Uttar Pradesh

Faizabad

CC/247/14

JETHU LAL - Complainant(s)

Versus

B.O.B - Opp.Party(s)

RAJA RAM PAL

09 Jun 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/247/14
 
1. JETHU LAL
SAKIN NEPURA BLOCK MASUDHA PAR. HAWELI AVADH TEH DIS FAIZABAD
...........Complainant(s)
Versus
1. B.O.B
MADRASA MARKET DIS FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-247/2014

               
जेठू लाल पुत्र राम दुलारे साकिन नैपुरा ब्लाक मसौधा परगना हवेली अवध तहसील सोहावल जिला फैजाबाद।                                                  .............. प्रार्थी
बनाम
1.    षाखा प्रबन्धक बैंक आफ बडौदा षाखा भदरसा बाजार जिला फैजाबाद द्वारा षाखा प्रबन्धक। 
2.    तहसीलदार महोदय सोहावल जिला फैजाबाद।                 ..........  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 09.06.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने किसान क्रेडिट खाता संख्या 05/622 दिनांक 28.09.2007 को रुपये 1,00,000/- का विपक्षी संख्या 1 के यहंा खोला। परिवादी ने अपने ऋण खाते में दिनांक 07.12.2007 को रुपये 24,500/-, दिनांक 04.02.2008 को रुपये 4,000/-, दिनांक 29.03.2008 को रुपये 860/- दिनांक 24-08-2008 को रुपये 29,000/- तथा दिनांक 22.04.2009 को रुपये 20,000/- जमा किया। इस प्रकार परिवादी अपने ऋण खाते में रुपये जमा करता रहा। दिनांक 22.04.2009 को परिवादी के लड़के की तबियत खराब हो गयी जिसमें परिवादी परेषान हो गया और षेश रकम जमा नहीं कर सका तथा उसी का फायदा उठा कर विपक्षी संख्या 1 ने गलत तरीके से ब्याज लगा कर दिनांक 07.10.2013 को रुपये 1,24,011/- की आर.सी. विपक्षी संख्या 2 के यहां भेज दी। ऋण लेने के बाद परिवादी रुपये 78,360/- जमा भी कर चुका है तथा मूल धन में मात्र रुपये 21,640/- बकाया था। इस बिन्दु पर विपक्षी बैंक ने विचार नहीं किया और गलत तरीके से परिवादी से रुपये 1,02,371/- ब्याज लिया जा रहा है। इसलिये मजबूर हो कर परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी के विरुद्ध गलत तरीके से लगाया गया ब्याज रुपये 1,02,371/- निरस्त किया जाय।
    विपक्षी संख्या 1 बैंक ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी द्वारा रुपये 1,00,000/- का किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा ऋण लिया जाना स्वीकार किया है तथा परिवादी के परिवाद के अन्य कथनों से इन्कार किया है। परिवादी ने दिनांक 12.09.2007 को किसान क्रेडिट कार्ड के लिये आवेदन किया था और अपनी खसरा खतौनी की भूमि बन्धक रख कर सारे दस्तावेज निश्पादित किये तब परिवादी को किसान क्रेडिट कार्ड पर रुपये 1,00,000/- का ऋण स्वीकृत किया गया। परिवादी का किसान क्रेडिट खाता दिनांक 14.09.2007 को खोला गया जिसका खाता संख्या 14150500000622 है। परिवादी ने विभिन्न तिथियों में धनराषि निकाली गयी तथा विभिन्न तिथियों में कुछ कुछ धनराषि जमा की गयी है। दिनांक 30.05.2009 से परिवादी ने अपने ऋण खाते में कुछ भी जमा नहीं किया है। परिवादी ने अपने परिवाद में जमा धनराषि का विवरण तो दिया है किन्तु जमा करने कुछ दिन बाद ही वह धनराषि निकाल ली गयी है उसके बारे में परिवादी ने कुछ नहीं कहा है। परिवादी से कई बार ऋण की अदायगी के लिये कहा मगर परिवादी जमा करने के प्रति उदासीन रहा और खाते में पैसा जमा न होने के कारण परिवादी के विरुद्ध वसूली प्रमाण पत्र रुपये 1,24,011/- का जारी करना पड़ा। विपक्षी ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी ऋण की अदायगी करने के लिये उत्तरदायी है। परिवादी ने खाते से निकाली गयी धनराषि को न बता कर कन्सीलमंेट आफ फैक्ट किया है, इसी आधार पर परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी बैंक का बकाया नहीं देना चाहता है इसलिये परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
    विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना। परिवादी को बहस के लिये समय दिया गया। मगर निर्णय के पूर्व तक परिवादी की ओर से किसी ने बहस नहीं की। इसलिये परिवाद का निर्णय गुण दोश के आधार पर पत्रावली का भली भंाति परिषीलन के बाद किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, विपक्षीगण को दिये गये नोटिस दिनांक 20.08.2014 की कार्बन प्रति तथा किसान क्रेडिट कार्ड की पास बुक की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी बैंक ने अपना लिखित कथन, राजेन्द्र प्रताप सिंह षाखा प्रबन्धक का षपथ पत्र तथा परिवादी के किसान क्रेडिट खाते का बैंक स्टेटमेंट दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादी ने विपक्षी बैंक का बकाया अदा नहीं किया है। परिवादी ने अपने खाते की पास बुक की छाया प्रति दाखिल की है उसमें भी बकाया दिखाया गया है तथा विपक्षी बैंक स्टेटमैंट से परिवादी की पास बुक की पुश्टि होती है। परिवादी ने अपना परिवाद तथ्यों को छिपा कर बैेेंक की अदायगी से बचने के लिये दाखिल किया है। विपक्षी बैंक ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
आदेश
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 09.06.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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