Rajasthan

Jaisalmer

39/13

Sakur Khan - Complainant(s)

Versus

B.O.B - Opp.Party(s)

Jitendra Swami

28 Aug 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 39/13
 
1. Sakur Khan
Jaisalmer
...........Complainant(s)
Versus
1. B.O.B
Jaisalmer
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:Jitendra Swami, Advocate
For the Opp. Party: Mahesh Kumar, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या   : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नरावत।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 01.08.2013
मूल परिवाद संख्या:- 39/2013


श्री सकुर खाॅ पुत्र श्री हाजी राणे खाॅ, जाति- मुसलमान,
निवासी- केषुओं की बस्ती, तहसील व जिला जैसलमेर    
                        ............परिवादी।

बनाम

1ण्    श्रीमान् शाखा प्रबन्धक, बैंक आॅफ बडौदा जैसलमेर।
2ण्     ए.टी.एम एस.बी.आई. शाखा प्रबन्धक जैसलमेर।
                        .............अप्रार्थीगण।


प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री जितेन्द्र स्वामी, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    अप्रार्थी सं. 1 व 2 की ओर से श्री जी.के.सोनी अधिवक्ता उपस्थित।

ः- निर्णय -ः                दिनांक 28.08.2015

1.    परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी का खाता अप्रार्थी सं. 1 बैंक आॅफ बडौदा जैसलमेर मे है जिसमे वह राषि जमा करवाता हुआ निकालता था। अप्रार्थी सं. 1 से परिवादी ने ए.टी.एम कार्ड भी ले रखा है जिसके माध्यम से विकलांग परिवादी अपने खाते से आवष्यकता अनुसार जमा राषि निकालता रहता है। परिवादी द्वारा दिनांक 20.04.2013 को अप्रार्थी सं.2 के ए.टी.एम से 10,000/- रूपये निकालने का प्रयास किया लेकिन एटीएम कार्ड से परिवादी के 10,000/- रू नही निकले परिवादी द्वारा अपने मित्रों से उक्त एटीएम में घटित घटना की जानकारी दी तो परिवादी के मित्रों द्वारा तुरन्त ए.टी.एम. कस्टम्बर केयर से दिनांक 20.04.2013 को ही कम्पलेन नं. 2013042611868152 पर कम्पलेन दर्ज करवाई। तथा परिवादी ने दिनांक 26.04.2013 को अप्रार्थी सं. 1 को लिखित मे षिकायत दर्ज कराई। कि मेरे द्वारा ए.टी.एम. कार्ड का उपयोग करते हुए एस.बी.आई. के ए.टी.एम. से राषि 10,000/- निकालने के लिये ए.टी.एम. कार्ड का प्रयोग किया परन्तु उपरोक्त राषि मुझे ए.टी.एम से प्राप्त नही हुई। मेरे द्वारा थोडी देर बाद ए.टी.एम.कार्ड से बैलेन्स इन्क्वायरी देखी तो उसमें 10,000/- रू निकालना दर्षाया गया जबकि परिवादी को यह राषि प्राप्त नही हुई है। तथा परिवादी ने अपने बैक खाता पास बुक मे अपनी बैक से एन्टी करवाने पर दस हजार रू आहरित करना बताया जबकि उसे यह राषि प्राप्त नही हुई परिवादी ने सूचना के अधिकार के तहत भी सूचना माॅगी फिर भी उसे कोई सूचना उपलब्ध नही करवाई गई न ही अपनी त्रृटि को सुधारा एवं षिकायत के बावजूद भी अप्रार्थीगण द्वारा कोई संतोषजनक जवाब न देकर राषि पुनः खातें मे जमा न कर सेवा दोष कारित किया है तथा 10,000/- रू पुनः प्रार्थी के खाते मे जमा कराने तथा मानसिक हर्जाना पेटे 10,000/- रू तथा परिवादी को गाॅव से जैसलमेर आने जाने मे खर्च राषि 7,000/- रू सहित अन्य खर्चा दिलाये जाने का निवेदन किया।
2.        अप्रार्थीगण की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया गया हैं कि दिनांक 20.04.2013 को प्रार्थी ने अपने एटीएम का उपयोग कर 10,000/- रू अपने खाते से जो टाॅजेक्षन किया वह सफल हुआ तथा उसे 10,000/- रू की राषि प्राप्त हो चूकी है। जिसका पत्र बड़ोदा हाउस मुम्बई द्वारा दिनांक 07.09.2013 को प्रषित किया गया जिसमे टाॅजेक्षन सक्सेषफूल होना बताया है। उस दिन कोई अधिक राषि नहीं पाई गई तथा उसे 10000 हजार रूपये सफलता पूर्वक प्राप्त हो चूके है। उससे यह साबित है परिवादी ने यह परिवाद असत्य आधारांे पर प्रेषित किया हैं जो परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया
3.   हमने विद्वान अभिभाषक एवं पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4.     विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है
1.    क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2.    क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.    अनुतोष क्या होगा ?
5.बिन्दु संख्या 1:-  जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषाणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में  अप्रार्थी सं. 1 बैक आॅफ बडोदा ने तो स्वीकार किया है कि प्रार्थीया का खाता सं. 0852010016204 अप्रार्थी सं. 1 बैक मे है उसका एटीएम बैक से जारी किया हुआ है अतः अप्रार्थी सं. 1 परिवादी का उपभोक्ता है बैक की आपस मे कई प्रकार की संविदाए है जिसमे एक सविदा यह भी है कि एक बैक का एटीएम दूसरे बैक मे खाता एटीएम कार्ड मे प्रयोग कर सकता है ओर इसी व्यवस्था के अन्तर्गत परिवादी ने अप्रार्थी सं. 1 के खाते के एटीएम का प्रयोग अप्रार्थी सं. 2 एस.बी.आई के एटीएम पर किया है। यह स्थिति विपक्षीगण की स्वीकृत स्थिति है इसलिये परिवादी विपक्ष सं. 2 का भी उपभोक्ता हो जाता है।इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आती है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6.बिन्दु संख्या 2:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ?
विद्वान परिवादी अभिभाषक की मुख्य रूप से दलील है कि परिवादी द्वारा दिनांक 20.04.2013 को एसबीआई एटीएम काउटर सेे 10,000/- रू निकालने के लिए एटीएम का प्रयोग किया लेकिन एटीएम से परिवादी के 10,000/- रू नही निकले उसके बाद एटीएम कार्ड से बैलेंस इन्क्वायरी देखी तो 10,000/- रू निकलना दर्षाया गया। जिसकी तुरंत षिकायत 20.04.2013 को दर्ज कराई गई। पास बुक मे भी 10,000/- रू आहरित करना बताया गया अतः राषि न मिलने के बाद भी राषि निकलना दर्षाया गया है जो अप्रार्थीगण का सेवा दोष है अतः अप्रार्थीगण से 10,000/- रू दिलवाने के साथ ही मानसिक हर्जाना पेटंे 10,000/- रू व खर्चो 7,000/- रू दिलवाये जाने की प्रार्थना की।
7.    इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थीगण विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने अपने खाता सं. 0852010016204 मे दिनांक 20.04.2013 मे 10,000/- एटीएम द्वारा टाॅजेक्षन किया गया वह सफल हुआ ओर परिवादी ने 10,000/- रू प्राप्त कर लिये इसकी ताईद ई0जे0 एल0औ0जी0 मे टी0एक्स0एन0 नम्बर 3655 व रेस्पोन्स सफल होने का माॅर्क 000 दर्षाया गया है तथा प्रार्थी की बैलेंस राषि भी दर्षायी गयी है जो प्रस्तुत दस्तावेज से प्रकट है। कोई सेवा दोष कारित नही किया है। अतः परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
8.    उभयपक्षों की तर्को की रोषनी मे पत्रावली मे उपलब्ध साक्ष्य पर हमारी राय इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने परिवाद व सषपथ साक्ष्य मे प्रकट किया है कि मैने दिनांक 20.04.2013 को एसबीआई एटीएम काउटर से 10,000/- रू निकालने के लिये एटीएम कार्ड का प्रयोग किया लेकिन 10,000/- रू नही निकले जबकि एटीएम कार्ड से बैलेंस इन्क्वायरी देखी तो उसमे 10,000/- रू निकलना बताया गया है। तथा पास-बुक मे भी यह राषि आहरित करना बताया गया है। इसकी षिकयत परिवादी ने दिनांक 20.04.2013 को ही करवा दी थी। खण्डनीय साक्ष्य मे अप्रार्थी सं. 2 एसबीआई के शाखा प्रबंधक ने अपनी साक्ष्य मे बताया है कि दिनांक 20.04.2013 को एसबीआई के गाॅधी काॅलोनी जैसलमेर स्थित एटीएम मे प्रार्थी द्वारा अपने एटीएम का उपयोग कर 10,000/- रू निकालने हैतु 10.16 बजे ट्रान्जेक्षन किया जो सफल हुआ जो ई0जे0 एल0औ0जी0 मे टी0एक्स0एन0 नम्बर 3655 व रेस्पोन्स सफल होने का माॅर्क 000 दर्षाया गया है। व प्रार्थी की बैलेंस राषि भी दर्षायी गयी है। गवाह अप्रार्थी सं. 1 के शाखा प्रबंधक ने अपने साक्ष्य मे बताया है कि परिवादी की षिकायत करने पर सम्बधित च्ववरं डंीम ठंदा व िठंतवकं ब्ंतक स्जकण् क्मइपज ब्ंतक त्मबवदबपसपंजपवद कमचंतजउमदज ने इसकी जाॅच की ओर उसमे पाया कि परिवादी ने दिनांक 20.04.2013 को एटीएम का प्रयोग किया जो पूर्णतया सफल रहा तथा परिवादी ने 10,000/- रू की राषि प्राप्त कर ली। अप्रार्थीगण की इस खण्डनीय साक्ष्य का समर्थन पत्र दिनांक 07.09.2013 से भी होता है जिसमे यह तथ्य आया है कि व्द जंापदह नच जीम उंजजमत ूपजी जीम ।बुनपतपदह ठंदा जीतवनही छथ्ै ूम ींअम इममद पदवितउमक जींज जीम जतंदेंबजपवद ूंे ेनबबमेेनिस - जीम बनेजवउमत ींक तमबमपअमक जीम ंउवनदजण् ज्ीम ंउवनदज बंददवज इम तमअमतेमण् से भी इसकी पुष्टि होती है। तथा अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत ई0जे0 एल0औ0जी0 मे टी0एक्स0एन0 नम्बर 3655 व रेस्पोन्स सफल होने का माॅर्क 000 दर्षाया गया है। व प्रार्थी की बैलेंस राषि भी दर्षायी गयी है से भी होती है। अतः परिवादी की मौखिक साक्ष्य का खण्डन अप्रार्थीगण की मौखिक व दस्तावेजी साक्ष्य से भी हो जाता है।
 अतः अप्रार्थीगण की खण्डनीय साक्ष्य को न मानने का कारण हमारे समक्ष नहीं हैं ं अतः अप्रार्थीगण ने कोई सेवा दोष कारित नहीं किया हैं । अतः बिन्दू सं. 2 अप्राथीगण के पक्ष मे निस्तारित किया जाता है।
9. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2  अप्रार्थीगण के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।  
ः-ः आदेष:-ः
        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व अस्वीकार किया जाकर खारीज किया जाता है । पक्षकारान अपना-अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।


    ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।


   आदेष आज दिनांक 28.08.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

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