राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-472/2023
(जिला उपभोक्ता आयोग, हापुड़ द्वारा परिवाद संख्या 58/2021 में पारित आदेश दिनांक 13.02.2023 के विरूद्ध)
गुलजार पुत्र श्री फजर मौहम्मद
बनाम
ब्रांच मैनेजर, मैगमा एच0डी0आई0 जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 व एक अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : सुश्री प्रियंका सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्द्र चौधरी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री अंग्रेज नाथ शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 05.08.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
पुकार हुई। अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता सुश्री प्रियंका सिंह, प्रत्यर्थी संख्या-1 बीमा कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी तथा प्रत्यर्थी संख्या-2 फाइनेंस कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अंग्रेज नाथ शुक्ला उपस्थित हैं।
प्रत्यर्थी संख्या-1 बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी द्वारा कथन किया कि अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत उस प्रपत्र अर्थात् पुलिस को वाहन की चोरी की सूचना 112 नम्बर पर दूरभाष के माध्यम से चोरी के तत्काल पश्चात् प्राप्त करायी, चूँकि उपरोक्त सूचना से सम्बन्धित विवरण/प्रपत्र विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किए गए, वरन्
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इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत किए गए, जो कि अतिरिक्त साक्ष्य के रूप में पढ़े जा सकते हैं।
उक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्यर्थी संख्या-1 बीमा कम्पनी द्वारा की गयी प्रार्थना स्वीकृत की जाती है कि उपरोक्त प्रपत्रों को विचार किए जाने हेतु व समुचित निर्णय लिए जाने हेतु प्रत्यर्थी संख्या-1 बीमा कम्पनी को 06 सप्ताह का समय प्रदान किया जावे, जिससे कि विधि अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित हो सके।
मेरे विचार से उपरोक्त प्रस्ताव पूर्ण रूप से विधिक एवं न्यायोचित है। तदनुसार प्रत्यर्थी संख्या-1 बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि हर दशा में उपरोक्त साक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए विधि अनुसार कार्यवाही 06 सप्ताह की अवधि में सुनिश्चित की जावे।
तदनुसार उपरोक्त कथन को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत अपील को विलम्बित रखने का औचित्य समाप्त पाया जाता है। प्रत्यर्थी संख्या-1 बीमा कम्पनी द्वारा उपरोक्त प्रपत्रों को दृष्टिगत रखते हुए देय धनराशि के संबंध में समुचित आदेश पारित किया जावे।
यहॉं यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि प्रत्यर्थी संख्या-1 बीमा कम्पनी द्वारा अन्यथा किसी प्रकार का आदेश पारित किया जावेगा तब अपीलार्थी को यह आज्ञा दी जाती है कि वह समुचित प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हुए प्रस्तुत अपील को पुनर्जीवित कराने की प्रक्रिया सुनिश्चित करे।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निस्तारित की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1