राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2775/2018
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 121/2014 में पारित आदेश दिनांक 09.08.2017 के विरूद्ध)
Ram Kishor Yadav, 45 years, son of Yamuna Prasad Yadav, resident of Village-Madhupur, Post- Raithua Bharat Kund, District- Faizabad/Ayodhya.
..................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. Bajaj Auto Finance Ltd. Akroodi Purna 411035, Maharashta through Managing Director.
2. Branch Manager, Bajaj Auto Finance Ltd. Branch IInd Floor Shalimar Lagices opposite Necent Inter College, Lucknow.
3. Awadh Auto Mobile, Bikapur, District-Faizabad/Ayodhya through its Proprietor.
...................प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री पन्ना लाल गुप्ता,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं01 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री हरि शंकर,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं03 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 29.11.2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-121/2014 राम किशोर यादव बनाम बजाज आटो फाइनेन्स लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश
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दिनांक 09.08.2017 के विरूद्ध यह अपील परिवाद के परिवादी राम किशोर यादव की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है और अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को माफ करने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पन्ना लाल गुप्ता और प्रत्यर्थीगण संख्या-1 व 2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री हरि शंकर उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थी संख्या-3 की ओर से नोटिस तामीला पर्याप्त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र पर सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
आक्षेपित निर्णय व आदेश दिनांक 09.08.2017 को पारित किया गया है, जिसकी नि:शुल्क प्रति दिनांक 11.08.2017 को अपीलार्थी/परिवादी को प्रदान की गयी है और उसके बाद यह अपील दिनांक 13.12.2018 को प्रस्तुत की गयी है। इस प्रकार यह अपील करीब 01 वर्ष 04 माह विलम्ब से प्रस्तुत की गयी है।
अपीलार्थी ने अपील प्रस्तुत करने में विलम्ब का कारण विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र के समर्थन में प्रस्तुत शपथ पत्र में यह बताया है कि उसकी पत्नी बीमार थी। अत: वह उसके इलाज में व्यस्त था, जिसमें करीब एक वर्ष लग गया। इस कारण वह अपने अधिवक्ता के पास नहीं पहुँचा और अपील प्रस्तुत नहीं कर सका।
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शपथ पत्र में अपीलार्थी की ओर से यह भी कहा गया है कि विलम्ब जानबूझकर नहीं किया गया है।
प्रत्यर्थीगण संख्या-1 व 2 की ओर से विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र के विरूद्ध आपत्ति प्रस्तुत की गयी है और कहा गया है कि विलम्ब क्षमा करने हेतु उचित आधार नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपील प्रस्तुत करने में विलम्ब जानबूझकर नहीं किया गया है। अपीलार्थी की पत्नी की बीमारी के कारण अपील प्रस्तुत करने में विलम्ब हुआ है। अत: विलम्ब क्षमा कर अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया जाये।
प्रत्यर्थीगण संख्या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा आक्षेपित निर्णय व आदेश की प्रति अपीलार्थी को दिनांक 11.08.2017 को दी गयी है और उसने यह अपील दिनांक 13.12.2018 को 01 वर्ष 04 माह बाद प्रस्तुत किया है। विलम्ब का उसने अस्पष्ट और भ्रामक कारण बताया है। अपीलार्थी ने अपनी पत्नी के इलाज का कोई डाक्टरी प्रेसक्रिप्सन या प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया है। अत: विलम्ब क्षमा करने हेतु उचित आधार नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
आक्षेपित निर्णय व आदेश की प्रति अपीलार्थी को दिनांक 11.08.2017 को जिला फोरम द्वारा प्रदान कर दी गयी है और उसके बाद यह अपील करीब 01 वर्ष 04 माह बाद प्रस्तुत की
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गयी है। अपील प्रस्तुत करने में विलम्ब का कारण अपीलार्थी ने यह बताया है कि उसकी पत्नी बीमार थी और डाक्टर के इलाज में थी। इस कारण वह अपने अधिवक्ता से सम्पर्क नहीं कर सका। अपीलार्थी ने अपनी पत्नी की बीमारी व इलाज का कोई विवरण नहीं दिया है और न ही अपनी पत्नी की बीमारी या इलाज का कोई डाक्टरी पर्चा या प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम ने परिवाद अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुनकर गुणदोष के आधार पर निस्तारित किया है। अपीलार्थी/परिवादी ने स्वीकृत रूप से प्रत्यर्थीगण संख्या-1 व 2 से ऋण मोटर साइकिल क्रय करने हेतु प्राप्त किया है, जिसका भुगतान 2751/-रू0 मासिक की किश्तों में होना था।
परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादी ने निम्न अनुतोष चाहा है:-
अ- यह कि प्रार्थी को अदेयता प्रमाण पत्र जारी किया जाय।
ब- यह कि प्रार्थी के विरूद्ध उत्पीड़न कार्यवाही व विधि विरूद्ध वसूली रोका जाय।
स- यह कि परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति के लिए 50000/- रूपया दिलाया जाय।
जिला फोरम ने अपने निर्णय में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के ऋण की समस्त धनराशि का भुगतान किया जाना साबित नहीं किया है। इसके साथ ही जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह उल्लेख किया है कि
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अपीलार्थी/परिवादी की मोटर साइकिल फाइनेन्स कर्ता के यहॉं बन्धक है। अपीलार्थी/परिवादी फाइनेन्स कर्ता को सम्पूर्ण धनराशि अदा कर बन्धक कागजात लेकर आर0टी0ओ0 फैजाबाद के यहॉं से बन्धक मुक्त करा सकता है। अत: अपीलार्थी/परिवादी को अवशेष धनराशि जमा कर मोटर साइकिल के कागजात अवमुक्त कराने का अधिकार प्राप्त है।
सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्तुत करने में किया गया इतना लम्बा विलम्ब माफ करने हेतु उचित आधार नहीं है। अत: विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाता है और अपील कालबाधा के आधार पर अस्वीकार की जाती है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1