Final Order / Judgement | परिवाद प्रस्तुतिकरण की तिथि: 01-8-2016 निर्णय की तिथि: 05.12.2017 कुल पृष्ठ-6(1ता6) न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद उपस्थिति श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य परिवाद संख्या- 60/2016 श्रीमती गुले मेहताब पत्नी मौ. असलम निवासी ग्राम शहवाजपुर कलां पो. खास तह. व जिला संभल। … परिवादनी बनाम 1-बजाज एलायन्ज लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि. 73 बी प्रथम तल अपोजिट स्प्रिंगफिल्ड स्कूल नियर मैटल वर्ल्ड दिल्ली रोड मुरादाबाद द्वारा शाखा प्रबन्धक। 2-बजाज एलायन्ज लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि. वेस्ट हब-II फलोर बजाज फाइनेंसरी सर्वे-208/1बी विहाइन्ड वीकफील्ड बिल्डिंग वीमान नगर रोड, पुणे(महाराष्ट्र) द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर पिन-411014 ……विपक्षीगण (श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित) निर्णय - इस परिवाद के माध्यम से परिवादनी ने बीमित की मृत्यु के फलस्वरूप उसकी बीमा पालिसी की बीमा राशि अंकन-8,00,000/-रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित मांगी है। अधिवक्ता फीस और विशेष व्यय परिवादनी ने अतिरिक्त मांगा है
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं परिवादनी के पति मौ. असलम ने विपक्षीगण से दिनांक 12-12-2011 को एक बीमा पालिसी सं.-0240238274 ली थी, जिसकी बीमा राशि अंकन-8,00,000/-रूपये थी। बीमा प्रस्ताव विपक्षी-1 के एजेंट ने भरवाया था। दिनांक 19-01-2016 को परिवादनी के पति कचहरी, मुरादाबाद गये थे, वहां उनके सीने में अचानक तेज दर्द हुआ, उन्हें तत्काल सरकारी अस्पताल, मुरादाबाद में ले जाकर भर्ती कराया गया, उनकी ई.सी.जी. जांच हुई। ज्यादा हालत खराब होने के कारण उन्हें हायर सेंटर बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया गया। दिनांक 19-01-2016 को ही मेरठ के सरस्वती अस्पताल में ले जाकर इलाज हेतु भर्ती कराया गया किन्तु इलाज के दौरान उसी दिन सांय 8.35 बजे उन्होंने सरस्वती अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। पालिसी में परिवादनी बहैसियत पत्नी नामिनी थी, उसने क्लेम फार्म भरकर दिनांक 19-3-2016 को विपक्षी-1 के कार्यालय में दाखिल किया। विपक्षीगण ने जांच हेतु सर्वेयर भेजा। परिवादनी उसकी नाजायज मांग को पूरा नहीं कर पायी तो सर्वेयर ने मनमाने ढंग से गलत आधार पर जांच रिपोर्ट विपक्षीगण को प्रेषित कर दी। उक्त रिपोर्ट के आधार पर विपक्षीगण ने यह कहते हुए कि परिवादनी के पति की मृत्यु दिनांक 19-01-2016 को न होकर उससे एक वर्ष पूर्व हो गई थी, परिवादनी का बीमा दावा अस्वीकृत कर दिया। परिवादनी के अनुसार विपक्षीगण का यह कथन असत्य है कि उसके पति की मृत्यु दिनांक 19-01-2016 को न होकर वर्ष 2015 में हो गई थी। उसने यह भी कहा है कि बीमा बीमा दावा तय करने में विपक्षीगण ने अनावश्यक रूप से देरी की। विपक्षीगण के कृत्यों को सेवा में कमी बताते हुए परिवादनी द्वारा परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की गई है।
- परिवाद के कथनों के समर्थन में परिवादनी ने अपना शपथपत्र कागज सं.-3/4 दाखिल किया। सूची कागज सं.-3/5 के माध्यम से परिवादनी द्वारा पालिसी शैड्यूल, जिला अस्पताल, मुरादाबाद की डिस्चार्ज स्लिप, बीमित का ई.सी.जी. कराने हेतु सरकारी अस्पताल, मुरादाबाद में दिनांक 19-01-2016 को जमा करायी गई फीस की रसीद, बीमित के ई.सी.जी., सरस्वती अस्पताल, मेरठ के चिकित्सक द्वारा दिया गया इस आशय का सर्टिफिकेट कि परिवादनी के पति मौ. असलम की मृत्यु उनके अस्पताल में दिनांक 19-01-2016 को हार्ट अटैक की वजह से हुई, मेरठ नगर निगम द्वारा जारी बीमित के मृत्यु प्रमाण पत्र तथा परिवादनी द्वारा प्रस्तुत किये गये बीमा दावे को अस्वीकृत किये जाने विषयक विपक्षीगण के रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 30-5-2016 की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/6 लगायत 3/14 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-8/1 लगायत 8/7 दाखिल हुआ, जिसमें परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित बीमा पालिसी जारी किये जाने से तो इंकार नहीं किया गया है किन्तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया है। अग्रेत्तर कथन किया गया कि दिनांक 17-3-2016 को परिवादनी की ओर से मौ. असलम का मृत्यु दावा प्राप्त होने पर उसकी जांच सर्वेयर से करायी गई तो पाया गया कि दिनांक 30-7-2015 को बीमा पालिसी के रिवाइबल से पूर्व बीमित की मृत्यु हो चुकी थी। जांचकर्ता ने पाया कि बीमित दिनांक 25-7-2014 को मरा था और दौरान जांच ग्राम पंचायत अधिकारी ग्राम शहवाजपुर कला ब्लॉक असमोली, संभल के द्वारा तत्संबंधी सर्टिफिकेट जांचकर्ता को उपलब्ध कराया गया था। दिनांक 25-7-2014 को बीमित की मृत्यु हो जाने विषयक गांव के परिवार रजिस्टर में प्रविष्टि भी जांचकर्ता ने होना पाया। विपक्षीगण के अनुसार चूंकि पालिसी रिवाइबल से पूर्व दिनांक 25-7-2014 को बीमित की मृत्यु हो चुकी थी। अतएव विपक्षीगण ने परिवादनी का बीमा दावा अस्वीकृत करके न तो सेवा में कोई कमी की और न ही कोई त्रुटि की। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
- परिवादनी ने परिवाद कथनों को सिद्ध करने के लिए अपना शपथपत्र कागज सं.-9/1 लगायत 9/5 दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से विपक्षी-1 के शाखा प्रबन्धक श्री विनीत कुमार यादव का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-11 लगायत 11/6 दाखिल हुआ। इस साक्ष्य शपथपत्र के साथ विपक्षीगण की ओर से मृतक द्वारा भरे गये प्रस्ताव फार्म, परिवादनी द्वारा विपक्षी-1 को क्लेम का पैसा दिलाये जाने हेतु लिखे गये पत्र दिनांकित 17-3-2016, विपक्षीगण के जांचकर्ता द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट, ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा अभिकथित रूप से दिये गये प्रमाण पत्र, मृतक के परिवार रजिस्टर तथा रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 30-5-2016 की छायाप्रतियों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-11/7 लगायत 11/21 हैं।
- विपक्षीगण के सर्वेयर श्री रोहित खटवानी का शपथपत्र कागज सं.-13/3 भी विपक्षीगण ने जांच रिपोर्ट को प्रमाणित करने हेतु प्रस्तुत किया। इस शपथपत्र के साथ मूल जांच रिपोर्ट कागज सं.-13/5 लगायत 13/11 भी दाखिल की गई किन्तु इस रिपोर्ट के संलग्नक दाखिल नहीं हुए।
- परिवादी की ओर से लिखित बहस दाखिल की गई। विपक्षीगण ने लिखित बहस दाखिल नहीं की। हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादनी के पति ने विपक्षी-1 के एजेंट के माध्यम से परिवाद पत्र के पैरा-1 में उल्लिखित बीमा पालिसी विपक्षीगण से वर्ष 2011 में ली थी। इस बिन्दु पर भी कोई विवाद नहीं है कि इस बीमा पालिसी की बीमा राशि आठ लाख रूपये थी। बीमित का स्वर्गवास हो गया यह भी विवादित नहीं है। विवाद केवल इस बात का है कि बीमित की मृत्यु दिनांक 19-01-2016 को हुई थी, जैसा कि परिवादनी ने परिवाद में उल्लेख किया है अथवा उसकी मृत्यु दिनांक 25-7-2014 को हुई थी, जैसा कि प्रतिवाद पत्र के पैरा-12 एवं 13 में कहा गया है।
- परिवादनी के विद्वान अधिवक्ता ने इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए कि उसके पति की मृत्यु हृदयघात की वजह से दिनांक 19-01-2016 को सरस्वती हॉस्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर, मेरठ में हुई थी, सरकारी अस्पताल, मुरादाबाद की डिस्चार्ज स्लिप, ईसीजी कराने हेतु जमा की गई फीस की रसीद, बीमित के ईसीजी, सरस्वती हॉस्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर मेरठ के चिकित्सक द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र एवं नगर निगम, मेरठ द्वारा प्रदत्त बीमित के मृत्यु प्रमाण पत्र की नकल की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया। इन चिकित्सीय प्रपत्रों को परिवादनी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र द्वारा सिद्ध किया है। इन प्रपत्रों से परिवादनी के इन कथनों की पुष्टि होती है कि दिनांक 19-01-2016 को उसके पति की अचानक तबियत खराब होने पर उन्हें तत्काल सरकारी अस्पताल मुरादाबाद ले जाया गया था, जहां उसी दिन उनकी ईसीजी हुई। चिकित्सक ने बेहतर इलाज हेतु उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। बीमित को तत्काल सरस्वती हॉस्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर, मेरठ ले जाया गया, जहां उसी दिन अर्थात दिनांक 19-01-2016 को उसकी हृदयघात की वजह से मृत्यु हो गई। बीमित का मृत्यु प्रमाण पत्र भी मेरठ नगर निगम द्वारा प्रदान किया गया, जिसमें बीमित मौ. असलम की मृत्यु सरस्वती हास्पिटल एण्ड ट्रामा सेंटर, मेरठ में दिनांक 19-01-2016 को हो जाने का उल्लेख है। सरकारी अस्पताल, मुरादाबाद के इन चिकित्सीय प्रपत्रों पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण दिखायी नहीं देता। इस प्रकार बीमित मौ. असलम की मृत्यु दिनांक 19-01-2016 को होना प्रमाणित है।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अपने इंवेस्टीगेटर की जांच रिपोर्ट के साथ दाखिल ग्राम पंचायत अधिकारी के सर्टिफिकेट और मृतक के परिवार रजिस्टर की छायाप्रति, जो पत्रावली में कागज सं.-11/18 व 11/19 हैं की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और कहा कि बीमित की मृत्यु दिनांक 25-7-2014 को हो गई थी किन्तु ग्राम पंचायत अधिकारी के सर्टिफिकेट में उल्लिखित इस तथ्य को कि बीमित की मृत्यु दिनांक 25-7-2014 को हो गई थी, विपक्षीगण प्रमाणित नहीं कर पाये हैं। उल्लेखनीय है कि इंवेस्टीगेटर अपने साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-13/3 में विशिष्ट रूप से इस सर्टिफिकेट और उसके साथ दाखिल परिवार रजिस्टर की नकल का उल्लेख करने का साहस नहीं कर पाये हैं कि यदि ये दोनों प्रपत्र इंवेस्टीगेटर को ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराये गये थे तो विपक्षीगण से अपेक्षित था कि वे इन प्रपत्रों की प्रमाणित प्रतियां पत्रावली में दाखिल करते किन्तु ऐसा नहीं किया गया। यहां तक कि कथित परिवार रजिस्टर की नकल कागज सं.-11/19 पर किसी सक्षम प्राधिकारी की प्रमाणिकरण की मोहर अथवा हस्ताक्षर तक नहीं हैं। इन परिस्थितियों में ग्राम पंचायत अधिकारी के द्वारा दिये जाना बताये जा रहे ये प्रपत्र प्रमाणित नहीं हैं। यहां हम इस बात का भी उल्लेख करना समीचीन समझते हैं कि प्रतिवाद पत्र के अनुसार बीमित की मृत्यु वर्ष 2015 में बीमा पालिसी के रिवाइवल से पूर्व दिनांक 25-7-2014 को हो गई थी किन्तु विपक्षीगण ने ऐसा कोई अभिलेख पत्रावली पर दाखिल नहीं किया, जिससे प्रकट हो कि बीमित की प्रश्नगत पालिसी का वर्ष 2015 में रिवाइवल कराया गया था और जिस समय विपक्षीगण बीमित की मृत्यु होना अभिकथित कर रहे हैं, उस समय प्रश्नगत पालिसी लैप्स अवस्था में थी। किसी भी दृष्टिकोण से बीमित की मृत्यु दिनांक 25-7-2014 को हो जाना प्रमाणित नहीं है।
- उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवादनी के पति मौ. असलम की मृत्यु दिनांक 19-01-2016 को हृदयघात के कारण हुई थी, जैसा कि परिवाद में उल्लेख है। हमारे सुविचारित मत में विपक्षीगण द्वारा रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 30-5-2016 द्वारा परिवादनी द्वारा प्रस्तुत बीमा दावा अस्वीकृत करके सेवा में कमी व त्रुटि की है। अतएव परिवादनी का परिवाद स्वीकृत किये जाने योग्य है।
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परिवादनी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकृत किया जाता है। विपक्षीगण बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से एक माह के अंदर प्रश्गनत बीमा पालिसी क्लेम की राशि अंकन-8,00,000(आठ लाख) रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दायरा तिथि तावसूली परिवादनी को अदा करें। विपक्षीगण अंकन-10,000(दस हजार) रूपये मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति एवं अंकन-2500/-रूपये वाद व्यय भी परिवादनी को अदा करें। (सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया। (सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष दिनांक: 05-12-2017 | |