Uttar Pradesh

Faizabad

CC/90/2013

DILIP KUMAR - Complainant(s)

Versus

B.O.B - Opp.Party(s)

20 Oct 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/90/2013
 
1. DILIP KUMAR
BADAKPUR PO. SARAI NAGAR PAR. AMSIN DIS FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. B.O.B
MAYA BAJAR FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-90/2013

               
दिलीप कुमार मिश्र आयु लगभग 40 साल पुत्र श्री स्व0 जगदीष प्रसाद मिश्र, निवासी ग्राम बदाकपुर, पो0 सराय सागर, परगना अमसिन, तहसील सदर, जिला फैजाबाद।
                                                             .............. परिवादी
बनाम
आफ बड़ौदा षाखा मया बजार, द्वारा षाखा प्रबन्धक, बैंक आफ बड़ौदा, मया बजार, जनपद फैजाबाद।                                                      .............. प्रत्यर्थी
निर्णय दिनाॅंक 20.10.2015            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी का बचत खाता संख्या 1358010001852 विपक्षी बैंक में है। परिवादी के पिता स्व0 जगदीष प्रसाद मिश्र पुत्र अम्बर मिश्र भारतीय थल सेना में हवलदार के पद पर कार्यरत थे व सेवा निवृत्ति सन 2005 के बााद कानपुर आयुध फैक्ट्री में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रुप में कार्यरत हुए और कानपुर आयुध फैक्ट्री से सन 2010 में सेवा निवृत्त हुए। परिवादी के पिता की थल सेना पेंषन सी0डी0एस0 इलाहाबाद से ट्रेजरी से आती थी व ट्रेजरी के माध्यम से विपक्षी बैंक मंे खाता संख्या 6693 में आती थी जिसका नया नम्बर 13580/00010921 है। कानपुर आयुध फैक्ट्री से रिटायर होने के बाद आयुध फैक्ट्री से मिलने वाली पेंषन के लिये नया खाता संख्या 6115 खुलवा जिसका नया नम्बर 13590100010778 है, में आयुध फैक्ट्री से मिलने वाली पेंषन आने लगी। परिवादी के पिता की मृत्यु दिनांक 25.03.2011 को हो गयी, जिसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी बैंक, सी0डी0एस0 इलाहाबाद व कानपुर आयुध फैक्ट्री को दी। विपक्षी बैंक ने खाता संख्या 6115 जिसका नया नम्बर 13580100010778 है का हिसाब किताब कर के मृतक दावा अदा कर दिया और पास बुक जमा करवा ली। परिवादी का खाता संख्या 6693 जिसका नया नम्बर 13580100010921 है, जिसमें परिवादी के पिता की थल सेना की पेंषन आती थी का हिसाब किताब करने परिवादी बैंक गया तो परिवादी ने उक्त खाते के हिसाब किताब में गड़बड़ी पाये जाने पर बैंक से षिकायत की तो बैंक कर्मचारी नाराज हो गये और गाली गलौज कर के बैंक से बाहर भगा दिया। विपक्षी बैंक परिवादी को बिना संतुश्ट किये परिवादी से रुपये 37,448/- की मांग करने लगे कि थल सेना से आने वाली पेंषन की अदायगी अधिक हो गयी है जिसे वापस करना है। परिवादी के खाता संख्या 6693 जिसका नया खाता 13580100010921 है का हिसाब किताब नहीं किया और इस खाते के सम्बन्ध में कोई अदायगी नहीं हुई तो इस प्रकार परिवादी पर देयता नहीं बनती है, इसलिये परिवादी ने उक्त धनराषि देने से मना कर दिया। परिवादी ने हिसाब किताब मांगा तो उन्होंने परिवादी को हिसाब किताब देने से मना कर दिया और परिवादी का खाता संख्या 1358010001852 को सीज कर दिया और परिवादी के गारंटरों के खाते भी सीज कर दिये। दिनांक 18.03.2013 को बैंक ने किसी प्रकार का समझौता करने से इन्कार कर दिया। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षी बैंक से परिवादी के खाते का हिसाब किताब कराया जाये, परिवादी के बचत खाते पर लगी रोक हटवायी जाये, परिवादी के गारंटरों को परेषान न किया जाये तथा क्षतिपूर्ति के मद में विपक्षाी बैंक से परिवादी को रुपये 1,00,000/- दिलाया जाय।
    विपक्षी बैंक ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के परिवाद के तथ्यों से इन्कार किया है। बैंक का कथन है कि परिवादी के पिता स्व0 जगदीष प्रसाद की पेंषन उत्तरदाता की षाखा मंे आती थी, जिसका पुराना खाता संख्या 6693 व नया खाता संख्या 13580100010921 है। उक्त खाते में माह नवम्बर 2010 तक की पेंषन दिनांक 04.12.2010 को आयी थी, मृतक द्वारा जीवन काल में जीवित प्रमाण पत्र देने के पश्चात उक्त पेंषन खाता संख्या 13580100010778 में आने लगी। परिवादी के पिता की आयुध फैक्ट्री कानपुर की पेंषन खाता संख्या 13580100010778 में ही आती थी, किन्तु दिसम्बर 2010 से सितम्बर 2011 तक की दोनांे पेंषन इसी खाते में आने लगीं। पेंषन धारक की मृत्यु दिनांक 23-03-2011 को हो गयी, लेकिन परिवादी ने इसकी सूचना समय से न तो बैंक दी और न ही सम्बन्धित कार्यालय को दी। दिनांक 16.09.2011 को परिवादी ने उत्तरदाता की षाखा में अपने पिता की मृत्यु की सूचना मृतक दावा क्लेम समय दी, इस प्रकार उक्त सूचना काफी विलम्ब से दी गयी। उत्तरदाता ने पेंषन धारक की मृत्यु के पश्चात की अधिक आयी पेंषन में से रुपये 43,823/- कोशागार की मंाग पर दिनांक 28.01.2012 को वापस भेज दिया। आयुध फैक्ट्री कानपुर से अधिक आयी पेंषन की धनराषि रुपये 36,168/- परिवादी द्वारा सही तथ्य की जानकारी न दिये जाने के कारण वापस नहीं हो सकी थी। परिवादी की नैतिक जिम्मेदारी थी कि वह अधिक आयी हुई पेंषन धनराषि रुपये 36,168/- मय ब्याज बैंक को वापस कर दे जिसे सम्बन्धित विभाग को वापस किया जा सके। परिवादी ने मृतक दावा पेष किया और इस तथ्य को छिपाये रखा कि पेंषन धारक स्व0 जगदीष प्रसाद की आयुध फैक्ट्री की अधिक आयी पेंषन रुपये 36,168/- को भी वापस जाना है। परिवादी ने वास्तविक तथ्यों को छिपा कर मृतक दावा क्लेम के अन्तर्गत खाते की सम्पूर्ण धनराषि रुपये 93,190.75 पैसे अपने बचत खाते के जरिये प्राप्त कर लिये जिसके एवज में परिवादी व परिवादी के गारंटरों ने इन्डेमिनिटी बाॅण्ड पर हस्ताक्षर कर के निश्पादित किये कि उक्त भुगतान में भविश्य में यदि कोई त्रुटि पायी जाती है तो हम लोग पूरी भुगतान राषि वापस करेंगे और अदायगी की जिम्मेदारी भी ली थी। उक्त भुगतान राषि में आयुध फैक्ट्री की पेंषन धनराषि रुपये 36,168/- भी भुगतान हो गयी जिसे आयुध फैक्ट्री को मय ब्याज रुपये 37,448/- वापस भेजा जाना है। उत्तरदाता ने परिवादी से कई बार व्यक्तिगत संपर्क करने का प्रयास किया तथा लिखित व मौखिक सूचना भी दिया किन्तु परिवादी ने ना तो बैंक में संपर्क किया और ना ही अधिक भुगतान पेंषन धनराषि रुपये 36,168/- रुपया व ब्याज रुपये 1,280/- ही बैंक को वापस किया। इसलिये उत्तरदाता ने मजबूर हो कर परिवादी व इन्डेमिनिटी बाॅण्ड पर हस्ताक्षर करने वाले गारंटरों के खाते पर अधिक भुगतान पेंषन धनराषि रुपये 36,168/- व ब्याज रुपये 1,280/- की अदायगी तक संचालन पर रोक लगा दी है।
    पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी एवं विपक्षी बैंक द्वारा दाखिल साक्ष्यों व प्रपत्रों का अवलोकन किया। परिवदी ने अपने पक्ष के समर्थन में ऐसा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया है जिससे यह प्रमाणित हो कि विपक्षी बैंक ने उसके व उसके गारंटरों के बचत खातों की निकासी पर रोक लगा कर गलत कार्य किया है। जब कि विपक्षी बैंक ने परिवादी के खाते के सभी प्रपत्र साक्ष्य सहित इन्डेमिनिटी बाॅण्ड की प्रमाणित छाया प्रतियां दाखिल की हैं। परिवादी की जिम्मेदारी थी कि वह समय से बैंक व सम्बन्धित कार्यालयों को अपने पिता की मृत्यु की सूचना देता जिससे उनके खातों में अधिक पेंषन आने पर रोक लग सकती। परिवादी ने पेंषन की धनराषि के भुगतान के सम्बन्ध में इन्डेमिनिटी बाॅण्ड दाखिल किया है और दो व्यक्तियों ने गलत हुए भुगतान को वापस करने की जिम्मेदारी ली है। इस प्रकार परिवादी व उसके गारंटर अपनी जिम्मेदारी से मुकर नहीं सकते हैं। विपक्षी बैंक ने परिवादी व गारंटरों के खाते पर रोक लगा कर कोई गलती नहीं की है। परिवादी विपक्षी बैंक की सेवा में कमी को प्रमाणित करने में असफल रहा है। परिवादी अधिक आयी पेंषन की धनराषि रुपये 36,168/- ब्याज सहित विपक्षी बैंक को वापस करने के लिये जिम्मेंदार है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा है। विपक्षी बैंक ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।  
आदेश
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।      
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 20.10.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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