(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-96/2010
मै0 बॉम्बे ड्रेसेस, स्थित 101/399 कोलोनेल गंज, कानपुर, द्वारा पार्टनर श्री राजेश दूबे पुत्र श्री राजेन्द्र कुमार दूबे, निवासी 11/329, सौतरगंज, कानपुर।
परिवादी
बनाम्
बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, ब्रांच आफिस 11/9, सिलवर लाइन, अपोजिट एलगिन मिल रिटेल शॉप, सिविल लाइन्स, कानपुर, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन, विद्वान
अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार, विद्वान
अधिवक्ता के सहायक अधिवक्ता
श्री आनन्द भार्गव।
दिनांक: 01.03.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध अंकन 30,35,970/-रू0 की क्षति की पूर्ति 24 प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने के लिए, अंकन 05 लाख रूपये मानसिक प्रताड़ना तथा स्वास्थ्य की हानि के लिए अंकन 05 लाख रूपये प्राप्त करने के लिए, वाद व्यय की मद में अंकन 36 हजार रूपये प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार दिनांक 29.03.2007 को स्टैण्डर्ड फायर एवं स्पेशल पेरिल्स पालिसी अंकन 32 लाख रूपये नवीनीकरण की योजना के साथ प्राप्त की गई। औद्योगिक परिसर में दिनांक 23.03.2008 को अग्निकांड के कारण दो कमरे में रखे हुए स्टॉक जल गए तथा 481 बॉक्सेस में रखे हुए बच्चो के गारमेंट्स सुरक्षित पाए गए, जो तीसरे तल पर रखे हुए थे। इस घटना की सूचना उसी दन विपक्षी पक्षकार को दी गई तथा इस तथ्य की सूचना दी गई कि इस अग्निकांड से क्या-क्या जला, जिसमें कंप्यूटर, कंप्यूटर टेबिल, दस्तावेज, फिनिशिंग टेबिल, प्रेस एवं आयरन टेबिल, पैकिंग मटेरियल, कार्टून्स, बाइंडिंग रोप, लोहे की छ: अलमारी, 300 बॉक्स, जिसमें सामान तैयार कर रखा गया था और 12000 पीसेज मौजूद थे तथा अर्द्धनिर्मित स्टॉक्स अंकन 9 से 10 लाख रूपये तथा क्लॉथ लंप्स अंकन 2.5 लाख रूपये के कपड़े तथा अन्य स्टॉक भी जल गया।
3. दिनांक 26.03.2008 को सर्वेयर द्वारा गोदाम का निरीक्षण किया गया और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई, परन्तु इसकी कापी परिवादी को उपलब्ध नहीं करायी गयी तथा कुछ दस्तावेज की मांग की गई। बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 16.11.2008 को परिवादी का बीमा क्लेम इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए, जबकि सर्वेयर को सभी सामान की सूची/दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए थे।
4. परिवाद पत्र के समर्थन में श्री राजेश दूबे, अधिकृत हस्ताक्षरी का शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत की गई।
5. बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 05.09.2016 को लिखित कथन प्रस्तुत किया गया। दिनांक 08.03.2011 को विपक्षी को नोटिस जारी करने का आदेश पारित किया गया और एक माह में आपत्ति दाखिल करने का उल्लेख किया गया और अग्रिम तिथि दिनांक 23.05.2011 नियत की गई थी। दिनांक 17.04.2014 से पूर्व में समन की तामील होने का कोई सबूत आदेश पंजिकाओं में अंकित नहीं है। दिनांक 17.04.2014 को विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार के सहायक अधिवक्ता श्री आनन्द भार्गव उपस्थित हो चुके थे, इसी तिथि को परिवाद अंगिकृत किया गया और उल्लेख किया गया कि विपक्षी की ओर से लिखित कथन दाखिल नहीं किया गया, इसके बाद बहस हेतु दिनांक 16.09.2014 की तिथि नियत की गई, परन्तु इस आदेश के बावजूद लिखित कथन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में दी गई व्यवस्था के अंतर्गत प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किया गया लिखित कथन समयावधि से बाधित होने के आधार पर उस पर कोई विचार नहीं किया जा सकता। अत: लिखित कथन में वर्णित तथ्यों के अवलोकन की कोई आवश्यकता नहीं है।
6. परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का अवलोकन किया गया।
7. परिवादी द्वारा सशपथ साबित किया गया है कि उनके द्वारा बीमा पालिसी प्राप्त की गई थी, जिसका कोई इंकार या खण्डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है। परिवादी द्वारा सशपथ कथन किया गया कि अग्निकांड की सूचना बीमा कंपनी को दी गई थी। बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया था, इस तथ्य का भी कोई खण्डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है।
8. अत: अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि इस अग्निकांड में परिवादी यथार्थ में कितने रूपये की क्षति होने के तथ्य को साबित कर पाए हैं। परिवादी द्वारा कुल 30,35,970/-रू0 की क्षति कारित होने का उल्लेख अपने परिवाद पत्र में किया गया है। दस्तावेज संख्या-13, जो स्वंय परिवादी द्वारा दाखिल किया गया है, सर्वेयर द्वारा परिवादी को लिखा गया एक पत्र है, जिसमें प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति, क्षतिग्रस्त सामान की सूची, लेखा बहिया, व्यापारिक गतिविधियों की सूचना, सेल टैक्स और आय कर रिटर्न्स की प्रतियां, बैलेंस शीट आदि की मांग की गई थी। दस्तावेज संख्या-15 के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी द्वारा सर्वेयर को यह पत्र लिखा गया है कि उनके द्वारा मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए हैं और इसके बाद कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 25.08.2008 का पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें दस्तावेज सर्वेयर को उपलब्ध न कराए जाने का उल्लेख है, जबकि इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि यह दस्तावेज सर्वेयर को उपलब्ध करा दिए गए हैं, परन्तु चूंकि सर्वेयर द्वारा क्षति की कोई रिपोर्ट तैयार कर परिवादी को उपलब्ध नहीं करायी गयी तथा सर्वेयर की रिपोर्ट बीमा कंपनी द्वारा भी प्रस्तुत नहीं की गई, इसलिए सर्वेयर द्वारा क्षति का क्या आंकलन किया गया और किस तरीके से किया गया, इस पर निष्कर्ष देने के लिए किसी प्रकार की दस्तावेजी या मौखिक साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। अत: इस स्थिति में परिवादी द्वारा अपनी क्षति के संबंध में जो दस्तावेज इस पत्रावली में दाखिल किए गए हैं, उन्हीं के आधार पर क्षति का आंकलन किया जाएगा। दस्तावेज संख्या-18 के अनेक्जर-ए के अनुसार कंप्यूटर प्रिंटर आदि जो सामान जला है, उसका मूल्य अंकन 18 लाख रूपये बताया गया है तथा क्लॉथ लंप्स में लगभग 2.5 लाख रूपये की हानि बतायी गयी है और सेमी फिनिस मटेरिल्स में अंकन 9 से 10 लाख रूपये की हानि का उल्लेख है, यह हानि अनुमानित है। अनेक्जर-बी के अनुसार Fancy Frocks & Parallels में अंकन 72,150/-रू0 की हानि दर्शायी गयी है। अनेक्जर-सी के माध्यम से फोटो कापीज, स्टॉक स्टेटमेंट दिनांक 30.04.2005 से 29.02.2008 संलग्न की गई है तथा अनेक्जर-ई के अनुसार लेखा बहिया प्रस्तुत किए जाने का उल्लेख है। दस्तावेज संख्या-21 आयकर रिटर्न्स असेसमेंट वर्ष 2004-2005 है। कुल आय में आय केवल 6,700/-रू0 दर्शायी गयी है और आय कर अंकन 2,345/-रू0 दर्शाया गया है। असेसमेंट वर्ष 2005-2006 दस्तावेज संख्या-22 पर मौजूद है, इस दस्तावेज के अनुसार सुसंगत वर्ष में केवल 9,650/-रू0 की आय दर्शायी गयी है और आय कर अंकन 3,530/-रू0 दर्शाया गया है। दस्तावेज संख्या-23 असेसमेंट वर्ष 2006-2007 की प्रति है, इस दस्तावेज के अनुसार अंकन 7,130/-रू0 की आय दर्शायी गयी है, जबकि आय कर अंकन 2,140/-रू0 दर्शाया गया है। दस्तावेज संख्या-24 उ0प्र0 व्यापार-कर नियमावली 1948 के नियम 41 के अंतर्गत प्रस्तुत की गई वार्षिक विवरणी है, इसमें स्टॉक केवल 14,08,787/-रू0 दर्शाया गया है। अंकन 36,21,709/-रू0 का सामान विक्रय कर दिया गया है। बैलेंस शीट दस्तावेज संख्या-30 पर मौजूद है, जिसमें कुल लाभ रू0 5,04,737.60 पैसे अंकित है। दस्तावेज संख्या-31 के अनुसार वर्ष 2004-2005 में अंकन 36,21,709/-रू0 का विक्रय दर्शाया गया है। दिनांक 31.03.2007 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लाभ हानि विवरण दस्तावेज संख्या-33 पर मौजूद है, इसमें कुल लाभ अंकन 4,84,340/-रू0 दर्शाया गया है। दिनांक 23.03.2008 को अग्निकांड हुआ है। दिनांक 31.12.2007 को स्टॉक का विवरण युनाइटेड बैंक आफ इंडिया के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जिसका कुल मूल्य अंकन 33,11,710/-रू0 दर्शाया गया है। दिनांक 31.01.2008 को प्रस्तुत किए गए स्टॉक के अनुसार कुल 30,01,710/-रू0 का स्टॉक दर्शाया गया है और दिनांक 29.12.2008 को अंकन 30,35,970/-रू0 का स्टॉक दर्शाया गया है। इस स्टॉक में से तृतीय तल पर रखे हुए बक्सों का कोई नुकसान नहीं हुआ है, जिनका उल्लेख स्वंय परिवादी द्वारा किया गया है। अग्निकांड की तिथि तक इस स्टॉक से निर्मित माल को परिवादी द्वारा तैयार करने के पश्चात विक्रय किया गया है। विक्रय कर से संबंधित सूचना केवल वर्ष 2005 की प्राप्त की गई थी। वर्ष 2007-2008 के विक्रय कर की कोई सूचना पत्रावली पर मौजूद नहीं है। अत: इस स्थिति में यह निष्कर्ष दिया जाना संभव नहीं है कि परिवादी द्वारा जिस क्षति का उल्लेख परिवाद पत्र में किया गया है, यथार्थ में उसी स्तर की क्षति कारित हुई है। परिवादी द्वारा जो आय कर विवरणी तथा वर्ष 2005 का टैक्स विवरण तथा बैंक के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं, उनके अवलोकन से अनुमानत: अंकन 05 लाख रूपये तक की क्षति होना दृष्टिगोचर होता है, इसलिए परिवादी अंकन 05 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। चूंकि परिवादी द्वारा स्वंय इस आयोग के समक्ष भी वर्ष 2007-2008 के आय कर विवरण तथा ट्रेड टैक्स विवरण दाखिल नहीं किए गए, इसलिए माना जा सकता है कि यह सभी दस्तावेज सर्वेयर को भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, इसलिए मानसिक प्रताड़ना की मद में परिवादी किसी प्रकार की राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। प्रस्तुत परिवाद तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
9. प्रस्तुत परिवाद इस सीमा तक स्वीकार किया जाता है कि बीमा कंपनी परिवादी को अंकन 05 लाख रूपये परिवाद प्रस्तुत किए जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज के साथ एक माह में अदा किया जाए।
परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25 हजार रूपये भी उपरोक्त अवधि में अदा किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3