Uttar Pradesh

StateCommission

A/129/2017

Mohd. Riyaz - Complainant(s)

Versus

Bajaj Auto Ltd - Opp.Party(s)

Self

18 Sep 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/129/2017
( Date of Filing : 17 Jan 2017 )
(Arisen out of Order Dated 30/09/2016 in Case No. C/62/2014 of District Lucknow-II)
 
1. Mohd. Riyaz
S/O Sri Mohammad Ajaz R/O House No. 369/149 Kha Bibiganj P.S. Saadatganj Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Bajaj Auto Ltd
Through anaging Director/Concerned Authority 2nd Floor Shalimar Logix -4 Rana Pratap Marg Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Sep 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 129/2017

                                   (सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 62/2014 में पारित आदेश दि0 30.09.2016 के विरूद्ध)

Mohammad riyaz aged about 38 years son of Mr. Mohammad Ajaz resident of  House no. 369/149 Kha, Bibiganj, P.S. Saadatganj, Lucknow.

                                            ………..Appellant

                                                   Versus

  1. Bajaj auto Ltd., through Managing Director/Concerned authority, 2nd floor, Shalimar Logix-4, Rana pratap marg, Lucknow-226001 (U.P.).
  2. M/s Akash automobiles, through Manager, workshop, opp. Manju tandon Hospital, Thakur ganj (Chowk), Lucknow-226003 (U.P.)
  3. M/s Akash automobiles, through partner/Proprietor, opp. Manju tandon Hospital, Thakurganj (Chowk), Lucknow-226003 (U.P.).  

                                                                      ………… Respondents

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष   

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित                    : व्‍यक्तिगत रूप से।

प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित               : श्री आर0एन0 सिंह,

                                               विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 और 3 की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक:-  29.10.2018

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                 

निर्णय

          परिवाद सं0- 62/2014 मोहम्‍मद रियाज बनाम बजाज आटो लि0 व दो अन्‍य में जिला फोरम द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 03.09.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

          अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी व्‍यक्तिगत रूप से उपस्थित आया है। प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0एन0 सिंह उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 और 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है, जब कि उन पर नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना गया है।        

          मैंने अपीलार्थी/परिवादी और प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने मोटर साइकिल डिस्‍कवर 125 T Dish चेचिस नम्‍बर MD2A52CZ3DPE-17994 व इंजन नं0- JEZPDE-4758 दि0 27.09.2013 को विपक्षी सं0- 3 मे0 आकाश आटो मोबाइल्‍स के यहां से खरीदा और उसके बाद दि0 24.10.2013 को जब वह मोटर साइकिल की पहली सर्विसिंग कराने विपक्षीगण सं0- 2 व 3 क्रमश: मेसर्स आकाश आटो मोबाइल्‍स और मे0 आकाश आटो मोबाइल्‍स के पास गया तो मकैनिक ने इंजन का क्रैंक केस बोल्‍ट तोड़ दिया और कहा कि इंजन खोले बिना यह बोल्‍ट दोबारा नहीं लग सकेगा।

          परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि गलती मकैनिक की थी उससे बोल्‍ट टूटा था और यह निर्माणीय त्रुटि है। अत: उसे नयी मोटर साइकिल मिलनी चाहिए, परन्‍तु विपक्षीगण ने उसे नई मोटर साइकिल नहीं दिया है और सेवा में कमी की है, जिससे उसे मानसिक क्‍लेश हुआ है।

          जिला फोरम के समक्ष विपक्षी सं0-1 बजाज आटो लि0 की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि ज्‍यादा टाइट कर देने से बोल्‍ट टूट गया है। इंजन को खोलकर ठीक किया जा सकता है। इंजन को खोलकर फिर पहले जैसा बनाया जा सकता है।

          लिखित कथन में परिवाद के उपरोक्‍त विपक्षी सं0- 1 ने यह भी कहा है कि परिवादी की मोटर साइकिल बन गयी है, परन्‍तु वह लेने नहीं आता है और वह चाहता है कि नयी मोटर साइकिल प्राप्‍त करें।

          जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि मोटर साइकिल में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि मानने हेतु उचित आधार नहीं है। मोटर साइकिल बनकर तैयार है, परन्‍तु अपीलार्थी/परिवादी जानबूझकर मोटर साइकिल नहीं ले जा रहा है। विपक्षी सं0- 1 ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। अत: जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

          अपीलार्थी/परिवादी का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश दोषपूर्ण और विधि विरुद्ध है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 के  लिखित कथन से ही स्‍पष्‍ट है कि मोटर साइकिल का बोल्‍ट ज्‍यादा टाइट करने के कारण टूटा है। अत: यह स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी के मकैनिक ने मोटर साइकिल का बोल्‍ट टाइट करने में उचित सावधानी नहीं बरती है और सेवा में कमी की है। ऐसी स्थिति में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण उसे क्षतिपूर्ति प्रदान करने हेतु उत्‍तरदायी हैं।

          अपीलार्थी का यह भी तर्क है कि मोटर साइकिल में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि है जिससे मोटर साइकिल का बोल्‍ट टूटा है, अत: उसे नयी मोटर साइकिल दिलायी जाए।

          प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि मोटर साइकिल में कोई निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि नहीं है। मोटर साइकिल में बोल्‍ट लगाकर मोटर साइकिल ठीक कर दी गई है। प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।

          मैंने अपीलार्थी और प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

          अपीलार्थी/परिवादी ने प्रश्‍नगत मोटर सा‍इकिल दि0 27.09.2013 को खरीदा है और जब वह दि0 24.10.2013 को मोटर साइकिल की पहली सर्विसिंग कराने विपक्षीगण सं0- 2 और 3 के यहां गया तो मकैनिक ने इंजन का क्रैंक केस बोल्‍ट तोड़ दिया। प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के लिखित कथन से भी स्‍पष्‍ट है कि वाहन के क्रैंक केस का बोल्‍ट मकैनिक द्वारा अधिक टाइट करने के कारण टूटा है। ऐसी‍ स्थिति में यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 और 3 के मकैनिक ने वाहन की सर्विसिंग के समय असावधानी बरती है जिससे बोल्‍ट टूटा है। यह बोल्‍ट टूटने के कारण इंजन खोल कर ही दोबारा बोल्‍ट लगाया जा सकता है। निश्‍चित रूप से मोटर साइकिल का इंजन खुलने से मोटर साइकिल के मूल्‍य में कमी अवश्‍य आयेगी। अत: उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर मानने हेतु उचित और युक्ति संगत आधार है कि विपक्षीगण सं0- 2 और 3 के मकैनिक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की मोटर साइकिल की सर्विसिंग में उचित और पर्याप्‍त सावधानी नहीं बरती है जिससे मोटर साइकिल का बोल्‍ट टूटा है और दूसरा बोल्‍ट लगाने के लिए इंजन खोलना पड़ा है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 2 और 3 अपने मकैनिक के कृत्‍य हेतु वायकेरियस लाइबिलिटी के आधार पर उत्‍तरदायी हैं।

          अपीलार्थी/परिवादी की मोटर साइकिल का बोल्‍ट मोटर साइकिल की तकनीकी त्रुटि के कारण टूटा है यह मानने हेतु उचित और युक्ति संगत आधार नहीं है और ऐसा अपीलार्थी/परिवादी उपलब्‍ध साक्ष्‍यों से साबित नहीं कर सका है। अत: अपीलार्थी/परिवादी को वर्तमान मोटर साइकिल के स्‍थान पर दूसरी नयी मोटर साइकिल दिलाये जाने हेतु उचित आधार नहीं प्रतीत होता है। परन्‍तु उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर यह स्‍पष्‍ट होता है कि अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 2 और 3 से उनके मकैनिक की लापरवाही के आधार पर क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है।

          सम्‍पूर्ण तथ्‍यों पर विचार करते हुए अपीलार्थी की नयी मोटर साइकिल में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 2 और 3 के मकैनिक की लापरवाही से हुई क्षति की पूर्ति के लिए उसे 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है। इसके साथ ही उसे प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 2 और 3 से 3,000/-रू0 वाद व्‍यय भी दिलाया जाना उचित है।

          उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर यह स्‍पष्‍ट है कि परिवाद आंशिक रूप से उपरोक्‍त प्रकार से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है। अत: जिला फोरम ने परिवाद पूर्ण रूप से निरस्‍त कर गलती की है।

          उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 व 3 जो परिवाद में विपक्षीगण सं0- 2 और 3 हैं को आदेशित किया जाता है कि वे अपीलार्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रू0 अदा करें और साथ ही उसे वाद व्‍यय के रूप में 3,000/-रू0 अदा करें। उपरोक्‍त धनराशि प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 और 3 इस निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अपीलार्थी/परिवादी को अदा करेंगे और इसी अवधि में मोटर साइकिल ठीक कर उसे वापस करेंगे। यदि इस अवधि में  मोटर साइकिल ठीक कर उपरोक्‍त धनराशि के साथ अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 और 3 प्राप्‍त नहीं कराते हैं तो उपरोक्‍त क्षतिपूर्ति की धनराशि 5,000/-रू0 पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 2 और 3 परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक अपीलार्थी/परिवादी को 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी अदा करेंगे।

          परिवाद प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 के विरुद्ध निरस्‍त किया जाता है।

 

               (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                               

                                     अध्‍यक्ष                                   

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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