Rajasthan

Kota

CC/291/2011

Mohd. Atik - Complainant(s)

Versus

Bajaj Ellianje Life Insurance Company ltd., Head Officer - Opp.Party(s)

Narendra Sharma

28 Sep 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:- 291 /11
मोहम्मद अतीक पुत्र मोहम्मद इकबाल उम्र 30 साल निवासी बजरंग दाल मील के पास, कोटडी गोरधनपुरा, कोटा 324001                                                             -परिवादी                बनाम
बजाज एलायन्स जनरल इंश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड जरिये प्रबंधक महोदय,0/12, अंहिसा मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर।                -विपक्षी

समक्ष:-
भगवान दास     ः    अध्यक्ष
महावीर तंवर    ः    सदस्य    
हेमलता भार्गव    ः    सदस्य
    परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01.    श्री नरेश शर्मा, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से। 
02.    श्रीमती सपना मेहरोत्रा, अधिवक्ता, विपक्षी की ओर से। 
 

            निर्णय             दिनांक 28.09.2015
         
         परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में उसका यह सेवा दोष बताया है कि उसके बीमित वाहन आर.जे.20-जी-2785 (ट्रक) मेे बैठ कर बूंदी से कोटा आ रहा था जिसे वाहन चालक राजकुमार चला रहा था हरियाली रेस्टोरेन्ट से पहले पान की बाॅडी पर ट्रक को रूकवाया जिसमें वापिस बैठते समय वाहन चालक ने गलतफहमी में अचानक ट्रक को गेयर में डालकर चला दिया जिससे परिवादी का बेलेन्स बिगड गया और वह नीचे गिर गया उसका बायां पैर ट्रक के पहिये के नीचे आकर कुचल गया, ईलाज हेतु अस्पताल ले जाया गया वह दिनांक 09.02.11 तक अस्पताल में भरती रहा। ईलाज के दौरान उसकी बांई टांग घुटने के पास से काट दी गई जिससे वह स्थाई रूप से अपंग हो गया। दुर्घटना की सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को दी गई। सभी सूचनाऐं एवं दस्तावेजात भी उपलब्ध करा दिये गये इसके बावजूद भी विपक्षी बीमा कंपनी ने अनर्गल पत्राचार किया तथा उसका क्लेम गैर कानूनी रूप से निरस्त कर दिया, जबकि पालिसी के अन्तर्गत वाहन मालिक पूर्ण रूपेण बीमित था। उसके ईलाज में लगभग 35,000/- रूपये खर्च हुये इसके अलावा आने-जाने,फल,खुराक आदि के 10,000/- रूपये खर्च हुये।  स्थायी अपंगता से हुई क्षति की पूर्ति के लिये वह कम से कम चार लाख रूपये पाने का अधिकारी है। 
    विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब का सार है कि प्रकरण इस मंच के सुनवाई योग्य नहीं है। मोटर वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण में विचारण योग्य है। बीमा पालिसी में मालिक को सिर्फ चालक के रूप में ही कवर किया गया है। वक्त दुर्घटना परिवादी वाहन को नहीं चला रहा था केवल बैठा था जिसकी कोई अतिरिक्त प्रीमियम नहीं लिया गया, यदि ईलाज के दौरान उसकी टांग काटनी पडी तो इसमें परिवादी या चिकित्सक की लापरवाही ही रही है परिवादी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं क्लेम सूचना इन्टीमेशन में दुर्घटना होने के अलग-अलग विवरण दिये है जिससे दुर्घटना स्वयं संदिग्ध हो जाती है। सही तथ्य नहीं बताये गये है इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो के अनुसार परिवादी को पूरा मौका देने के बाद ही सही रूप से क्लेम निरस्त किया गया है सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा बीमा पालिसी, ईलाज से संबंधी दस्तावेजात, विपक्षी से प्राप्त पत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट, चालान आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की। 
    विपक्षी ने साक्ष्य में विधि अधिकारी श्रीमती रितु सेवानी के शपथ-पत्र के अलावा परिवादी की ओर से प्रस्तुत क्लेम फार्म, पालिसी की प्रति व शर्ते, परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 04.05.11, 16.05.11 व दिनांक 27.05.11 की प्रतियां प्रस्तुत की।
   
        हमने दोनो पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया। 
    यह स्वीकृत स्थिति है कि विपक्षी बीमा कंपनी ने पत्र दिनांक 27.05.11 से परिवादी का क्लेम खारिज किया जिसमें उल्लेख किया कि उनके पूर्व पत्र दिनांक 04.05.11 एवं 16.05.11 के उत्तर नही देने एवं वांछित दस्तावेजात प्रस्तुत करके सहयोग नही करने के कारण क्लेम खारिज किया जाता है। स्वयं परिवादी ने भी विपक्षी से प्राप्त पत्र दिनांक 04.05.11 एवं 16.05.11 की प्रति प्रस्तुत की है जिसमें विपक्षी ने परिवादी से निम्न दो बिन्दुओं पर दस्तावेजी साक्ष्य एवं उसका स्पष्टीकरण मांगा था:-
01.    दुर्घटना के वक्त उसका ड्राइविंग लाइसेन्स वाहन को चलाने के     लिये वैध एवं प्रभावी नहीं था।  
02.    दुर्घटना/नुकसान के बारे में विरोधाभासी कारण है।
    परिवादी ने परिवाद में यह अंकित नहीं किया है कि विपक्षी से प्राप्त पत्र दिनांक 04.05.11 एवं 16.05.11 के संबंध में उसने कोई स्पष्टीकरण/उत्तर या दस्तवाजी साक्ष्य प्रस्तुत की थी।
    यह विवाद रहित है कि वक्त दुर्घटना परिवादी जो कि वाहन का मालिक एवं बीमाधारी है बीमित वाहन (ट्रक) आर.जे.20-जी-2785 को नहीं चला रहा था, वक्त दुर्घटना उसमें यात्रा करना बताया है। पालिसी की शर्तो में यह स्पष्ट है कि बीमाधारी/वाहन स्वामी की उक्त दुर्घटना के संबंध में रिस्क उसी अवस्था में कवर है जबकि वह वाहन को चला रहा हो उसमें बैठे होने की अवस्था में दुर्घटना में आई चोटों  के लिये रिस्क कवर नहीं थी।
    जहाॅ तक दुर्घटना होने के कारण का प्रश्न है दुर्घटना की 4 दिन पश्चात दिनांक 10.12.10 को उसके भाई मोहम्मद वसीम की ओर से  पुलिस थाना कुन्हाडी में लिखित रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें प्रकट किया गया कि मोहम्मद अतीक (परिवादी) ट्रक में बैठकर आ रहा था वह स्वयं भी ट्रक में बैठा था उसे राज कुमार ड्राइवर चला रहा था। हरियाली रेस्टोरेन्ट के पास ट्रक को रोक कर उसका भाई मोहम्मद अतीक नीचे उतरा गुटके का पाउच खरीद कर वापस बैठने लगा तो ड्राइवर ने  गलतफहमी में अचानक ट्रक को गेयर में डालकर चला दिया जिससे मोहम्मद अतीक जो ट्रक में चढ ही रहा था नीचे गिर गया और उसके बायें पैर पर से ट्रक का पहिया निकल गया। विपक्षी ने परिवादी की ओर से प्रस्तुत क्लेम-फार्म की प्रति प्रस्तुत की है जिसमें दुर्घटना का यह विवरण अंकित किया गया है’’ कि स्पीड ब्रेकर पर ट्रक के उछलने से वाहन स्वामी क्लीनर साइड में बैठा था अचानक गिर गया और उसका पैर पहिये से पूरी तरह कुचल गया। 
    इस प्रकार दुर्घटना होने की परिस्थितियों के संबंध में ही परिवादी पक्ष की ओर से अलग-अलग विवरण दिये गये, जिससे प्रकट है कि दुर्घटना होने के सही कारण एवं परिस्थितियों को छिपाया गया है। 
    परिवादी की ओर से न्यायिक दृष्टान्त कुलवन्त सिंह बनाम ओरियन्टल इंश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड 2014 (4) डबल्यू.एल.एन.    (एस.सी.) पेज 160 को उदृत किया गया है जो मोटरयान अधिनियम 1988  के अन्तर्गत दुर्घटना के क्लेम के संबंध में है जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय ने पूर्व निर्णय नेशनल इंश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड बनाम अन्नप्पा इरप्पा नेसरिया एलियास नेसरगी को उदृत किया है जिसमें यह व्यवस्था दी गई थी कि यदि किसी चालक के पास हल्के मोटर वाहन को चलाने का वैध लाइसेन्स है तो वह हल्के माल वाहन चालने के लिये भी अधिकृत है। एक अन्य पूर्व निर्णय एस. अय्यपन बनाम यूनाईटेड इंडिया इश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड को उदृत किया गया है जिसमें यह व्यवस्था दी गई है कि विवादित वाहन मैक्सी केब हल्का मोटर व्हीकल है जिसे चलाने का  चालक के पास वैध लाइसेन्स था। 
    प्रस्तुत मामले में स्थिति स्पष्ट है कि परिवादी स्वयं वक्त दुर्घटना वाहन को नहीं चला रहा था यह भी स्पष्ट है कि वाहन ट्रक, हल्का माल वाहन नहीं है, इसलिये उपरोक्त दृष्टान्त प्रस्तुत मामले पर लागू नहीं होते हैं। 
    परिवादी की ओर से अन्य न्यायिक दृष्टान्त न्यू इंडिया एश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड और अन्य बनाम जी.जे. अशोक भाग प्रथम (2009)सी.पी.जे. पेज 297 एन.सी. को भी उदृत किया गया है जिसमें यह व्यवस्था दी गई है कि किसी माल वाहन में अधिकृत से ज्यादा व्यक्ति बैठे होने मात्र से बीमा कंपनी क्षति पूर्ति के दायित्व से नहीं बच सकती, यह दृष्टान्त प्रस्तुत मामले के तथ्य से किसी प्रकार भी सुसंगत नहीं है। 
    उपरोक्त विवचेन के फलस्वरूप हम पाते है कि विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी का क्लेम खारिज करके सेवा में कोई कमी नहीं की है। 
    अतः परिवाद खारिज होने योग्य है।  
 
                         आदेश 
    परिवादी मोहम्मद अतीक का परिवाद विपक्षी के खिलाफ खारिज किया जाता है। खर्चा परिवाद पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।        


   (महावीर तंवर)          (हेमलता भार्गव)                 (भगवान दास)  
      सदस्य                 सदस्य                        अध्यक्ष
 

     निर्णय आज दिनंाक 28.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                      सदस्य                         अध्यक्ष           

 

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