Uttar Pradesh

StateCommission

A/1353/2017

Smt. Sudama - Complainant(s)

Versus

Bajaj Allianz General Insurance Co.Ltd - Opp.Party(s)

Alok Sinha

23 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1353/2017
( Date of Filing : 31 Jul 2017 )
(Arisen out of Order Dated 20/08/2013 in Case No. C/810/2009 of District Kanpur Nagar)
 
1. Smt. Sudama
W/O Late Sri Shiv Vijay Singh R/o Gram Harhha P.S. Bidhnu Distt. Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Bajaj Allianz General Insurance Co.Ltd
At 11/9 Silver Line in Front of Elgin Mill Civil Lines Kanpur Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Mar 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)                                             

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-    1353/2017

Smt. Sudama, adult, wife of Late Shiv Vijay singh, Resident of Gram Harhha, P.S. Bidhnu, District- Kanpur Nagar.

                                                                                                   …………..Appellant

Versus

Bajaj Allianz General Insurance Co. Ltd. Situates at 11/9, Silver Line, in front of Elgin Mill, Civil Lines, Kanpur Nagar.                                                                                                      

                                                                                          ………………Respondent

मक्ष:-

    माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।  

    माननीया डॉ0 आभा गुप्‍ता, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    :  श्री आलोक सिन्‍हा,

                                विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित      :  श्री विवेक कुमार सक्‍सेना,

                              विद्वान अधिवक्‍ता।  

                                  

दिनांक- 23.03.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 810/2009 श्रीमती सुदामा बनाम बजाज एलाइंज जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 में जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 20.08.2003 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

2.        प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश के माध्‍यम से अपीलार्थी/परिवादिनी का परिवाद निरस्‍त किया गया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादिनी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।   

3.        संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादिनी के पुत्र नयन सिंह ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से विक्रय टैम्‍पो सं0- UP-78-BT-1587 का बीमा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से कराया था जो दि0 28.02.2008 से दि0 27.02.2009 तक प्रभावी था। उक्‍त बीमा में चालक/स्‍वामी का भी दुर्घटना बीमा किया गया था। दि0 08.08.2008 को समय 9:30 बजे जब नयन सिंह टैम्‍पो सं0- UP-78-BT-1587 को चलाकर विधनू कानपुर की तरफ जा रहा था कि सतरौली नहर के करीब पहुँचने पर टैम्‍पो दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया तथा नयन सिंह टैम्‍पों के नीचे दब गया तथा उसकी मृत्‍यु हो गई। दुर्घटना के समय नयन सिंह के पास वाहन चलाने का वैध अनुज्ञा पत्र था। नयन सिंह की दुर्घटना में मृत्‍यु के पश्‍चात अपीलार्थी/परिवादिनी ने अभिलेखों सहित अपना दुर्घटना दावा बीमा धनराशि प्राप्‍त करने के सम्‍बन्‍ध में प्रस्‍तुत किया, लेकिन प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा उसे निरस्‍त कर दिया गया जब कि अपीलार्थी/परिवादिनी दुर्घटना बीमा के आधार पर बीमित धनराशि को प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है। अपीलार्थी/परिवादिनी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस जारी की, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। इस कारण अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।    

4.        परिवाद के दौरान प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने जवाबदावा प्रस्‍तुत किया जिसमें अपीलार्थी/परिवादिनी के कथनों को अस्‍वीकार करते हुए कथन  किया गया है कि अपीलार्थी/परिवादिनी को अपने कथनों को प्रमाणित करने का भार अपीलार्थी/परिवादिनी स्‍वयं पर है। पॉलिसी शर्तों के अनुरूप दुर्घटना के पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को सूचना नियमानुसार देना चाहिए तथा अपना दावा अभिलेखों सहित प्रस्‍तुत करना चाहिए जिसकी प्राप्ति/स्‍वीकृति प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा प्रदान की जाती है। अपीलार्थी/परिवादिनी ने नयन सिंह की मृत्‍यु के सम्‍बन्‍ध में कोई सूचना प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को नहीं दी थी और न ही इस सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही की गई है। इस कारण अपीलार्थी/परिवादिनी बीमा धनराशि को प्राप्‍त करने की अधिकारिणी नहीं है। अपीलार्थी/परिवादिनी ने मनगढ़ंत तथ्‍यों के आधार पर वाद प्रस्‍तुत किया है जो निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

5.        अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि प्रश्‍नगत निर्णय तथ्‍य एवं विधि के विपरीत पारित किया गया है तथा यह प्राकृतिक न्‍याय के विरुद्ध भी है। निर्णय के कारण विक्रेता को अपूर्णनीय हानि होगी, अत: निर्णय अपास्‍त होने योग्‍य है। इन आधारों पर अपील प्रस्‍तुत की गई है।

6.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍त श्री आलोक सिन्‍हा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विवेक कुमार सक्‍सेना को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया गया। 

7.        उभयपक्ष के मध्‍य मुख्‍य रूप से विवाद यह है कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने दुर्घटना की सूचना देने एवं बीमा दावा प्रस्‍तुत नहीं किया है। बीमा दावा प्रस्‍तुत न किए जाने के कारण प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है तथा सूचना दिए जाने के उपरांत ही कार्यवाही की जाती है। अपीलार्थी/परिवादिनी ने मृतक नयन सिंह की मृत्‍यु के समय प्रश्‍नगत बीमा जो दि0 28.02.2008 से दि0 27.02.2009 तक आच्‍छादित था से इंकार नहीं किया है एवं बीमित नयन सिंह की मृत्‍यु दि0 08.08.2008 को हो जाने से इंकार भी नहीं किया है। मात्र आपत्ति यह प्रस्‍तुत की गई है कि औपचारिक रूप से मृतक नयन सिंह के उत्‍तराधिकारी एवं माता सुदामा देवी द्वारा बीमा का दावा प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। इन आधारों पर बीमे का दावा निरस्‍त किया गया एवं विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने भी इन्‍हीं आधारों पर परिवाद निरस्‍त किया कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने कोई बीमे का दावा नहीं प्रस्‍तुत किया है जहां तक सूचना दिए जाने का प्रश्‍न है सुदामा देवी औपचारिक एवं बिना पढ़ी-लिखी महिला है, अत: औपचारिक रूप से समस्‍त कार्यवाही करने में देरी अथवा अनियमितता हो सकती है, अत: इस आधार पर उसके मृतक पुत्र का बीमा सम्‍पूर्ण रूप से अस्‍वीकार किया जाना न्‍यायोचित प्रतीत नहीं होता है। यह पीठ इन परिस्थितियों में उचित पाती है कि अपीलार्थी/परिवादिनी अपना दावा औपचारिक रूप से समस्‍त आवश्‍यक कागजातों सहित बीमा कम्‍पनी के सामने निर्णय के 30 दिन के भीतर प्रस्‍तुत कर दे एवं बीमा कम्‍पनी से भी अपेक्षित है कि वे सहानुभूति पूर्वक बीमे के दावे पर विचार करते हुए एवं निर्णय के उपरांत उसे समस्‍त परिसीमा का लाभ देते हुए बीमे के दावे का निस्‍तारण करे। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।                          

आदेश

8.        अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह बीमा दावा प्रस्‍तुत होने के 03 माह के भीतर बीमे के दावे का निस्‍तारण करे। अपीलार्थी/परिवादिनी को निर्देशित किया जाता है कि वह समस्‍त कागजात सहित बीमे का दावा अन्‍दर 01 माह बीमाकर्ता के समक्ष प्रस्‍तुत करे। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी आवश्‍यक कागजातों की सूची अपीलार्थी/परिवादिनी को इस निर्णय व आदेश के 10 दिन के अन्‍दर प्रदान करे। 

          अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

           आशुलि‍पिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

       (विकास सक्‍सेना)                       (डॉ0 आभा गुप्‍ता)                

           सदस्‍य                               सदस्‍य

शेर सिंह आशु०,

कोर्ट नं0- 03

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA]
MEMBER
 

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