Uttar Pradesh

StateCommission

CC/210/2016

Rajendra Singh - Complainant(s)

Versus

Bajaj Allianz Life Insurance Co.Ltd - Opp.Party(s)

Sanjay Kumar Verma

04 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/210/2016
( Date of Filing : 16 Aug 2016 )
 
1. Rajendra Singh
Muradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Bajaj Allianz Life Insurance Co.Ltd
Pune
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Jun 2024
Final Order / Judgement

               (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

परिवाद सं0 :- 210/2016

 Rajendra Singh S/O Shri Diwan Singh, R/O Lakri Fazalpur, Thana-majhola, District-Moradabad.  

  1.                                                                               Complainant   

Versus

  1. Bajaj Allianz Life Insurance Co. Ltd. Registered Office: 5th Floor, GE Plaza, Airport Road, Yerwada, Pune (Maharashtra)-411006 Through its Chairman/Managing Director
  2. Bajaj Allianz Life Insurance Co. Ltd. 173-B, First Floor, Opposite Spring Field School, Delhi Road, Moradabad (uttar Pradesh) 244001 Through its Branch Manager.
  3.                                                                                 Opposite Parties  

   समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री संजय कुमार वर्मा

विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री संजीव बहादुर श्रीवास्‍तव

दिनांक:-04.06.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.        यह परिवाद विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विरूद्ध अंकन 50,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए वाद 24 प्रतिशत ब्‍याज के साथ प्रस्‍तुत किया गया है। मानसिक प्रताड़ना के मद में 5,00,000/-रू0 तथा परिवाद व्‍यय के रूप में 55,000/-रू0 की मांग की गयी।
  2.               परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के पुत्र रणजीत द्वारा एक बीमा पॉलिसी अपने जीवनकाल में अंकन 25,00,000/-रू0 मूल्‍य की प्राप्‍त की गयी थी, जिसमें दुर्घटना लाभ भी शामिल था। यह पॉलिसी 30 वर्ष के लिए थी तथा इस पॉलिसी में परिवादी को नॉमिनी बनाया गया है। पॉलिसी का प्रीमियम अंकन 4,339/-रू0 34 पैसे नियमित रूप से अदा किया गया है। दिनांक 15.02.2016 को पुलिस थाना अस्‍मौली में जब परिवादी मोटर साईकिल संख्‍या यू0पी0-23 एम-8479 से बीमित पुत्र के साथ जा रहा था तब दुर्घटना घटित हुई। परिवादी तथा उसके पुत्र घायल हुए। जिला अस्‍पताल सम्‍भल में प्राथमिक चिकित्‍सा प्राप्‍त की गयी। बीमा धारक को उर्मिला नर्सिंग होम मेरठ में ट्रांसफर किया गया, जहां पर दिनांक 16.02.2016 को इलाज के दौरान बीमा धारक की मृत्‍यु हो गयी। दुर्घटना की सूचना थान पर दर्ज करायी गयी। इलाज के पर्चे एवं मृत्‍यु प्रमाण पत्र दस्‍तावेज सं0 2 लगायत 5 परिवाद के साथ प्रस्‍तुत किये गये।
  3.       बीमा कम्‍पनी के समक्ष बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया, परंतु बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा क्‍लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि बीमा पॉलिसी मृतक व्‍यक्ति के नाम ली गयी थी तथा बीमारी का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किया गया। बीमा क्‍लेम निरस्‍त करने का आदेश एनेक्‍जर सं0 6 है। यथार्थ में पॉलिसी मृतक के जीवन काल में हुई है। बीमा कम्‍पनी द्वारा उसका मेडिकल चेकअप भी कराया गया था, इसलिए किसी तथ्‍य को नहीं छिपाया गया है। तदनुसार बीमित राशि दुर्घटना हित लाभ सहित प्राप्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। इस परिवाद के तथ्‍य की पुष्टि शपथ पत्र द्वारा की गयी तथा उपरोक्‍त वर्णित दस्‍तावेज भी प्रस्‍तुत किये गये।
  4.       बीमा कम्‍पनी का कथन है कि दिनांक 12.09.2012 को रणजीत के जीवन पर भी बीमा पॉलिसी का प्रस्‍ताव भरा गया, जिसमें दुर्घटना हित लाभ शामिल नहीं था। उर्मिला नर्सिंग होम द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र दिया गया है कि रणजीत नाम का मरीज उनके अस्‍पताल में भर्ती नहीं हुआ और उनके द्वारा कोई मृत्‍यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। इस नाम के व्‍यक्ति के अस्‍पताल में मृत्‍यु नहीं हुई, इसलिए दुर्घटना होने, दुर्घटना में मृत्‍यु होने की समस्‍त कहानी असत्‍य है। जांच में पाया गया कि यथार्थ मे रणजीत की मृत्‍यु जुलाई 2011 में इस पॉलिसी के क्रय करने से पूर्व हो चुकी थी। उसका अंतिम संस्‍कार 23 जुलाई 2011 को लोकोशड क्रिमेशन ग्राउण्‍ड, मुरादाबाद में हुआ था, जिसका प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा दिया गया है। मृतक रणजीत के रिश्‍तेदारों ने भी स्‍वीकार किया है कि रणजीत गले के कैंसर से पीडित था और उसकी मृत्‍यु 05 वर्ष पूर्व हो चुकी है, इसलिए बीमा क्‍लेम विधि‍सम्‍मत आधार पर नकारा गया है। इन सभी तथ्‍यों की पुष्टि शपथ पत्र द्वारा की गयी है तथा दस्‍तावेज सं0 6 लगायत 35 प्रस्‍तुत किये गये हैं।
  5.       दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍ताओं को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का अवलोकन किया।
  6.       इस परिवाद के निस्‍तारण के लिए सर्वप्रथम यह बिन्‍दु तय करना है कि क्‍या बीमा धारक की मृत्‍यु बीमा प्रस्‍ताव भरने से पूर्व/बीमा पॉलिसी प्राप्‍त करने से पूर्व हो चुकी थी?  इस तथ्‍य के समर्थन में बीमा कम्‍पनी द्वारा इन्‍वेस्‍टीगेटर रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गयी है, जो एनेक्‍जर सं0 1 है। इन्‍वेस्‍टीगेटर द्वारा गांव के दौलत सिंह, राजेन्‍द्र कुमार, हंसराज, सुरजीत सिंह, दीपक शर्मा से पूछताछ की गयी है। इस पूछताछ के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि बीमा धारक की मृत्‍यु वर्ष 2011 में हो चुकी थी। इसके बाद शमशान घाट रजिस्‍टर से प्रति प्राप्‍त  की गयी, जिसके आधार पर यह पुष्टि हुई कि यथार्थ में 23 जुलाई 2011 को रणजीत की मृत्‍यु हो चुकी थी। उर्मिला नर्सिंग होम मेरठ जाकर भी रणजीत के इलाज एवं मृत्‍यु के बारे में जानकारी प्राप्‍त की गयी, वहां पर मृत्‍यु प्रमाण पत्र को फर्जी बताया गया और यह भी बताया गया कि इस नाम का कोई मरीज उनके अस्‍पताल में भर्ती नहीं हुआ और न ही अस्‍तपाल में मृत्‍यु कारित हुई। अमर पाल सिंह नामक व्‍यक्ति द्वारा बयान दिया गया है कि रणजीत अमल सिंह का साला है और उसकी मृत्‍यु लगभग 05 वर्ष पूर्व हुआ था। यह बयान दिनांक 01.04.2016 को अंकित किया गया, जिनकी पुष्टि दौलत सिंह आदि व्‍यक्ति द्वारा की गयी। दस्‍तावेज सं0 23 पर उर्मिला नर्सिंग होम मेरठ द्वारा टिप्‍पणी की गयी है कि जिस व्‍यक्ति का मृत्‍यु प्रमाण पत्र बनाया गया है वह उनके कभी अस्‍पताल में भर्ती नहीं हुआ और यह प्रमाण पत्र फर्जी/बनावटी है।
  7.       दिनांक 15.02.2006 की घटना के बारे में जो तहरीर थाना प्रभारी अस्‍मौला जिला सम्‍भल को दी गयी है। इसमें दुर्घटना होना बताया गया है और किसी भी व्‍यक्ति का दोष नहीं बताया गया है। इस तहरीर का लेख भी दिनांक 15.02.2016 की घटना को संदिग्‍ध बनाता है। यही कारण है कि इस तहरीर के आधार पर विवेचना का क्‍या  निष्‍कर्ष निकाला गया, उसे परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं किया गया। उर्मिला नर्सिंग होम जहां पर इलाज कराना बताया गया, उसके संबंध में इस नर्सिंग होम द्वारा जारी प्रमाण पत्र का उल्‍लेख ऊपर किया जा     चुका है। अत: यह दस्‍तावेज फर्जी साबित होता है। दस्‍तावेज सं0 35 पर परिवादी तथा उनके परिवार के सदस्‍यों का एक पत्र है, जिसमें  मृत्‍यु के पश्‍चात पंचनामा और पोस्‍टमार्टम से इंकार किया गया है, ज‍बकि दुर्घटना में कारित मृत्‍यु का पंचनामा तथा पोस्‍टमार्टम होना विधि के अंतर्गत अपेक्षित था। ऐसा इसलिए किया गया कि चूंकि मरीज रणजीत नामक व्‍यक्ति अस्‍पताल में भर्ती ही नहीं था इसलिए पंचनामा करने एवं पोस्‍टमार्टम कराने का कोई अवसर ही नहीं था। यह पत्र    बीमा क्‍लेम को बल देने के उद्देश्‍य से तैयार किया गया है। इसी अस्‍पताल के प्रमाण पत्र के आधार पर उत्‍तर प्रदेश सरकार से मृत्‍यु  प्रमाण पत्र तैयार कराया गया है। यद्यपि न्‍यूरो गोयल केयर सेण्‍टर मुरादाबाद तथा प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र सम्‍भल में रणजीत नाम से किसी रोगी को भर्ती कराने का उल्‍लेख अवश्‍य मिलता है, परंतु चूंकि रणजीत नाम के व्‍यक्ति को कभी भी मेरठ में भर्ती नहीं कराया गया, जहां पर मृत्‍यु होना कहा जाता है। मेरठ में भर्ती कराने से संबंधित सभी दस्‍तावेज एवं मृत्‍यु प्रमाण पत्र फर्जी तैयार करते हुए प्रस्‍तुत किये गये। इस तथ्‍य की पुष्टि स्‍वयं मेरठ स्थित नर्सिंग होम ने की है, जिनका कथन है कि रणजीत नाम का व्‍यक्ति इलाज के लिए उनके अस्‍पताल में भर्ती नहीं हुआ न ही रणजीत नाम के व्‍यक्ति की मृत्‍यु कारित हुई और न ही उनके द्वारा कोई मृत्‍यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है। उनके द्वारा स्‍पष्‍ट कथन किया गया कि मृत्‍यु प्रमाण पत्र फर्जी एवं बनावटी है। उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर यह तथ्‍य स्‍थापित होता है कि बीमा धारक की मृत्‍यु पूर्व मे हो चुकी थी और मृत्‍यु के पश्‍चात बीमा पॉलिसी प्राप्‍त की गयी। यद्यपि बीमा पॉलिसी प्राप्‍त करने में संबंधित एजेण्‍ट का षड्यंत्र रहा है, जिसके विरूद्ध बीमा कम्‍पनी द्वारा कार्यवाही अमल मे लायी जानी चाहिए, परंतु बीमा क्‍लेम नकारने का बीमा कम्‍पनी का जो आधार है, वह विधिसम्‍मत है। चूंकि एक व्‍यक्ति से बीमे की किश्‍त बीमा कम्‍पनी द्वारा प्राप्‍त की गयी है। अत: बीमा कम्‍पनी उस सभी राशि को वापस लौटाने के लिए उत्‍तरदायी है जो बीमे के प्रीमियम के रूप में प्राप्‍त की है। तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

      परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। बीमा क्‍लेम से संबंधित अनुतोष खंडित किया जाता है। यद्यपि बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि प्रीमियम के रूप में जो भी राशि प्राप्‍त की गयी है, उस राशि पर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्‍याज के साथ परिवादी को 45 दिन के अंदर वापस लौटाये जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

       सदस्‍य सदस्‍य

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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