Uttar Pradesh

StateCommission

A/205/2020

Radh Govind Cold Storage Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Badan Singh - Opp.Party(s)

Anil Kumar Mishra

12 Dec 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/205/2020
( Date of Filing : 05 Mar 2020 )
(Arisen out of Order Dated 20/01/2020 in Case No. C/19/2016 of District Hathras)
 
1. Radh Govind Cold Storage Pvt Ltd
Through Owner/Manager Salem Road Sadabad Distt. Hathras U.P.
...........Appellant(s)
Versus
1. Badan Singh
S/O Shri Bani Singh R/O Nagala Kripa Post Pata Khas P.S. mursan Tah. and Distt. Hathras U.P.
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Dec 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-205/2020

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, हाथरस द्वारा परिवाद संख्‍या 19/2016 में पारित आदेश दिनांक 20.01.2020 के विरूद्ध)

राधा गोविन्‍द कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 द्वारा स्‍वामी/मैनेजर, सलेम रोड, सादाबाद, जिला-हाथर, यू0पी0

                             ..................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

बदन सिंह पुत्र श्री बनी सिंह, निवासी- नगला कृपा, पोस्‍ट-पटा खास, पी0एस0 मुरसान, तहसील व जिला-हाथरस, यू0पी0

............प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा, 

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए0के0 पाण्‍डेय, 

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 12.12.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता                    आयोग, हाथरस द्वारा परिवाद संख्‍या-19/2016 बदन सिंह बनाम मालिक/प्रबन्‍धक राधा गोविन्‍द शीतगृह प्रा0लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.01.2020 के विरूद्ध योजित की गयी।

अपील की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए0के0 पाण्‍डेय को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध  समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी

 

 

 

 

 

-2-

के कोल्‍ड स्‍टोर में दिनांक 27.02.2015 को लोट सं0 30/263 पैकेट मोटा आलू, दिनांक 28.02.2015 को लोट सं0 132/152 पैकेट मोटा आलू, दिनांक 26.02.2015 को लोट सं0 10/110 पैकेट मोटा आलू, दिनांक 01.03.2015 को लोट सं0 381/250 पैकेट मोटा आलू, दिनांक 31.03.2015 को 116 पैकेट मोटा आलू, कुल 1137 पैकेट किस्‍म 3797 भण्‍डारित किए। दिनांक 26.02.2015 को लोट सं0 69/142 पैकेट गुल्‍ला, दिनांक 28.02.2015 को लोट सं0 125/58 पैकेट गुल्‍ला, दिनांक 31.03.2015 को लोट सं0 1211/78 पैकेट गुल्‍ला बीज, दिनांक 25.03.2015 को लोट सं0 1074/112 पैकेट मिक्‍स आलू, लोट सं0 12/21 पैकेट आलू किर्री, कुल 1556 पैकेट आलू भण्‍डारित किए गए थे।

परिवादी का कथन है कि परिवादी दिनांक 01.10.2015 को विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोर पर गया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा परिवादी को उसका भण्‍डारित आलू नहीं दिखाया गया। परिवा‍दी पुन: दिनांक 20.10.2015 को विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोर पर गया तो विपक्षी द्वारा बताया गया कि परिवादी का मोटा किस्‍म का आलू तथा बीज के आलुओं को बिक्री कर दिया गया है तथा बिक्री का रूपया ले जाने हेतु कहा गया। परिवादी माह नवम्‍बर 2015 में जब विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोर पर आलू बिक्री का रूपया लेने गया तो विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया। परिवादी पुन: दिनांक 20.12.2015 को जब विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोर पर आलू की बिक्री का रूपया लेने गया तो विपक्षी द्वारा यह कहते हुए रूपया देने से मना कर दिया गया कि परिवादी का आलू खराब हो गया था।

परिवादी का कथन है कि विपक्षी का उपरोक्‍त कृत्‍य सेवा में कमी एवं अनुचित व्‍यापारिक संव्‍यवहार की श्रेणी में आता है। इस संबंध में परिवादी द्वारा अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से कानूनी नोटिस भी प्रेषित किया गया, जिसका विपक्षी द्वारा कोई उत्‍तर नहीं दिया गया। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग

 

 

 

 

-3-

के सम्‍मुख विपक्षी के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई कारण प्राप्‍त नहीं है। परिवादी द्वारा वर्ष 2015 में विपक्षी के शीतगृह में विभिन्‍न तिथियों में कुल 1542 पैकेट आलू भण्‍डारित किए गए थे।

     विपक्षी का कथन है कि गेट पास सं0 877 के अनुसार 325 पैकेट, 851 के अनुसार 300 पैकेट, गेट पास सं0 15 के अनुसार 292 पैकेट, गेट पास सं0 827 के अनुसार 1 पैकेट, गेट पास सं0 1521 के अनुसार 217 पैकेट, गेट पास सं0 1528 के द्वारा 255 पैकेट, गेट पास सं0 437 के द्वारा 2 पैकेट, गेट पास सं0 424 के द्वारा 245 पैकेट आलू परिवादी निकाल कर ले गया, जिसे परिवादी द्वारा बिक्री कर दिया गया, जिसका उल्‍लेख अभिलेखों में दर्ज है।  

     विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा बीज के आलूओं की कीमत तथा कोल्‍ड स्‍टोर का किराया अदा नहीं किया गया तथा गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित किए गए:-

''विपक्षी के अनुसार परिवादी के द्वारा विपक्षी के कोल्‍ड में 1137 पैकेट मोटा आलू, 243 पैकेट गुल्‍ला, 111 पैकेट मिक्‍स तथा 121 पैकेट किर्री आलू कुल 1542 पैकेट आलू भण्‍डारित किया जाना स्‍वीकार किया है। परन्‍तु विपक्षी के द्वारा यह भी कथन किया गया है कि गेट पास सं0 877 के अनुसार 325 पैकेट, 851 के अनुसार 300 पैकट, गेटपास 15 के अनुसार 292 पैकेट, गेटपास सं0 827 के अनुसार 1 पैकेट, गेटपास सं0 1521 के अनुसार 217 पैकेट, गेटपास सं0 1528 के अनुसार 255 पैकेट, गेटपास 437 के द्वारा 2 पैकेट, गेट पास सं0 424 के द्वारा 245 पैकेट आलू, निकाल कर परिवादी ले  गया  जिन्‍हें

 

 

 

 

 

-4-

उसने स्‍थानीय एवं बाहरी व्‍यापारियों को बिक्री कर दिया जिसका उल्‍लेख विपक्षी के अभिलेखों में दर्ज है। इस प्रकार यदि विपक्षी के उक्‍त कथन पर विश्‍वास किया जाए तो परिवादी के द्वारा भण्‍डारित किये गये 1542 पैकेट आलू जिनका भण्‍डारण विपक्षी के द्वारा अपने कोल्‍ड में भण्‍डारित किया जाना स्‍वीकार किया गया है। विपक्षी का उक्‍त कथन इस आधार पर विश्‍वसनीय नहीं है क्‍योंकि विपक्षी के द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादी के द्वारा गेट पासों के जरिये 1637 पैकेट आलू ले जाना तथा अपने अभिलेखों में दर्ज होना स्‍वीकार किया है। इस प्रकार विपाक्षी के अनुसार परिवादी के द्वारा भण्‍डारित किये गये आलूओं के पैकेट 1542 के अतिरिक्‍त 95 पैकेट आलू और ले जाना विपक्षी द्वारा स्‍वीकार किया गया है जिससे यह पूर्णत: स्पष्‍ट है कि विपक्षी के द्वारा उक्‍त सन्‍दर्भ में अपने अभिलेखों में कथित रूप से परिवादी के द्वारा भिन्‍न-भिन्‍न गेटपासों के जरिये आलू के पैकेट निकाले जाने का उल्‍लेख गलत दर्ज किया गया है। जबकि परिवादी के द्वारा उक्‍त सन्‍दर्भ में प्रतिशपथ-पत्र कागज सं0 35 लगायत 36 प्रस्‍तुत किया है। जहां तक विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत फोटोप्रतियां कागज सं0 56 लगायत 81 का प्रश्‍न है उक्‍त फोटोप्रतियों को न तो विपक्षी की ओर से किसी शपथ-पत्र का अंग बनाया गया है और न ही उक्‍त फोटोप्रतियों को प्रमाणित किया गया है अधिकांश फोटोप्रतियों पर परिवादी के हस्‍ताक्षर नहीं है कागज सं0 69, 71, 73, 78, जिन पर परिवादी का नाम अंकित है उनका मिलान परिवादी के हस्‍ताक्षर जो कि उसके परिवाद पत्र, शपथ-पत्र एवं अन्‍य दस्‍तावेजों पर अंकित है से मिलान किया गया है तो विपक्षी की ओर से उक्‍त दस्‍तावेजों पर कथित परिवादी के हस्‍ताक्षरों से किसी भी प्रकार से मेल नहीं खाते हैं, जिस कारण इस तथ्‍य से इन्‍कार नहीं किया जा सकता कि विपक्षी के द्वारा उक्‍त दस्‍तावेजों की कूटरचना की गयी है, विधिक रूप से न्‍यायालय नग्‍न ऑंखों से स्‍वीकृत एवं विवादित हस्‍ताक्षरों का मिलान कर एक निश्चित निष्‍कर्ष पर पहुंच सकता है।

इस प्रकार से विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत उपरोक्‍त फोटोप्रतियां जिन्‍हें न तो किसी शपथ-पत्र का अंग बनाया गया है और न ही उन्‍हें प्रमाणित किया गया है ऐसी परि‍स्थितियों में उक्‍त फोटोप्रतियों का कोई साक्ष्यिक महत्‍व नही है। जहां तक विपक्षी के कथनों के समर्थन में शपथ-पत्र बॉबी पुत्र श्री सत्‍य प्रकाश कागज सं0 38 का प्रश्‍न है उक्‍त शपथकर्ता बॉबी विपक्षी का मुनीम है तथा शपथ-पत्र कागज सं0 39 मिनजानिव देवेन्‍द्र सिंह पुत्र राम सरन, शपथ-पत्र कागज सं0 40 मनोज कुमार पुत्र लाला राम शर्मा, शपथ-पत्र कागज सं0 41 सुनील कुमार गुप्‍ता पुत्र रामकुमार गुप्‍ता के विपक्षी के मेल  मिलापी  होने

 

 

 

 

-5-

के तथ्‍य से इन्‍कार नहीं किया जा सकता है क्‍योंकि उनके द्वारा आलू की खरीद-फरोख्‍त का व्‍यापार करने का कोई दस्‍तावेजी साक्ष्‍य पत्रावली पर प्रस्‍तुत नहीं किया गया है।

यह सही है कि परिवादी के द्वारा विपक्षी के कोल्‍ड में वर्ष 2015 में विभिन्‍न किस्‍म के भण्‍डारित किये गये आलूओं की कोई रेट लिस्‍ट पत्रावली पर दाखिल नहीं की गयी है। ऐसी परिस्थिति में जहां स्‍वयं विपक्षी के द्वारा अपने कोल्‍ड स्‍टोर में 1137 पैकेट मोटा, 243 पैकेट गुल्‍ला, 111 पैकेट मिक्‍स तथा 21 पैकेट किर्री आलू भण्‍डारित किया जाना स्‍वीकार किया गया है तब 300/-रू0 प्रति पैकेट मोटा आलू की दर से 1137 पैकट आलूओं की कीमत 341100/-रू0 तथा 243 पैकेट गुल्‍ला आलू 250/-रू0 प्रति पैकेट की दर से आलू की कीमत मु0 60750/-रू0 तथा 111 पैकेट मिक्‍स आलू 200/-रू0 प्रति पैकेट की दर से मु0 22200/-रू0 तथा किर्री किस्‍म 21 पैकेट आलूओं की कीमत 100/-रू0 प्रति पैकेट की दर से मु0 2100/-रू0 कुल कीमत मु0 426150/-रू0 में से भाड़े के कुल मु0 160000/-रू0 काटकर अवशेष धनराशि मु0 266150/-रू0 परिवादी को विपक्षी से मय 7 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज प्रदान कराया जाना पूर्ण रूपेण न्‍यायोचित है।''

     तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

     ''परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी इस आशय से सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षी परिवादी को विभिन्‍न किस्‍म के भण्‍डारित किये 1542 पैकेट आलूओं की कीमत मु0 426150/-रू0 मे से भाड़े के 160000/-रू0 काट कर मु0 266150/-रू0 (दो लाख छासठ हजार एक सौ पच्‍चास रूप्‍ये) मय 7 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक निर्णय की तिथि से 2 माह के अन्‍दर नियमानुसार अदा करें तथा परिवादी को हुए मानसिक संताप मु0 5000/-रू0 तथा परिवाद व्‍यय हेतु मु0 2000/-रू0 की भी अदायगी करें।''

     उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता

आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का  परिशीलन  व  परीक्षण

 

 

 

-6-

करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता      आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार समस्‍त तथ्‍यों को विस्‍तार से उल्लिखित करते हुए निर्णय पारित किया, जिसमें मेरे विचार से किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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