक निर्धारित की गयी थी। उक्‍त फाइनेंस होने के बाद परिवादी द्वारा नियमानुसार सभी किस्‍तें विपक्षी को अदा कर दी गयी, और विपक्षी द्वारा परिवादी को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया था।

3.      उक्‍त फाइनेन्‍स समाप्‍त होने के बाद विपक्षी द्वारा अनुचित तरीके से परिवादी के खाते से माह दिसम्‍बर 2020 में 6809.00 रूपये दिनॉंक 02.01.2021 को 6713.00 रूपये तथा माह जून 2021 में 16,000.00 रूपये और भी धनराशि की कटौती कर ली गयी जो कि 37,539.00 रूपये है। उक्‍त धनराशि की कटौती होने की जानकारी होने पर परिवादी ने विपक्षी से सम्‍पर्क किया और काटी गयी धनराशि को वापस करने का अनुरोध किया, किन्‍तु विपक्षी द्वारा अभी तक उक्‍त धनराशि वापस नहीं की गयी।

4.      परिवादी ने विपक्षी को एक पत्र दिनॉंक 29.06.2021 को रजिस्‍टर्ड डाक से तथा दिनॉंक 30.06.2021 को व्‍यक्तिगत रूप से प्राप्‍त कराया। विपक्षी की सेवा में कमी व अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया से दुखी होकर परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से एक विधिक नोटिस भी भिजवाया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी ने विपक्षी को ईमेल भी भेजा जिसके प्रतिउत्‍तर में विपक्षी द्वारा धनराशि लेना स्‍वीकार किया गया किन्‍तु आज तक परिवादी की काटी गयी धनराशि वापस नहीं की गयी।

5.      परिवाद का नोटिस विपक्षी को भेजा गया। विपक्षी ने अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया कि परिवादी का परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है, क्‍योंकि खाते से धनराशि कटने संबंधित प्रकरण का क्षेत्राधिकार इस फोरम को नहीं है। परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से आयोग के समक्ष नहीं आया है। परिवादी उपभोक्‍ता है और उन्‍होंने लोन लिया था। इसके संबंध में एक ई0एम0आई0 कार्ड जारी किया गया था जिसका इस्‍तेमाल उनके द्वारा किया गया था और फोन नम्‍बर-9794834061 था। परिवादी द्वारा कुल चार लोन लिये गये जिसका विवरण निम्‍न है-

Loan account No

Loan Amount Financed

EMI

Tenure

Product Type

Date of Disbursal

Loan account status

456RNGU259366

13545

6773

2 Months

Retail EMI Card

21.10.2020

closed

456ECFGY364979

75998

12667

6 Months

Online ECF

24.04.2021

Active

456ECFGZ891150

8990

2997

3 Months

Online ECF

28.05.2021

Active

456CDPGZ662716

39165

3196

12 Months

EMI Lite

23.05.2021

Active

ई0एम0आई0 कटौती का और ओ0टी0पी0 परिवादी के पास आता है।

6.      परिवादी ने मौखिक साक्ष्‍य में शपथ पत्र तथा दस्‍तोवजी साक्ष्‍य में पत्रों की छायाप्रति एवं विधिक नोटिस, बजाज फाइनेंस लिमिटेड का प्रपत्र आदि की छायाप्रति आदि दाखिल किया है। विपक्षी ने भी मौखिक साक्ष्‍य में शपथ पत्र आदि दाखिल किया है।

7.      मैंने परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।

8.      परिवादी का कथानक है कि परिवादी ने वर्ष 2017 में फिनिक्‍स मॉल आलमबाग लखनऊ से कुछ फर्नीचर आदि क्रय करने हेतु विपक्षी से 55000.00 रूपये का फाइनेन्‍स कराया और विपक्षी द्वारा 5533.00 रूपये की 10 किस्‍तें माह मार्च 2017 से दिसम्‍बर, 2017 तक निर्धारित की गयी थी। उक्‍त फाइनेंस होने के बाद परिवादी द्वारा नियमानुसार सभी किस्‍तें विपक्षी को अदा कर दी गयी, और विपक्षी द्वारा परिवादी को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया था। बादहू उक्‍त फाइनेन्‍स समाप्‍त होने के बाद विपक्षी द्वारा अनुचित तरीके से परिवादी के खाते से माह दिसम्‍बर 2020 में 6809.00 रूपये दिनॉंक 02.01.2021 को 6713.00 रूपये तथा माह जून 2021 में 16,000.00 रूपये और भी धनराशि की कटौती कर ली गयी जो कि 37,539.00 रूपये है।

9.      परिवादी के खाते से उक्‍त धनराशि काटे जाने पर परिवादी ने विपक्षी को पत्र भेजा गया और उन्‍होंने उक्‍त धनराशि वापस नहीं की, तो परिवादी ने विपक्षी को नोटिस भेजा।

10     विपक्षी द्वारा उपरोक्‍त तथ्‍यों को इनकार करते हुए कथन किया कि परिवादी ने विपक्षी से सामान क्रय किया था और वह उसका कस्‍टमर था और उनके द्वारा लोन का भुगतान भी किया गया तथा विपक्षी द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र भी दिया गया और बाद में उसके दूरभाष नम्‍बर-9794834061 जिस पर ओ0टी0पी0 जाता था का इस्‍तेमाल करते हुए खरीददारी की गयी। अर्थात यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि विपक्षी का परिवादी उपभोक्‍ता है। परिवादी द्वारा विपक्षी के यहॉं से फाइनेन्‍स कराया गया और उसका भुगतान भी किया गया तथा परिवादी को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी दिया गया।

11.     परिवाद पत्र को साबित करने का भार परिवादी पर है। परिवादी ने अपने कथानक की पुष्टि साक्ष्‍य द्वारा की है कि अनुचित तरीके से परिवादी के खाते से धनराशि काटी गयी है, जबकि भुगतान किये जाने के संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र विपक्षी द्वारा दिया गया है। परन्‍तु जो धनराशि परिवादी के परिवाद पत्र में लिखी गयी है वह अनुचित कटौती है, उसके भुगतान के संबंध में नोटिस भी दिया गया है।

12.      विपक्षी का कहना कि वह अनुचित नहीं है। विपक्षी का यह दायित्‍व था कि जो शपथ पत्र परिवादी द्वारा दिया गया है वह अनुचित कटौती से संबंधितहै। इस संबंध में कोई भी तथ्‍य स्‍पष्‍ट रूप से मौखिक साक्ष्‍य (शपथ पत्र) साक्ष्‍य का अगर कोई क्रास नहीं किया जाता है तो वह स्‍वीकृत समझा जायेगा। इस स्‍तर पर यह समझा जायेगा कि यह अनुचित रूप से कटौती है। परन्‍तु ONUS विपक्षी पर जाता है कि यह गलत ढंग से कटौती नहीं की गयी। परिवादी द्वारा Gurmeet Kaur Vs The Regional officer which is reported in III 1993 CPJ 1650 का संदर्भ दाखिल किया गया है, जिसमें यह कहा गया कि अगर परिवादी तथ्‍यों को छिपाता है तो परिवाद पत्र खारिज किया जायेगा। ठीक इसी प्रकार उन्‍होंने Rashpal Singh Bahia & Others Vs Surinder Kaur and Others 2008 (2) Civil Forum Cases 778 (P&H) का सन्‍दर्भ दाखिल किया गया जिसमें यह कहा गया कि परिवादी अगर स्‍वच्‍छ हाथों से आयोग के समक्ष नहीं आता है तो परिवाद पत्र खारिज किया जायेगा।

13.     यह तथ्‍य सही है कि अगर परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से नहीं आता है तो परिवाद पत्र निरस्‍त किया जायेगा। परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से आया है या नहीं यह प्रमाणित करने का दायित्‍व विपक्षी के ऊपर है कि परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से नहीं आया है। दूसरा तथ्‍य यह है कि परिवादी के मीमो से भी यह साबित है कि परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से नहीं आया है तो भी परिवादी को खारिज किया जा सकता है। परिवादी द्वारा जहॉं तक परिवाद पत्र के कथनानुसार कुल चार लोन के संबंध में तस्‍करा किया गया है और विपक्षी द्वारा अपने उत्‍तर पत्र में भी कुल चार लोन का तस्‍करा किया गया है।

14.     परिवादी द्वारा यह भी कहा गया कि प्रथम लोन में नो आब्‍जेक्‍शन प्रमाण पत्र मिला है। विपक्षी द्वारा भी अपने उत्‍तर पत्र में लिखा गया है कि उक्‍त लोन को बन्‍द कर दिया गया। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह भी कहा गया कि तीन अलग-अलग खातों से धनराशि काटी गयी है उसका भी तस्‍करा तीन किस्‍तों को काटे जाने का तस्‍करा विपक्षी द्वारा स्‍वीकृत किया गया है। अर्थात परिवाद पत्र के कथनानुसार कि परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से नहीं आया यह तथ्‍य सहीं नहीं है। अब विपक्षी को साबित करना पड़ेगा कि परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से नहीं आया है।

15.     परिवादी का यह कथानक कि विपक्षी द्वारा अनुचित तरीके से धनराशि काटी गयी है, इसका अभिप्राय यह है कि उसके द्वारा वापस नहीं की गयी है। इस तथ्‍य पर चॅूंकि परिवादी से कोई जिरह नहीं की गयी है तो यह तथ्‍य स्‍वीकृत है। अत: अनुचित ढंग से कटौती किया जाना यह तथ्‍य परिवादी ने साबित किया है।

16.     विपक्षी यह साबित करे कि यह उचित कटौती है। विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि जो कम्‍पनी द्वारा कार्ड जारी किया गया था जिसमें दूरभाष नम्‍बर  9794834061 पर ओ0टी0पी0 जाता था और परिवादी द्वारा उसको कैश कराया जाता था और कैश कराकर बैंक के द्वारा सामान क्रय किया जाता था, जो कि दिसम्‍बर 2020 माह जून 2021 में की गयी ।

17.     परिवादी द्वारा विपक्षी को विधिक नोटिस दिनॉंक-30.07.2021 को दिया गया जो श्री राजकुमार यादव के माध्‍यम से भिजवाया था जिसमें उक्‍त परिवाद पत्र का कथानक अवैधानिक कटौती के संबंध में नोटिस दिया गया है। 18. विपक्षी की ओर से  Ram Deshlahara Vs. Magma Leasing Ltd. reported in III (2006) CPJ 247 (NC) and Ashok Leyland Finance Limited Vs. Himanshu s.Thumar, reported in II (2005) CPJ 491 मैने मा0 न्‍यायालय की उक्‍त विधि व्‍यवस्‍था का ससम्‍मान पूर्वक अवलोकन किया।  यह तथ्‍य सही है कि एकाउन्‍ट से संबंधित प्रकरण का क्षेत्राधिकार इस आयोग को नहीं होगा। उक्‍त विधि व्‍यवस्‍था के तथ्‍य मामले के तथ्‍य एवं परिस्थितियिों से भिन्‍न होने के कारण लागू नहीं है।

19.     परिवादी अधिवक्‍ता द्वारा तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि जिस दौरान का यह लोन है जो तीन अनैतिक ढंग से काटा गया है उस दौरान वह उस दूरभाष नम्‍बर का इस्‍तेमाल नहीं करता था, और उसका स्‍थानान्‍तरण दिल्‍ली हो गया था, और उसके स्‍थानान्‍तरण के बाद उक्‍त फोन किसी दूसरे व्‍यक्ति को दिया गया था। अत: परिवादी जब उस फोन का इस्‍तेमाल ही नहीं करता था तो विपक्षी का कथन कि उस नम्‍बर पर ओ0टी0पी0 आता था और सामान क्रय किया गया तथा उनको लोन संबंधित बैंक द्वारा प्रदत्‍त कराया गया है। विपक्षी का यह कर्तव्‍य था कि लोन देते समय किसके नाम की रसीद काटी गयी, यह जानकारी कर लेता।

20.     परिवादी द्वारा तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि नो आब्‍जेक्‍शन सर्टिफिकेट दे दिया गया तो दोबारा लोन का कोई विवाद ही नहीं है। विपक्षी द्वारा यह भी कहा गया कि स्‍थानान्‍तरण हो जाने के बाद परिवादी अपने साथी मित्र से मिलकर षडयन्‍त्र करके दुरूपयोग किया है।

21.     विपक्षी द्वारा जिस बैंक से लोन प्रदत्‍त कराया जाता था उस बैंक के मैनेजर को भी न्‍यायालय के समक्ष उपस्थित कराया गया और उन लोगों को सुना गया। उन दोनों व्‍यक्तियों से तीन ट्रांजेक्‍शन के संबंध में जो भी दस्‍तावेज थे वह मॉंगे गये। सम्‍पूर्ण दस्‍तावेज आयोग के समक्ष उपस्थित करें। तो विपक्षी द्वारा कहा गया कि हम दस्‍तावेज दाखिल कर देंगे। बादहू आयोग में यह अवगत कराया गया कि मेरे पास कोई दस्‍तावेज नहीं हैं। बैंक के संबंधित मैनेजर द्वारा यह अवगत कराया गया कि इसमें चॅूंकि मेरा काम लोन प्रदत्‍त कराना था। विपक्षी ट्रान्‍समेट करता था और मैं उन लोगों को दे देता था।

22.     यहॉं जिम्‍मेदारी बजाज फाइनेन्‍स की थी कि कोई भी व्‍यक्ति जब उसका कार्ड होल्‍डर है और सामान क्रय कर रहा है तो कैश मीमो उसके नाम का था, कैसे पता कि उसको दिया गया और कार्ड होल्‍डर के नाम से कैश मीमो था या नहीं यह सभी तथ्‍यों को वेरीफाइ करके बैंक को ट्रांसमेट करना चाहिए था कि जो इनका कार्ड बजाज फाइनेन्‍स ने दिया है वह सही व्‍यक्ति साबित करे। परन्‍तु इनके द्वारा नहीं किया गया और जब यह पूर्ण रूप से संतुष्‍ट होते कि कार्ड होल्‍डर द्वारा ही यह सामान क्रय किया गया है तभी उसे वह बैंक को प्रेषित करते। बैंक का दायित्‍व था कि पैसा स्‍थानान्‍तरित कर रहे है तो समस्‍त प्रपत्रों की जॉच करते कि कार्ड होल्‍डर के नाम ओ0टी0पी0 सही स्‍थान पर जा रहा है अथवा नहीं तथा कार्ड होल्‍डर ने सामान क्रय किया की नहीं वे सारे प्रपत्र वेरीफाइ करना चाहिए था, परन्‍तु विपक्षी द्वारा एक तकनीकी तरीके से पैसे का भुगतान किया गया।

23.     कार्यालय नार्दन रेलवे के आदेश डिवीजनल रेलवे मैनेजर के आदेश दिनॉंकित 04.04.2018 के अवलोकन से विदित है कि अनिल कुमार यादव का स्‍थानान्‍तरण दिल्‍ली में सीनियर विजिलेन्‍स इन्‍सपेक्‍टर/टैरिफ के रूप में कर दिया गया है और दिनॉंक 05.04.2018 को पूर्वान्‍ह को प्रधान कार्यालय बड़ौदा हाउस नई देहली में ज्‍वाईन कर लिया है। नई दिल्‍ली द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र से परिलक्षित होता है कि उन्‍होंने ज्‍वाईन कर लिया है, और दिनॉंक 14.01.2021 को इनके द्वारा बड़ौदा हाउस नई दिल्‍ली को पत्र भी भेजा गया है कि लखनऊ में इनको विजिलेन्‍स ब्रान्‍च में लखनऊ कैडर डिवीजन में स्‍थानान्‍तरित कर दिया जाए, अर्थात वह पत्र 14.11.2021 का है। अर्थात 06.03.2018 से लेकर 14.01.2021 तक दिल्‍ली में तैनात रहे हैं, और उत्‍तर पत्र के अनुसार 21 की दिखायी गयी है।

24.     परिवादी द्वारा मोबाइल नम्‍बर 9794834061 पुत्‍तन लाल पुत्र प्‍यारे लाल को जारी किया गया था तथा बाद में यह सिम दिनॉंक 03.09.2021 को नरेन्‍द्र कुमार गार्ड को जारी कर दिया गया। इससे पहले यह सिम पुत्‍तन लाल के कब्‍जे में था, और उसी नम्‍बर के बारे में विपक्षी द्वारा कहा भी गया है। परिवादी का खाता दिनॉंक 21.10.2020 को बन्‍द हुआ है जबकि प्रोडक्‍ट वर्ष 2017 में क्रय किया गया था, उसकी किस्‍ते समाप्‍त हो गयी थी। अत: नम्‍बर जब परिवादी के पास नहीं था तो वह इस्‍तमेाल कैसे करता था। अत: परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

 

25.     आश्‍चर्य की बात तो यह है कि विपक्षी द्वारा परिवादी का स्‍थानान्‍तरण हो जाने के उपरान्‍त जब वह वहॉं नहीं रहता है, उनके द्वारा कोई सामग्री नहीं क्रय की जाती है, उसके बावजूद सामान क्रय किया गया, यह गंभीर लापरवाही का द्योतक है। जब कोई व्‍यक्ति किसी चीज के बारे में सूचित कर रहा है कि इस नम्‍बर का इस्‍तेमाल नहीं कर रहा है और उसके बावजद भी आप इनको लोन पर लोन दिये जा रहे हैं। इससे यह परिलक्षित होता है कि बजाज फाइनेन्‍स एवं बैंक दोनों आपस में मिले हुए हैं। अत: विपक्षी यह साबित करने में असफल रहा है कि उसने नो ड्यूज प्रमाण पत्र नहीं जारी किया है। अत: विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है।

                            आदेश

    परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी के खाते से विभिन्‍न तिथियों पर काटी गयी धनराशि मुबलिग 37539.00 (सैतीस हजार पॉंच सौ उन्‍तालिस रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा करें।

 विपक्षी को संदर्भित किया जाता है कि नो ड्यूज परिवादी को पन्‍द्रह दिनों के अन्‍दर प्रदत्‍त कराए।

  परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक कष्‍ट एवं आर्थिक क्षति के रूप में मुबलिग 30,000.00 (तीस हजार रूपया मात्र) अदा करेंगे। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा। 

पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रार्थना पत्र निस्‍तारित किये जाते हैं।

     निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                        (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                         (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 

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