सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1254/2013
(जिला मंच, बॉंदा द्वारा परिवाद संख्या-184/2011 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.04.2013 के विरूद्ध)
विनोद कुमार पुत्र श्री ओंकारनाथ, निवासी-ग्राम व पोस्ट तेरा, थाना-गिरवा, जिला बॉंदा।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
बजाज अलियान्ज जनरल इं0कं0लि0 द्वारा प्रबन्धक शाखा कार्यालय 11/9 सिल्वर लाइन अपोजिट एलजिन मिल रिटेल शाप सिविल लाइन्स, कानपुर।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री ए0के0 पाण्डेय, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री दिनेश कुमार, विद्वान अधिवक्ता के सहयोगी
अधिवक्ता श्री आनन्द भार्गव।
दिनांक : 07.01.2020
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, बॉंदा द्वारा परिवाद संख्या-184/2011 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.04.2013 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलकर्ता/परिवादी के कथनानुसार परिवादी टाटा मैजिक यू0पी0 90 ई 9098 का पंजीकृत स्वामी है। यह वाहन प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी से दिनांक 21.10.2009 से दिनांक 20.10.2010 तक की अवधि के लिए बीमित था। दिनांक 14/15.10.2010 की रात्रि में खत्री पहाड़ देवी से मनोज, पप्पू व 3 अन्य लोगों को बैठाकर परिवादी उक्त वाहन चलाकर बॉंदा आ रहा था, जैसे ही ग्राम पडुई के पास बॉंदा नरैनी रोड पर पहुंचा, बॉंदा की ओर से ट्रक संख्या-यू0पी0 78 बी 3116 के चालक द्वारा उक्त वाहन तेजी व लापरवाही से चलाकर परिवादी के उक्त बीमित वाहन में जोर से टक्कर मार दी, जिससे परिवादी का वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। परिवादी भी गंभीर रूप से घायल हो गया तथा वाहन में बैठे पप्पू, मनोज भी गंभीर रूप से घायल हो गये और 3 अन्य लोगों की मृत्यु हो गयी। उक्त घटना की रिपोर्ट ट्रक चालक के विरूद्ध थाना गिरवॉं में दर्ज करवाई गई। परिवादी के अनुसार घटना के समय उक्त वाहन में कुल 07 व्यक्ति बैठे थे। परिवादी द्वारा वाहन की क्षति के संदर्भ में बीमा दावा प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को प्रेषित किया गया। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गयी, सर्वेयर ने जांच में यह गलत तथ्य अंकित किया कि दुर्घटना के समय उक्त बीमित वाहन में 13 सवारियां बैठी थीं। परिवादी का बीमा दावा अवैध रूप से निरस्त कर दिया गया। प्रश्नगत बीमित वाहन की मरम्मत परिवादी ने बाबा मोटर्स, टाटा अथराइज्ड सर्विस सेंटर, ज्योति नगर, तिंदवारी रोड, बॉंदा से करवाई, जिसमें उसके 1,20,495/- रूपये व्यय हुए। बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावे का भुगतान न किये जाने के कारण क्षतिपूर्ति की अदायगीमय ब्याज कराये जाने हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी, बीमा निगम द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी के कथनानुसार बीमा कम्पनी ने दुर्घटना के विषय में जानकारी मिलने पर सर्वेयर की नियुक्ति की। श्री अनुपम पाण्डेय, सर्वेयर द्वारा निरीक्षण व जांच की गयी तथा यह आख्या प्रस्तुत की गयी कि कथित दुर्घटना के दिन प्रश्नगत वाहन चालक सहित 17 सवारियां लेकर बॉंदा जा रहा था। ग्राम पडुई बॉंदा नरैनी मार्ग पर सामने से बॉंदा की ओर से आ रहे ट्रक संख्या-यू0पी0 78 बी 3116 से यह वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस प्रकार दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन में क्षमता से अधिक सवांरियों का बैठाया जाना बीमा पालिसी का स्पष्ट उल्लंघन है। बीमा कम्पनी का यह भी कथन है कि बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांकित 01.04.2011, 15.04.2011 तथा दिनांक 30.04.2011 द्वारा बीमाधारक से आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, किंतु वाहन स्वामी के सहयोग न करने के कारण बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांकित 10.05.2011 द्वारा बीमा दावा निरस्त कर दिया।
प्रश्नगत निर्णय में जिला मंच ने कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत बीमित वाहन की अधिकतम क्षमता 07 सवारियों से अधिक कुल 17 सवारियां यात्रा करना मानते हुए बीमाधारक द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया जाना मानते हुए परिवाद निरस्त कर दिया गया।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 पाण्डेय तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार द्वारा अधिकृत अधिवक्ता श्री आनन्द भार्गव के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवकोकन किया।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन में ड्राइवर सहित मात्र 7 सवारियां बैठी हुई थीं, किंतु सर्वेयर द्वारा इस आशय की गलत आख्या प्रस्तुत की गयी कि दुर्घटना के समय वाहन में 13 सवारियां बैठी थीं। कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन वैध लाइसेन्सधारी चालक द्वारा चलाया जा रहा था। कथित दुर्घटना में प्रश्नगत वाहन में हुई क्षति के संबंध में अपीलकर्ता/परिवादी के कुल 1,20,495/- रूपये व्यय हुए साथ ही सर्वेयर ने भी प्रश्नगत वाहन में क्षति 67,127/- रूपये की बताई है, किंतु जिला मंच ने कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन में 17 सवारिंया बैठा होना मानकर त्रुटि की है तथा इस आधार पर परिवाद निरस्त करके भी त्रुटि की है।
प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत निर्णय में जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य, प्रथम सूचना रिपोर्ट, घायल व्यक्तियों की संख्या को देखते हुए यह मत व्यक्त किया है कि दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन में कुल 17 सवारियां बैठी थीं, जबकि प्रश्नगत वाहन चालक सहित कुल 7 सवारियों के बैठने हेतु अधिकृत था। ऐसी परिस्थिति में कथित दुर्घटना के समय निर्धारित क्षमता से अधिक सवारियां बैठाकर बीमा पालिसी की श्ार्तों का उल्लंघन बीमाधारक द्वारा किया गया। अत: परिवाद निरस्त करके जिला मंच द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गयी है।
प्रनगत निर्णय का हमने अवलोकन किया। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन करते हुए तर्कसंगत आधारों पर यह मत व्यक्त किया है कि कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन में कुल 17 सवारियां बैठी थीं। यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रश्नगत वाहन चालक सहित कुल 7 सवारियां बैठाने के लिए स्वीकृत था। जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय में स्वीकृत क्षमता से अधिक सवारियां दुर्घटना के समय बैठाए जाने के कारण परिवाद निरस्त कर दिया।
महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या स्वीकृत क्षमता से अधिक सवारियां बैठाए जाने के कारण बीमा दावा पूर्णरूप से अस्वीकार किया जा सकता है।
प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी का यह कथन नहीं है कि कथित दुर्घटना अधिक सवारियां बैठाए जाने के कारण घटित हुई।
विजय कुमार दिगम्परपा खानपूरे बनाम मैनेजर, बजाज अलियांज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी व अन्य के मामलें में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी बनाम नितिन खण्डेलवाल 56 IV 2008 CPJ I (SC) तथा अलमेंदु साहू बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 2010 11 CPJ 9 (SC) के मामलें में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों पर विचार करते हुए यह मत व्यक्त किया कि ऐसी परिस्थिति में बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा पूर्ण अस्वीकार किया जाना तर्कसंगत नहीं होगा। ऐसी परिस्थिति में नान स्टैण्डर्ड आधार पर 75 प्रतिशत धनराशि की अदायगी कराया जाना न्यायसंगत माना गया।
अब महत्पूर्ण प्रश्न यह है कि क्षतिपूर्ति के रूप में कितनी धनराशि अपीलकर्ता/परिवादी को दिलाया जाना उपयुक्त होगा।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा क्षति आंकलन 67,127/- रूपये किया गया। अपील के आधारों में अपीलकर्ता द्वारा यह अभिकथित नहीं किया गया है कि सर्वेयर द्वारा किया गया यह क्षति आंकलन असत्य है। अपील मेमों के साथ अपीलकर्ता ने सर्वे आख्या की प्रति भी दाखिल नहीं की है। आईआरडीए द्वारा नियुक्त निष्पक्ष सर्वेयर की आख्या को बिना किसी तर्कसंगत आधार के अस्वीकार किये जाने का कोई औचित्य नहीं है। अत: प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा क्षति आंकलन की यह धनराशि 67,127/- रूपये का 75 प्रतिशत अर्थात् 50,345/- रूपये अपीलकर्ता को भुगताना कराया जाना न्यायसंगत होगा। अपील तदनुसार स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.04.2013 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। प्रत्यर्थी/विपक्षी़, बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्त किये जाने की तिथि से 30 दिन के अन्दर अपीलकर्ता/परिवादी को 50,345/- रूपये का भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें। इस धनराशि पर परिवाद योजित किये जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक अपीलकर्ता/परिवादी 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
प्रत्यर्थी/विपक्षी, बीमा कम्पनी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि उक्त अवधि के मध्य अपीलकर्ता/परिवादी को 500/- रूपये वाद व्यय के रूप में भुगतान करें।
उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2