Rajasthan

Pali

CC/116/2013

DESH KANWAR - Complainant(s)

Versus

BAJAJ ALI.GEN.INS. - Opp.Party(s)

PREM SINGH

03 Aug 2015

ORDER

CONSUMER PROTECTION FORUM, PALI
RAJASTHAN
 
Complaint Case No. CC/116/2013
 
1. DESH KANWAR
RANAWAS
...........Complainant(s)
Versus
1. BAJAJ ALI.GEN.INS.
PALI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. T.H. SAMMA PRESIDENT
 HON'BLE MR. DINESH CHATURVEDI MEMBER
 HON'BLE MRS. JYOTI SHRIWASTAV MEMBER
 
For the Complainant:PREM SINGH, Advocate
For the Opp. Party: CHANDRA BHAN, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,पाली (राजस्थान)

                             परिवाद संख्या-116/2013

देषकंवर पत्नि स्वर्गीय श्री गणपतसिंह जी निवासी गुडारामसिंह वाया राणावास तहसील मारवाडजंक्षन जिला पाली (राजस्थान)।                                                                   

                                                               परिवादिया

बनाम

1-1&Bajaj Alliamz Life Insurance Company Limited Oppsitside Near Mahaveer Bal Vidiya Mandir Sin-Sec School Pali Rajasthan 306401

2&Bajaj Allianz Life Insurance Company Liumited 2th Floor, E-4Suvidha Complex Shastri Nagar,Jodhpur (Rajasthan)

3&Bajaj Allianz Life Insurance Company Limited, Head Office-GE Plaza ,Airport Road  Yerawada, Pune-411006                                                                               

                                                                  अप्रार्थीगण

                                                                  दिनांक 03-08-2015

  निर्णय

                        परिवादिया ने यह परिवाद प्रार्थना पत्र पेषकर बताया है कि परिवादियाॅ के पति ने पाली स्थित कार्यालय के माध्यम से एक पाॅलिसी बजाज एलाईन्ज केपिटल यूनिट गेन प्लान प्रतिवर्ष 25000/-स्पये की किष्त जमा करवाकर दिनांक 21-7-2007 को प्राप्त की । अप्रार्थीगण ने परिवादियाॅ के पति को बताया कि सामान्य कारणो से मौत होती है तो तीन लाख रूपये व बोनस मय ब्याज का भुगतान उनके नोमिनी को किया जायगा और अगर उनकी मौत किसी सडक या अन्य दुर्धटना से होती है तो उनकी नोमिनी को सम एष्योर्ड की राषि का दुगना या छः लाख रूपये मय बोनस व ब्याज सहित भुगतान किया जायेगा। परिवादियाॅ के पति ने विष्वास के साथ अप्रार्थी से उक्त पाॅलिसी सं0 006202073164 करवाई थीा  जेा दिनांक 28-9-2025 को परिपक्व होनी थी। परिवादियाॅ के पति द्वारा किसी कारणवंष किष्त जमा नही ंकरवाने पर अप्रार्थीगण ने उनसे सम्पर्क कर बीमा पाॅलिसी को पुनः रिनीवल 50000/-रूपये प्राप्त कर दिनांक31-3-2010 को पुर्नजीवित करते हुये एक रिनीवल रसीद प्रदान की थी। परिवादियाॅ के पति का निधन सडक दुर्धटना में दिनांक12-3-2011 को मौके पर ही हो गया था जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट सिरोही पुलिस थाना में 60/11 दर्ज हुई । अगली किष्त अदायगी की तारीख से पूर्व ही परिवादियाॅ के पति का सडक दुर्धटना में मृत्यु हो गई थी। परिवादियाॅ ने क्लेमदावा बनाकर पेष किया तो अप्रार्थी सं0 ने संतोषप्रद जवाब नही ंदिया तो परिवादियाॅ ने दिनांक 3-5-2013 को अधिवक्ता के मार्फत कानूनी नोटिस दिया तो अप्रार्थीगण ने बताया कि किष्त का भुंगतान समय पर नही ंकिया है इसलिये पाॅलिसी लेप्स हो गई है। इसलिये दावा खाारिज किया जाता है । अप्रार्थीगण की ओर से परिवादियाॅ केपति से बकाया किष्त का भुगतान पचास हजार रूपये दिनांक31-3-2010 को प्र्राप्त कर पाॅलिसी रिेनीवल कर रसीद प्रदान की गई थी जिस कारण अप्रार्थीगण उक्त बीमा पाॅलिसी को लेप्स होने का कथन करने से विवंधित है। अतः परिवादियाॅ ने परिवाद पत्र  पेषकर बताया है कि अप्रार्थीगण ने मनमाने तरीके से परिवादियाॅ का क्नेमदावा खारिज करके उपभोक्ता सेवामें कमी की है इसलिये परिवादियाॅ का परिवाद. पत्र स्वीकार किया जावे। अपने परिवाद के समर्थन में अपना षपथपत्र. पेष किया है तथा फेरिष्त मय दस्तावेजात भी पेष किये है ।  

 

2-      अप्रार्थीगण ने इसका जवाब पेषकर बताया है कि प्रार्थना पत्र के पद सं0 2 में अंकित तथ्य गलत एवं बेबुनियाद होने के कारण अस्वीकार है । वस्तुस्थिति इस प्रकार  है कि परिवादियाॅ के पति द्वारा अप्रार्थी संस्थान की बजाज एलाईन्ज पाॅलिसी सं0 62073184 पाॅलिसी बाॅण्ड मंे अंकित षर्तो और देय लाभ से सहमत होकर एवं पाॅलिसी षर्तो को पूर्ण पालना का वचन देकर पाॅलिसी करवाई गई थी । जिसकी प्रतिवर्ष के प्रीमियम राषि 25000/-रूपये पाॅलिसी परिवक्ता अवधि तक पाॅलिसी बाॅण्ड में अंकित षर्तोनुसार समयावधि के भीतर अदा करनी थी ।उक्त पाॅलिसी लाभ बाबत परिवाद मे ंदुर्धटना, मृत्यु पर दुंगुना राषि का अदा करना पूर्णतया बेबुनियाद एवं गलत अंकित किया गया है। परिवादियाॅ के पति द्वारा पाॅलिसी लेते समय जमा करवाई गई प्रथम किष्त के पष्चात् आगामी प्रीमियम की भुगतान तिथी 28-9-2008 को नियत थी तथा उक्त अवधि के पष्चात् 30 दिन का अतिरिक्त ग्रेस अवधि प्रीमियम राषि का भुगतान करने के लिये पाॅलिसी षर्ताेनुसार दी गई थी परन्तु परिवादियाॅ के पति द्वारा उक्त पाॅलिसी का षर्तोनुसार प्रीमियम का भुगतान 28-9-‘2008 एवं उसके ग्रेस अवधि 30 दिन के पष्चात् भी जमा नही ंकरवाया गया जिसके कारण उक्त पाॅलसी बाॅण्ड षर्तोनुसार कालातीत हो जाने से उक्त पाॅलिसी षर्तोनुसार उसी दिन ग्रेस अवधि के पष्चात् बंद कर दी गई थी तत्पष्चात् परिवाद मे ंअंकन अनुसार दिनांक 31-3-2010 को उक्त पाॅलिसी रिन्युवल करवाने का निवेदन करते हुये वर्ष 2008 एवं 2009 की बकाया किष्त राषि 50000/-भुगतान अप्रार्थी को किया गया, परन्तु रिन्यूअल के समय परिवादियाॅ के पति द्वारा वर्ष 2010 की बकाया आगामी माह सितम्बर,2010 प्रीमियम तथा साथ ही वर्ष 2008 एवं 2009 की प्रीमियम राषि के अतिरिक्त पाॅलिसी पुर्नजीवित करने के चार्जैज एव ंबकाया प्रिमियम का ब्याज जमा नहीं करवाया गया। परिवादियाॅ के पति द्वारा 2008 के बकाया प्रीमियम का भुगतान करीब 2 वर्ष पष्चात् मार्च 2010 मे ंउपरोक्तानुसार जमा करवाया गया था । परिवादियाॅ के पति द्वारा रिन्यूअल के साथ अच्छे स्वास्थ्य की घोषणा के रिन्युअल कतई स्वीकृति योग्य नहीं था। इसलिये परिवादियाॅ के प्रकरण में बकाया प्रीमियम राषि तथा अव्छे स्वास्थ्य की घोषणा तथा ब्याज एवं चार्जेजज के महत्वपूर्ण तथ्य के अभाव मे ंरिन्युअल पाॅलिसी नहीं हुई थी परन्तु अप्रार्थीगण द्वारा मानवीयदृष्टिकोण अपनाते हुये परिवादियाॅ को दिनांक 28-6-2011 को 10194/-श्रूपये तथा  दिनांक 18-9-2013 को 289806/-कुल राषि बीमा परिपक्ता राषि 300000/-का भुगतान परिवादियाॅ को कर दिया गया है। इसलिये प्रकरण पोषणीय नही ंहै । इस प्रकार अप्रार्थीगण ने उपभोक्ता सेवामें किसी प्रकार की कमी नही ंकी है इसलिये परिवादियाॅ का परिवाद अस्वीकार किया जावे। अपने जवाब के समर्थन मे ंअपना षपथपत्र पेष किया है ।

 

3-       दोनो पक्षो की बहस अंतिम सुनी गई तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया ।

 

4-         बहस के दौरान अप्रार्थी बगीमा कम्पनी के विद्वान् अधिवक्ता का तर्क रहा है कि परिवादियाॅ के पति ने पाॅलिसी की षर्तो के अनुसार अपनी पाॅलिसी को रिन्युवल कराने हेतु निवेदन किया था । उसके साथ अच्छे स्वास्थ्य की घोषणा के संबंध मे ंकोई प्रमाणपत्र संलग्न नही ंकिया था । इसलिये प्रार्थियाॅ के पति की पाॅलिसी रिन्यूअल योग्य नहीं थी, परन्तुं फिर भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने मानवीय दृष्टिकोण रखते हुये प्रार्थियाॅ को दिनांक 28-6-2011को 10194/-रूपये तथा दिनांक 18-9-2013 को 289806/-इस प्रकार कुल राषि 300000/-जो बीमा परिपक्वता राषि है, का भुगतान प्रार्थियाॅ को कर दिया है । इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से किसी प्रकार की कोई उपभोक्ता सेवामें कमी नहीं की गई है ।

 

5-      बहस के दौरान अप्रार्थी के विद्वान् अधिवक्ता का ये भी तर्क रहा है कि बीमा पाॅलिसी के अनुसार प्रार्थियाॅ के पति का बीमा धन तीन लाख रूपये सुनिष्चित किया गया था। बीमा पाॅलिसी मे ंऐसी कोई षर्त उल्लेखित नहीं है कि बीमाधारक की मृत्यु होने पर उसको छः लाख रूपये का भुगतान किया जावेगा । इस प्रकार प्रार्थियाॅ ने अप्रार्थी से छः‘ लाख रूपये की माॅग बिना किसी उचित आधार के की है जो खारिज किये जाने योग्य है। अतः प्रार्थियाॅ का प्रार्थनापत्र खारिज किया जावे।

6-       उक्त तर्को का जोरदार खण्डन करते हुये प्रार्थियाॅ के विद्वान् अधिवक्ता का तर्क रहा है कि प्रार्थियाॅ के पति ने अप्रार्थी से बीमा पाॅलिसी ली थी जिसमें प्रार्थियाॅ के पति की सडक दुर्घटना में मृत्यु होने पर प्रार्थियाॅ को बतौर हितलाभ छः लाख रूपये देना तय हुआ था तथा साथ मे ंबोनस भी देय था, परन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने छःः लाख रूपये नहीं देकर प्रार्थियाॅ केा परिवाद प्रस्तुत करने के बाद उपरोक्तानुसार तीन लाख रूपये अदा किये है । विद्वान् अधिवक्ता का ये भी तर्क रहा है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थियाॅ का क्लेम दिनांक10-6-2013 को खारिज किया है जबकि प्रार्थियाॅ के द्वारा क्लेम प्रस्तुत करने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थियाॅ को सर्वप्रथम 10194/-दिनांक 28-6-2011 को क्लेम के संबंध मे ंअदा किये थे। इसलिये प्रार्थियाॅ का दिनांक 28-6-2011से 289806/-पर उक्त ब्याज वसूल नही ंहोने तक ब्याज दिलाया जावे। विद्वान् अधिवक्ता का ये भी तर्क रहा है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थियाॅ के द्वारा क्लेम प्रस्तुत करने के युक्तियुक्त समय मे ंक्लेम का भुगतान नहीं करके करीब दो साल बाद 289806/-का भुगतान किया है जो उक्त प्रकार से सेवामें कमी है। इसलिये प्रार्थियाॅ का परिवाद स्वीकार फरमाया जावे और परिवाद में उल्लेखित अनुतोष प्रदान किया जावे।

7-       हमने उभय पक्षो के तर्को पर मनन किया । प्रार्थियाॅ ने अपने परिवाद में उसके पति द्वारा प्राप्त पाॅलिसी पर दुर्धटना मे ंमृत्यु होने पर छः लाख रूपये का हितालाभ होना बताया है जबकि अप्रार्थी ने केवल तीन लाख रूपये का हितलाभ होना बताया है। इस संबंध में हमने बीमा पाॅलिसी का अवलोकन किया। बीमा पाॅलिसी मे ंकेवल तीन लाख रूपये का हितलाभ होना दर्षाया गया है। इसलिये प्रार्थियाॅ की ओर से ये कहना कि उसके पति की बीमा पाॅलिासी में ंछः लाख रूपये का हित गलत साबित होता है ।

8-        यह स्वीकृत तथ्य है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थियाॅ को दो बार म तीन लाख रूपये का भुगतान कर दिया है । अप्रार्थी की ओर से प्रस्तुत जवाब के अनुसार अप्रार्थी ने प्रार्थियाॅ को सर्वप्रथम 28-6-2011 को 10194/-का भुगतान किया है तथा दूसरी बार 18-9-2013 को289806/-का भुगतान किया है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने करीब दो वर्ष तक 289806/-का भुगतान बिना किसी युक्तियुक्त कारण के नहीं करके सेवामें कमी की है । इसलिये मंच इस निष्कर्ष पर पहुॅचा है कि प्रार्थियाॅ अप्रार्थी बीमा कम्पनी से 289806/-पर दिनांक 28-6-2011 से वसूली तक9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज पाने की अधिकारी है। साथ ही प्रार्थियाॅ अप्रार्थी से परिवाद व्यय के रूप मे ं5000/-अक्षरे पाॅच हजार रूपये भी प्राप्त जरने की अधिकारी है । इस प्रकार उक्त विवेचन के आधार पर प्रार्थियाॅ का परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्व स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है ।

आदेष

                                    

                       परिणामतः परिवादियाॅ  का परिवाद  अप्रार्थी बीमा कम्पनी  के विरूद्व स्वीकार किया जाता है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थियाॅ को दिनांक 28-6-2011 से 289806/-पर तावसूली तक 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज अदा करेगी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी परिवादियाॅ को 5000/-अक्षरे पाॅच हजार रूपये परिवाद व्यय के रूप मे ंभी अदा करेगी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी 5000/-अक्षरे पाॅच हजार रूपये परिवाद व्यय एक माह में अदा नहीं करेगी तो प्रार्थियाॅ अप्रार्थी से उक्त राषि पर भी 9 प्रतिषत वार्षिक दर से तावसूली तक ब्याज पाने की भी अधिकारी होगी ।  

 

        

 

 

                                                                                

 

 

          

                         

 
 
[HON'BLE MR. T.H. SAMMA]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. DINESH CHATURVEDI]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. JYOTI SHRIWASTAV]
MEMBER

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