जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
राम लाल जाट पुत्र श्री बालूजी जाट, जाति-लाट, उम्र-करीब7 52 वर्ष, निवासी- ग्राम स्यार, पुलिस थाना-सरवाड़, जिला-अजमेर
- प्रार्थी
1. बैंक आफ बड़ौदा, षाखा ग्राम-फतेहगढ, पुलिस थाना-सरवाड़, जिला- अजमेर जरिए इसके षाखा प्रबन्धक
2. नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,मण्डल कार्यालय, कचहरी रोड, अजमेर जरिए इसके वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 79/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री रमेष आचार्य, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री राजीव मंत्री,अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 1
3.श्री जे.पी.ओझा, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं.2
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 24.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 बैंक से दिनांक 10.10.2011 को 4 भैसों को क्रय किए जाने बाबत् ऋण प्राप्त कर उनका अप्रार्थी संख्या 2 से बीमा करवाया गया । जिनके टैगों का समय समय पर नवीनीकरण किया गया । इसी क्रम में बीमित पषु जिसका पुराना टैग संख्या 9776 तथा नया टैग संख्या 0821 था, की दिनांक 17.6.2013 को 11.30 ए.एम. पर मृत्यु हो जाने पर अप्रार्थीगण को इसकी सूचना दी गई । तत्पष्चात् मृत भैंस का पंचनामा , पोस्टमार्टम इत्यादि करवाए जाने के उपरान्त अप्रार्थी संख्या 1 के माध्यम से अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी के समक्ष समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए क्लेम पेष किया गया जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 13.1.2014 के द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया कि मृतक पषु के अलावा जीवित पषुओं के कान में टैग लगे हुए नहीं पाए गए तथा जिस पषु की मृत्यु हुई है, उसके 10 दिन पूर्व ही री-टैगिंग की गई है और टैग के अवलोकन से ज्ञात होता है कि टैग को जानबूझकर पुराना किया गया है । प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम खारिज किए जाने के बाद दिनांक 25.1.2014 को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस देते हुए क्लेम अदा करने को कहा। किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई ध्यान नहीं दिया । प्रार्थी ने इसे सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 बैंक ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी द्वारा भैसें क्रय किए जाने हेतु ऋण प्राप्त करना व भैंसों का उनके माध्यम से बीमा करवाए जाने व समय समय पर बीमित पषुओं के टैगों को नवीनीकृत करवाए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि बीमित पषु जिसका पुराना टैग संख्या 9776 तथा नया टैग संख्या 0821 था, कि दिनांक 17.6.2013 के प्रार्थी के पत्र से मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई । तत्पष्चात् उत्तरदाता द्वारा प्रार्थी से प्राप्त दस्तावेजात व कवरिंग लैटर सहित अप्रार्थी बीमा कम्पनी को क्लेम प्रेषित कर दिया गया । प्रार्थी उत्तरदाता का उपभोक्ता नहीं है । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । उत्तरदाता के विरूद्व प्रार्थी ने कोई अनुतोष भी नहीं चाहा है । जवाब के समर्थन में श्री जय प्रकाष सांखला, वरिष्ठ प्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि बीमा क्लेम प्राप्त होने पर करवाई गई जांच से यह तथ्य सामने आया कि मृतक पषु के अलावा जीवित पषुओं के कान में टैग लगे हुए नहीं थे तथा जिस पषु की मृत्यु हुई है उसके 10 दिन पूर्व ही री-टैगिंग की गई थी और टैग के अवलोकन से यह भी ज्ञात हुआ कि टैग को जानबूझकर पुराना किया गया है । उपरोक्त तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए प्रार्थी का क्लेम निरस्त कर जरिए पत्र दिनंाक 13.1.2014 के सूचित किया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई है। अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गई है । जवाब के समर्थन में श्री सुरेन्द्र विजयवर्गीय, सहायक प्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
4. उभय पक्षकारान ने अपने अपने पक्ष कथन को बहस में तर्क के रूप में दोहराया है । हमने सुना, रिकार्ड देखा ।
5. प्रस्तुत प्रकरण में भैसों का बीमा अप्रार्थी बैंक के जरिए करवाने तथा प्रष्नगत भैंस के पूर्व में जारी टैग के स्थान पर नया टैग आवंटित करना स्वीकृत तथ्य है तथा ये विवाद के बिन्दु नहीं है । मुख्य विवाद 4 भैसों में से एक भैंस जिसका पुराना टैग नं. 9776 तथा नया नम्बर 0821 है, के क्लेम से संबंधित है । प्रार्थी का तर्क रहा है कि उक्त भैंस के मर जाने पर इसकी सूचना अप्रार्थी बैंक को दी थी तथा बीमा कम्पनी ने वांछित क्लेम मात्र इस आधार पर खारिज किया है कि मृत भैंस के अलावा जीवित पषुओं के कान में टैंग नही ंपाया गया । इससे यह ज्ञात नहीं होता कि जो पषु मरा है वह बीमित है अथवा नहीं । जो पषु मरा है उस पषु के 10 दिन पहले ही री-टैगिंग की गई है तथा टैग के अवलोकन से ज्ञात होता है कि इसे जान बूझकर पुराना किया गया है । अप्रार्थी प्रतिनिधि का तर्क है कि अन्य जीवित पषुओं के काम न में टैग लगे हुए नहीं पाए गए थे । अतः यह पता नहीं लग पाया कि मृत पषु बीमित था अथवा नहीं । इसके अलावा उन्होने उक्त मृत पषु के 10 दिन पहले ही री- टैंिगंग किया गया व पाए गए टैग का जानबूझकर पुराना करना पाया गया । प्रार्थी पक्ष ने उसी दिन सूचना दी तथा मृत पषु के कान में पोस्टमार्टम के समय टैग संख्या 0821 मौजूद होना बताया है ।
6. पत्रावली में उपलब्ध पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिनांक 17.6.2013 के अनुसार मृत पषु का पोस्टमार्टम राजकीय अस्पताल के अधिकृत चिकित्सक द्वारा उसी दिन अर्थात दिनांक 17.6.2013 को किया गया है तथा तत्समय उसके कान में टैग संख्या 0821 पाया गया है। जबकि जांच के बाद बीमा कम्पनी ने निष्कर्ष के रूप में उपरोक्त कारण बताया है वह उनके द्वारा अनुसंधान किए जाने के दौरान दिनांक 30.8.2013 को अर्थात लगभग डेढ माह बाद सामने लाया गया है, जो विष्वसनीय प्रतीत नहीं होता है । मात्र जीवित पषुओं के कान में टैग नहीं लगे होने से कयास के आधार पर मृत पषु की स्थिति का आंकलन करते हुए एवं उक्त मृत पषु के 10 दिन पूर्व री-टैगिंग होने के कारण नए टैग को पुराना किए जाने की स्थिति का आधार लेते हुए जो क्लेम खारिज किया गया है, वह कतई उचित नहीं है । ऐसा करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सेवा में कमी का परिचय दिया है । मंच की राय में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
7. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम की राषि रू. 35,000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं मानसिक संताप पेटे रू.10.000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू.5000 /-भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 24.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष