Uttar Pradesh

Chanduali

CC/23/2014

SURENDRA PRASAD GOD - Complainant(s)

Versus

BAJAJ ALLIANZ LIFE INSU.COM LTD - Opp.Party(s)

15 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/23/2014
 
1. SURENDRA PRASAD GOD
AKHALASAPUR,KAIMUR BHABHUA BIHAR
BIHAR
KAIMUR
...........Complainant(s)
Versus
1. BAJAJ ALLIANZ LIFE INSU.COM LTD
SUBASH NAGAR BESIDE SUBASH PARK G.T ROAD MUGHALSARAI CHANDAULI
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. jagdishwar Singh PRESIDENT
 HON'BLE MR. Markandey singh MEMBER
 HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 23                                सन् 2014ई0
सुरेन्द्र प्रसाद गौड़ पुत्र स्व0 रामकृत प्रसाद गोड़ ग्राम अखलासपुर (मड़ई)पो0 अखलासपुर जिला कैमूर (भभुआ) बिहार।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-बजाज अलियांज लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा शाखा प्रबन्धक बजाज अलियांज लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 952,सुवाष नगर सुवाष पार्क के पीछे, जी0टी0रोड मुगलसराय जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देवी मौर्या सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1-    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी से मुत्यु दावा राशि मु0 8,10,000/- मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ एवं शारीरिक मानसिक क्षति के रूप में मु0 1,00000/- एवं मुकदमा खर्चा दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    परिवादी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी के भाई शंकर प्रसाद गोड को विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय मुगलसराय में कार्यरत अभिकर्ता तथा सेल्स मैनेजर ने बीमा योग्य पाते हुए बीमा प्रस्ताव सम्बन्धित कागजात लेकर बजाज अलियांज इन्वेस्टमेन्ट इकनोमी योजना के तहत जीवन जोखिम का 25 वर्ष के लिए बीमा किया,जिसका पालिसी संख्या 0265061191 है। परिवादी के मृतक भाई ने बीमा की अर्द्धवार्षिक प्रीमियम मु0 13431/- विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 16-4-2012 को जमा किया। दुर्भाग्यवश परिवादी के भाई की दिनांक 13-7-2012 को समय सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर अचानक तबियत खराब हुई जिसका डाक्टरी इलाज के पूर्व करीब 8 बजे सुबह घर पर मृत्यु हो गयी, जिसका दाह संस्कार बनारस के मर्णिकर्णिका घाट पर किया गया। परिवादी ने अपने मृतक भाई के बीमा राशि पाने हेतु मुत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति के साथ दिनांक 10-9-2012 को विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय मुगलसराय में दावा प्रस्तुत किया। विपक्षी बीमा कम्पनी की शाखा मुगलसराय द्वारा दावा लेने से इन्कार करते हुए शाखा कार्यालय भभुआ में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। परिवादी ने उक्त बीमा दावा को दिनांक 12-9-2012 को बीमा कम्पनी के भभुआ कार्यालय में प्रस्तुत किया तो उसे इन्टीमेशन लेटर,ई0पी0एस0 फार्म देते हुए उसे सम्पुष्ठ कराकर मृत्यु प्रमाण पत्र,नामिनी का पहचान पत्र,नामिनी के पासबुक की छायाप्रति,मूल पालिसी बाण्ड के साथ जमा करने को कहा। तदोपरान्त परिवादी ने फार्म को सम्पुष्ट कराकर सम्पूर्ण कागजात के साथ दिनांक 19-9-2012 को भभुआ शाखा कार्यालय में जमा कर दिया, जिसकी प्राप्ति रसीद परिवादी को दिया गया, और 12 पन्ना का दावा फार्म देते हुए इसे पूर्ण करके तीन दिन में जमा करने का निर्देश दिया। परिवादी ने दावा फार्म को सम्पुष्ट कराकर विपक्षी बीमा कम्पनी के
                                                                                      2
 शाखा कार्यालय भभुआ में जमा करके प्राप्ति रसीद प्राप्त किया। परिवादी को बीमा कम्पनी के जांच अधिकारी ने फोन पर कई बार बुलाया एवं नाजायज धन की मांग किये किन्तु बीमा दावा की जांच नहीं किया। परिवादी दिनांक 5-11-2012 को विपक्षी के शाखा कार्यालय भभुआ में जाकर उक्त बातों को बताया तो विपक्षी के भभुआ शाखा द्वारा परिवादी को अवगत कराया गया कि यदि जांच अधिकारी द्वारा दावा की रिर्पोट सही नहीं लिखेगे तो कानूनी सहायता ले सकते है। किन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी के द्वारा दावा क्लेम के भुगतान हेतु सभी औपचारिकताएं पूर्ण करा लेने के बाद भी बीमा दावा का भुगतान नहीं किया गया तो परिवादी ने जिला उपभोक्ता फोरम कैमूर (भभुआ) में वाद संस्थित किया। जिसके बाद माननीय फोरम द्वारा दोनों पक्षों के तर्क को सुनने के बाद दिनांक 24-3-2014 को निर्णय पारित किया कि यह परिवाद भभुआ उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार के अन्र्तगत न होने के कारण खारिज किया जाता है। परिवादी यदि चाहे तो समक्ष फोरम के क्षेत्राधिकार के अन्र्तगत परिवाद दाखिल कर सकता है, तब इस फोरम में परिवाद प्रस्तुत किया गया है।  परिवादी की ओर से आगे कथन किया गया है कि विपक्षी बीमा कम्पनी के उपरोक्त कार्य एवं व्यवहार से परिवादी काफी मर्माहत है। इस प्रार्थना के साथ परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से उपरोक्त धनराशि दिलाये जाने की याचना  किया है।
3-    विपक्षी बजाज अलियांज लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 की मुगलसराय शाखा के शाखा प्रबन्धक को पंजीकृत डाक से तथा कार्यालय के चपरासी के माध्यम से जबाबदावा हेतु 2 बार नोटिस भेजी गयी जो तामिल हुई। दिनांक 7-11-2014 को शाखा प्रबन्धक इस फोरम के समक्ष उपस्थित हुए तथा वकालतनामा कागज संख्या 10 उनकी ओर से दाखिल किया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी को जबाबदावा प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया लेकिन न तो कोई जबाबदावा दाखिल हुआ और न ही उपरोक्त तिथि के बाद विपक्षी बीमा कम्पनी के तरफ से कोई उपस्थित आये। अतः यह मुकदमा विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सुना गया।
4-    परिवादी की ओर से साक्ष्य के रूप में पालिसी बाण्ड की छायाप्रति कागज संख्या 4/1 ता 4/2,प्रीमियम जमा करने की रसीद 4/3 ता 4/4,रिमाइडर शीट 4/5,पालिसी डाक्यूमेन्ट की प्रति 4/5 ता 4/6,प्रमाण प्रपत्र की प्रति 4/7,गीता देवी मुखिया का पत्र 4/9,मृत्यु प्रमाण पत्र 4/10,प्रार्थना पत्र 4/11ता 4/12,मृत्यु की सूचना की प्रति 4/13,मतदाता पहचान पत्र 4/15,बैंक के पासबुक की प्रति 4/16ता 4/17,बजाज एलियांज का पत्र 4/18ता 4/19,मृत्यु दावा 4/20,क्लेम रिर्पोट 4/23 दाखिल किया गया है।
5-    हम लोगों ने पत्रावली का गम्भीरतापूर्वक परिशीलन किया है एवं परिवादी सुरेन्द्र प्रसाद गौड की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस का परिशीलन किया है और मौखिक रूप से उन्हें सुना है।

                                                                                                        3
6-    परिवाद पत्र के कथनों से एवं परिवादी की ओर से अनुलग्नक-1 के रूप में प्रस्तुत बीमा के कागजात कागज संख्या 4/1 ता 4/7 के परिशीलन से यह पाया जाता है कि श्री शंकर प्रसाद गौड पुत्र स्व0 रामकृत प्रसाद गौड निवासी ग्राम व पो0 अखलासपुर जिला कैमूर (भभुआ)बिहार ने विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 16-4-2012 को ’’बजाज अलियांज इन्वेस्टमेन्ट इकनोमी योजना’’ के अन्र्तगत मु0 8,10,000/- का बीमा 25 वर्ष के लिए कराया था जिसकी नियमित अर्द्धवार्षिक किश्त मु0 12979/-थी। यह बीमा पालिसी दिनांक 5-5-2012 को प्रारम्भ हुई थी तथा इसकी परिपक्वता की तिथि दिनांक 5-5-2037 थी। पालिसी कराते समय बीमा धारक ने अर्द्धवार्षिक किश्त मु0 13380.05 जमा किया था। परिवाद के कथनों से यह प्रकट होता है कि उपरोक्त पहली किश्त जमा करने के मात्र 3 महीना 3 दिन बाद दिनांक 13-7-2012 को बीमा धारक शंकर प्रसाद गौड की अचानक मृत्यु हो जाना कहा गया है। बीमा पालिसी के अन्र्तगत बीमा धारक ने अपने भाई परिवादी सुरेन्द्र प्रसाद गौड को अपना नामिनी बनाया था। इस आधार पर सुरेन्द्र प्रसाद गौड द्वारा यह परिवाद बीमा धनराशि दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
7-    परिवाद में कथन किया गया है कि दिनांक 13-7-2012 को सुबह 7.30 बजे बीमाधारक की अचानक तबियत खराब हुआ तथा किसी डाक्टरी उपचार के पूर्व मात्र आधा घण्टे बाद 8.00 बजे सुबह उसका निधन घर पर हो गया। निधन के बाद उसका दाह संस्कार वाराणसी के मर्णिकर्णिका घाट पर किया गया। परिवाद में इस तथ्य को स्पष्ट नहीं किया गया है कि शंकर प्रसाद गौड को अचानक ऐसी कौन सी बीमारी हो गयी जिसकी वजह से मात्र आधे घण्टे में उसकी मृत्यु हो गयी। परिवादी द्वारा इस बिन्दु पर कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है कि बीमाधारक को क्या बीमारी हुई थी जिससे उसकी मृत्यु हुई। बीमाधारक के इलाज अथवा मृत्यु के सम्बन्ध में कोई डाक्टरी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। वाराणसी मर्णिकर्णिका घाट में लाकर उसका दाह संस्कार उक्त तिथि को करने का कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं दिया गया है।
8-    बीमाधारक बिहार प्रान्त के अन्र्तगत ग्राम अखलासपुर जिला कैमूर (भभुआ) का निवासी था। कोई भी व्यक्ति आमतौर पर बीमा अपने निवास के आसपास स्थित बीमा कम्पनी से कराता है। अपना जिला व प्रान्त छोडकर उत्तर प्रदेश मुगलसराय में आकर बीमाधारक द्वारा भारी धनराशि मु0 8,10,000/- का बीमा कराना तथा बीमा कराने के मात्र 3 महीने बाद अचानक मर जाना, बीमा के प्रस्ताव में किये गये अभिकथनों पर गम्भीर रूप से संदेह उत्पन्न करता है। ऐसे बीमा दावों का भुगतान सघन जांच के बाद ही किया जा सकता है।
9-    इस प्रकरण में परिवादी द्वारा कथन किया गया है कि बीमाधारक की मृत्यु के बाद वह बीमा दावा प्रस्तुत करने हेतु दिनांक 10-9-2012 को बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय मुगलसराय में आया था जहाॅं से बीमा पालिसी ली गयी थी लेकिन उसका बीमा दावा उक्त शाखा कार्यालय ने लेने से मना कर दिया और कहा कि आप इस कम्पनी के नजदीकी शाखा कार्यालय में बीमा दावा प्रस्तुत करंे। तब 
                                                                                                   4
विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय भभुआ में दिनांक 19-9-2012 को बीमा दावा उसने प्रस्तुत कर दिया। बीमा दावा प्रस्तुत करने के लिए जो भी आवश्यक अभिलेख यथा इन्टीमेशन लेटर,मृत्यु प्रमाण पत्र,नामिनी का पहचान पत्र,बैंक पासबुक, नामिनी का ई.पी.एस. दावा फार्म,मूल पालिसी डाक्यूमेन्ट आदि सब जमा कर दिया और रसीद प्राप्त कर लिया। यहाॅं यह तथ्य बहुत महत्वपूर्ण है कि बीमा दावा का निस्तारण उसी ब्रांच से अथवा उससे सम्बन्धित क्षेत्रीय कार्यालय से किया जाता है जहाॅं से बीमा लिया जाता है। मुगलसराय शाखा से बीमा लिया गया था। इस बिन्दु पर कोई विश्वसनीय प्रमाण परिवादी ने प्रस्तुत नहीं किया है कि उसने बीमा दावा विपक्षी बीमा कम्पनी के उपरोक्त मुगलसराय शाखा में जमा किया था जहाॅं से बीमाधारक को बीमा जारी किया गया था। परिवाद में मात्र यह कथन किया गया है कि उक्त शाखा कार्यालय में बीमा दावा नहीं लिया गया। यदि शाखा कार्यालय ने बीमा दावा नहीं लिया तो पंजीकृत डाक से बीमा दावा परिवादी को भेजना चाहिए था तथा सम्बन्धित क्षेत्रीय कार्यालय को भी वह अपना बीमा दावा प्रेषित कर सकता था। बीमा करने वाली शाखा कार्यालय में बीमा दावा प्रेषित न करके बिहार प्रान्त में भभुआ कार्यालय को बीमा दावा प्रेषित करना पुनः इस प्रकरण को संदेहजनक बनाता है।
10-    इस प्रकरण में यह नितान्त महत्वपूर्ण पाया जाता है कि जब बीमाधारक के जिला भभुआ में बीमा कम्पनी की शाखा कार्यालय थी तो वहाॅं से बीमा न कराकर उत्तर प्रदेश प्रान्त के अन्र्तगत मुगलसराय से क्यों बीमा कराया गया, इसका कोई कारण परिवाद पत्र में नहीं बताया गया है। बीमाधारक ने कुल 8,10,000/- का बीमा कराया है। बीमाधारक के आय का क्या स्रोत था और इतनी बडी धनराशि का बीमा क्यों लिया गया तथा इसकी क्या आवश्यकता थी इस बारे में भी परिवाद में कोई कथन नहीं है। बीमाधारक शादी-शुदा था या नहीं अथवा उसकी पत्नी या बाल-बच्चे हंै या नहीं, इस बिन्दु पर भी परिवाद में कोई कथन नहीं किया गया है। परिवाद में इस बिन्दु पर भी कोई कथन नहीं है कि परिवादी सुरेन्द्र प्रसाद गौड जो कि बीमाधारक का अपने को भाई जाहिर करता है उसको बीमाधारक ने किस वजह से नामिनी बनाया।
11-    उपरोक्त सारी संदेहजनक परिस्थितियों में तथा बीमा की भारी धनराशि को देखते हुए एवं इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए कि मात्र पहली किश्त जमा करने के बाद 3 महीने में अचानक बीमाधारक मर गया, संदेहजनक स्थितियों को उत्पन्न करता है। बीमाधारक को क्या बीमारी थी तथा अचानक कैसे मर गया उसका कोई डाक्टरी उपचार क्यो प्राप्त नहीं हुआ अथवा डाक्टर से कोई मृत्यु प्रमाण पत्र क्यों नहीं लिया गया, यह परिस्थितियाॅं पुनः बीमाधारक के प्रस्ताव में किये गये कथनों पर गम्भीर संदेह उत्पन्न करता है। इस प्रकरण में पाया जाता है कि नोटिस की तामिला के बावजूद तथा फोरम के समक्ष शाखा प्रबन्धक के उपस्थित होने के बाद भी उनके द्वारा कोई जबाबदावा नहीं दिया गया है जो उनकी घोर लापरवाही का द्योतक है ऐसे प्रबन्धक के विरूद्ध बीमा कम्पनी को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। 
                                                                                                      5
इस प्रकरण में बीमा की भारी धनराशि को देखते हुए तथा उपरोक्त संदेहजनक तथ्यों को ध्यान में रखकर यह उचित पाया जाता है कि परिवादी को निर्देश दिया जाय कि वह नये सिरे से बीमा दावा बीमा पालिसी निर्गत करने वाली शाखा कार्यालय के शाखा प्रबन्धक के समक्ष प्रस्तुत करे। विपक्षी बीमा कम्पनी को भी यह निर्देश दिया जाना उचित है कि इस निर्णय में दर्शाये गये उपरोक्त सभी तथ्यों और बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए बीमा दावा की सघनता से जांच करते हुए विधि अनुसार फोरम द्वारा निर्धारित समय सीमा के अन्दर उसका निस्तारण करें। सम्बन्धित बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा का निस्तारण न होने की स्थिति में प्रस्तुत परिवाद को अपरिपक्व पाते हुए इसे इस स्तर पर खारिज किया जाना न्यायोचित है।
                                                                                                 आदेश
    प्रस्तुत परिवाद अपरिपक्व होने की वजह से खारिज किया जाता है परिवादी को निर्देश दिया जाता है कि इस निर्णय की तिथि से 15 दिन के भीतर वह समस्त वांछित अभिलेखों के साथ बीमा पालिसी निर्गत करने वाले विपक्षी बीमा कम्पनी के मुगलसराय शाखा में बीमाधारक के मृत्यु का दावा प्रस्तुत करें। विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा प्रबन्धक को तथा उसके क्षेत्रीय प्रबंधक को आदेश दिया जाता है कि वह दावा प्रस्तुत होने की तिथि से 3 माह के अन्दर परिवादी के दावा का सम्यक जांच के उपरान्त विधि अनुसार उसका निस्तारण करें। 

(मारकण्डेय सिंह)              (मुन्नी देबी मौर्या)                    (जगदीश्वर सिंह)
  सदस्य                        सदस्या                            अध्यक्ष
                                                           दिनांक 15-4-2015

 
 
[HON'BLE MR. jagdishwar Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Markandey singh]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.