Savitri Devi filed a consumer case on 05 Jun 2023 against B.M. Mahendra & Mahendra Fin. Ser. Ltd. etc. in the Barabanki Consumer Court. The case no is MA/13/2022 and the judgment uploaded on 06 Jun 2023.
पत्रावली आदेश हेतु प्रस्तुत की गई। पत्रावली का अवलोकन किया।
प्रार्थिनी के बाज दायरा प्रार्थना पत्र (रेस्टोरेशन) तथा विपक्षी के अधिवक्तागण को सुना जा चुका है।
प्रार्थिनी सावित्री देवी की ओर से दिनांक 20.06.2022 को प्रस्तुत वाद दायरा प्रार्थना पत्र में प्रार्थना की गई है कि परिवाद संख्या-155/2018 में दिनांक 05.04.2022 को परिवादी के अधिवक्ता द्वारा पूर्व में आदेश पत्र के हाशिये पर किये गये गलत अंकन के आधार पर परिवाद खारिज किये जाने के आदेश को रिकाल कर परिवाद पत्र में सुनवाई गुण-दोष के आधार पर सुनवाई कर याचना की है।
परिवादिनी का कथन है कि उसने अपने अधिवक्ता को कभी भी केस वापस लेने या परिवाद पर बल न देने की कोई भी बात नहीं की। प्रत्येक पेशी पर परिवादिनी का भतीजा जाता था। परिवादिनी के अधिवक्ता से धोखे से परिवादिनी का वाद निरस्त करा दिया गया है।
यह बाज दायरा श्री पंकज निगम, एडवोकेट के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी की ओर से श्री विवेक श्रीवास्तव, एडवोकेट का उपस्थित होकर कथन है कि विपक्षी की ओर से कोई लिखित आपत्ति नहीं देनी है। बाज दायरा पोषणीय न होने का तर्क लिया गया है।
संलग्न मूल पत्रावली परिवाद संख्या-155/2018 के अवलोकन से विदित है कि दिनांक 24.02.2022 को विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा यह अंकित किया गया कि वर्तमान परिस्थितियों में परिवाद पत्र में बल नहीं प्रदान किया जाता है। दिनांक 05.04.2022 को परिवादिनी की ओर से कोई उपस्थित भी नहीं आया। अतः परिवादिनी की अथवा उनके अधिवक्ता की अनुपस्थिति में तथा पूर्व में परिवाद पर बल न दिये जाने के कारण परिवाद निरस्त किया गया।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 में दिये गये प्राविधानों के अनुसार कोई परिवाद Dismiss in default एकपक्षीय रूप से निर्णीत होने या गुण-दोष के आधार पर निर्णीत होने के पश्चात् जिला आयोग को उसे किसी भी आधार पर रिकाल कर रेस्टोर करने का कोई विधिक प्राविधान नहीं है।
राजीव हितेन्द्र पाठक एंव अन्य बनाम अच्युत काशीनाथ कारेकर एवं अन्य सिविल अपील संख्या-4307/2007 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 19.08.2011 में यह विधि सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया है कि जिला उपभोक्ता आयोग को वाद रेस्टोरेशन की शक्तियाँ नहीं है।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि जिला उपभोक्ता आयोग को परिवादिनी के परिवाद संख्या-155/2018 में पारित आदेश दिनांकित 05.04.2022 को रिकाल कर परिवाद को मूल संख्या पर रेस्टोर करने की विधिक शक्तियाँ नहीं है। अतः परिवादिनी का बाज दायरा प्रार्थना पत्र दिनांकित 20.06.2022 निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का बाज दायरा प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर की जावे।
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