// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/52/2012
प्रस्तुति दिनांक 28/03/2012
राजेश कुमार वैश पिता श्री महावीर प्रसाद वैश
उम्र 36 वर्ष, निवासी-क्वा.नं. सी-5, सर्किट हाउस के पास
जिला बिलासपुर छ.ग. ......आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
1.आई.एन.जी.लाईफ इंश्योरेंस/ बैंक
मगरपारा मेनरोड किम्स हास्पिटल के पास,बिलासपुर
तहसील व जिला बिलासपुर छ.ग. (विलोपित)
2.आई.एन.जी. वैश्य हाउस 5 मंजिला नं; 22
एम.जी.रोड बैंगलोर 560001 (मुख्य कार्यालय)
3. आई.एन.जी.लाईफ इंश्योरेंस/ बैंक
मगरपारा मेनरोड किम्स हास्पिटल के पास,बिलासपुर
तहसील व जिला बिलासपुर छ.ग. (विलोपित) .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 23/03/2015 को पारित)
१. आवेदक राजेश कुमार वैश ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध कदाचरण का व्यवसाय कर सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से अपने द्वारा पॉलिसी क्रमांक 02217162 के संबंध में जमा किए गए 1,00,000/-रू. को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 25/06/2011 को अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा बताए गए योजना के आधार पर उनके संस्थान में पॉलिसी प्राप्त करने के लिए 1,00,000/-रू. जमा किया। अनावेदकगण द्वारा उसे 15 दिन में पॉलिसी के कागज प्राप्त हो जाने का आश्वासन दिया गया था, किंतु उसे तीन माह उपरांत भी पॉलिसी का दस्तावेज प्राप्त नहीं हुआ, तब उसने अनावेदक क्रमांक 1 के कार्यालय में संपर्क कर दिनांक 03/10/2011 को पॉलिसी निरस्त करने के लिए आवेदन दिया, जिसके परिपेक्ष्य में उसे बताया गया कि उसका पैसा उनकी संस्था द्वारा बाजार में इन्वेस्ट कर दिया गया है अत: रकम प्राप्त हो जाने में समय लगेगा, फलस्वरूप आवेदक यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदकगण द्वारा उसकी रकम को पॉलिसी के दस्तावेज प्राप्त किए बगैर उसकी सहमति के बिना बाजार में इन्वेस्ट कर व्यवसायिक कदाचरण किया गया और सेवा में कमी की गई, उसने अनावेदकगण के विरूद्ध यह परिवाद पेश करते हुए उनसे वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदकगण की ओर से जवाब पेश कर यह तो स्वीकार किया गया कि आवेदक द्वारा उनकी कंपनी में पॉलिसी प्राप्त करने के लिए 1,00,000/-रू. की राशि जमा की गई थी, किंतु आगे उन्होंने किसी भी तरह का कदाचरण का व्यवसाय कर सेवा में कमी से इंकार करते हुए यह अभिकथित किया है कि आवेदक द्वारा पॉलिसी निरस्त किए जाने पर उसे आवश्यक चार्ज काटकर 99,151.12/-रू. का चेक भेजा गया, किंतु आवेदक द्वारा उसे प्राप्त नहीं किया गया । उक्त आधार पर उन्होंने आवेदक के परिवाद को निरस्त किए जाने का निवेदन किया ।
4. परिवाद की लंबनावस्था में आवेदक द्वारा आवेदन पेश करते हुए परिवाद के कॉज टाईटिल में अनावेदक क्रमांक 1 व 3 का नाम विलोपित करते हुए अनावेदक क्रमांक 2 को प्रकरण में मुख्य पक्षकार होना अभिकथित करते हुए उससे अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।
5. आवेदक की अनुपस्थिति के कारण अनावेदक अधिवक्ता का तर्क सुना गया । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
6. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदक क्रमांक 2 से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है
सकारण निष्कर्ष
7. अभिलेखगत सामग्री से यह स्पष्ट होता है कि अनावेदकगण की ओर से मामले में जवाब दावा पेश करने के साथ आवेदक को प्रदान किए जाने हेतु 99,151.12/-रू. का चेक भी प्रस्तुत किया गया था, जिसे आवेदक द्वारा दिनांक 12/09/2012 को प्राप्त कर लिया गया है । शायद इसी कारण आवेदक मामले में कोई अभिरूचि नहीं ले रहा है और विगत दो तिथियों से अनुपस्थित चला आ रहा है।
8. आवेदक यद्यपि अपने परिवाद में अनावेदक क्रमांक 1 व 3 का नाम विलोपित करते हुए अनावेदक क्रमांक 2 से अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है, किंतु इस संबंध में आवेदक के परिवाद के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि उसने अपने पूरे परिवाद में अनावेदक क्रमांक 2 के विरूद्ध कोई अभिकथन नहीं किया है, और न ही उसके सेवा में कमी का तथ्य प्रकट किया है, फलस्वरूप अनावेदक क्रमांक 2 के विरूद्ध अभिकथन एवं साक्ष्य के अभाव में आवेदक को उससे कोई अनुतोष दिलाया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है, अत: आवेदक का परिवाद निरस्त किया जाता है ।
9. उभय पक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे ।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य