जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-113/2010
सूर्य प्रकाश श्रीवास्तव पुत्र स्व0 कमला प्रसाद श्रीवास्तव निवासी ग्राम व पोस्ट बनकट थाना कोतवाली बीकापुर तहसील बीकापुर जिला फैजाबाद .................... परिवादी
बनाम
बजाज आटो फाइनेन्स लि0, 4 राणा प्रताप मार्ग, प्प् फ्लोर शालीमार लाजिक्स लखनऊ उ0प्र0 .................... विपक्षी
निर्णय दि0 04.01.2016
निर्णय
उद्घोषित द्वाराः-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध ऋण की असम्यक धनराशि वसूल न करने और मु0 1300=00 प्रति किश्त के हिसाब से बकाया 16 किश्तों की धनराशि वसूल करने हेतु योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी ने दि0 26.10.2007 को अवध आटो मोबाइल्स बीकापुर फैजाबाद से बजाज प्लेटिना मोटर साइकिल जिसका परिवहन विभाग उ0प्र0 में पंजीकरण संख्या यू0पी042एल/8159 है, मु0 30,690=00 में क्रय किया था। क्रय मूल्य मु0 30,690=00 में से परिवादी मु0
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16,000=00 नकद भुगतान कर दिया था। शेष धनराशि को विपक्षी कम्पनी ने फाइनेन्स किया था जिसका भुगतान सहित परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी को मु0 1300=00-मु0 1300=00 को 23 मासिक किश्तों में किया जाना था। परिवादी ने उक्त मोटर साइकिल क्रय करने के समय ही विपक्षी के पक्ष में मु0 1300=00-मु0 1300=00 की धनराशि का भारतीय स्टेट बैंक का 23 चेक हस्ताक्षरित करके विपक्षी कम्पनी को दिया था तथा उभय पक्षों के बीच यह तय हुआ था कि विपक्षी प्रत्येक महीनें की 15 तारीख को चेक के माध्यम से परिवादी के खाता सं0-10760102093 से, जो कि स्टेट बैंक आफ इण्डिया शाखा बीकापुर फैजाबाद का है भुगतान प्राप्त करता रहेगा। परिवादी ने अपने बैंक खाते में हमेशा पर्याप्त धनराशि रखी किन्तु विपक्षी ने परिवादी द्वारा प्रदत्त 23 चेकों में से केवल 7 चेक का ही भुगतान प्राप्त किया तथा शेष 16 चेक का भुगतान विपक्षी ने जानबूझ कर नहीं किया। इससे परिवादी का ऋण अदा नहीं हुआ और व्याज बढ़ता रहा। दि0 19.05.2010 को परिवादी को फोन से ऋण के सम्बन्ध में बात करने हेतु साकेत बजाज एजेन्सी सिविल लाइन फैजाबाद बुलाया गया। परिवादी तद्नुसार वहाॅं पहुॅंचा तो परिवादी को बताया गया कि उसका ऋण मु0 37,715=00 है, जो परिवादी को माह मई के भीतर भुगतान कर देना है। यदि परिवादी ऐसा करने में असफल रहा तो उसे ऋण के रूप में मु0 58,197=00 भुगतान करना पड़ेगा। परिवादी ने जब ऋण बकाया धनराशि के बारे में विस्तृत जानकारी चाही तो उसे केवल इतना ही बताया गया कि चूॅंकि परिवादी ने ऋण का कोई भुगतान नहीं किया है इसलिए ब्याज तथा देरी से भुगतान का दण्ड आदि बढ़कर उक्त धनराशि हुई है। परिवादी ने जब यह कहा कि ऋण की किश्तों में से 7 किश्तों का भुगतान विपक्षी प्राप्त कर चुका है तथा शेष का बकाया होना विपक्षी के लापरवाही से ही है क्योंकि उसने परिवादी द्वारा दिये गये चेक से समय पर भुगतान नहीं लिया है। इस पर परिवादी से कहा गया कि उसे माॅंग के अनुसार भुगतान करना ही पड़ेगा। इस प्रकार परिवादी को विवश होकर यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा।
विपक्षी ने अपने जवाब में परिवादी के परिवाद को इन्कार किया है और कहा है कि विपक्षी द्वारा मु0 24,490=00 दो पहिया वाहन खरीदने हेतु लोन स्वीकृत किया था, जिसमें से प्रतिमाह परिवादी द्वारा मु0 1235=00 24 किश्तों में देय था। परिवादी ने मु0 1300=00 प्रतिमाह की किश्तें देने की बात कही जिस पर विपक्षी ने अपनी
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सहमति जतायी। परिवादी ने समस्त ऋण की अदायगी नहीं की है। झूठे तथ्यों पर यह परिवाद योजित कर दिया। परिवादी के ऊपर दि0 06.01.2011 तक मु0 77,397=00 ऋण हो गया। परिवादी का परिवाद खारिज किया जाय तथा मु0 10,000=00 परिवादी से विपक्षी को दिलाया जाय।
मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। परिवादी ने विपक्षी से प्लेटिना मोटर साइकिल लोन लेकर के मु0 30,690=00 में क्रय किया। परिवादी मु0 16,000=00 नकद भुगतान कर दिया था। शेष धनराशि विपक्षी से लिया था। विपक्षी ने परिवादी को मु0 1300=00, मु0 1300=00 23 किश्तों में जमा करने हेतु किश्तें बाॅंधी थी। परिवादी ने अपने परिवाद तथा साक्ष्य में कहा है कि परिवादी के बैंक खाता सं0-10760102093 में पर्याप्त धनराशि थी, लेकिन विपक्षी कम्पनी ने किश्तें नहीं काटी जिससे परिवादी का पूरा लोन अदा नहीं हुआ। यह विपक्षी की गलती है और विपक्षी परिवादी से 16 किश्तों की धनराशि वसूल कर सकता है। परिवादी को अपना परिवाद स्वयं साबित करना चाहिए। परिवादी को अपने बैंक एकाउन्ट नं0-10760102093 को दाखिल करना चाहिए जिससे यह साबित हो सके कि परिवादी के बैंक एकाउन्ट में किश्त की धनराशि मु0 1300=00 मौजूद थी। परिवादी द्वारा बैंक एकाउन्ट नहीं दाखिल किया गया और न ही कोई ऐसा विवरण दाखिल किया गया कि परिवादी की कोई गलती लोन अदायगी में नहीं है। विपक्षी द्वारा बैंक एकाउन्ट स्टेटमेंट दाखिल किया गया है जिसके अनुसार परिवादी के लोन की अदायगी नहीं हो पायी है। इस प्रकार परिवादी अपना परिवाद साबित करने में असफल रहा है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 04.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष