/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर (छ0ग0)/
प्रकरण क्रमांक:- सी.सी./2012/94
प्रस्तुति दिनांक:- 05/06/2012
श्री ज्योतिर्मय आर्य पिता श्री विजय नारायण आर्य
पता शुभ-लाभ केपिटल सर्विसेस लिमि.
मंदिर चैक जरहाभाठा
रायपुर रोड बिलासपुर छ.ग.
निवास: एल-1 विनोबानगर
बिलासपुर छ.ग. ............आवेदक/परिवादी
(विरूद्ध)
1. महाप्रबंधक,
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय
महाप्रबंधक कार्यालय बिलासपुर छ.ग.
2. प्रबंध संचालक,
आई.आर.सी.टी.सी. लिमिटेड 9 फ्लोर
बैंक आॅफ बड़ौदा भवन, 16 संसद मार्ग
नई दिल्ली पिन 110001 ..........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकार
///आदेश///
(आज दिनांक 16/03/2015 को पारित)
1. आवेदक ज्योतिर्मय आर्य ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से रेलवे टिकट रिफंड की राशि क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 02.06.2010 को अनावेदक क्रमांक 2 की इंटरनेट वेबसाईट के माध्यम से अपने पुत्र अभिषेक आर्य के नाम पर दिनांक 04.06.2010 को बिलासपुर से रायपुर यात्रा हेतु जनशताब्दी एक्सप्रेस में ए.सी. चेयर कार के लिए टिकट पी.एन.आर. क्रमांक 6242700524 क्रय किया और टिकट की राशि 220/-रू. का भुगतान किया, किंतु किन्ही कारणों से उसके पुत्र को यात्रा रद्द करनी पड़ी। अतः आवेदक दिनांक 09.06.2010 को टिकट किराया राशि वापसी हेतु इंटरनेट के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 2 के पास टी.डी.आर. फाईल किया, जिसके द्वारा ईमेल के माध्यम से दिनांक 20.04.2011 को सूचित किया गया कि झूठा रिफंड क्लेम के कारण उसका क्लेम रेलवे द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है, साथ ही इंटरनेट एकाउंट भी बंद कर दिया गया है। अतः आवेदक द्वारा यह अभिकथित करते हुए कि उसके द्वारा अनावेदक क्रमांक 2 के पास से क्रय की गई टिकट पर उसके पुत्र द्वारा यात्रा नहीं की गई, फिर भी अनावेदकगण द्वारा उसका क्लेम अमान्य कर दिया गया। साथ ही उसका इंटरनेट एकाउंट भी बंद कर दिया गया फलस्वरूप उनके इस सेवा में कमी के कारण उसे आर्थिक एवं मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा, यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है।
3. अनावेदक क्रमांक 1 जवाब पेश कर आवेदक को अनावेदक क्रमांक 2 के माध्यम से प्रश्नाधीन टिकट क्रय करना तो स्वीकार किया, किंतु इस बात से इंकार किया कि उक्त टिकट पर गाड़ी छूटने से पूर्व यात्रा रद्द कर दिया गया था। इस संबंध में अनावेदक क्रमांक 1 का कथन है कि आवेदक द्वारा इंटरनेट के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 2 के पास दिनांक 09.06.2010 को टी.डी.आर. फाईल करने उपरांत उनके द्वारा सत्यापन कराने पर यह पाया गया कि आवेदक के पुत्र द्वारा उक्त टिकट पर यात्रा की गई थी, जिसके कारण ही उनके द्वारा अनावेदक क्रमांक 2 को टर्न अप रिमार्क के साथ सूचित किया गया। आगे अनावेदक क्रमांक 1 दिनांक 04.06.2010 को प्रश्नाधीन टिकट के माध्यम से यात्रा किए जाने के कारण आवेदक को किसी भी प्रकार का रिफंड प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होना कहा है तथा आवेदक के परिवाद को मनगढंत होने के आधार पर निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
4. अनावेदक क्रमांक 2 जवाब पेश कर आवेदक द्वारा उसके पास से प्रश्नाधीन टिकट क्रय करना तो स्वीकार किया, किंतु विरोध इस आधार पर किया कि आवेदक द्वारा दिनांक 09.06.2010 को इंटरनेट के माध्यम से टी.डी.आर. फाईल करने पर वह उसे सत्यापन के लिए अनावेदक क्रमांक 1 के पास भेजा, जिनके द्वारा सत्यापन करने पर यह पाया गया कि आवेदक के पुत्र द्वारा उक्त टिकट पर यात्रा की गई है, जिसकी सूचना उसके द्वारा आवेदक को प्रदान की गई और उसका इंटरनेट एकाउंट बंद कर दिया गया। आगे उसका कथन है कि टिकट प्रदान करने तथा निरस्तीकरण तथा रिफंड के संबंध में उसकी जितनी भूमिका थी, उस स्तर पर उसने अपना कार्य किया और सेवा में कोई कमी नहीं की गई। अतः उसने इस आधार पर आवेदक के परिवाद को निरस्त किए जाने का निवेदन किया ।
5. उभयपक्ष के अधिवक्तागण का तर्क सुन लिया गया है। प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
6. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ?
सकारण निष्कर्ष
7. आवेदक द्वारा दिनांक 02.06.2010 को अनावेदक क्रमांक 1 की इंटरनेट वेबसाईट के माध्यम से अपने पुत्र अभिषेक के लिए दिनांक 04.06.2010 को बिलासपुर से रायपुर यात्रा हेतु जनशताब्दी एक्सप्रेस में ए.सी.चेयरकार के लिये टिकट पी.एन.आर. क्रमांक 6242700524 क्रय किए जाने का तथ्य मामले में विवादित नहीं है।
8. आवेदक का कथन है कि दिनांक 04.06.2010 को उसके पुत्र को जिस व्यक्ति से मिलने के लिए रायपुर जाना था, उसके उपलब्ध न होने पर उसके द्वारा जनशताब्दी एक्सप्रेस के बिलासपुर से छूटने के पूर्व ही यात्रा रद्द कर दिया गया था। जिसके कारण ही उसने टिकट किराया राशि वापसी हेतु दिनांक 09.06.2010 को इंटरनेट के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 2 के पास टी.डी.आर. फाईल किया, जिसके द्वारा उसे दिनांक 20.04.2011 को ईमेल कर रिफंड क्लेम झूठा होना बताते हुए रेलवे द्वारा क्लेम अस्वीकार कर दिए जाने की सूचना दी गई । साथ ही उसका इंटरनेट एकाउंट भी बंद कर दिया गया, जबकि उक्त दिनांक को उसके पुत्र द्वारा क्रय किए गए टिकट पर यात्रा ही नहीं की गई थी। अतः उसने अनावेदकगण के क्लेम अस्वीकार करने के फलस्वरूप पहुॅची मानसिक एवं आर्थिक क्षति के लिए सेवा में कमी के आधार पर यह परिवाद पेश करना बताया है।
9. इसके विपरीत अनावेदक क्रमंाक 1 का कथन है कि आवेदक के पुत्र द्वारा टिकट पी.एन.आर. नंबर 6242700524 के माध्यम से दिनांक 04.06.2010 को यात्रा की गई थी और यात्रा के पश्चात टिकट की राशि प्राप्त करने हेतु टी.डी.आर. फाईल किया गया था, जिसके कारण ही उनके द्वारा क्लेम अस्वीकार किया गया।
10. अनावेदक क्रमांक 2 का कथन है कि उसका कार्य केवल टिकट की बुकिंग करना, निरस्तीकरण एवं रिफंड के संबंध में रेलवे तथा यात्री के मध्य एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करना है, जिसके एवज में वह सेवा शुल्क प्राप्त करता है। इसके अलावा रेलवे से उसका कोई संबंध नहीं, दोनों के अस्तित्व पृथक है। आगे उसने अपनी भूमिका के संबंध में सेवा मंे कोई कमी नहीं किया जाना प्रकट किया है तथा कहा है कि वह आवेदक को किसी भी प्रकार की कोई राशि अदायगी के लिए उत्तरदायी नहीं है।
11. प्रश्नगत मामले में आवेदक का यद्यपि यह कथन है कि, दिनांक 04.06.2010 को जिस व्यक्ति से मिलने उसके पुत्र को रायपुर जाना था, उसके उपलब्ध नहीं होने पर उसके पुत्र द्वारा उक्त दिनांक को जनशताब्दी एक्सप्रेस के बिलासपुर से छूटने के पूर्व ही यात्रा रद्द करनी पड़ी थी, फलस्वरूप ही उसके द्वारा टिकट किराया राशि वापसी हेतु टी.डी.आर. दिनांक 09.06.2010 को फाईल किया गया था, किंतु आवेदक अपने परिवाद में टी.डी.आर.विलंब से फाइल करने का कोई समुचित कारण स्पष्ट नहीं किया है, जबकि वह चाहता तो जनशताब्दी एक्सप्रेस के बिलासपुर से छूटने के पूर्व अथवा उसके तत्काल पश्चात अनावेदक क्रमांक 2 के पास टी.डी.आर. फाईल कर सकता था, जो उसके द्वारा नहीं किया गया और न ही इस संबंध में उसके द्वारा कोई समुचित कारण अपने परिवाद में प्रकट किया गया है।
12. यद्यपि आवेदक मामले में दिनांक 04.06.2010 को जनशताब्दी एक्सप्रेस में क्रय किए गए टिकट पर अपने पुत्र के यात्रा नहीं करने के संबंध में कोई सारभूत साक्ष्य पेश नहीं किया है, फिर भी यदि बगैर किसी समर्थित साक्ष्य के उसके एकमात्र कथन के आधार पर यह मान भी लिया जाए कि उसका पुत्र दिनांक 04.06.2010 को प्रश्नाधीन टिकट पर जनशताब्दी एक्सप्रेस में यात्रा नहीं किया था, तो भी उसके द्वारा इस संबंध में विलंब से टी.डी.आर. फाईल करने के कारण उसका परिवाद स्वीकार किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता, अन्यथा इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में इन्हीं आधारों पर अन्य यात्री भी अपनी यात्रा पूरी करने के उपरांत यात्रा नहीं करने के आधार पर विलंब से टी.डी.आर. फाईल कर परिवाद प्रस्तुत नहीं करेंगे और ऐसा होता है तो फोरम के समक्ष अनावश्यक परिवाद की बाढ़ लग जाएगी।
13. अतः हम इस निष्कर्ष पर पहुॅचते हैं कि आवेदक द्वारा प्रश्नगत मामले में टिकट किराया वापसी हेतु टी.डी.आर. विलंब से फाईल किया गया और इस संबंध में विलंब से टी.डी.आर. फाइल करने का समुचित कारण भी परिवाद में स्पष्ट नहीं किया गया और न ही कोई साक्ष्य पेश किया गया, जबकि उक्त तथ्य को साबित करने का भार आवेदक पर ही था । अतः उसका परिवाद निरस्त किया जाता है।
14. उभयपक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य