( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 170/2022
बैजनाथ तिवारी
बनाम्
मैनेजर, ग्रीन लैण्ड मोटर व तीन अन्य
एवं
अपील संख्या-459/2021
एरिया मैनेजर, अशोक लीलैण्ड लि0
बनाम
बैजनाथ तिवारी व तीन अन्य
दिनांक : 27-03-2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील संख्या-170/2022 बैजनाथ तिवारी द्वारा परिवाद संख्या-196/2004 बैजनाथ तिवारी बनाम प्रबन्धक, ग्रीन लैण्ड मोटर व अन्य एवं अपील संख्या-459/2021 एरिया मैनेजर अशोक लीलैण्ड लि0 द्वारा परिवाद संख्या-196/2004 बैजनाथ तिवारी बनाम प्रबन्धक, ग्रीन लैण्ड मोटर व अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, सुल्तानपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 10-02-2021 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ परिवाद विपक्षी संख्या-1 व 2 के विरूद्ध संयुक्त एवं पृथक-पृथक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-1 को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर परिवादी को अशोक लीलैण्ड सी0जी0 1613
-2-
की टूटी हुई चेचिस, दो टूटे रिम व एक्सल को बदल दें तथा परिवादी को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति के रूप में मु0 50,000/-रू0 व वाद व्यय के मद में पॉंच हजार रूपये अदा करें।‘’
अपील की सुनवाई के समय अशोक लीलैण्ड की ओर से के विद्धान अधिवक्ता श्री सैय्यद हसीन उपस्थित। परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री आनंद भार्गव उपस्थित।
उभयपक्ष को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी द्वारा एक वाहन अशोक लीलैण्ड विपक्षी संख्या-3 से वित्तीय सहायता प्राप्त करके क्रय किया गया था जिसका बीमा विपक्षी संख्या-4 बीमा कम्पनी से कराया गया था। इस वाहन/ट्रक की चेचिस एवं रिम टूटे हुए थे तथा एक्सल भी क्रेक है, जिसकी सूचना विपक्षी संख्या-1 व 2 को कई बार दी गयी परन्तु अनके द्वारा उन्हें ठीक नहीं कराया गया अत: विवश होकर यह उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या-2 ने लिखित कथन में उल्लेख किया है कि वाहन का प्रयोग व्यावसायिक रूप से किया जा रहा था जिसमें बिल्डिंग मैटेरियल भरा गया था। वाहन में जो शिकायत थी उसे दूर कर दिया गया था साथ ही यह कहा गया कि
वारण्टी अवधि के अंदर कोई शिकायत नहीं की गयी है सरचनात्मक परिवर्तन स्वयं परिवादी ने किया है जो कि बीमा शर्तों का उल्लंघन है।
विपक्षी संख्या-3 ने लिखित कथन में उल्लेख किया है कि उनका कोई संबंध प्रस्तुत केस से नहीं है उनके विरूद्ध वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है विपक्षी
-3-
संख्या-4 द्वारा भी कथन किया गया कि उनके विरूद्ध भी कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है।
पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला आयोग द्वारा विपक्षी संख्या-1 व 2 को निर्देशित किया गया है कि वाहन की टूटी हुई चेचिंस व रिम और एक्सल को बदल दें तथा आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति हेतु मु0 50,000/-रू0 अदा करें।
पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण को सुनने से यह तथ्य प्रकाश में आया कि चूंकि वाहन अत्यधिक खराब स्थिति में पहुँच चुका था इसलिए वाहन का विक्रय परिवादी द्वारा कबाड के रूप में कर दिया गया है इसलिए चेचिस, रिम व एक्सल को बदलने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। अत: जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस सीमा तक अपास्त होने योग्य है कि चूंकि वाहन की चेचिस, रिम व एक्सल के टूटने के कारण परिवादी को आर्थिक, शारीरिक व मानसिक क्षति कारित हुई है और जिला आयोग ने रू0 50,000/- क्षतिपूर्ति के मद में अदा करने का आदेश दिया है जब कि यह राशि रू0 1,00,000/- सुनिश्चित की जानी चाहिए थी।
अशोक लीलैण्ड की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि स्वयं परिवादी ने गलत आधारों पर परिवाद प्रस्तुत किया है परन्तु इस संबंध में कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है और अब चूंकि वाहन को कबाड़ में बेचा जा चुका है और वाहन विनिष्ट हो चुका है और वाहन अब प्राप्त भी नहीं किया जा सकता है अत: इस तर्क का अब कोई महत्व नहीं रह जाता है। अत: अपील संख्या-170/2022 आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है तथा अपील संख्या-459/2021 आंशिक रूप से इस प्रकार स्वीकार की जाती है कि वाहन के खराब पाट्स चेचिस,
-4-
रिम व एक्सल को बदलने का दायित्व अपीलार्थी पर नहीं होगा तथा अपील संख्या-170/2022 इस प्रकार आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है कि अपीलार्थी को क्षतिपूर्ति के रूप में 1,00,000/- देय होगा । निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है। इस निर्णय की एक प्रति संबंधित अपील संख्या-459/2021 की पत्रावली पर सुरक्षित रखी जावे।
उभयपक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आदेश का अनुपालन निर्णय से दो माह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जावे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार जिला उपभोक्ता आयोग को अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार यथाशीघ्र निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) ( सुशील कुमार )
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1