Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/164/2017

GAUTAM LAL SRIVASTAVA - Complainant(s)

Versus

BAJAJ ALLIANZ LIFE INSURANCE - Opp.Party(s)

DAYA SHANKAR MISHRA

11 Jan 2019

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/164/2017
( Date of Filing : 09 Oct 2017 )
 
1. GAUTAM LAL SRIVASTAVA
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. BAJAJ ALLIANZ LIFE INSURANCE
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 11 Jan 2019
Final Order / Judgement

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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 164 सन् 2017

   प्रस्तुति दिनांक 09.10.2017

                                     निर्णय दिनांक  11.01.2019

गौतम लाल श्रीवास्तव उम्र तखo 57 वर्ष पुत्र स्वo श्री रामदुलारे लाल श्रीवास्तव, निवासी ग्राम- हलुआडीह, पोस्ट- ऊंचगांव, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।.............................................................परिवादी।

बनाम

बजाज एलियान्ज लाईफ इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा- कार्यालय मुगल सराय, 952, सुबासनगर, सुबास पार्क बेचूपुर के बगल में जी.टी.रोड, मुगल सराय, मुगल सराय, चन्दौली, उ.प्र. पिन कोड- 232101, जरिये शाखा प्रबन्धक, बजाज एलियान्ज लाईफ इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, शाखा- कार्यालय सिविल लाईन, आजमगढ़ इण्डस लैण्ड बैंक के ऊपर। पिन कोड- 276001

.......................................................................................विपक्षी।

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि 2007 में उसके घर एक महिला अभिकर्ता आयी और बीमा पॉलिसी कराने का सुझाव दिया और बताया कि इसमें केवल तीन किश्त देनी होगी। जिसका भुगतान 10 वर्ष के बाद सम्पूर्ण देयता के साथ कम्पनी द्वारा कर दिया जाएगा। उसके सुझाव के अनुसार परिवादी ने 10,000/- रुपया का चेक काटकर उसे दे दिया। विपक्षी द्वारा एक माह बाद बीमा पॉलिसी चालू होने की सूचना दी गयी और आरंभ की तिथि 28.03.2007 लिखा गया। पॉलिसी जारी होने की तिथि के बाद परिवादी को घोर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया और आगे का किश्त जमा नहीं कर पाया। दिनांक 23.07.2009 को विपक्षी पॉलिसी लैप्स होने की सूचना दी गयी। परिवादी नजदीकी शाखा में पैसा वापस लेने के लिए गयी तो वहाँ बताया गया कि उसकी पूरी रकम लैप्स हो चुकी है। अतः विपक्षी से मुo 10,000/- रुपया पॉलिसी नम्बर 44066155

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व उस पर नियमानुसार ब्याज व अन्य क्षतिपूर्ति कुल 70,000/- रुपया दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कराये गये बीमा का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसके परिशीलन से यह जाहिर होता है कि उसने 10,000/- रुपया विपक्षी के यहाँ बीमा किया है।

विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल किया गया है। परिवादी ने अपने परिवाद में विपक्षी द्वारा सेवा में कमी के विषय में उल्लेख नहीं किया है। इसके अलांवा विपक्षी ने परिवाद पत्र के अन्य कथनों से इन्कार किया है और पैरा 08 में यह लिखा है कि दिनांक 28.09.2010 को पॉलिसी लैप्स हो गयी है। अतिरिक्त कथन में विपक्षी द्वारा यह कहा गया है कि मिस्टर गौतम लाल श्रीवास्तव के प्रपोजल दिनांक 19.03.2007 को 10,000/- रुपया प्रीमियम पर 20 साल के लिए बीमा कराया गया था और 1,00,000/- रुपया बीमाकर्ता के मृत्यु के पश्चात् देय था। यदि परिवादी बीमा से सहमत नहीं है तो 15 दिन के अन्दर फ्री लुक पीरियड के अन्तर्गत वह अपना बीमा समाप्त कर सकता है। परिवादी द्वारा एक किश्त जमा की गयी है। अतः बीमा दिनांक 28.09.2010 को बन्द कर दिया गया है। विपक्षी ने बीमा के सारे नियमों का पालन किया है। ऑनरेबुल नेशनल कमीशन द्वारा निस्तारित न्याय निर्णय लाईफ इन्श्योरेन्स कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया एण्ड अदर बनाम शिव प्रसाद दास एवं अन्य 2008(4) सी.पी.जे., 157 एन.सी. में यह अभिधारित किया है कि प्रीमियम रिस्क कवर करने के लिए दिया जाता है, लेकिन परिवाद पत्र में इस कथन को नहीं किया गया है। अगर उसके द्वारा पॉलिसी के शर्तों का उल्लंघन किया जाता है तो बीमा स्वयंमेव बन्द हो जाएगा।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

3

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

परिवादी द्वारा न्याय निर्णय “एन.पुण्यवथी बनाम एल.आई.सी. ऑफ इण्डिया II (2010) सी.पी.जे. 530” प्रस्तुत की गयी है। यह न्याय निर्णय आन्ध्रप्रदेश स्टेट कन्ज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रिसल कमीशन हैदराबाद द्वारा पारित किया गया है। यह न्याय निर्णय इस परिवाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों में ग्राह्य नहीं है। परिवादी की ओर से दूसरा न्याय निर्णय मेसर्स मॉडर्न इन्सुलेटर लिमिटेड बनाम ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड ए.आई.आर. 2000 एस.सी.1014 प्रस्तुत किया गया है। इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि ये दोनों पक्षों का कर्तव्य है कि वह एक्सक्ल्यूजन क्लाज को संविदा में खोलें। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो क्लेम की बेनिफिट नहीं दी जाती है। अतःयह न्याय निर्णय परिवाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों में ग्राह्य नहीं है। परिवादी की ओर से एक अन्य न्याय निर्णय लाईफ इन्श्योरेन्स कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया बनाम धीरज खन्ना एवं अन्य III (2009) सी.पी.जे. 279 (एन.सी.) प्रस्तुत किया गया है। इस न्याय निर्णय में यह अभिधारित किया गया हैकि यदि दो पॉलिसी जारी की गयी है और दोनों का अलग-अलग किश्त जमा की गयी है तो इन्श्योरर द्वारा यदि बीमाकर्ता संतुष्ट नहीं है तो वह उसका डिमाण्ड कर सकता है। इस प्रकार यह न्याय निर्णय इस वाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों में ग्राह्य नहीं है। इस पत्रावली में बजाज एलियान्ज इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड का प्रीमिय एलोकेशन भी प्रस्तुत किया गया है। जिसके पैरा 5 (सी.) में यह कहा गया है कि यदि पॉलिसी होल्डर बीमा को जारी करने पर सहमत नहीं है तो बीमा पॉलिसी बन्द कर दी जाएगी और सरेण्डर मूल्य उसे वापस किया जाएगा, लेकिन विधिक का यह स्थापित सिद्धान्त है कि प्रीमियम बन्द करने का समय जिसे फ्री लुक आउट पीरियड भी कहा जाता है वह 15 दिन है और यह पॉलिसी परिवादी द्वारा फ्री लुक पीरियड में निर्धारित समय के अन्दर समाप्त नहीं करवायी गयी है। परिवादी ने केवल परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने एक किश्त जमा किया था। बकिया

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आर्थिक संकट की वजह से व जमा नहीं कर पाया। हमारे विचार से शेष प्रीमियम जमा न करने की दशा में बीमा पॉलिसी समाप्त कर दी गयी है, लेकिन परिवादी द्वारा जमाशुदा मात्र एक प्रीमियम वापस नहीं हो सकता है।

उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से यह परिवाद अस्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद अस्वीकार किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                     (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

दिनांक 11.01.2019

 

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                      (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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