जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-552/2014
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-12/11/2014
परिवाद के निर्णय की तारीख:-11/03/2020
श्रीमती साबरूननिशा आयु लगभग 55 वर्ष, पत्नी स्व0 बशीर अहमद, निवासिनी-592क/503, विकास लेन, सुभानीखेड़ा, तेलीबाग, लखनऊ।
....................परिवादिनी।
बनाम
1-बजाज एलियान्ज लाईफ इन्श्योरेंस कं0लि0 चतुर्थ तल, हलवासिया कामर्स हाउस, हबीबुल्लाह स्टेट, 11 एम0जी0 मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ द्वारा मैनेजर/सक्षम अधिकारी।
2-बजाज एलियान्ज लाईफ इन्श्योरेंस कं0लि0, जी0ई0 प्लाजा, एयरपोर्ट रोड, यरवडा पूणे, महाराष्ट्र-411006 द्वारा सक्षम अधिकारी।
3-बजाजा एलियान्ज लाईफ इन्श्योरेंस कं0लि0, वेस्ट हब, सेकेण्ड फ्लोर, बजाज फाइनसर्व सर्वे 208/1 बी, बिहाइण्ड वेकफील्ड इट बिल्डिंग, विमान नगर रोड, पूणे, महाराष्ट्र-411014 द्वारा प्रबन्ध निदेशक/सक्षम अधिकारी।
4-आधार हाउसिंग फाइनेन्स कं0लि0, 206-208 रतन स्क्वायर, सेकेण्ड फ्लोर, 20-ए, विधानसभा मार्ग, लखनऊ-226001 द्वारा मैनेजर/सक्षम अधिकारी।
5-आधार हाउसिंग फाइनेन्स कं0लि0, रजिस्टर्ड आफिस-वार्डेन हाउस, सेकेण्ड फ्लोर, सर पी0एम0 रोड, फोर्ट मुम्बई-400001 ।
....................विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादिनी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण से परिवादिनी के पति के नाम दिये गये लोन धनराशि का भुगतान बीमा कम्पनी से कराये जाने, पति की मृत्यु के उपरान्त परिवादिनी द्वारा जमा की गयी किश्तें उचित ब्याज सहित, मूल कागजात बैनामा वापस दिलाये जाने, मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति हेतु 2,00,000.00 रूपये एवं वाद व्यय 11,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्व0 बशीर अहमद का आधार हाउसिंग फाइनेन्स लि0 द्वारा 4,16,216.00 रूपये का लोन दिनॉंक-20/02/2013 को स्वीकृत किया गया था। लोन स्वीकृत करते समय उक्त लोन धनराशि का बीमा बजाज एलियान्ज लाईफ इन्श्योरेन्स कं0 से करवाया गया था। बजाज हाउसिंग कम्पनी की ओर से कोई भी व्यक्ति परिवादिनी के घर नहीं आया। उक्त लोन स्वीकृत करने के बाबत आधार हाउसिंग फाइनेन्स लि0 द्वारा परिवादिनी के पति के भारतीय सेना के आफिस व परिवादिनी के घर पर पूरी जॉंच-पड़ताल करके उक्त लोन धनराशि स्वीकृत की गयी थी, तथा समस्त औपचारिकताऍं स्वयं पूरी कर ली गयी और परिवदिनी के पति को यह बताया गया कि इस दौरान अगर आपके साथ कोई अनहोनी घटना होती है तो आपको लोन एमाउन्ट जमा नहीं करना होगा, क्योंकि उक्त लोन धनराशि अदा करने की जिम्मेदारी बजाज एलियान्ज लाईफ इं0कं0 की होगी और आको कोई भी किश्तें नहीं देनी पड़ेगी। लोन धनराशि स्वीकृत करते समय परिवादिनी का भी कई जगह हस्ताक्षर करवाया गया था, और सभी जगह परिवादिनी ने अपना हस्ताक्षर हिन्दी में किया था। धनराशि स्वीकृत हो जाने व बीमा हो जाने के उपरान्त परिवादिनी के पति नियमित रूप से लोन कि किश्तें अदा करते रहे। इसी बीच दिनॉंक-10/06/2013 को परिवादिनी के पति की मृत्यु हो गयी। परिवादिनी ने आधार हाउसिंग लि0 को मृत्यु की सूचना दी तो उनके द्वारा बताया गया कि आपके पति को जो लोन दिया गया था वह बजाज कम्पनी द्वारा किया गया है। आधार हाउसिंग फाइनेन्स लि0 द्वारा सभी कागजात मंगा कर वापस ले लिये और उनके द्वारा कहा गया कि बजाज कम्पनी में फाइल लगाना है इसलिए समस्त कागजात हमको दे दीजिए और कुछ कागजात छायाप्रति के रूप में परिवादिनी को वापस दे दिये गये। परिवादिनी ने जब उक्त कागजात को पढ़वाने की कोशिश की तो छोटे अक्षर में लिखा होने के कारण स्पष्ट पढ़ने में नहीं आया। कुछ-कुछ पढ़ने में आया जिससे यह पता चला कि उक्त बीमे के कागजात में मनमाने ढंग से सूचनायें भरी गयी और उक्त कागजात पर परिवादिनी के फर्जी हस्ताक्षर अंग्रेजी में बना लिये गये हैं, जबकि परिवादिनी अंग्रेजी पढ़ना-लिखना नहीं जानती और न ही कभी परिवादिनी ने अपने हस्ताक्षर अंग्रेजी में बनाए। मृत्यु की सूचना बजाज एलियान्ज कम्पनी को आधार हाउसिंग द्वारा दी गयी तो उनके द्वारा परिवादिनी के घर आकर जांच की गयी तथा पूरी जानकारी परिवादिनी द्वारा बजाज कम्पनी को दी गयी और यह भी बताया गया कि परिवादिनी के पति ने अपनी बीमारी के संबंध में सभी कागजात आधार हाउसिंग में दे दिये थे। कम्पनी द्वारा जॉंच करके जाने के बाद बीमा कम्पनी द्वारा यह कहा गया कि बीमारी के बारे में सही तथ्य न बताए जाने के कारण आप बीमा क्लेम पाने की हकदार नहीं हैं और यह भी कहा गया कि अगर इस निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं तो आप 30 दिन के अन्दर रिव्यू कमेटी के पास पना क्लेम कर सकती हैं। रिव्यू कमेटी के पास क्लेम के संबंध में प्रार्थना की गयी तो उन्होंने भी बीमा क्लेम का हकदार नहीं माना। परिवादिनी के पति से पैसा हड़प लिया गया और मनमाने ढंग से सूचनाएं भरकर बीमा क्लेम से वंचित कर दिया गया, जिसमें समस्त विपक्षीगणों की आपस में मिली भगत है। परिवादिनी के पति की जन्मतिथि भी गलत अंकित की गयी। पति की मृत्यु के उपरान्त भी परिवादिनी द्वारा लगातार किश्तें आधार हाउसिंग के यहॉं जमा की जा रही हैं, क्योंकि किश्तें न जमा करने की सूरत में आधार हाउसिंग फाइनेन्स वालों द्वारा परिवादिनी व उसके परिवार को धमकियॉं दी जाती हैं और परिवादिनी के घर को नीलाम कर देने की धमकी दी जाती है, क्योंकि परिवादिनी के घर के बैनामे के कागजात आधार हाउसिंग फाइनेन्स द्वारा अपने पास रख लिये गये हैं। विपक्षीगणों द्वारा कोई भी कार्यवाही परिवादिनी के लोन धनराशि व बीमा धनराशि के संबंध में नहीं की गयी जो विपक्षीगणों के दुराचरण एवं अनुचित व्यापार को दर्शाता है।
विपक्षी संख्या:-04 एवं 05 ने संयुक्त उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि बीमा विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 बजाज एलियांस लाइफ इन्श्योरेंस कम्पनी से कराया गया था, उससे विपक्षी संख्या-04 एवं 05 को कोई सरोकार नहीं है। परिवादिनी ने अनुतोष भी विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 के विरूद्ध ही मॉंगा है। इन विपक्षियों के विरूद्ध वाद खारिज होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 ने संयुक्त उत्तर पत्र दाखिल करते हुए कथन किया कि परिवादिनी का परिवाद खारिज होने योग्य है। शर्तों के अनुसार जीवन बीमा इलाज एवं अस्पताल में भर्ती होने पर देय था। परिवादिनी ने अपनी बीमारियों के विषय में तथ्य छिपा दिये थे, अत: परिवादिनी का दावा अस्वीकृत किया गया है। परिवादिनी ने प्रपोजल फार्म दिनॉंक-13/03/2013 को दिया था, जिसमें उसने अपनी बीमारियों के तथ्य छिपा लिये थे। जबकि परिवादिनी दिनॉंक-19/07/2012 से 27/07/2012 तक हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एवं सेप्टीसीमिया का कराया था। इसी वजह से परिवादिनी का दावा अस्वीकार हुआ है।
परिवादिनी एवं विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 ने शपथ पर अपना साक्ष्य दाखिल किया है।
विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 ने अपने शपथ पत्र के साथ जॉंच रिपोर्ट की प्रति भी संलग्न किया है, जिसमें मेडिकल इन्वेस्टीगेशन भी है। उसमें एक प्रश्न यह भी था कि क्या बीमित व्यक्ति का इलाज प्रस्ताव के पूर्व हुआ था, उसके जवाब में अनुसंधानकर्ता ने यह अंकित किया है कि उसका कोई अभिलेख पाया नहीं गया। विपक्षी ने मृतक द्वारा दाखिल किये गये प्रस्ताव पत्र की प्रति भी दाखिल नहीं किया है, जिससे यह पता चलता कि क्या मृतक की जॉंच बीमा कम्पनी की ओर से किसी चिकित्सक ने किया था या नहीं, या प्रस्ताव में मृतक ने क्या–क्या कालम भरे थे। मूल प्रस्ताव पत्र विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 के पास ही होगा। चॅूकि ऋण का बीमा कराने का प्रस्ताव विपक्षी ने नहीं दाखिल किया है। अत: यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रस्ताव पत्र में विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 के चिकित्सक मृतक की जॉच किये होंगे और मृतक ने उन तथ्यों को छिपाया भी न हो। ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, तथा विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 को निर्देश दिया जाता है कि विपक्षी संख्या-04 एवं 05 जिसने ऋण दिया है, को उसकी बकाया रकम विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 अदा करेंगे। परिवादिनी को हुए मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्ट के लिये मुबलिग-15,000/-(पन्द्रह हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग-5,000/-(पॉंच हजार रूपया मात्र) 45 दिन में अदा करेंगे। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं होता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम,
लखनऊ।